“याद“
……… एक रूह
एक कल्पना , एक कोशिश , आप सब को अपने विचार प्रस्तुत करने हेतु !
--- स्वाति शुक्ला
--- दुर्गेश सिंह
( Copywrite)
यह एक काल्पनिक कहानी है, इस कहानी के नाम, जगह , परिस्थिथि , एक मात्र लेखिका/ लेखक की सोच है! इसका वास्तव जीवन से कोई सम्न्ब्घ नहीं है! अगर इसका वास्तविकता से अगर कुछ ऐसा कुछ पाया जाता है, तो यह एक मात्र इत्तिफाक है! अगर बिना इज्ज़ज़त के इस कहानी कोई भी भाग मनोरंजन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा तो , यह सहन नहीं किया जाएगा !!
परिचय-
यह कहानी एक दो लोगी की सोच का परिणाम है! यह काल्पनिक इस्थिति पे आधारित कहानी है !
स्वाति शुक्ला ...........
है ये पहेली , की मैंने रच थी एक पहेली,
इस कहानी को लिखने की सोच थी, मेरी सहेली,
यह यह मेरी पहेली कहानी,,
रास आयेगी सबको, मेरी जुबानी.!
में स्वाति शुक्ल लखनऊ में रेहती हूँ, लिखने का शौक बहुत पहेले से है ! और आज मेरे शब्दों को एक किताब मिल गयी,सपना तो है एक प्रसिध लेखिका बनने की!
दुसरे लेखक- मै श्री सिंह दुर्गेश सिंह , पोस्ट – डुमराव , जिला मऊनाथभंजन , [उत्तर प्रदेश] का निवासी हूँ !
शौक – सोचना ,,,,,,
मैं एक टीचर हूँ | आजसे करीब आठ साल पहले जब मैं बी0 ए0 2 ईयर मे था, तब मैंने टीचिंग की शुरुआत किया था |और आज भी मैं टीचिंग करता हूँ | टीचिंग के साथ साथ मुझे कहानी लिखने का भी शौख है | मेरी एक छोटी सी कहानी ‘ज्ञान का महत्व’ एक लोकल अखबार मे निकला था | फिर उसके बाद मैंने एक कहानी को लिखना शुरू किया ,जिसका नाम ‘याद एक आत्मा’ है|‘’याद एक आत्मा’’ इस कहानी की शुरुआत आज से करीब दो साल पहले 1 -07 -13 को मैंने किया था | और इस कहानी को मैंने 21-09 -14 को पूरा किया | इस कहानी को पूरा करने मे मुझे लगभग 15 महीना लग गया |यह कहानी प्रेत आत्मा से संबन्धित है
धन्यवाद
याद --- एक रूह ( भाग १ )
डर इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है! हमे हताश , परेशान, असहाय बना देता है. यह एक ऐसी सोच है जो हमे कुछ न सोचने के लिए विवश कर देती है !एक ऐसी ही कहानी जिसमे डर का सामना ,और कहानी के पात्र को असहाए बताया गया है! यह कहानी एक सोच पे आधारित है, जिसका वास्तविकता से कोई संबध नहीं है.!
रात का समय था, जंगल के सुनसान रास्ते पर ,करीब आधी रात को जंगल के उस सुनसान रास्ते पर एक कार तेजी से जा रहा था | और उस कार मे, दो आदमी बैठे हुये थे, करीब ३० से ३२ उम्र के ! उनमे एक एक कार जो कार चला रहा था उसका नाम राजेश था और जो बगल वाले सीट पर बैठा था उसका नाम मेहता था| गाड़ी मे तेज म्यूजिक का शोर था बज रहा था | दोनों आदमी तेज म्यूजिक की शोर पे पे झूम रहे थे | और धुन में गाड़ी भी तेज तूफान की तरह भागा रहे थे |
मेहता – तेज आवाज में बोलता है ,राजेश ब्रेक मार !
[ राजेश तुरंत ब्रेक मारकर गाड़ी को रोकता है | क्योकि रास्ते के बीचो बीच एक पेड़ की टहनी गिरा हुआ था | उस पेड़ की टहनी के कारन ही राजेश को गाड़ी रोकना पडता है | ]
राजेश – अरे अब ये क्या मुसीबत है ? [ गाड़ी के स्टेरिंग पर झल्लाते हुए अपना हाथ पटकता है | ]
मेहता – अरे मुसीबत नहीं है ,पेड़ की टहनी है| चल चल के हटाते है|
राजेश – “हाँ ,अब तो हटाना ही पड़ेगा इस पेड़ की टहनी को” |
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[ गाड़ी की लाईट जलती रहती है | दोनों गाड़ी से उतरते है | और रस्ते में गिरे हुए टहनी को उठाने के लिए राजेश और मेहता पेड़ की टहनी के दोनों सिरों के पास जाते है | और जैसे ही दोनों टहनी को उठाने के लिए नीचे झुकते है | की अचानक राजेश को उसके सामने दो पैर दिखाई देता है
राजेश – अब ये कौन है .... [ सामने देखते ही उसके होश हवास गूम हो जाता है | ]
मेहता – कहाँ कौन है बे ......
[ जब मेहता भी उस तरफ देखता है तो उसका भी डर के मारे बोलती बंद हो जाती है क्योकि दोनों के सामने एक भयानक हैवान खड़ा था | मेहता उस हैवान को देखकर डर के मारे राजेश को वहीँ छोड़कर भाग जाता है | ]
मेहता – ये ये ये तो तो भू भू भू भूत है भाग यहाँ से [ कहते हुए वहाँ से भाग जाता है | ]
[[ लेकिन राजेश डर के मारे हताश हो जाता है ,वहाँ से भाग नहीं पता है ऐसा लगता है जैसे कि मानो उसे लकवा मार गया हो | वह हैवान राजेश की तरफ धीरे धीरे बढ़ने लगता है | ]
राजेश – नन न न ही म म मुझे म म मत मारो [ डर कर कांपते हुए बोलता है | ]
[ लेकिन वो हैवान राजेश को बुरी तरह से मार डालता है | और राजेश की दर्द भरी चीख जंगल में गूंज उठता है
रात का समय था -
जंगल में- [ इधर वह मेहता अपनी जान बचाकर तेजी से जंगल में भाग रहा था कि तभी अचानक वह हैवान उसके सामने आ जाता है और वह उस हैवान से टकराकर नीचे गिर जाता है | मेहता उस हैवान को अपने सामने देख कर डर जाता है|
मेहता – न न नहीं मम म मुझे मत मारो म म मुझे छो छोड़ दो मैं मैं मैं ने तू तू तुम्हारा क्या बिगाड़ा है नहीं नहीं आ आ आ आ ......
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[ मेहता हाथ जोड़कर उस हैवान के सामने गिडगिडाता है लेकिन वो हैवान मेहता को भी बुरी तरह से मार डालता है और उसकी भी चीख उस सुनसान जंगल में गूंज उठता है | तो इस तरह से वह हैवान उन दोनों आदमिओं को बुरी तरह से मार डालता है |
अगले दिन सुबह का समय-
लोकेशन – अतुल का घर
[ अतुल तैयार होकर नाश्ते के टेबल पर बैठकर पेपर पढ़ रहा है | पेपर में वह रात वाली घटना के बारे में पढ़ रहा है | जिसमे समाचार था कि एक आदमखोर शेर ने जंगल वाले रास्ते पर दो रेप करने वाले रेपिस्ट को मार डाला | अतुल उसी खबर को पढ़ रहा था कि तभी नाश्ते के टेबल पर अनुज भी तैयार होकर आता है | अनुज .अतुल का छोटा भाई है | ]
अनुज – गुड मार्निग भईया [ नाश्ते के टेबल पर बैठते हुए ]
अतुल – गुड मार्निंग .... क्या बात है जनाब? आज बहुत लेट हो कालेज नहीं जाना क्या ? [ पेपर पढ़ना बंद करता है और पेपर को टेबल पर मोड़कर रखते हुए ]
अनुज – जाना है भईया |
[ तभी अतुल की पत्नी रूबी नाश्ता लेके आती है | ]
रूबी – ये रहा आप लोगो का नाश्ता [ दोनों की तरफ नाश्ता बढाते हुए ]
अतुल – और तुम्हारा
रूबी – अरे आप लोग नाश्ता शुरू करिये बस मैं अभी आ रही हूँ | [ कहते हुए किचन में चली जाती है | ]
अतुल – हाँ भाई बताया नहीं आज लेट कैसे हो गए ? कही घुमने जाना है क्या ? [ नाश्ता करते हुए ]
[ तभी रूबी बोलते हुए ट्रे में अपने नाश्ते के साथ अनुज के लिए दूध का गिलास भी लती है और टेबल पर ट्रे रखते हुए बैठती है | ]
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रूबी – कहाँ घुमने की बात हो रही है ? [ टेबल पर ट्रे रखकर दूध का गिलाश अनुज की तरफ बढ़ाते हुए | ]
अतुल – इन्ही जनाब से पूछ रहे है कि रोज तो जल्दी उठ जाते थे पर आज इतना लेट क्यों हो गया ?[नाश्ता करते हुए]
अनुज – अरे भाभी वो मेरा दोस्त मोहित है न [ नाश्ता करते हुए ]
रूबी – वही न जो मंत्री का बेटा है [ नाश्ता करते हुए ]
अनुज – वही भाभी उसकी नयी बाईक खरीद कर आया है तो मैं उसी के साथ रोज उसके बाईक से कालेज जाऊंगा | तो अब से मैं रोज इसी टाइम आराम से कालेज जाऊंगा |
[ तभी बहार से बाईक की आवाज आती है | ]
अतुल – लो आ गए तुम्हारे दोस्त |
अनुज – अच्छा तो मैं अब चलता हूँ |... [जल्दी से नाश्ते के टेबल से उठता है और अपनी बुक लेकर बाहर जाने लगता है | ]
रूबी – अरे ये दूध तो पीते जाओ [ अनुज को बोलती है | ]
अनुज – भईया को पीला दीजियेगा | [ कहते हुए बाहर निकल जाता है | ]
[ अनुज घर के बाहर आता और बाईक देखकर ]
अनुज – अरे यार क्या बाईक है [ बाईक छूकर ]
मोहित – क्यों अच्छी है न ?
