हीना के बिना Sanjay Nayka द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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हीना के बिना

हिना के बिना

जब आपको पता हो की जो ख्वाब आप देख रहे है वो टुटने वाले है या फिर ....जिस प्यार की आश मे बैठे हो वो एक दिन छुटने वाला है ! तो आप सायद वो ख्वाब या फिर वो प्यार की कल्पना हि छोड देगे | सही भी तो है जिस रास्ते की कोई मंजील हि ना हो ! उस रास्ते पर क्यु चलना ? पर .... अजय चल रहा था |

अजय ने हिना से प्यार निर्दोश मन से किया था मगर.... हिना ने प्यार शर्तो से किया | ये शर्त हि तो थी जो हिना ने प्रेम के बंघन मे जुडने से पहेले शादि के बंधन मे नही जुडने का फेसला सुना दिया था ! हिना ने कहा था की वो प्यार तो कर लेगी पर शादी का कोई वचन नहि करेगी | हिना ने अपने मन को पहेले से मना लिया था इसलिए अजय की परवाह किए बिना अजय को अकेला छोड के चली गई | एक पल के लिये नहि सोचा की अजय का क्या होगा ? वो कैसे रहुगा ?अगर हिना के नजरीये से सोचा जाये तो हिना की बाते सही भी थी क्युकि हिना की शर्तो मे डर था, बंदिशे थी, बंघन था और कमजोरी भी .... वही दुनिया का डर और समाज के निति नियमो की बंदिशे, समाज के बंघन और साथ नही निभाने की कमजोरी | वो तो चली गई थी मगर अजय के दिल से नही जा सकी | अजय ने दिल को समजा दिया था की उसे जिना है ‘हिना के बिना’ |

अजय कैसे भूल सकता है उसकी हिना से पहली मुलाकात ? कोलेज का आखरी साल चल रहा था | अजय हर रोज सुबह 9 बजे वाली बस से कोलेज आया-जाया करता था | उसी बस मे ही तो हुई थी दोनो की पहेली मुलाकात |

अजय रोज की तरह बस से कोलेज जा रहा था | बस अगले स्टेशन पर रुकी कुछ चहल-पहल बाद बस चल पडी | अजय कान मे हेड फोन डाले गाने सुनमे मशगुल था तभी बस की अचानक ब्रेक लगी तो एक लडकी अजय उपर पके हुए आम कि तरह गिर पडी और हेड फोन मोबाईल फोन से अलग हो गया तो गीत बज उठा:

‘मै हुं ...... खुश रंग हिना .... प्यारी खुश रंग हिना’

उसके गले मे पडा आई.डी कार्ड से पता चला की उसका नाम ‘हिना’

क्या इतफाक था ? गाने मे भी हिना और बाहो मे भी हिना !

अजय तो हिना को उठाने की बजाय उसे देखता हि रहा | दो की आंखो का फासला इतना नजदिक था की अजय हिना की काली काली आंखो को देकता ही रहा |

हिना जैसे तैसे अपने आप को संभालती हुई एक जगा पर खडी हुई | अजय ने हिना को जगा दी |

‘आर यु ओ.के ‘? - अजय ने पूछा |

हिना ने बस गरदन हिला कर जवाब दिया |

टिकट-टिकट बोलता कन्डकटर आया |

‘एक एस.वी.आर कोलेज’ - हिना ने 500 रुपिये कि नोट निकाल के कहा |

‘मेडम जी सुबह-सुबह 500 कि हरी पट्टी ! कहा से छूट्टा लाऊ ?’- कन्डटर ने मुह मे ठुसे पान को चबाता बोला |

‘ये लिजिए छूट्टे ...2 एस.वी.आर कोलेज की टिकीट दिजिए - अजय ने छूट्टे पैसे देते कहा |

‘आपको भी एस.वी.आर कोलेज जाना ?’ - हिना मधुर स्वर मे बोली

‘हा लास्ट यर’

‘मेरा भी’

‘अच्छा ? मेरा नाम अजय है ‘

‘मेरा नाम .... (थोडा रुकके) हिना है’

हिना नाम सुनते हि अजय मन के बेकग्रान्ड मे हजारो सितारे बज उठी |

दोनो साथ कोलेज उतरे और अजय ने फिर से वही गाना सुनने लगा

'मे हुं...... खुश रंग हिना प्यारी..... खुश रंग हिना'

