फरार Prashant Vyawhare द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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फरार

फरार

वो १९८६ का दौर था जब अंडरवर्ल्ड का बड़ा भाई, उस पावरफुल नेताजी सरकार के कहने पर दुबई भाग गया उसके बाद मुंबई के अंडरवर्ल्ड में खलबली मच गयी. हर छोटा गैंगस्टर भाई की जगह लेना चाहता था, वैसे हे एक गैंगस्टर था गन्या शिंदे उर्फ सुपारी भाई, गन्या का बाप पहले मुंबई के गोदी में स्मगलिंग के गिरोह में काम करता था, और बाप के एनकाउंटर में मर जाने के बाद उसके बेटे गन्या के मन में सरकार के खिलाफ गुस्सा भर गया और वो भी बड़े भाई के गिरोह में शामिल हो गया,

उसका काम था बड़े भाई और नेताजी के लिए सरकारी अधिकारीयों को कण्ट्रोल करना, और भाई के लिये उनसे साम, दाम, दंड के जरिये काम करवा लेना और प्रोटेक्शन मनी वसूलना. गन्या शिंदे और उसका गैंग काफी सालो से ईमानदारी से भाई के लिए सभी बड़े सरकारी अफसरों पर कण्ट्रोल बनाये हुए था. लेकिन एक दौर आया जब १९९३ में मुंबई बम ब्लास्ट के बाद भाई का नाम वांटेड लिस्ट में ऊपर आया और स्टेट की सरकार ने सभी गैंगस्टरों को ख़तम करने के लिया स्पेशल एनकाउंटर सेल का गठन किया. उसका इंचार्ज था सदानंद भिड़े, वो एक ईमानदार और सख्त पोलिसवाला था, उसने एनकाउंटर का वर्ल्ड रिकॉर्ड करने का जैसे थान लिया था और धड़ल्ले से जो भी गैंगस्टर उसके हिटलिस्ट में था उनका एनकाउंटर करने लगा, उसके खौफ के कारन बहुत से गैंगस्टर फरार होने लगे और अब गन्या शिंदे को लगा के अगर जान बचानी हो तो उसे मुंबई छोड़ कर फरार होना पड़ेगा सो उसने पुणे के एक गाँव में जाने का प्लान बनाया, उसने एक सरकारी पोस्ट ऑफिस में ऑडिट इंस्पेक्टर बन कर जाने के तैयारी के उसने उसके सरकारी कॉन्टेक्ट्स से उसने जरूरी इनफार्मेशन और कागजात. वो गाव का नाम था हवेली जो बहुत छोटा और बाकि दुनिया के झनझट से दूर था. गन्या ने उसके गैंग को तुरंत फरार होने का हुकम दिया, और खुद निकल पड़ा एक अनजान मंजिल की और.

अगले दिन मुंबई के दादर बस स्टेशन से उसने सरकारी बस पकडी जिससे स्टेशन पैर पुलिस की नज़र से बच सके और वो ६ घंटे के सफर के बाद पहुँचा हवेली गाव्.

दोपहर का वक़्त ३ बजे एक बस गाव् के बस अड्डे पर रुकी. उसमे से गन्या उतरा. उसके हाथ में एक अटैची और कुछ सरकारी फाइल थी.

आलीशान गाड़ियों में घूमने वाले गन्या ने पहले बार बस का सफर किया था वो काफी ऊब गया था, और उसे बाजु वाले बाबू भी उसे बातुनी था तो वो चिढ गया था और उसे लग रहा था के कब उसे छुटकारा मिले

गन्या जैसे हे उतरा, उसके साथ वाले बन्दे ने सर निकलता हुए बोला.

बस वाला बाबू: ठीक है बाबू साहब कभी हमारे गाव् आना हुआ तो जरूर घर पधारे

गन्या: (अगर वो कभी उसे मुंबई मिलता तो उसकी गर्दन मरोड़ देता) मगर उसने खुद को संभाला और बोलै ये तो मेरे के मुझे बडी खुसी होंगी थैंक्यू और इतना बोलते ही उसने विदा ली और आगे बढ़ा

बस जहा रुकी वहा कुछ लोग बैठे दिखे

गन्या: बाबूजी ये पोस्ट ऑफिस कहा पड़ता है

एक बूढा: बाबू इस कच्चे रस्ते से आगे जाइये, जो भी बड़ी ईमारत आपको दीख जायगे उन झोपड़ियों के बीच जो भी पक्का मकान दीख जाये वही डाक खाना है

गन्या: ठीक है बाबाजी धन्यवाद्

थोडी देर चलने के बाद वो पोस्ट ऑफिस पहुँचता है, वो देखता है गाव् के सभी घर एकदम कच्चे है, मगर डाक खाने की ईमारत बड़ी और नयी सी दीख रही है बड़े से ईमारत सामने गार्डन और बगल में शायद रहने के लिया कोठिया भी थी, जैसे कुछ महीने पहले ही बनाई हो

वो पोस्ट ऑफिस में अंदर घुसता है,

गन्या: स्टूल पैर बैठे अर्दली से, अरे पोस्ट मास्टर कहा बैठते है, उनसे कहना झोनल ऑफिस से ऑडिट इंस्पेक्टर आये है, रिकार्ड्स देखना है.