अनुज – बहुत खूबसूरत है बाईक है यार
मोहित – अब बैठ उसके बाद देख कितना मजा आता है |
[ फिर अनुज बाईक पर बैठता है और मोहित बाईक को स्टार्ट करके कालेज की तरफ चल देता है ]
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इफेक्ट – सुबह का समय
लोकेशन – अतुल के घर में
अतुल – अच्छा तो मैं भी चलता हूँ | [ नाश्ते के टेबल से उठते हुए | ]
रूबी – ये दूध कौन पिएगा ?
अतुल – अरे मेरी जान सबसे ज्यादा काम तुम करती हो इसलिए दूध की जरूरत मुझे नहीं तुम्हे है | ठीक है अब मैं चलता हूँ .बाय [ रूबी को प्यार से दुलारते हुए अपना बैग लेकर चला जाता है | ]
रूबी – बाय
सीन.न.3
इफेक्ट – सुबह का समय
लोकेशन – कालेज में
[ कालेज में अनुज और मोहित के दोस्त , पूजा अनुज की गर्लफ्रेंड ,रोहित और उसकी गर्लफ्रेंड निशा ,और रवि और उसकी गर्ल फ्रेंड सीमा ,सभी कालेज के कैम्पस में खड़े होकर बाते कर रहे है | ]
रोहित – अरे यार आज ये दोनों कहाँ रह गए? अभी तक नहीं आये |
रवि – अरे वो देखो वो दोनों आ रहे है |
[ सभी दोस्त कालेज के गेट कि तरफ देखते है अनुज और मोहित एक खूबसूरत बाईक से कालेज में इंट्री करते है | मोहित बाईक अपने दोस्तों के पास लाकर खड़ा करता है | ]
रवि – ओय यार कितना खूबसूरत बाईक [ बाईक छूकर ]
रोहित – सच में यार काफी शानदार बाईक है | [ बाईक देखकर ]
निशा – बाईक तो सच में बहुत खूबसूरत है ..मोहित, मुझे कब घुमा रहे हो इस बाईक पर | [ मोहित की तरफ देखकर]
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[ मोहित बोलने ही जाता है की तभी रोहित बीच में बोल देता है | ]
रोहित – क्यों? नयी बाईक आ गयी तो अब उस पर घूमोगी | [ थोडा चिढते हुए ]
सीमा – क्यों डर लग रहा है क्या ? कि कहीं निशा तुम्हे छोडकर मोहित की गर्लफ्रेंड न बन जाये |
[ सभी इस बात पर हँसने लगते है और रोहित इस बात पर अपना मुहं बिचका लेता है | ]
पूजा – अरे छोडो यार क्यों बेचारे को सता रहे हो ? अब मोहित ने नयी बाईक ली है तो कुछ होना भी चाहिए |
अनुज – क्या होना चाहिए ?
पूजा – अरे यार पार्टी होनी चाहिए |
रोहित – हाँ यार पार्टी तो बनाता है |
सीमा – पार्टी शानदार होनी चाहिए |
निशा – तो मोहित कब दे रहे हो पार्टी ?
मोहित – अरे यार जब तुम कहो
रवि – कल ,कल पाटी होगा |
अनुज – लेकिन पाटी होगा कहाँ ?
रवि – हाँ यार पाटी कहाँ करेगे ?
मोहित – अरे यार मेरे पापा का फार्म हॉउस है न पाटी वही होगा , तो डन
सभी – डन
मोहित – तो ठीक है कल रात आठ बजे फार्म हॉउस पर मिलते है |
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सीन.न.4
इफेक्ट – रात का समय
लोकेशन – अतुल का घर
[ अतुल, रूबी और अनुज रात का खाना खा रहे है | और खाना खाते हुए बाते करते है| ]
अनुज – भईया [ खाना कहते हुए ]
अतुल – हूँ [ खाना खाते हुए ]
अनुज – भईया वो आप से कुछ बात करनी है | [ संकोच करते हुए ]
अतुल – पता है क्या बात करनी है ?
अनुज –क्या ? .. आप को पता है [ चौकते हुए ]
रूबी – पूजा ने बताया, शाम को फोन करके
अनुज – तो क्या मैं जा सकता हूँ ?
अतुल – नहीं ,नहीं जा सकते हो [ गुस्से का नाटक करते हुए ]
अनुज – ठीक है जैसी आप की मर्जी [ मायुश होकर ]
[ तीन चार सेकेण्ड बाद अतुल और रूबी अनुज के उदास भरे चहरे को देखकर हँसने लगते है | ]
अनुज – क्या हुआ ? हंस क्यों रहे है ?
रूबी – अरे कुछ नहीं तुम्हारे भईया गुस्सा होने का नाटक कर रहे थे ,वो देखना चाहते थे कि तुम उनकी बात पर कैसा रिएक्ट करते हो |
अनुज – क्या भईया आप भी ?
अतुल – सोचा थोडा मजाक कर लू [हँसते हुए ]
अनुज – तो जा सकता हूँ कि नहीं
अतुल – हाँ मेरे भाई जा सकते हो
अनुज – सच में [ खुशी से ]
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अतुल – हाँ , लेकिन ध्यान रहे समय से घर आ जाना क्योकि कल मुझे भी सामान की डिलीवरी के लिए शहर जाना है
अनुज – ठीक है भईया
रूबी – वापस कब आना है ?
अतुल – परसों .. थोडा सब्जी देना |
सीन .न.5
इफेक्ट – रात का समय
लोकेशन – पूजा का घर [ बेड रूम में ]
[ पूजा अपने माँ –बाप की इकलौती संतान है | पूजा और अनुज एक दूसरे से प्यार करते है | ये बात दोनों के घर वाले जानते है | दोनों परिवार उन दोनों की शादी भी करना चाहते है | ]
[ पूजा अपने बेड पर लेट कर एक हारर नावेल पढ़ रही थी | की तभी अचानक पूजा का मोबाईल बजने लगता है |तो पूजा नावेल पढना छोड़कर अपनी मोबाईल तकिये के नीचे से निकालकर देखती है तो अनुज का फोन था]
पूजा – हाँ बोलिए जनाब कैसे याद किया ? [ लेट कर बाते कर रही थी ]
अनुज – तुमने भईया भाभी से क्या कहा था ? [बेड पर लेट कर गुस्सा करते हुए बात करता है ]
पूजा – मैंने ,मैंने क्या कहा ? [ चौकते हुए उठ कर बैठ जाती है ]
अनुज – क्यों, तुमने भईया भाभी से बात नहीं किया था क्या ? [बेड पर बैठ कर ]
पूजा – हाँ, बात तो किया था | लेकिन हुआ क्या है ? तुम ऐसे गुस्से में क्यों बात कर रहे हो ?
अनुज – पता नहीं तुमने क्या बात किया है ? की वो लोग मुझे कल पार्टी में आने के लिए मना कर दिया |
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पूजा – क्या ?भईया भाभी ने तुम्हे पार्टी में आने से मना कर दिया | [ चौकते हुए ]
अनुज –हाँ , मना कर दिया |
पूजा – तुम झूठ बोल रहे हो , वो लोग मान गए थे |
अनुज – अच्छा, तो क्या मैं झूठ बोल रह हूँ ?
पूजा – अच्छा ,तो ठीक है ? अगर ऐसी बात है ,तो मैं कल सुबह घर आकर तुम्हारे सामने उनसे बात करूँगी |
अनुज – हा हा हा हा , कैसा लगा मेरा एक्टिंग ? [ हँसते हुए ]
पूजा – एक दम बकवास , मैं फोन रख रही हूँ ? [ गुस्सा करते हुए ]
अनुज – अरे गुस्सा मत करो मेरी जान , अच्छा बताओ न ,क्या कर रही हो ?
पूजा – मुझे बात नहीं करना, मैं फोन रख रही हूँ
अनुज – अरे बोला न यार मजाक कर रहा हूँ | सॉरी बाबा, अब तो मान जाओ | बोलो न क्या कर रही हो ? [ प्यार से मानते हुए ]
पूजा – हारर नावेल पढ़ रही थी ?? [ फिर बेड पर लेट कर बात करने लगती है | ]
अनुज – हारर नावेल पढ़ रही हो , वो भी रात में ,डर नहीं लग रह क्या ?
पूजा – डरपोक समझते हो क्या मुझे अपनी तरह ?
अनुज – अच्छा ,तो मैं तुम्हे डरपोक लगता हूँ |
पूजा – तो और नहीं तो क्या ?
