देखे कुछ ख्वाब - देखा एक ख्वाब Bhumika Bhonyare द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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देखे कुछ ख्वाब - देखा एक ख्वाब

(कहानी है एक लड़की की जो अपने सपने और समाज की मान्यताओं के बीच फस जाती है)

(Office scene)
वकील (क्लायंट से)-आपके डिवॉर्स लेने की वजह क्या है?
लड़की-मेरे सपने,मेरी आज़ादी
वकील- क्या.??
लड़की-मेरे पति को मंजूर नहीं की में जॉब करू,अपनी पहचान खुद बनाऊ।
वकील-तो फिर तुमने उससे शादी ही क्यों की.?
लड़की-मेरे पापा की ज़िद की वजह से।।
वकील-ओके,कल सारे डाक्यूमेंट्स रेडी हो जाएंगे।
(लड़की चली जाती है और वकील सोच में खो जाती है)


(3 years Ago)
(It's college location)
रानी- यार फ्रेंडस के साथ मजाक मस्ती में ३ साल कहा खत्म हो गए पता भी नही चला।
दिया-हा यार,,,बोहत याद आएंगे ये दिन . वेसे आगे क्या करने वाले हो तुम लोग।
रानी-में MBA करने वाली हु।
दिया-और में तो अपनी बुक पब्लिश करना चाहती हु।
अंजलि तू क्या करने वाली है??
अंजलि-मेरा सपना है वकील बनने का तो LLB करना चाहती हु ।

दिया-भगवान सबकी ख्वाहिश पूरी करे ,लेकिन अपनी मंज़िल पाने के बाद फ्रेंड्स को भूल मत जाना।

(सब हां में हां भरते हे और हँसने लगते है)



(अंजलि घर आती है)
पापा-बेटा,लड़के वालो को तुम बोहत पसंद आयी । बस अब तुम्हारी हां का इंतज़ार हे।

अंजलि-पापा मेने आपसे पहले ही कहा था,मुझे LLB करना है।अपनी खुद की पहचान बनानी है बाद में किसीकी बीवी बनुगी।

पापा-तुम क्या बोल रही हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।में बस इतना जानता हूं,ऐसा रिश्ता वापिस नहीं आएगा,तुम बोहत खुश रहोगी और हम तुम्हे बस खुश देखना चाहते है।

अंजलि-और मेरे सपनो का क्या?

पापा- मेने अभय और उसके पापा से बात की थी तुम्हे LLB करना है,तो उन्होंने कहा था वो शादी के बाद तुम्हे पढ़ाएंगे।

अंजली- पापा ,क्यू छीन रहे हो मुझसे मेरी आज़ादी।

पापा-बेटा, कभी ना कभी तो तुम्हे शादी करनी ही हे,तो इतना अच्छा रिश्ता हाथ से क्यों जाने दे। अभय तुम्हारे सारे सपने पूरे करेगा।

अंजली-अब आपने फैसला कर ही दिया है तो मेरी हां की भी क्या जरुरत है,मुहरत निकलवा दीजिये।


(after 1 year)
(अभय और अंजलि की शादी हो जाती है,)
(Location- shopping mall,)
अभय-एक अर्जेन्ट कॉल हे,तुम्हे जो लेना है देख लो,में अभी आता हूं।

(अभय चला जाता है,वहां अंजलि को उसकी पुराणी दोस्त दिया मिलती है)

दिया-ओये अंजलि,पहचानती हे या फिर भूल गई।

अंजलि-(खुश होकर) तुम्हे कोई भूल सकता है।

दिया-जूठी,अगर भूली नहीं होती तो कोई कॉल तो करती,और तुम्हारा कोल भी नही लगता,सबके साथ बात होती रहती है तुम्हारे सिवा।

अंजलि-नहीं यार ऐसा नहीं है वो मेरा नंबर चेंज हो गया है और सबके कॉन्टैक्ट लॉस्ट हो गए सो।और बताओ सब कैसे हे।

दिया-बस सब अपने सपनो को पूरे करने में लगे है।काजोल बेंगलोर में MBA कर रही है,और मेरी बुक अगले महीने पब्लिश होने वाली है।तुम बताओ वकील साहेबा तुम्हारा LLB कैसा चल रहा है।

अंजलि-(उदास होते हुए) सायद मेरा नसीब नहीं चाहता की मेरे सपने पूरे हो। शादी के बाद मौका ही नहीं मिला पढाई करने का।

दिया-सॉरी यार, लेकिन अगर कभी किसीकी जरुरत महसूस पड़े तो मुझे बेजिजक याद करना। अच्छा अपने नंबर एक्सचेंज कर ले।


(Location- bedroom)

अंजलि-अभय हमारी शादी को 2 साल हो गये हे,और अभी तक तुमने मेरे पापा से किया वादा नहीं पूरा किया।

अभय-कोनसा वादा?