अर्दली: गन्या की बात सुनकर जरा गड़बड़ा जाता है और तुरंत पोस्ट मास्टरजी को बुलाने भागता है.

गन्या: वही एक कुर्सी पर बैठ जाता है और आगे क्या बोलना है वो सोचने लगता है इतने में.

पोस्ट मास्टर: बाबू साहिब, आप तार कर देते तो हम आपको रीसिव करने के लिए आ जाते, आपको खामखा तकलीफ हुइ. ए अर्दली जाओ बाबूजी के लिया चाय नास्ते का प्रबंध करो, आइये बाबूजी मेरे केबिन में बैठते है आराम से.

गन्या : पोस्ट मास्टर साहब शायद आप एनुअल चेकिंग का प्रोटोकॉल नही जानते क्या, हम आने की इत्तेलाह पहले नही दे सकते, हम रिकार्ड्स चेक करने आये है,ये हमारा पहचान पत्र. और गन्या उसे एक बनाया हुआ पहचान पत्र दिखता है जो उसे उसके सरकारी कांटेक्ट ने दिया था.

पोस्ट मास्टर: कार्ड को उलट पुलट कर देखता है और पसीना सा तर बतर घबरा या हुआ सा मुह बनता है, और थोड़ी देर बाद संभल कर कहता है, गलती हो गए बाबू साहब आगे से ना होंगे, आपके सेवा का मौका दीजिये, आप मन मत करीयेगा बस रिपोर्ट जरा अच्छे बनाया, हम आपके हुकम के गुलाम है आप जो कहेंगे वही होगा.

इतने में अर्दली चाय नास्ता ले कर आता है,

पोस्ट मास्टर: लीजिये बाबूजी थोड़ा चाय नास्ता कर लीजिये, काम तो होता ही रहेगा

थोड़े देर के बाद पोस्ट मास्टरजी इंस्पेक्टर साहब को रिकॉर्ड रूम लेकर जाते है.

थोड़ी तपदिश के बाद

गन्या: मास्टरजी मुझे आपके रिकार्ड्स कुछ ज्यादा लग रहे है, अगर आप अच्छे रिपोर्ट चाहते हो तो शायद मुझे यहाँ ज्यादा देर तक रुकना पड़े ऐसे हेड ऑफिस को दीखाना पड़ेगा उसके बाद हे में आपको अच्छे रिपोर्ट दे पाउँगा तो आप, हमारे रहने का प्रबंध करो शायद कुछ महीना हमे यहाँ रुकना पड़ेगा.

पोस्ट मास्टर: थोड़े ख़ुशी के लहजे में बोलै जो हुकुम बाबूजी जी में कोई कमी नही रहने देंगे आपके खातिर दारी में जिए और हम भी ये आपका अंदाज़ हमे पसंद आया जियो और जीने दो वाला, ठीक है हम आपके रहने का प्रबंध करवा कर अभी आते है तब तक आप हमारे दालान आराम फरमाए.

पोस्ट मास्टर घंटी बजा कर एक कर्मचारी को बुलाने के लिए कहता है, उसके आने के BAAD गन्या से, बाबू साहब ये हमारे स्टाफ राजेश है, ये आपको रिकार्ड्स बताएँगे,

गन्या राजेश के तरफ देखता है, और उसके शरीर में एक काँटा सा दौड़ जाता है, क्युकी राजेश कुछ कुछ उसके राइवल गैंग के लीडर मुन्ना के तरह उसे नज़र आता है.

राजेश: नमस्ते बाबू साहब, आइये हम आप को रिकार्ड्स दीखाते है, और इसके अलावा आप हमारे मेहमान भी है, तो अगर और कुछ भी सेवा लगे हम हाजिर है.

गन्या: मन हे मन सोचता है, शायद इसने मुझे नही पहचाना और वो थोड़ा संभल जाता है, और कहता है, हां तो तुम मुझे पहले रिकार्ड्स बताओ, फिर बाकि बात करते है.