अनुज – अच्छा , समय आने पर पता चल जायेगा की कौन डरपोक है मेरी जान | खैर छोडो इन बात को ,एक बात बोलू
पूजा – हाँ बोलो |
अनुज – अब मुझे नीद आ रहा है |
पूजा – तो फोन रखो ,और सो जाओ |
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अनुज – ऐसे ही जो जाऊ , कम से कम एक किस तो देदो ,ताकि मुझे अच्छी नीद आ सके |
पूजा – अच्छा , तो आप को किस चाहिए |तभी आप को अच्छी नीद आएगी |
अनुज – हाँ जल्दी दो न
पूजा – तो फिर आखें बंद करो
अनुज – हूँ बंद कर लिया [ आखं बंद करके ]
पूजा – हूँ हूँ हूँ गुड नाईट मेरे जानू | [ और फोन कट कर देती है | ]
अनुज – हूँ फोन पर भी किस नहीं दे सकती है | समय आने दो फिर बताऊंगा | [ फिर अनुज तकिया बाँहों में दबाकर सो जाता है | ]
सीन.न. 6
इफेक्ट – रात के 1:30 बजे
लोकेशन – अतुल का घर
[ उसी रात अतुल और रूबी अपने बेडरूम में गहरी नीद में सो रहे है | इधर अनुज भी तकिया दबाए बेख़ौफ़ होकर के सो रहा है | पुरे घर में सन्नाटा छाया हुआ है | फिर अचानक तेज हवा चलने लगता है |और तेज हवा के चलने से अनुज के बेडरूम की खडकी खुल जाती, है |और दीवाल से टकराकर तेज आवाज करने लगता है | खडकी की तेज आवाज से अनुज की नीद खुल जाती है | फिर अनुज की नजर खिडकी पर जाती है ,तो वह बेड पर से आखें मलते हुए उठता है | और खिडकी बंद करने के लिए खिडकी के पास जाता है | फिर जैसे ही अनुज खिडकी बंद करने के लिए खिडकी के पास जाता है |तो उसे खिडकी के बाहर एक भयानक चेहरा नजर आता है | तो अनुज डरकर खिडकी से दूर हट जाता है |और उसकी पूरी नीद गायब हो जाता है | लेकिन अनुज फिर हिम्मत करके खिडकी के पास जाता है |और डरते हुए खिडकी के बाहर
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देखता है लेकिन उसे वहाँ कोई दिखाई नहीं देता है| तो उसे लगत है की उसे भ्रम हो गया है | ]
अनुज – हूँ यहाँ तो कोई नहीं है | लगता है मेरा भ्रम है [ अपने आप से बोलता है | और रहत की साँस लेता है और खिडकी बंद करके बेड पर आकार सो जाता है | ]
सीन.न. 7
इफेक्ट – सुबह का समय
लोकेशन – बस स्टेशन
[ अनुज अपने भईया अतुल को शहर जाने के लिए बस स्टेशन पर छोडने आया हुआ | ]
अतुल – ऐसा कर अब तू जा नहीं तो तुझे कालेज के लिए लेट हो जायेगा | [ बस के गेट के पास खड़ा होकर ]
[ बस में यात्री चढ रहे थे | ]
अनुज – ठीक है भईया | [कहकर वापस पलटता है | ]
अतुल – और हाँ सुनो
अनुज – जी भईया | [ पलते हुए अतुल की आवाज सुनकर ]
अतुल – पार्टी करके जल्दी से घर आ जाना, ठीक है |
अनुज – भईया आप आराम से जाईये मैं जल्दी घर आजाऊंगा |
कंडक्टर – ओ भाई बस के चलने का समय हो गया है ,जाके अपने सीट पर बैठ जाईये |
अतुल – हाँ हाँ , बैठ रहा हूँ [ फिर बस के अंदर चला जाता है ]
कंडक्टर – चलो चलो जिस को भी जाना है वो बस में बैठ जाये, बस जाने वाली है|
[ बचे खुचे यात्री बस में बैठ जाते है और बस वहाँ से चल पड़ती है | ]
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सीन.न.8
इफेक्ट – रात का समय
लोकेशन – मोहित के फार्म हाउस
[ सभी दोस्त मोहित के फार्म हाउस पर नाच गाकर पार्टी का मजा लेते है | ]
सीन.न.9
इफेक्ट – रात का समय
लोकेशन – हाईवे पर
[ पार्टी खत्म होने के बाद सभी दोस्त अपने अपने घर के निकल जाते है | इधर पूजा और अनुज घर आ रहे थे की पूजा का मोबाईल बजने लगता है | ]
अनुज – किसका फोन है |
पूजा – भाभी का फोन है | .. हाँ भाभी [ नंबर देखकर फोन उठती है |
रूबी – अरे कहाँ हो तुम लोग, 11 से ऊपर हो रहा है और ऊपर से अनुज का मोबाईल भी बंद है | इतना लेट क्यों हो रहा है ? सब ठीक तो है न | [ परेशांन होकर ]
पूजा – अरे नहीं भाभी ऐसे कोई बात नहीं है | हम दोनों रस्ते में है ,बस आधे घंटे में घर पहुँच रहे है |
रूबी – ठीक है , आराम से आना [ [फोन रख देती है | ]
अनुज – भाभी गुस्सा तो नहीं न कर रही थी
पूजा – नहीं, थोडा परेशान हो रही थी की इतना ले क्यों हो रहा है ? और ऊपर से तुम्हारा मोबाईल भी बंद है |
अनुज – अरे हाँ यार बैटरी खत्म हो गया है |
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पूजा – ठीक है थोडा तेज चलो |
अनुज – शार्टकट रस्ते से चलू |
पूजा – शार्टकट से
अनुज – हाँ, वही जंगल वाले रस्ते से ,घर जल्दी पहुँच जायेगे |
पूजा – नहीं नहीं , शार्टकट लेने की जरूरत नहीं है | सीधे रस्ते से चलो |
अनुज – क्यों ? डर लग रहा है क्या ?
पूजा – नहीं, मुझे डर नहीं लगता है | समझे |
अनुज – डर तो लग रहा है | तभी तो जाने से माना कर रही हो |
पूजा – अच्छा , ऐसी बात है तो फिर चलो उसी रस्ते से |
अनुज – ये हुयी न बात [ खुसी से ]
[ फिर अनुज कुछ दूर जाकर हाईवे छोडकर जगल वाला शार्टकट का रास्ता पकड लेता है ]
[ अनुज और पूजा बेख़ौफ़ होकर उस सुनसान जंगल वाले रस्ते जा रहे थे | जंगल में चारो तरफ काला अँधेरा छाया हुआ था | पूजा, अनुज को कसकर पकड कर बैठी हुयी है | ]
अनुज – क्या हुआ? ऐसे कसकर क्यों पकड़ा है ? डर लग रहा है क्या ?
पूजा – नहीं , मुझे नीद आ रहा है इसलिए तुम्हे कसकर पकड़ी हूँ [ पीठ पर आखें बंद करके बोलती है ]
[ तभी अचानक अनुज को अपनी बाईक रोकना पडता है | ]
पूजा – क्या हुआ ? बाईक क्यों रोक दिया |
अनुज – अरे मेरी जान सामने देखो
[ सामने सड़क के बीचो बीच पेड़ की एक टहनी गिरा हुआ था | ]
पूजा – उफ़ इसीलिए बोल रही थी की शार्टकट मत लो , तुम्हे तो कुछ समझ में आता नहीं है [ सामने सड़क पर पेड़ की टहनी देखकर बाईक से थोडा गुस्सा करते हुए उतरती है | ]
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अनुज – ठीक है बाबा गलती हो गयी ......... अब चलो इसे हटाने में मेरी मदद करो | [ बाईक से उतरकर बाईक को खड़ा करता है | और बाईक को स्टार्ट ही किये रहता है ताकि बाईक की रोशनी में टहनी को हटा सके | ]
पूजा – जल्दी पहुँचने के चक्कर में और भी लेट हो गए \\
अनुज – गुस्सा छोडो ,चलो इसे हटाने में मेरी मदद करो
पूजा – चलो जल्दी चलो | [ झल्लाते हुए ]
[ फिर दोनों पेड़ की टहनी उठाने के लिए पेड़ की टहनी के पास पहुंचते है | ]
अनुज – तुम उस तरफ से जाके उठाओ , और मैं इस तरफ से उठता हूँ |
[अनुज टहनी के एक छोर पर जाता है और पूजा टहनी के दूसरे छोर पर जाती है |और टहनीको उठाने का प्रयास करते है | इधर पूजा टहनी को हटाने की कोशिश कर रही थी| लेकिन इधर अनुज टहनी को हटाना छोड़कर पूजा की तरफ बढ़ता है | और पूजा के पास जाकर उसे घूर कर देखने लगता है |
पूजा – अरे अब मेरे पास खड़े होकर क्या कर रहे हो ? अगर तुमसे हट नहीं रहा है तो वापस हाईवे पकडकर घर चलते है | [ गुस्सा करते हुए ]
[ लेकिन अनुज पूजा की बात को ध्यान नहीं देता है | और उसे घूरते हुए अपनी बाहों में भर लेता है |
पूजा – ये ये क्या कर रहे हो ?छोडो मुझे [गुस्सा करते हुए ]
अनुज – कितनी खूबसूरत लग रही हो मेरी जान, जी कर रहा है की तुम्हारे साथ इस जंगल में मंगल करू [ पूजा के होठो और गालो को छूते हुए | ]
पूजा – तुम्हारा दिमाग तो ठीक है न ,छोडो मुझे और घर चलो | [ अपने आप को अनुज से छुडाते हुए | ]
अनुज – घर जाकर क्या करोगी ,मेरी जान ?आज यही मजे करते है इस सुनसान जंगल में [धीरेधीरेबोलता है ]
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पूजा – क्या बकवास कर रहे हो? छोडो मुझे, घर जाने के लिए लेट हो रहा है [ गुस्सा होते हुए ]
अनुज – कपडे उतारो न मेरी जान |
पूजा – छोडो मुझे ,क्या होगया है तुम्हे ?ऐसी बाते क्यों कर रहे हो तुम ?
अनुज – आज मुझे मत रोको , आज मैं तुमसे जी भर कर के मजे लेना चाहता हूँ |[ अनुज पागलो की तरह पूजा को किस करने लगता है | ]
पूजा – क्या होगया है तुम्हे ? होश में तो हो तुम , ये ये क्या कर रहे हो तुम ?