अंजलि-मुझे LLB करनी है,और शादी से पहले तुम लोगो से मेरे पापा ने कहा था मुझे LLB कराने के लिए,तुम लोगोने कहा था कि शादी के बाद तुम मुझे कराओगे LLB.

अभय-हमने कोई स्टैम्प पेपर पर लिखके नहीं दिया था कि हम तुम्हे पढ़ाएंगे,तुम्हे 2 वख्त का खाना,रहने के लिए छत,पहनने के लिए गहने मिल रहे हे ना तो बस अब चुप चाप घर में पड़ी रहो।

अंजलि-तुम ऐसे मुकर नहीं सकते,मेरे सपनो को ऐसे जलने नहीं दूँगी।

अभय-तुम्हारे सपने तो अग्नि के सात फेरे लेते वक्त ही जल गए थे।अब तुम्हे सिर्फ तुम्हारा नहीं पूरे घर का ख्याल रखना है और हमारे घर की औरतें शादी के बाद घर संभालती हे तो चुप चाप घर संभालो।

अंजलि-नहीं,में कल कॉलेज जाउंगी और फॉर्म भर के आऊँगी।

अभय-(गुस्से में अंजली को चाटा मारता है) तुम्हे एक बार में बात समझ नहीं आती । मेरे साथ रहना है तो मेरे हिसाब से रहो।वरना मेरा घर छोड़ दो। रात तक का टाइम देता हूं,फैसला तुम्हारा हे।

(अंजलि रोते हुए अपने पापा को फ़ोन करती है)

अंजलि-पापा,मुझे ले जाओ यहाँ से,मुझे नहीं रहना यहाँ।

पापा-बेटा क्या हुआ तुम्हे, रो क्यों रही हो ।

अंजलि-पापा ,मेने अभय से अपनी पढाई की बात की तो उसने मना कर दिया और अगर मुझे पढ़ना हो तो ये घर छोड़ने की बात की।

पापा-बेटा,तुम शांत हो जाओ।में अभय से बात करुगा।और शादी के बाद फैसले दो लोगो की मंजूरी से लिए जाते हे,अगर अभय नहीं चाहता की तुम आगे पढ़ो तो जिद मत करो।

अंजलि-में अपने सपनो को कैसे छोड़ दू।मेरी ज़िंदगी में अभय से पहले मेरे सपने थे,अभय बाद में आया था।मुझे अब यहाँ नहीं रहना,जहा एक पत्नी का सन्मान ना हो,जहा किसीकी इच्छा नहीं किसीका फैसला ज्यादा मायने रखता है।

पापा-सुन बेटा पति-पत्नी के बीच जघड़े होते रहते है।ऐसी छोटी सी बात के लिए तू अपना घर क्यों बर्बाद कर रही है।

अंजलि-मेरी ज़िंदगी बर्बाद हो चुकी है,मेरी लाइफ में सब कुछ हे पर में ही नहीं हूं,पहले आपकी बेटी बनके जिया,अब किसीकी बीवी बनके जी रही हु,पहले आपके फैसलो पे चलती थी,अब अभय के फैसलों पे जी रही हु,मेरी लाइफ पे मेरा कोई हक़ ही नहीं है। मुझे नहीं रहना यहाँ।

पापा- सुन बेटा, तू ज़िद मत कर,सब ठीक हो जायेगा,और अगर तू चली आयी तो समाझ में दोनों खानदान की बोहत बदनामी होगी।

अंजलि-नहीं पापा,में आ रही हु अब।

पापा-अगर तू यहाँ आयी,तो मेरा मरा मुह देखेगी,,,

(अंजलि को कुछ समझ नहीं आता,वो दिया को मेसेज करती है,)

मेसेज-अपनी बुक में कुछ ऐसा लिखना की लोगो को समझ आये की लड़की के लिए लाइफ में शादी ही सब कुछ नहीं होती,लडकिया भी सपने देख सकती है,और उनको भी उनके सपने पूरे करने का पूरा अधिकार है।बस इतना मेरा काम कर देना और मेरे मम्मी पापा को मिलते रहना।bye

दिया-अंजलि ने उसके मम्मी पापा से मिलते रहने के लिए क्यों कहा,,कही वो कोई गलत....(दिया फटाफट अंजलि के घर जाती है ,अंजलि ने जहरीली दवाई पि ली होती है)



(Present day)
(फ़ोन की रिंग बजती हे,वकील (अंजलि) अपनी आँखों से आंसू साफ़ करती है)