पोस्ट मास्टर: जी बाबूजी तो आप रिकार्ड्स चेक कर लीजिये और तब तक हम आपके रहने खाने का बाबदोबस्त करकर आते है, तो आज शाम का खाना हम साथ मेरे क्वार्टर पर खाएंगे,

गन्या: जी जरूर, धन्यवाद्, तो हम चलते है, जरा कुछ काम शुरू कर लिए जाये ताकि जल्द ख़तम कर सके.

राजेश: जी आइये हमारे साथ, और दोनों रिकार्ड्स स्टोर के लिए चल देते है

गन्या: कुछ रिकार्ड्स चेक करने के बाद राजेश से कहता है, राजेश ये रिकार्ड्स साफ़ नहीं मिलते है कही कुछ गड़बड़ तो नहीं, और हस्ताक्षर भी साफ़ नहीं है , पेनो का अकाल तो नहीं पड़ा है जो धुंदली इंक इस्तेमाल हुई है.

राजेश: नही बाबूजी ये पुराने रिकार्ड्स है जरा धुंदले पड गए है. बाकि सब साफ़ है रिकार्ड्स भी और हम लोगों का काम भी.

गन्या: ठीक है, वो तो पता चल जायेगा, बड़े बड़े घोटाले जो हमने आज तक पाकड़े है.

थोड़े देर रिकॉर्ड्स देखने के बाद राजेश खाना लेकर आता है, और ठीक पांच बजे, पोस्ट मास्टर खुद इंस्पेक्टर साहब को लेने आता है, और गेस्ट हाउस दीखता है जो उसके रहने के लिए तैयार किया है

पोस्ट मास्टर: तो बाबूजी ये आपके कमरा, और अरे गजरी जरा यहाँ तो आओ, अरे गजरे ये बड़े बाबूजी है शहर से आइये है, इनके यहाँ तुम सब काम देख लेना, और याद रहे कोई शिकायत का मौका नहीं मीलना चाहिए आखिर हमारे गाव् की इज्जत का सवाल है.

गजरी: जी पोस्ट बाबूजी, आप बेफिक्र रहे, हम हमारा काम जानते है. हम कोई शिकायत का मौका नहीं देंगे

गन्या: गजरी की तरफ देखता है और उसे एक और झटका लगता है हो न हो ये वही मीना कुमारी है जो कभी मुंबई के गैंगस्टर्स की पहली पसंद थी, वो एक बार डांसर थे और हर गैंगस्टर उसे हासिल करना चाहता, और एक दिन वो अचानक गायब हुयी, कहते थे के वो मुंबई के सबसे बड़े गैंगस्टर उस्मान तलाल के साथ दुबई भाग गयी. गन्या ने उसे क्लबों में बहुत बार देखा था मगर उसके उसूल थे के वो कभी किसी औरत के चक्कर में न पड़ेगा इसी लिए उसे ये पक्का यकीन था के राजन की तरह ये भी उसे पहचान नहीं पाएगी.

गन्या: ठीक है पोस्ट मास्टरजी, आप इसे कल से आने के लिए कहे. अभी तो हम थोड़ा नाहा आराम करना चाहते है.

पोस्ट मास्टर: ठीक है बाबू साहब, तो गजरी अब तुम हमारे साथ चलो बाबू साहब के डिनर की तैयारी करनी है, और कल से वक़्त पर आ जाना, और याद रहे इंस्पेक्टर साहब की खातिरदारी में कोई कमी ना रहे.

इतना कहकर मास्टरजी और गजरी चले जाते है.

गन्या: थोड़ी देर आराम कर के तैयार रहता है. शाम ८ बजे मास्टरजी उसे उनके यहाँ दावत के लिए ले कर जाते है.

वहा जाने के बाद गन्या देखता है के वह राजेश और गजरी तो मौजूद है मगर पोस्ट मास्टर जी के घर पर और कोई भी मौजूद नहीं है थोड़ी देर बाद खूब आव भगत और दावत संपन्न होती और मुखवास के दौरान आगे बातचीत शुरू होती है.

गन्या: मास्टरजी मेहमाननवाजी में आप का कोई जवाब नहीं.

पोस्ट मास्टर: धन्यवाद् बाबूजी ये तो हमारा सौभाग्य हम समझते है

गन्या: वैसे मास्टरजी आपके घर के और कोई सदस्य दिखाई नहीं दे रहे है, क्या आप अकेले रहते है.