[ पूजा ,अनुज की ऐसी हरकत से एक दम से चौक जाती है | और गुस्से में अपने आप को अनुज से छुडाते हुए उसे एक तमाचा लगा देती है | ]
अनुज – साली, मेरे को थप्पड़ मारती है मेरे को | [ फिर अनुज गुस्से में पूजा को बुरी तरह से मारने लगता है\\ और उसके साथ जबरदस्ती करने लगता है | ]
पूजा – क्या कर रहे हो अनुज ? छोडो मुझे , मैं तुम्हारी गर्ल फ्रेंड हूँ ,तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते हो | [ रोकर चीखते चिल्लाते हुए | ]
[ अनुज पूजा के साथ जबरदस्ती करने लगता है | पूजा अनुज की ऐसी हरकत से एक दम से डर जाती है | पूजा अपने आप को बचाने के लिए अनुज को धक्का देकर वहाँ से भागती है | पूजा बदहवास होकर जंगल में भागती है | अनुज भी पूजा के पीछे भागता है और उसे दौड़ाकर पकड लेता है |
अनुज – कहाँ भाग कर जायेगी मेरी जान ? आज तुम्हे मुझसे कोई नहीं बचा सकता है | [ अनुज पूजा को बुरी तरह से पकडकर मारता है और उसके साथ फिर जबरदस्ती करने लगता है \\ ]
पूजा – नहीं ,छोडो मुझे ,छोडो मुझे नहीं ही हीईईईईईईई ....|
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[ अनुज पूजा को बुरी तरह से मारता है| और फिर उसका रेप कर देता है | पूजा की चीख उस सुनसान जंगल में गूजता है और धीरे धीरे उसकी आवाज उस जंगल में शांत हो जाता है | रेप के बाद पूजा बेहोश हो चुकी थी | और उसकी हालत एक दम बेकार हो चूका था | रेप करने के बाद पूजा की हालत देखकर अनुज एक दम से घबरा जाता है | ऐसा लगता है की ये सब उसने किया ही नहीं है|
अनुज – ये ये ये ..क्या क्या होगया पूजा को | पूजा पूजा पूजा आखें खोलो पूजा , नहीं नहीं ये नही हो सकता |ये ये ये मैंने क्या कर दिया ? लगता है की य ये ये मर चुकी है |
[ अनुज पूजा को होश में लाने की कोशिश करता है लेकिन पूजा को होश नहीं आता है तो अनुज को लगता है की पूजा मार गयी | अनुज को डर के मारे कुछ समझ में नहीं आता है और अनुज पूजा को जंगल में ही छोडकर भाग जाता है \\
सीन.न.10
इफेक्ट – रात के 12:10 बजे
लोकेशन – अतुल का घर [ ड्राइंग हाल में ]
[रूबी ,पूजा और अनुज पर फोन लगाती है लेकिन दोनों का फोन नहीं लगता है तो वह परेशांन होकर ड्राइंग हाल में इधर से उधर चलती रहती है और बार बार घडी में समय देखती रहती है|]
रूबी -च ये नम्बर क्यों नहीं लग रहा है | १२से ऊपर हो गया है |और ये दोनों अभी तक घर नहीं आये | हे भगवान सब ठीक हो |[ पूजा पर फोन लगाती है तो पूजा का नम्बर पहुँच से बाहर बताता है |]
[ तभी दरवाजे की घंटी बजती है | ]
रूबी – लगता है आ गए [ कहते हुए तेजी से दरवाजा खोलने जाती है | ] आ गए जनाब इतना लेट करके | [ दरवजा खोलकर ]
[ अनुज कुछ बोलता नहीं है और अपने डर को छूपाते हुए घर के अंदर आता है | रूबी भी दरवाजा बंद करके अंदर आती है ]
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रूबी – अब बोलो इतना लेट क्यों गया | बोल के गए थे की जल्दी आऊंगा और अब आ रहे हो | अरे हाँ पूजा भी आने वाली थी न ,तो फिर वो क्यों नहीं आई ?
अनुज – अरे वो वो भाभी क्या बताऊ? रस्ते में बाईक का टायर पंक्चर हो गया था | चार किलोमीटर पैदल धक्का मारते हुए मकेनिक के पास पहुंचा , पंक्चर बनवाया और फिर घर के लिए निकला | इस लिए मुझे घर आने में देरी हो गयी | और रही बात पूजा की तो उसे मैं अपने साथ-साथ क्यों परेशांन करता? ,इस लिए उसे मैं टैक्सी में बिठाकर घर भेज दिया |[ अपने डर को छुपाते हुए सब कुछ बताता है | ]
रूबी – फोन क्यों बंद आ रहा है तुम्हारा ?
अनुज – अरे भाभी फोन की बैटरी खत्म हो गया है | अब भाभी बहुत थक गया हूँ मुझे बहुत तेज नीद आ रहा है मैं सोने जा रहा हूँ | गुड नाईट [ कहकर अपने कमरे में चला जाता है | ]
रूबी – गुड नाईट
सीन.न. 11
इफेक्ट –रात का समय
लोकेशन – अनुज का बेडरूम
[ अनुज बिस्तर पर लेटा था लेकिन उसे नीद नहीं आ रहा था | क्योकि जो कुछ भी पूजा के साथ हुआ था उसे लेकर वह काफी परेशान था |उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था की ये सब कैसे हो गया ? उस घटना के बारे में सोचते सोचते बेचैन होकर बिस्तर से उठ जाता है |
अनुज – नहीं नहीं ,ये सब मैंने नहीं किया ,नहीं किया है |
18
सीन.न.12[a]
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – रत्ना हॉस्पिटल [ डॉक्टर का केबिन ]
[ डॉक्टर साहब अपने केबिन में एक मरीज को देखकर दवा दे रहे है | ]
डॉक्टर – मैं ये दवाईयाँ लिख के दे रहा हूँ , पाँच दिन तक रोज सुबह शाम खायियेगा |आप एकदम ठीक हो जायेगे | [ दवा की पर्ची उस मरीज को लिख कर देते हुए ]
मरीज – ठीक है नमस्ते डॉक्टर [पर्ची लेकर कुर्सी से उठता है| ]
डॉक्टर – नमस्ते
[ फिर वो मरीज डॉक्टर को नमस्ते कहकर बाहर निकल जाता है | आदमी बाहर जाता है तो महेश इंस्पेक्टर डॉक्टर के केबिन में आता है | ]
महेश – बताईये डॉक्टर उस लडकी की हालत कैसी है |
डॉक्टर – अरे इंस्पेक्टर साहब आ गए आप, आईये बैठिये [ कुर्सी से खड़ा होते हुए ]
महेश – बैठने नहीं आये है \\ आप उस लड़की के बारे में हमे खड़े खड़े ही बताईये ,की उसके साथ क्या हुआ है ?
डॉक्टर – उस लड़की के साथ रेप हुआ है | रेपिस्ट ने रेप करने से पहले उस लकड़ी को बेरहमी से पीटा फिर उसके बाद उसका रेप कर दिया | फ़िलहाल इस समय वो खतरे से बाहर है |
महेश – इस लड़की को हास्पिटल कौन लाया |
डॉक्टर – सुबह ही दो आदमी उस लडकी को लेकर यहाँ पर आये थे|
महेश – उन आदमियों को लड़की कहाँ से मिली |
डॉक्टर – ये तो मैं नहीं पूछा |
महेश –ठीक है, उन दो आदमियों का पता अपने नोट किया किया कि वो कहाँ के रहने वाले है ?
19
डॉक्टर – हाँ हाँ ..एक मिनट ........ ये रहा उनक पता | [ फाईल में से पता निकाल कर देते हुए | ]
महेश – कादीर....
[ कदीर हवलदार अंदर आकर ]
कादीर – जी साहब |
महेश – कदीर ,मनोज को लेकर इस पते पर जाओ और उन दोनों आदमियों को ठाणे लेके पहुँचो | [पते की पर्ची कदीर हवलदार को थमाते हुए | ]
कादीर – जी साहब | [ पते की पर्ची लेकर कदीर और दूसरा हवलदार वहाँ से निकल जाते है | ]
महेश – डॉक्टर ,अब उस लड़की के पास ले चलिए |
डाक्टर – हाँ चलिए |
[ दोनों केबिन से बाहर निकलते है | ]
सीन.न. 12 [b]
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – रत्ना ह्सपितल [ पूजा के कमरे में ]
[ महेश और डाक्टर पूजा के कमरे में आता है | ]
डाक्टर – ये रही वो लकड़ी [ लड़की को दिखाते हुए ]
[ लड़की बेहोश है ]
महेश – अरे ये ये ये तो पूजा है | [चौकर पूजा के पास जाकर ]
डाक्टर – आप इसे जानते है | [ आचर्य से ]
महेश – हाँ हाँ , मैं इस जनता हूँ |
20
डॉक्टर – अगर आप इसे जानते है तो कम से कम आप इस के घरवालो को फोन करके बात दीजिए |
महेस – इसे कब तक होश आयेगा डॉक्टर |
डॉक्टर – कुछ कह नहीं सकता ,खतरे से खाली है |लेकिन हालत अभी भी नाजुक है |
महेश – जिसने भी ये किया है , छोडूंगा नहीं साले को ,डॉक्टर इसे कुछ नहीं होना चाहिए | [ गुस्से ]
डॉक्टर – हम पूरी कोशिश कर रहे है | [ कंधे पर हाथ रखकर दिलशा देते हुए | ]
[ तभी एक नर्स अंदर आती है | ]
नर्स – डॉक्टर ,123 नम्बर के मरीज को देखना है |
डॉक्टर – अच्छा इंस्पेक्टर मैं चलता हूँ ,आप इस लड़की के माता पीता को खबर कर दीजिएगा |
[ फिर डॉक्टर और नर्स कमरे से बाहर निकल जाते है | ]
सीन.न.13
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – पूजा का घर
[ पूजा के पिताजी केदार नाथ कुर्सी पर बैठकर रेडियो पर ओल्ड सांग सुन रहे थे कि तभी फोन कि घंटी बजती है | ]
केदार नाथ – अरे पूजा की माँ फोन बज रहा है |जल्दी उठाओ | [ कुर्सी पर से बैठ कर बोलते है | ]
पूजा कि माँ – मैं काम कर रही हूँ | आप ही उठा लीजिए | [ किचन में से काम करते हुए बोलती है | ]
केदार नाथ – हाँ हाँ उठा रहूँ | ................. हेल्लो कौन ?
21
[केदार नाथ कुर्सी से उठकर रेडियो बंद करके फोन उठाते है |
महेश – अंकल मैं बोल रहूँ ,महेश [ धीरे से ]
केदारनाथ – अरे बेटा महेश बड़े दिनों बाद याद किया ,कैसे हो ?
पूजा कि माँ – अरे किसका फोन है |
केदार नाथ – महेश का फोन है \\
महेश – अंकल मुझे आप से कुछ कहना है |
केदार नाथ – हाँ हाँ बेटा बोलो क्या बात है ?
[ पूजा की माँ केदार नाथ के लिए चाय लेके उनके पास आती है \\|]
महेश – अंकल.. वो..वो आप आंटी को लेकर रत्ना हास्पिटल आ जाईये |
केदार नाथ – रत्ना ह्सपितल ,सब ठीक तो है न बेटा \\| [ थोडा हैरान होकर ]
महेश - - वो अंकल ... पूज रत्ना हास्पिटल में भर्ती है |बस आप जल्दी से आजाओ |
केदार – क्या हुआ है ?मेरी बच्ची को |
[ पूजा कि माँ ये सुनती है तो उनके हाथ से चाय का कप निचे गिर जाता है | ]
पूजा की माँ – क्या हुआ मेरी बच्ची को ?क्याहुया ?
महेश – अंकल आप जल्दी से आ जाईये | [ फोन कट कर देता है | ]
पूजा की माँ – क्या कहा महेश ने ? क्या हुआ है पूजा को?, आप कुछ बोलते क्यों नहीं है?
केदार नाथ – पूजा…पूजा रत्ना हास्पिटल में भर्ती है | [धीरे से बोलते है | ]
पूजा की माँ – क्या [ चौकते हुए | ]
22
सीन.न.14
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – अतुल का घर
[ रूबी घर की साफ सफाई कर रही थी कि तभी रूबी का मोबाईल बजने लगता है | रूबी घंटी की आवाज सुनकर साफ सफाई छोडकर फोन उठती है | ]
रूबी – हेल्लो
महेश – भाभी जी मैं महेश बोल रहा हूँ |
रूबी – अरे महेश भईया आप ,बताईये कैसे फोन किया ?