अजय कि आंखो से हिना की तस्वीर ओछल होने नाम नही ले रही थी | हिना से एक मुलाकात हि अजय के दिल मे प्यार कि चिंगारी जलाके चली गई थी | फिर दोनो रोज मिलने लगे | रोज कि मुलाकात दोनो को कब प्यार के बंधन मे बांध लिया दोनो को पता हि नहि चला |

एक दिन दोनो आंखो मे आंखे और हाथो मे हाथ रखके प्यार के सुहाने सपने बुन रहे तब अजय वो सवाल पुछ लिया जो हमेंशा लडकी पुछती है – ‘शादी कब करेगे’

हिना इस सवाल पर ऐसे आंख फेरली जैसे उसने कुछ सुना ही ना हो |

‘नहि’ - हिना ने आंखे चुराते कहा

‘पर क्युं ?’

‘हर क्यु जवाब नही होता ! और शादी सच्चे प्यार का सर्टीफिकेट नही होता’ - हिना ने ऐसे जवाब दिया के मानो उसे पता हि था के उसे ये जवाब देना हि पडेगा |

‘हा शादी सच्चे प्यार का सर्टीफिकेट नही है पर शादी सच्चा प्यार का मिलन तो है ना ?

अजय बस उसके होठो की हलचल को उम्मीद की नजरो से देख रहा था पर .... हिना कुछ ना बोली बस आंखो से बोल पडी और वहा से चली गई | उसके आंसु अजय वो दिन याद दिलाता गया जब हिना ने वो शर्त रखी थी उस दिन भी तो हिना इसी तरह रोयी थी | उस दिन हिना ने प्यार मे सौदा किया था....| जब हिना से अजय का प्यार का रिश्ता बना था तब हिना ने पहेले से हि कह दीया था की वो प्यार तो करेगी पर शादी का कोई वचन नहि देगी .... शादी के बंधन मे नहि बंधेगी | वही शर्त..वहि सौदा जो प्यार के धाई अकशर को पुरा नहि करने देते | प्यार मे दिल से दिल मिलना जरुरी नहि ! पर जात-पात मिलना बहुत जरुरी होता है | समाज की भी स्वीक्रुती मिलना जरुरी होता है | हिना जात-पात और समाज के नियमो से दबी हुई | हिना यानी महेंदी ! कुछ दिनो तक अपने प्यार मे रंग दिया और फिर एक ही झटके मे रंग उतार के चली गई ! जैसे कोई फुल खुश्बु देता है पर शादी का हार नहि बन पाता

गलती हिना की नहि थी अजय हि हिना के प्यार मे भुल हि गया था कि उसे तो जिना है ‘हिना के बिना’

आज दो साल हो गये अजय को हिना के बिना जिये हुए | अजय स्कुल टीचर बन गया था | भगवान भी जाने कैसी परिक्षा लेता है ? हिना को भुलने के लिये, उसकी यादो को मिटाने अपने शहेर से 20 किलोमिटर दूर ट्रान्सफर लिया था ताकी हिना की कोई भी यादे अजय के दिल को कुतर ना सके पर….. कैसे भी हिना याद हि आ जाती थी | किराये वाले घर सामने हिना ब्युटी पार्लर, थोडी दुर जाके बाजार मे हिना मेहदी स्टोर और अजय जीस स्कुल मे पढाता था उस स्कुल की प्रिन्सीपल का नाम भी हिना श्रीवासतव ! कोई दिन ऐसा नही बिता जिस दिन हिना का नाम पढा हो या सुना नही हो ! छूट्टी के दिन भी रेडियो पे एकद बार वही फरमाईशी गाना बज उठता है | 'मे हुं....... खुश रंग हिना प्यारी....... खुश रंग हिना'

अगर भगवान यही चाहते थे की हिना को भुलने नही देगे तो फिर क्यु वो अजय को तनहा करके चली गई थी ? अजय दिन मे 100 बार पूछता था अपने आप को ये सवाल पर उसे वही हिना के शब्द याद आ जाते है – उसे जिना है हिना के बिना |

अजय स्टाफ रुम से हलकी हलकी बारिश को देख रहा था | सिसे से होकर गुजरती बरसाती की बुदो पकदने की कोशिस कर रहा था |