पोस्ट मास्टर: जी बिलकुल अकेला कहा बाबूजी, ये पोस्ट महकमे और गाव् के लोग ही हमारा परिवार है,

गन्या: काफी काम लोग है जो आपके तरह सोचते है, आप दिल के बड़े है तभी ये सोचते है

राजेश और गजरी उनकी बाते सुनते है और हा में हा मिलते है.

मगर गन्या को अभी पता नहीं के उसके साथ जो होने वाला है वो तो उसने कभी सोचा भी नहीं था.

कुछ देर के बाद पान और मुखवास की, थाली आती है, पान खाने के बाद गन्या को अचानक ऐसे लगता है की उसके आजु बाजु में सब घूम रहा है, और वो चक्कर खा कर गिर पडता है.

दूसरे दिन जब गन्या के आँख खुलते है, और जब उसे होश आता है तो वो घबरा जाता है, जब अपने आप को वो किसे अँधेरे कमरे में चार पाई पर रस्सी से बंधा पता है. और मुँह में कपडा धूसा होने के वजह से वो चिल्ला भी नहीं पाता, वो अपने आप को छुड़ाने के कोशिस करता है मगर उससे वो थक जाता है और अंततः वो असहाय हो सो जाता है.

अब वो सोचने लगता है क्या ये लोग मुझे पहचान गए, क्या ये पुलिस के लोग है, अगर ये मुझे पहचान गए है, तो कभी जिन्दा नही छोड़ेंगे, तभी उस कमरे का दरवाज़ा खुलता है, उसमे से तीन सये अंदर दाखिल होते है, कमरे में अचानक आये उजाले से गन्या के आँखों बंद हो गयी, और धीरे से उसने आँखे खोलकर देखने के कोशिश के तो गन्या समझ गया ये वही पोस्ट मास्टर और उसके दो लोग राजेश और गजरी है.

पोस्ट मास्टर: कहो इंस्पेक्टर साहब रात कैसे रही, अब हम जो भी पूछेंगे आपने सच बताया नहीं तो अपने जान से हाथ धो बैठोगे. बताओ तुम असल में कौन हो, तुम्हे किसने भेजा है, पुलिस ने या सीबीआई ने, इंटरपोल ने जल्दी बताओ वरंना ऐसे भुगतोगे के तुम्हारी रूह भी काँप उठगे. और उसने पास हे पड़ी चिमटी उठाइ और गन्या के नाखून में धंसा कर उसे उखाड़ लिया.

गन्या दर्द से कराह उठा, उसकी उंगली से खून बहने लगा, मगर तीनो शांति से उसके तरफ देख रही थे जैसे कुछ हुआ ही नहीं,

अब पोस्ट मास्टर का हाथ उसके दुसरी उंगली पर गया, उसने वापस पूछा, अब बताते हो या, तभी राजेश आगे आया उसके हाथ में लकड़ी थी उससे उसने गन्या को तब तक पीटा जब तक के वो थक नही गया. गन्या वापस चिल्ला उठा मगर मुँह बंद होने के वजह से, बस उसकी आँखों से आंसू निकल आये, अब उसे पता चला था के दर्द क्या होता है, उसकी आँखों के आगे अँधेरा छा गया, और वो बेहोश हो गया.

जब उसे होश आया तो उसने देखा के उसके हाथ में सलाइन लगी हुए है ताकि वो जिन्दा रह सके. अब गजरी सामने आये.

गजरी: बता दो बाबू के तुम कौन है वरना तूम्हारी खाल खींच ली जायेगी और तूम देखते ही रह जाओगे.

अब गन्या का धीरज टूट गया और उसने उसकी सचाई बता दे की वो मुंबई से भागा गैंगस्टर गन्या शिंदे उर्फ सुपारी भाई है और वो एनकाउंटर से बचने के लिए इस गाव् में आकर छुपने का उसका इरादा है.

जैसे हे तीनो ने ये सुना वो दांग रह गए, राजेश का तो जैसे खून खौल उठा क्यूंकी गन्या के वजह से उसे बहुत नुक्सान उठाना पड़ा था, उसके कितने ही लोग गन्या के गैंग ने मार दिए थे, और उसके हे दर के वजह से वो आज तक ऐसे चूहे के भाँती उस गांव में छुपा हुआ था, और आज उसे अपने कदमो पर देख राजेश अपने आप को हसने से रोक नही सका.

राजेश: कुत्ते, आज तूझे मेरे हाथो से कोई नहीं बचा सकता, बहुत नुक्सान किया है तूने मेरा और तेरी वजह से ही मुझे डर कर सुवर की भाँती जीना पड रहा है.

और जैसे हे वो गन्या को मरने के लिए आगे बढ़ा, पोस्ट मास्टर ने उसे रोक दिया.