महेश – भाभी जी आप जल्दी से रत्ना हास्पिटल आ जाईये |
रूबी – रत्ना हास्पिटल ,क्या हुआ सब ठीक तो है ? [ [ परेशान होकर ]
महेश – वो वो पूजा हास्पिटल में भर्ती है | आप बस जल्दी से आ जाओ |
रूबी - क्या ? [ चौकते हुए | ]
सीन.न.15
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – कॉलेज में
[ सभी दोस्त कैम्पस में खड़ा होकर रात की पार्टी की बाते करके मजे ले रहे है | ]
रवि –कमाल की पार्टी थी यार ,मजा आगया |
निशा – सच में मुझे तो बहुत मजा आया |
[ तभी मोहित की फोन बजने लगत है | ]
मोहित – भाभी का फोन ....... हाँ भाभी बोलिए क्या बात है ?
23
रूबी – मोहित , अनुज वहाँ पर है |
मोहित – हाँ है ,पर बात क्या है ?
रूबी – मोहित तुम अनुज को अपने साथ लेकर रत्ना ह्सपितल में पहुँचो |
मोहित – पर बात क्या है भाभी ?सब ठीक तो है न | [ परेशान होकर ]
रूबी – बस तुम अनुज को लेकर वहाँ पहुँचो | [ और फोन कट कर देती है | ]
[ सभी दोस्त मोहित की बाते सुनकर परेशान हो जाते है | ]
अनुज – क्या हुआ ?क्या बात है ?भाभी ने क्या कहा ?
मोहित – कुछ बताया नहीं ,बस कहा की तुम्हे लेकर रत्ना हास्पिटल पहुंचु | जल्दी चल
अनुज – हाँ [ फिर मोहित और अनुज रत्ना हास्पिटल के लिए निकल जाते है | ]
सीन.न.16
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – रत्ना हास्पिटल
[ पूजा के कमरे के बाहर केदारनाथ और पूजा की माँ, महेश से पूजा के बारे में पूछते है | ]
पूजा की माँ – कहाँ है मेरी बच्ची ? क्या हुआ हैं उसे ? मुझे उससे मिलाना है ,कहाँ है वो ,तुम कुछ बोलते क्यों नहीं हो महेश ? कहाँ है मेरी बच्ची [ रोते हुए महेश को झकझोर ]
केदारनाथ – महेश तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो ? आखिर पूजा को हुआ क्या है ? वो यहाँ कैसे आई ?
महेश – आंटी आप परेशान मत होईये ,पूजा ठीक है ,[ दिलाशा देते हुए ]
पूजा कि माँ – मुझे उसके पास ले चलो ,मुझे उससे मिलाना है |कहाँ है वो ? [ बेचैन होकर ]
[ रूबी भी वहाँ पहुँच जाती है | ]
24
रूबी – आंटी क्या हुआ ? क्या हुआ ?सब ठीक तो है न ? [बेचैन होकर ]
पूजा की माँ – पता नहीं मेरी बच्ची क्या होगया है ? कल तक तो वो बिलकुल ठीक थी |
रूबी – आंटी संभालिए अपने आप को ,कुछ नहीं होगा हमारी पूजा को ....[ पूजा की माँ को सँभालते हुए |
केदार नाथ – महेश, सच सच बताओ हमारी बच्ची को क्या हुआ ? वो यहाँ पर कैसे आई ?
[ तब तक मोहित और अनुज भी वहाँ पहुँच जाते है | और ये बात सुनकर मोहित भी एकदम से चौक जाता है | लेकिन अनुज को जब ये पता चलता है कि पूजा जिन्दा है तो उसके होश एकदम से उड़ जाता है | ]
महेश – वो ..वो अंकल पू .. पूजा ..के साथ ...र .रेप हुआ है |
[ सभी ये बात सुनकर एक दम से चौक जाते है |]
पूजा की माँ – हे भगवान ये क्या हो गया ? मेरी बच्ची के साथ | [बुरी तरह रोते हुए | ]
[ रूबी पूजा की माँ को संभालती रहती है | ]
केदार नाथ – किसने किया ये सब ?किसने किया ये सब हमारी बच्ची के साथ | [रोते हुए ]
महेश – अंकल संभालिए अपने आप को, जिसने भी ये सब किया होगा उसे मैं छोडूंगा नहीं |[ दिलाशा देते हए]
केदार नाथ –छोड़ना मत ,छोड़ना मत उस कमीने को ,जिसने भी ये सब मेरी बच्ची के साथ किया है, उसे छोड़ना मत | [रोते हुए गुस्से में ]
महेश – अंकल .. पहले मुझे ये बताईये, की पूजा कल कहाँ थी |
पूजा की माँ – हाँ हाँ पूजा कल रात अनुज के साथ अपने दोस्तों के पार्टी में गयी हुए थी |.. लेकिन रूबी कल रात वो तो तुम्हारे पास आने वाली थी | फिर ये सब कैसे हुआ ?
[ ये बात सुनकर अनुज एक दम से घबरा जाता है | ]
रूबी – हाँ आंटी वो वो आने वाली थी \\लेकिन ...
25
अनुज – मैं बताता हूँ| जब हम पार्टी करके घर लौट रहे थे तब रस्ते में मेरे बाईक का टायर पंक्चर हो गया| फिर मैंने सोचा की उसे मैं अपने साथ साथ क्या परेशान करू? ,फिर उसके बाद मैं उसे टैक्सी में बिठाकर घर भेज दिया | महेश भईया मुझे तो लगता है कि ये सब उस टैक्सी वाले ने किया है | [ अनुज, रूबी की बात काटते हुए | अपने डर को छुपाते हुए आगे आकर बताता है \\]
महेश – टैक्सी वाले को पहचानते हो |
अनुज – अँधेरा होने की वजह से शक्ल ठीक से देख नहीं पाया |
[ अनुज अपने आप को बचाने के लिए झूठ बोलता है | ]
महेश – छोडूंगा नहीं साले को [ गुस्से में ]
सीन.न. 17
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – जंगल में
[ वो दोनों आदमी महेश को उस जगह पर ले जाते है जहाँ पर पूजा उन्हें मिली थी | ]
गोपाल पहल आदमी – इंस्पेक्टर साहब यही पर वो लड़की हमे मिली थी |
केशव दूसरा आदमी – हाँ साहब, यही पर बेचारी खून से लथपथ पड़ी हुयी थी |
महेश – हूँ [ थोडा सोचते हुए ] कदीर और मनोज चारो तरफ घूमकर देखो शायद कोई सबूत मिल जाये |
[ फिर कदीर और मनोज इधर उधर जंगल में सबूत खोजने लगते है | इधर महेश भी चारो तरफ जंगल में देखता है | लेकिन उन सब को जंगल में कुछ भी नहीं मिलाता है |फिर उसी जगह पर आ जाता है जहाँ पर पूजा पड़ी हुयी थी |]
कदीर – साहब कुछ भी नहीं मिला |
महेश – और तुम्हे |[फिर महेश, मनोज हवलदार से गर्दन हिलाकर पूछता है | ]
26
मनोज – नहीं साहब |
महेश – .अब तो पूजा के होश आने तक इंतजार करना पड़ेगा |
गोपाल पहल आदमी – साहब, हम लोग जा सकते है ?
महेश – हाँ हाँ तुम लोग जा सकते हो |
[ फिर दोनों आदमी महेश को सलाम करके वहाँ से चले जाते है और महेश भी जीप में बैठकर वहाँ से निकल जाता है | ]
सीन.न.18[a]
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – रत्ना हास्पिटल में -- -
[ पूजा के होश आने कि खबर एक नर्स बाहर आकर देती है | ]
नर्स – मैडम को होश आ गया | आप लोग उनसे मिल सकते है |
[ होश आने की खबर सुनकर महेश , केदार नाथ ,पूजा की माँ , और रूबी कमरे के अंदर जाते है | इधर अनुज मोहित भी कमरे में जाना चाहते है तो नर्स उन्हें अंदर जाने से मना कर देती है |]
नर्स – कई लोग अंदर नहीं जा सकते, आप लोग यही रुक जाईये ,
[ फिर मोहित और अनुज कमरे के बाहर ही रुक जाते है | लेकिन अनुज मन ही मन सोच सोच कर घबराता है कि आगे क्या होगा ?]
अनुज – अब क्या होगा ?अगर पूजा ने सब कुछ सच सच बता दिया तो | [ अपने मन ही मन सोच सोच कर घबराता है |
27
सीन .न.18[b]
इफेक्ट-दिन का समय
लोकेशन – पूजा के कमरे में
[ कमरे के अंदर ]
पूजा की माँ – कैसी है मेरी बच्ची | [ बेचैन होकर ]
डॉक्टर – देखिये घबराने की जरुरत नहीं है | अब ये ठीक है | इंस्पेक्टर आप इनका बयान ले सकते है |
[ फिर सभी पूजा के करीब जाते है | ]
महेश – बोलो पूजा, ये सब किसने किया है | कौन है वो ?