'सर हिना मेडम आप को बुला रही है' – पियुन ने कहा |

अजय प्रिन्सीपल ... हिना श्रीवासतव कि ओफिस मे गया |

'देखो अजय आप के क्लास मे एक न्यु एडमिशन करना है' – प्रिन्सीपल ने कहा |

'लेकीन एडमिशन डेट तो कब की खतम हो गई ?' - अजय ने कहा |

मै जानती हुं पर ये मेरे रिस्तेदार है | मैने बच्चे और उसकी माँ को आप के क्लास मे भेज दिया है जरा देख लेना' – प्रिन्सीपल ने कहा |

पहेचान, रिस्तेदारी इन शब्दो से अजय को पहले से ही चिड थी | पहेचान वाले है तो प्रोफेसनल वर्क मे क्यु टांग अदाते है ? ठुसते रहो बच्चे को भेड बकरी की तरह मेरा क्या है - बबडते बबडते अजय अपने क्लास रुम मे गया |

क्लास मे एक बच्ची खेल रही थी और औरत खिडकी से बाहर का नजारा देख रही थी |

मुजे देखकर बच्ची का खेलना रुक गया पर उस लडकी का बाहर देखता नहि रुका….. मानो वो किसी गहरी सोच मे डुबी हो !

जी सुनीये …आप को बच्ची का दाखीला करना है ? - अजय ने उस लडकी की तरफ देखके बोला और देखता हि रहा जब तक की पीछे नहि मुडी | अजय को उसका चहेरा देखनी की थोडी बेचेनी हो गई थी

जी सुनीये …- अजय ने फ़िर से आवाज बढा कर कहा |

उस लडकी ने अजय की तरफ़ देखा तो दोनो देखते हि रहे क्युकी वो लडकी कोइ और नही हिना ही थी | दोनो एक दुसरे को ऐसे देखने लगे जैसे दुनिया मे बस उन दोनो का हि वजूद हो ! थोडी देर तक दोनो मे चुपी बनी रही |

'हिना तुम यहाँ ?' – अजय ने धीरे से कहा |

'कैसी हो ?' - हिना ने कहा |

'ठिक हुं और तुम ? और ये …..तुम्हारी बेटी है' - – अजय ने बेचेन हो कर कहा |

हिना फिर आंखे चुरा ली सायद मुजे बताना चाहती ना होगी |

अजय बच्ची पास गया |

'बेटा तुम्हारा नाम क्या है' – अजय हलकी सी हंसी देते कहा |

'मौसम' – बच्ची ने कहा |

'बहुत अच्छा नाम है किसने रखा नाम ?' – अजय ने कहा |

'मेरी मम्मी ने' - बच्ची ने हिना की तरफ देखकर कहा |

अजय ने भी हिना की तरफ नरम आंखो से देखा |

'तुम्हारी मम्मी का नाम क्या है' – अजय ने मायुस हो कर कहा |

'रोशनी'

अजय 'हिना' की जगह पर 'रोशनी' सुनके इतना सरप्राईस हो उठा क्युकी रोशनी तो हिना की छोटी बहन का नाम था |

चाची मे झुला झुलने जा रही हुं - बोल के मौसम दोनो को अकेला छोड के खेलने चली गई |

'हिना तुम्हारी शादी ....??' - अजय ने हिना के आंखो में आंखे डालकर कहा |

‘जब हम आखरीबार मीले थे तब हमदोनो को एक करीबी रिस्तेदार ने देख लिया था उस रिस्तेदार ने मुजे और मेरी फेमेली को समाज मे ऐसा बदनाम कर दिया के मेरी शादी ही ना हो पाई | मेरी बदनामी मेरी छोटी बहन की शादी मे कुछ बाढा ना बने इसलिए मैने शहर छोड दिया था |

‘तो अब ? – अजय ने उम्मीद भरी नजरो से देखते हुए कहा |

‘अब क्या ? क्या तुम मुजसे अभी प्यार करते हो ? – हिना ने आंखे नम करते हुए कहा |

‘हा करता हुं हिना पर अब तुम्हे समाज का डर नही ? – अजय ने पुछा |

‘डर था पर अब तुम मेरे साथ हो अब मुजे किसी का डर नही अब हिना के बिना नही पर हिना के साथ जीना था - हिना ने अजय ने हाथो में हाथ रखकर कहा |

समाप्त

संजय नायका

sanjay.naika@gmail.com