पोस्ट मास्टर: राजेश रुक जा अपना गुस्सा संभलकर रख, जैसे इसने तुम्हारी ये हालत की है, उसे यही सुधारेगा. मेरे पास एक प्लान है, और वो राजेश को लेकर बाहर चला गया.

कमरे में गजरी ये यह सुन कर ज्यादा सन्न रह गयी के गन्या शिंदे जैसे सरकार को जेब में रखने वाला भी एनकाउंटर के डर से इधर भागता फिर रहा है.

अब वापस पोस्ट मास्टर और राजेश कमरे में आते है! देखो शिंदे हमे तुमसे दुश्मनी है मगर अभी समय ऐसा है के अगर हम दुश्मन बन कर एक दूसरे से लड़ते है तो हमारा उसमे कोई फायदा नहीं, अगर तुम हमारा साथ देते हो तो हम तुम्हारी जान बक्श सकते है.

गन्या: अपनी कांपते आवाज में ठीक है मुझे मंजूर है! लेकिन मुझे पहले काम क्या है ये बताना पड़ेगा?

पोस्ट मास्टर: राजेश के तरफ देखता है, और तुम्हे गृह मंत्री मेहता के ऑफिस में चोरी करनी है! प्लान हम तुम्हे बना कर देंगे तूम्हे उसे अंजाम देना है! क्या तुम ये कर पाओगे?

मंत्री मेहता का नाम सुन कर गन्या उन दिनों के बारे में सोचता है जब मेहता एक कॉर्पोरेटर था और उसका बाप उसके गैर कानूनी धंधे संभालता था. मगर नेता बनने के चककर में मेहता ने गया के बाप को एनकाउंटर में मरवा दिया, और खुद सारा पैसा अंदर कर लिया और उसे पैसे से आज टिकट खरीद कर मंत्री बन गया. अब गन्या को बदला लेने का मौका सा मील गया.

गन्या: चोरी चकरी तो कोई भी छोटा मोटा पंटर कर सकता है, मगर मै ही क्यों?

पोस्ट मास्टर: तुम्हारा मुंबई कभी अपना था, लोग मुझे कासिम के नाम से जानते थे, बड़ा भाई जो दुबई भाग गया वो भी मुझे मानता था! एक टाइम था मै बड़े भाई के लिए सब कुछ किया यहाँ तक के उसकी परछाइ बन कर रहा, मगर बड़ा भाई और मई हम दोने देश छोड़ कर भागने वाले थे मगर भाई ने मुझे दगा दे कर अकेले हे देश छोड़ा, और मुझे यहाँ मरने के वास्ते छोड़ गया. जाने से पहले हम दोने ने प्लान बनाये था सभी पासपोर्ट, वीसा और सरकारी फरमान तैयार थे मेरे मीना के लेकिन उस मेहता ने बड़े भाई का साथ दिया और हमारे जो विदेश भागने के कागजात थे वो मुझ तक नहीं पहुँचने दिये! और हमे इस तरह गांव में भागना पड़ा जान बचने के लिए.

हम तुम्हे मार देते अगर तुम तुम्हारा सच नाम नहीं बताते, और मुझे पता है तुम्हारे और तुम्हारी बाप के उस मंत्री मेहता से काफी पुरानी सम्बन्ध है! अगर तुम उस मंत्री का किसे तरह से अगर विश्वास जीत सको तो तुम हमारे विदेश भागने के कागजात तो उसके पास है उन्हें हासील कर हमे दे सकते हो ताकि हम ये देश छोड़ कर भाग सके, उसके बदले में हम तुम्हारी जान बक्श दे! और तुम्हे भी इस देश से बहार निकल ने के लिए मदद कर सके!

गन्या: और अगर मै भाग गया तो! तुम मेरा विश्वास कैसे कर सकते हो.

कासिम: विश्वास का तो हमे पता नहीं! मगर तुम धोखा नहीं दे सकते क्यूंकी हमारा आदमी तुम्हारी साथ होगा और तुम्हारी जान हमारे हाथ में! और मुझे पता है तुम्हे तुम्हारी जान तो गवानी नहीं है क्यों?

गन्या को अब यकीन हो गया था के वो वापस उसे मौत के भंवर में फस गया है जहा से वो शायद कभी निकल नही पायेगा! लेकिन वो सोचा अगर सब सही हुआ तो शायद उसके किस्मत बदल जाये उसे ले जाये उसके आजादी की और.

और उस दिन से कासिम, मीणा राजेश और गन्या की प्लानिंग शुरू हुए के किस तरह से वो मंत्री से उन कागजात को हासिल कर सके,

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