पूजा की माँ – बोल मेरी बच्ची, किसने किया है ये सब ? [ रोते हुए ]
केदार नाथ – डर मत मेरी बच्ची हम सब आ गए है | बता कौन है वो दरिंदा जिसने तेरे साथ ये सब किया है |[ नमआखो से दिलाशादेते हुए ]
पूजा – माँ माँ [धीरे धीरे बोलती है ]
पूजा की माँ – हाँ हाँ बोल मेरी बच्ची बोल
पूजा –माँ.. माँ ..वो वो.. कोई.. और नहीं .है बल्कि , अनुज है | उसी ने ये सब किया है | [ रो रो कर धीरे धीरे सब कुछ बताती है | ]
[ ये सच्चाई जानने के बाद सब के होश उड़ जाते है | ]
केदार नाथ – क्या? ये सब अनुज ने किया है | [चौकते हुए ]
रूबी – नहीं ,नहीं ऐसा नहीं हो सकता है अनुज तुम्हरे साथ ऐसा नहीं कर सकता है |वो वो तो तुम से प्यार करता है | फिर वो तुम्हारे साथ ऐसा कैसे कर सकता है | [ रोते हुए ]
महेश – पूजा कल रात तुम्हारे साथ क्या क्या हुआ | मुझे पूरी बात बताओ |
[ फिर पूजा कल रात कि घटना विस्तार पूर्वक सभी को को बताती है |
28
सीन.न.18[c]
इफेक्ट- सेम
लोकेशन – पूजा के कमरे के बाहर ]
| सारी बात सुनाने के बाद सभी कमरे से बाहर आते है | तो अनुज सब को देखकर और भी घबराने लगता है |लेकिन पूजा की माँ गुस्से से बाहर आती है| और गुस्सेमे उसे थप्पड़ मारने लगाती है| मोहित ये नजारा देखकर एकदम से चौक जाता है |]
पूजा की माँ – क्यों किया? क्यों किया तुने ऐसा ? बोलत क्यों नहीं है ?अरे अरे वो तो तुझसे प्यार करती फिर तुने ऐसा क्यों किया | [ रोकर कई थप्पड़ मारते हुए ]
[ मोहित ये जानकर एकदम से चौक जाता है कि ये सब अनुज ने किया है | ]
केदार नाथ – संभालो अपने आप को पूजा की माँ संभालो आपने को, महेश ,ले जाओ इस कमीने को हमारी नजरो से | [ केदार नाथ पूजा की माँ को अनुज से दूर करते हुए | | ]
[ रूबी एक तरफ दीवाल से सट कर रो रही है | ]
मोहित – अनुज, तुने ये सब किया ? मुझे विश्वास नहीं हो रहा है की तू ऐसा कर सकता है | छी
अनुज – नहीं ,नहीं नहीं ,आप लोगो को लगता है की मैं ऐसा कर सकता हूँ \\ [ रोते हुए ]
महेश – तेरे कहने का मतलब कि पूजा झूठ बोल रही है | [गुस्से में ]
अनुज – नहीं, नहीं ,ऐसी बात नहीं |
महेश – चुप कर, कादीर ले चलो इसे | [डाँटते हुए ]
[ कादिर और मनोज हवलदार अनुज को पकड़ ले जाने लगते है | ]
अनुज – मेरा विश्वास करो, मैंने पूजा के साथ ये सब नहीं किया ,नहीं किया, नहीं किया | [रोते हुए ]
29
[ लेकिन अनुज की बातों पर कोई भी विश्वास नहीं करता है | महेश, अनुज को पकड़ कर वहाँ से लेकर चला जाता है | इधर ये सारी बाते जानने के बाद सभी रो रहे है | ]
सीन.न. 19
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – थाने में
[ महेश ,अनुज को जेल के अंदर बंद कर देता है | ]
अनुज – महेश भईया मेरी बात सुनो ,एक बार मेरी बात सुनो लो [ सलाखों के पास आते हुए | ]
महेश – मत बोल मुझे भाई ,नहीं बनाना मुझे तुझ जैसे कमीने का भाई ,और एक बात कान के सुन ले ,तुने जो ये पूजा के साथ घिनौना काम किया न, इसके लिए मैं तुझे कड़ी से कड़ी सजा दिलवाऊंगा | [ सलाखों के पास खड़ा होकर | ][फिर इतना बोलकर महेश वहाँ से हट जाता है | ]
[अनुज , महेश से कुछ बोलना चाहता है लेकिन महेश उसकी कोई बात सुनना नहीं चाहता है | ]
अनुज – भईया , मैंने ये सब नही किया है ,नहीं किया ,कैसे समझाऊ आप लोगो को ,कैसे कैसे [ सलाखों पर अपना सर रख कर रोते हुए | ]
सीन.न.20
इफेक्ट – रात का समय
लोकेशन – अतुल का घर
[ रूबी घर के अंदर बालकनी में उदास होकर बैठी हुयी है | कि तभी घर के अंदर एक आदमी चुपके से आता है और धीरे धीरे रूबी की तरफ बढ़ता है | फिर वह आदमी रूबी के पास पहुंचकर जैसे ही उसके कंधे पर हाथ रखता है तो पूजा डर के मारे चीख उठती है | ]
30
रूबी – आ आआ [ जैसे ही वह आदमी अपना हाथ उसके कंधे पर रखता है तो पूजा डर करचीखने लगती है |
[ वह आदमी कोई और नहीं बल्कि अतुल था | ]
अतुल – अरे क्या हुआ ? मैं हूँ ... अरे तुम रो क्यों रही हो? क्या हुआ है ? क्या बात है?
[ रूबी फुट फुट कर रोने लगाती है ]
रूबी – वो वो अनुज .. [ रोते हुए ]
अतुल – अनुज ,क्या हुआ है अनुज को ? बोलो रूबी ,क्या बात है ? [चौकते हुए ]
[ फिर रूबी रो रो कर सारी बात बताती है | सारी बात जानकर अतुल एक दम से चौक जात है | ]
अतुल –नहीं, ऐसा नहीं हो सकता ,अनुज ऐसा नहीं कर सकता ,अरे वो तो पूजा से प्यार करता है ,फिर वो पूजा के साथ ऐसा कैसे कर सकता है ? [हैरान होकर]
रूबी – मुझे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा है| कि ये सब क्या हो रहा है ?[रोते हुए]
अतुल – तुम घबराओ मत ,मैं आ गया हूँ न सब ठीक हो जायेगा | कुछ नहीं होगा हमारे अनुज को, कुछ नहीं होगा , | [ अतुल रूबी को दिलशा देते हुए अपने सिने से लगा लेता है |
सीन.न.21
इफेक्ट – सुबह का समय
लोकेशन – रत्ना हास्पिटल [ पूजा के कमरे में ]
[ पूजा आखें बंद करके सोयी रहती है कि तभी अतुल वहाँ पर पहुंचता है |और पूजा के पास जाकर उसके सर हाथ रखता है तो पूजा की आखं खुल जाती है और अतुल को अपने सामने देखकर रोने लगाती है | ]
अतुल – नहीं ,चुप हो जाओ पूजा ,चुप हो जाओ | [ नम आखों से पूजा के आंसू पोछते हुए | ] ... पूजा क्या ये सच है? कि तुम्हारी इस हालत का जिम्मेदार अनुज ही है |
31
पूजा – आप को विस्वाश नहीं हो रहा है न ,भईया लेकिन ये सच है ,ये सब अनुज ने ही किया है |... [ कहते हुए रोने लगती है \\ ]
अतुल – बस पूजा ,मत रो, अगर अनुज ही तुम्हारा दोषी है तो मैं उसे कभी माफ नहीं करूँगा | और उसे कड़ी से कड़ी सजा दिलवाऊंगा ,ये मेरा वादा है तुम से | [ रोते हुए पूजा के हाथ को पकड़ कर बोलता है | ]
[ फिर अतुल आखों में आसूं लिए वहाँ से निकल जाता है | ]
सीन.न.22[a]
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – जेल के अंदर
[ अनुज जेल के अंदर गर्दन झुकाए बैठा हुआ है | उसी समय अतुल अनुज से मिलने आता है | ]
अतुल – अनुज [ जेल के बाहर खड़ा होकर ]
अनुज – भईया ,भईया ,आप आ गए भईया ,भईया भईया आप को मुझ पर विश्वास है न भईया | [ गर्दन उठाकर सामने देखता है और रोते हुए अतुल के पास आते हुए | ]
अतुल – चुप हो जाओ ,मुझे बस एक बात जानना है ,जो कुछ भी पूजा के साथ हुआ है , क्या उन सब का जिम्मेदार तू खुद है |?
अनुज – भईया ,पहले मेरी बात सुनलो, कि मैं क्या कहना चाहता हूँ ?
अतुल – बोल क्या कहना चाहता है ?
अनुज – भईया ,ये ये जो कुछ भी हुआ है ,ये ये सब मैंने जान बूझकर नहीं किया है | ये ये सब मुझसे जबरदस्ती करवाया गया है |
अतुल – क्या ? ..कौन है वो ?बता मुझे, किसने करवाया है ये सब ? [चौकेते हुए | ]
32
अनुज – भईया ,जब जब हम उस रात को उस सुनसान जंगल वाले रस्ते से आ रहे थे | तो तो रस्ते में पेड़ कि टहनी गिरा हुआ था | जब ज हम दोनों उस टहनी को उठाने के लिए उस टहनी के पास पहुंचे तो ..तो अचानक ऐसा लगा की मुझे कोई अपने वश में कर लिया है | और और मेरे न चाहते हुए भी ये ये सब मुझसे हो गया | भईया |[ रोकर घबराते हुए ]
अतुल – तेरे कहने का मतलब की किसी ने तुझे वश में कर के ये सब किया है |
अनुज – हाँ भईया हाँ |
अतुल – किसने किया था तुझे वश में ?
अनुज – भईया, वो वो कोई इंसान नहीं था वो वो कोई बुरी आत्मा था भईया, |
अतुल – अच्छा ,तो ये सब एक बुरी आत्मा ने किया है | ..वाह मेरे भाई वाह ,तुझे और कोई बहाना नहीं मिला अपने आप को बचाने के लिए |[ गुस्से में ]
अनुज – मैं सच क ..
[ अतुल अनुज की बात काटते हुए ]
अतुल – बस कर अनुज बस कर, तुने ये जो पूजा के साथ किया है उसके लिए मैं तुझे कभी माफ नहीं करूँगा | हाँ और एक बात याद रखना आज के बाद.. तू.. हमारे लिए... मर चूका है समझा | [ आखो में आंसू लिए वहाँ से निकल जाता है | ]
अनुज – नहीं भईया ,मेरी बात सुनो भईया मेरी बात सुनो ,नहीं किया मैंने ये सब ,नहीं कियायाया.....[ गुस्से चीख कर रोते हुए घुटनों के बल जमीं पर गिर जाता है | ]
33
सीन.न. 22[b]
इफेक्ट –दिन का समय
लोकेशन – थाने के बाहर
[ अतुल जब रोते हुए थाने से बाहर निकलता है तो महेश थाने के बाहर आते हुए मिल जाता है | ]
महेश – अतुल ..
अतुल – महेश ..पूजा के साथ जो कुछ भी हुआ है | उसके लिए तू अनुज को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाएगा | [ नम आखो से कड़क होकर ]
महेश – अतुल मैं तुम्हारे दर्द को समझ ............
[अतुल, महेश की बात काटते हुए | ]
अतुल – नहीं ,नहीं ,तू मेरे दर्द को नहीं, पूजा के दर्द को समझ और उसे इंसाफ दिला ,ये मत समझाना की अनुज मेरा भाई है | बस ये याद रखना वो सिर्फ एक मुजरिम है ,मुजरिम | [ गुस्से में ]
[ फिर महेश कुछ बोलता नहीं है बस उसके कंधे पर हाथ रखकर इशारे में दिलशा देता है | लेकिन अतुल इतना बोलकर वहाँ से निकला जाता है | ]
सीन.न.23
इफेक्ट – शाम का समय
लोकेशन – अतुल का घर
[ अतुल जब अनुज से मिलकर आता है तो रूबी उससे अनुज के बारे में पूछती है | ]
रूबी – आ गए आप, क्या हुआ ? .. क्या कहा अनुज ने ? बोलिए न .. आप कुछ बोल क्यों नहीं रहे है ? [ अतुल को देखकर परेशान होकर पूछती है |] ]
34
अतुल – क्या बोलू मैं ?क्या बोलू ? अरे जिस पर मैंने अपने आप से भी ज्यादा विस्वाश किया था| उसी ने मेरे
विस्वाश को तोड़ दिया | मुझे तो उसे अपना भाई कहते हुए भी घिन्न आ रहा है | एक बात कान खोल कर सुन लो | उसने पूजा के साथ जो कुछ भी किया है | उसके बाद से वो हमारे लिए मर गया है ||
[ गुस्से में ]
सीन.न.24
इफेक्ट – सुबह का समय
लोकेशन – अतुल का घर
[ अतुल दूकान के लिए घर से निकलता है |तो रूबी उसे लंच बॉक्स देती है | ]
अतुल – अपना ख्याल रखना ,मैं चलता हूँ | [ लंच बॉक्स लेकर जाने केलिय पलता है | | ]
रूबी – सुनिए [ धीरे से बोलती है ]
अतुल – क्या है ? [ रूबी की तरफ पलटते हुए | ]
रूबी – वो वो आज कोर्ट में ......[ धीरे से बोलती है ]
अतुल – कोई जरूरत नहीं वहाँ पर जाने की | [ रूबी की बात काटते हुए ,गुस्से में | ]
रूबी – हूँ [ मायुश होकर ]
अतुल - मैं चलता हूँ | [ फिर अनुज घर से निकल जाता है | ]
35
सीन.न.25[a]
इफेक्ट – सुबह का समय
लोकेशन – रत्ना हास्पिटल में
[ अचानक हास्पिटल में पूजा की हालत एक दम खराब हो जाता है | हालत देखकर ऐसा लग रहा था कि उसका दम घुट रहा है| मानो कोई पूजा का गला दबा रहा हो | पूजा की माँ कमरे में आती है और उसकी ऐसी हालत देखकर पूजा की माँ एकदम से घबरा जाती है | ]
पूजा की माँ – पूजा ,पूजा ये क्याहो रहा है ? पूजा ,तुम्हे कुछ नहीं होगा पूजा | [पूजा के पास जाकर]... डॉक्टर ..डॉक्टर [, रोते हुए कमरे से बाहर भागती है | ]
सीन.न.25[b]
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – डॉक्टर का केबिन
[ डॉक्टर अपने केबिन में काम कर रहे थे | कि तभी पूजा की माँ डॉक्टर के केबिन में जल्दी से अंदर आती है | ]
पूजा की माँ – डॉक्टर पूजा की हालत एक दम खराब है ,जल्दी चलिए [ रोते हुए ]
डॉक्टर – क्या ? चलिए [ चौकते है, कुर्सी से उठते है | फिर डॉक्टर अपना आला लेकर जल्दी से केबिन से बाहर निकलते है ]
कट
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सीन.न.25[c]
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – पूजा के कमरे में
[ डॉक्टर और पूजा की माँ कमरे के अंदर आते है तो देखते है की पूजा बिस्तर पर एक दम शांत पड़ी हुयी है |
पूजा की माँ – पूजा, आखे खोल पूजा ,तुझे कुछ नहीं होगा पूजा तुझे कुछ नहीं होगा ,[ रोते हुए ]
डॉक्टर – घबराईये मत ,मैं देख रहा हूँ | [ फिर डॉक्टर पूजा को चेक करते है तो पता चलता है की पूजा की मौत हो चुकी है | तो डॉक्टर पूजा की मौत से निराश हो जाते है | ]
पूजा की माँ – क्या हुआ डॉक्टर ? कैसी है मेरी बच्ची , डॉक्टर आप कुछ बोल क्यों नहीं रहे है |क्या हुआ है मेरी बच्ची को ? [ बेचैन होकर | ]
डॉक्टर – हिम्मत से काम लीजिए माँ जी [ मायुश होकर धीरे से ]
पूजा की माँ – पहले बताओ डॉक्टर , क्या हुआ मेरी बच्ची को ?ये कुछ बोल क्यों नहीं रही है ?
डॉक्टर – वो वो माजी, पूजा पूजा अब ..नहीं ..रही | [ धीरे से बोलते है | ]
[ डॉक्टर के ये शब्द सुनकर पूजा की माँ के होश उड़ जाते है | ]
पूजा की माँ – क्या.... ? नहीं.. ,नहीं ...ऐसा नहीं हो सकता ,मेरी पूजा मुझे छोड़कर नहीं जा सकती |ये पूजा, आखे खोल पूजा ,अपने माँ से बात कर पूजा , पूजाआ आ आ ................ [ फिर उसकी माँ पूजा के शरीर से लिपट कर फुट फुट कर रोने लगाती है |]
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सीन.न.26
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – कोर्ट में
[ जज साहब अपना फैसला सुनाने जा रहे है | ]
जज – मुलजिम अनुज को पूजा का दोषी पाते हुए | १४ साल कैद की सजा ....
[ तभी पूजा के पिता जी चिल्लाते हुए कोर्ट के अंदर आते है | ]
केदार नाथ – रुक जाईये जज साहब ,रुक जाईये | [ चिल्लाते हुए अंदर आते है | ]
जज – आर्डर आर्डर शांत हो जाईये .
केदारनाथ – जज साहब ,इसे १४ साल की सजा नहीं, बल्कि इसे फंसी होनी चाहिए ,फांसी [रोते हुए ]
[ इस बात को सुनकर सभी हैरान हो जाते है | ]
जज – आप कुछ कहना चाहतेहै तो कटघरे में आकर कहिये|
केदारनाथ – हाँ जज साहब हाँ ,अभी अभी हास्पिटल से फोन आया था .....कि ..कि मेरी ..बेटी पूजा ..पूजा अब इस दुनिया नहीं रही [ रोते हुए ]
[ ये बात सुनकर सभी चौक जाते है | ]
अनुज – नहीं ,नहीं ऐसा नहीं हो सकता ,पूजा नहीं मर सकती |
केदारनाथ – चुप कर दरिंदे . जज साहब ऐसे दरिंदे को सिर्फ फांसी होनी चाहिए ,फांशी
[इस बात पर वहाँ कोर्ट में सभी लोग एक साथ चिल्लाने लगते है | ]
सभी लोग – हाँ हाँ इसे फांसी होनि चाहिए, फांसी |
जज – आज कल रेप की घटनाये बढती ही जा रही है | ऐसे घटनाओ पर रोक लगाने केलिए मुजरिम को कडी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए | लेकिन ऐसा होता नहीं है | लेकिन इस बार मैं एक ऐसा ही फैसला सुनाऊंगा | ताकि कोई भी ऐसा घिनौना काम करने कि हिम्मत न कर पाए
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|लिहाजा मुलजिम अनुज को पूजा की मौत और रेप का दोषी पाते हुए | दफा तीन सौ दो के तहत फ़ासी की सजा सुनाती है |
[ इस फैसले से केदारनाथ को जहाँ रहत मिलाता है | वहीँ अनुज इस फैसले से सहम जाता है | |]
सीन.न.27
इफेक्ट – शाम का समय
लोकेशन – श्मशान घाट में |
[ पूजा का अंतिम संस्कार केदार नाथ रोते हुए अपने हाथो से करते है | पूजा की जलती चिता को देखकर अतुल और महेश भी रो रहे है | ]
सीन.न.28
इफेक्ट- रात के 12 बजे
लोकेशन – जेल के अंदर
[ अनुज जेल के अंदर गर्दन झुकाए बैठा हुआ था कि तभी उसे अपने बगल में एक भयानक हँसी सुनाई देता है]
आत्मा – हा हा हा हा [ आत्मा अनुज के बगल में बैठकर भयानक हँसी हँस रहा था | ]
[ अनुज जब उस हँसी को सुनकर अपने बगल में देखता है तो उसके बगल में एक भयानक चेहरे वाला एक हैवान बैठा हुआ था जिसे देखकर अनुज एक दम से डर जाता है | और डर कर एक तरफ हट जाता है | ]
अनुज – क क क कौन हो हो तू तू तू तुम [ डर कर ]
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आत्मा – मुझे नहीं पहचाना ,ही ही ही मैं वहीँ हूँ जिसकी वजह से तू यहाँ है | [ भयानक हँसी हँसते हुए | ]
अनुज – क्या ? ..तुने तुने ये सब किया है ?पर क्यों ?मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था ? क्यों किया तुने ऐसा? क्यों ? [ पहले चौकता है फिर हिम्मत करके उससे गुस्से मे बोलता है | ]
आत्मा – क्यों किया मैंने ये सब? ,क्यों किया ? क्यों कि तेरे भाई ने मेरे पुरे परिवार को तडपातडपा कर मारा था उसकी बदल ले रहा हूँ | [गुस्से में ]
अनुज – क्या ?अतुल भईया ने तुम्हारे परिवार को तडपा कर मार डाला है | [ चौकते है ]
आत्मा – हाँ , लेकिन तेरे भाई को तो तेरे मरने का कोई भी गम नहीं है | लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूँगा | मैं अब तेरे भाई को बताऊंगा की तू निर्दोस है और जब उसे पता चलेगा की ये सब तुने नहीं बल्कि मैंने किया है तब तब वो तुझे बचाने के लिए तडपेगा और फिर मुझे बहुत मजा आएगा हा हः हाहा [ गुस्से में बोलकर हँसते हुये गायब हो जाता है ]
[ इधर अनुज उस आत्मा की बाते सुनकर एक दम हैरान हो जाता है | ]
सीन.न.29
इफेक्ट – दोपहर तीन बजे का समय
लोकेशन – जेल के अंदर
[ दीनू काका अनुज से जेल में मिलने आये हुए है | ]
दीनू – बेटा ,मुझे तुम पर पुरा भरोषा है | अरे तुम तो पूजा से प्यार करते थे | फिर ये घिनौना काम तुम पूजा के साथ कैसे कर सकते हो | नहीं, मैं ये नहीं मान सकता | क्या बात है अनुज, मुझे बताओ ?
अनुज – क्या आप यकींन करेगे दीनू काका ? |
दीनू – क्यों नहीं बेटा ?
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अनुज – तो फिर सुनिए , मेरे साथ जो कुछ भी हुआ उसका जिम्मेदार कोई इंसान नहीं है बल्कि , वो वो एक हैवान है |
दीनू – क्या ?...ये क्या बोल रहे हो तुम ?[चौकते हुए ]
अनुज – मैं सही कह रहा हूँ काका ,कल रात वो मेरे सामने भी आया हुआ था |और जब मैंने उससे पूछा कि तुम ये सब क्यों कर रहे हो ?तो उसने मझे बताया कि अतुल भईया ने उसके पुरे परिवार को तडपा तडपा कर मारा था | ..उसी का बदल ले रहा है | वो ,
दीनू – नहीं,ऐसा नहीं हो सकता |
अनुज – ऐसा ही हुआ है काका , [रोते हुए | ]
दीनू – मुझे तुम पर पूरा विश्वास है | बेटा |
अनुज – काका ,ये जो कुछ भी हुआ है | उसके बारे में भईया को भी मालूम होने वाला है |
दीनू – मैं कुछ समझा नहीं |
अनुज – ये बात वो खुद आत्मा भईया से बताने वाला है | कि ये सब उसने किया है | ताकि भईया ये सच जानकर मुझे बचाने के लिए तडपे | [ मायुश होकर ]
दीनू – क्या ? [ ये बात सुनकर दीनू एक दम हैरान है | ]
सीन.न.30
इफेक्ट – सुबह का समय
लोकेशन – अतुल का घर |
[अतुल के घर दीनू काका उससे मिलाने आये हुए है | और सभी बैठ कर बाते कर रहे है \\ ]
अतुल – और काका कैसे आना हुआ ?
दीनू – मैं कल अनुज से मिला |
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अतुल – देखिये काका ,अगर आप अनुज के बारे में बात करना चाहते है तो मुझे उसके बारे में कुछ भी नहीं बात करना है |
दीनू – तुम्हे मालुम है कि अनुज निर्दोष है |उसने ये सब नहीं किया है |
रूबी – आप सच कह रहे है काका |
दीनू – हाँ ये सच है,कि ये सब अनुज ने नहीं किया है | [ कड़क आवाज में कुर्सी से खड़ा होकर ]
अतुल – अच्छा ,तो उसने आप को भी बताया कि ये सब उसने नहीं बल्कि एक बुरी आत्मा ने किया है |
रूबी – बुरी आत्मा ? [ चौकते हुए | ]
दीनू – तो तुम्हे विश्वास नहीं हो रहा है कि ये सब एक बुरी आत्मा ने किया है |
अतुल – क्या काका? आप भी इन सब बातों में विश्वास करते है | अरे वो अपने आप को बचाने के लिए ये सब झूठ बोल रहा है | [ गस्से में ]
[ तभी घर में फोन की घंटी बजती है | ]
अतुल – देखो किसका फोन है |
[ फिर रूबी फोन उठाने के लिए जाती है | ]
रूबी – हेल्लो
महेश – भाभी मैं महेश बोल रहा हूँ |
रूबी – हाँ महेश भईया बोलिए
महेश – भाभी ,अनुज जेल में आत्म हत्या करने की कोशिश किया है |
रूबी – क्या ? [ चौकते हुए | ]
[ रूबी के चौकने पर अतुल और दीनू भी चौकते है | ]
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महेश – हाँ भाभी ,अगर उससे मिलना है तो रत्ना हास्पिटल आ जाईयेगा | [ फोन कट करदेता है ]
[ रूबी भी मायुश होकर फोन रखती है | ]
अतुल – क्या हुआ ? क्या बात है ? [चौकते हुए ]
रूबी – अनुज जेल में आत्म हत्या करने की कोशिश किया है | [ धीरे से बोलती है | ]
अतुल –क्या ? [ चौकते हुए | ]
दीनू – ये ये सब उसी का काम है ये सब उसी ने किया है|
सीन.न.31[a]
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – रत्ना ह्सपितल के बाहर
[रत्ना हास्पिटल के बाहर रूबी ,अतुल और दीनू टैक्सी से आते है | टैक्सी वाले को भाडा देकर हास्पिटल के अंदर आते है |
सीन.न.31[b]
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – रत्ना ह्सपितल [ अनुज के कमरे में ]
[ सभी अनुज के कमरे में पहुँच चुके है | ]
रूबी – कैसा है अनुज ?ये सब कैसे होगया ? [ रोते हुए अनुज के पास जाकर सर पर हाथ रखते हुए \\ ]
दीनू – मुझे मालुम है ये ये सब उसी ने किया है ये उसी का काम है |
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महेश – ये क्या बोल रहे हैआप ?मुझे कुछ समझ में नहीं आरहा है |
दीनू – ये ये उसी बुरी आत्मा का काम है |
मेहश – बुरी आत्मा ..[ चौकते हुए ]
अतुल – फिर शुरू हो गए आप .काका ....|
[ अचानक अनुज का शरीर एक दम से काँपने लगता है | ये सब देखकर सभी घबरा जाते है | ]
रूबी – ये ये ये क्या हो रहा है ?अनुजको ,अनुज ,अनुज
अतुल – अरे ये ये क्या हो रहा है इसे ?
महेश – नर्स ,नर्स [ चिल्लाकर ]
[महेश की आवाज सुनकर एक नर्स जल्दी से अंदर आती है | ]
नर्स – क्या हुआ ?
महेश – नर्स, जल्दी से डॉक्टर को बुलाओ |
नर्स – अभी बुलाता हूँ [ नर्स अनुज की हालत देखर जल्दी से डॉक्टर को बुलाने जाती है | ]
[ जैसे से ही नर्स बाहर जाती है | अनुज का शरीर एक दम शांत हो जाता है | और फिर अचानक अनुज उठ कर बैठ जाता है |
अनुज – आ गया तू [ गर्दन उठाकर अतुल की तरफ देखते हुए,डरावनी आवाज में ] |
[ इस समय अनुज की आवाज एक दम से बदल चुकी थी और उसकी आखे भी एक दम से भयानक हो चूका था | जिसे देखकर सभी डर जाते है | क्योकि अनुज के शरीर में वो आत्मा प्रवेश कर चूका था ]
अतुल – क क क कौन हो तू तू तुम [ डर कर ]
आत्मा – मुझे भूल गया तू ,लेकिन मैं तुझे नहीं भुला हूँ | ये सब जो हो रहा है, ये सब मेरी वजह से हुआ है | तेरा भाई निर्दोष है, उसने कुछ भी नहीं किया है |जो कुछ भी हुआ वो सब मैंने कियाहै | अब तू ये जानने के बाद अपने भाई को बचाने के लिए तडपेगा ,औरऔर तुझे तडपता देख मझे बहुत मजा आएगा हा हाहा हा हा ... [ और फिर भयानक हँसी हसते हुए वो
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आत्मा अनुज के शरीर से निकल जाता है \\ और अनुज बिस्तर पर फिर बेहोश हो जाता है || अनुज जैसे ही बिस्तर पर बेहोश होता है ठीक वैसे ही डॉक्टर और नर्स अंदर आते है | ]
[ सभी ये जानकर एक दम से शाक्ड है | ]
डॉक्टर – ये तो बिलकुल ठीक है| [ अनुज को चेक करके ] .... घबराने की कोई बात नहीं ,ये दो दिन में बिलकुल ठीक हो जायेगा | ठीक है [ फिर डॉक्टर और नर्स कमरे में से निकल जाते है |
सीन.न.32
इफेक्ट – शाम का समय
लोकेशन – महेश का घर
[ रूबी को हस्पताल में छोड़कर महेश अपने कार से अतुल और दीनू को अपने घर लाता है और वहाँ पर तीनों उस आत्मा के बारे में बाते करते है |
अतुल – ये सब क्या हो रहा है ?आखिर ये आत्मा है कौन ?और वो ये सब क्यों कर रहा है ?[ हैरान होकर पूछ रहा है |]
दीनू – इसका पता अब सिर्फ एक ही आदमी लगा सकता है |
महेश – कौन ?
दीनू - शंकर ,अब शंकर ही इस मुसीबत से हमें निकाल सकता है|
सीन.न.33[a]
इफेक्ट – शाम का समय
लोकेशन – शंकर के घर के बाहर
[ एक कार शंकर के घर के बाहर रुकती है | कार से अतुल ,महेश और दीनू बाहर निकलते है | घर की तरफ जाते है |घर के दरवाजे कि घंटी बजाते है | तो अंदर से शंकर दरवाजा खोलता है|
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शंकर –अरे दिनु तुम
सीन.न.33[b]
इफेक्ट – शाम का समय
लोकेशन – शंकर के घर के अंदर
[ सभी शंकर के घर में सोफे बैठ हुए है |
शंकर – और बता दीनू कैसे आना हुआ |
दीनू – मैं एक जरुरी काम से आया हूँ |
[कि तभी शंकर का नौकर [पारस ]चाय लेकर आता है |और सभी को चाय देकर चला जाता है | सभी चाय पीते हुए बाते करते है | ]
शंकर – हाँ ऐसे तो तू मुझसे मिलने नहीं आ सकता है ? खैर छोड़ ,बता क्या बात है ?
[ फिर दिनु ,अतुल और महेश मिलकर सारी बाते विस्तार पूर्वक शंकर को बताते है | ]
शंकर – देख दिनु ,वैसे तो मैंने ये सारे काम कारना छोड़ दिया है | [कुर्सी से खड़ा होकर ]
दिनु – इसका मतलब तू हमारी मदद नहीं करेगा | [ कुर्सी से खड़े होकर ]
शंकर –नहीं ,
अतुल – अंकल ऐसा मत बोलिए | [हाथ जोड़कर ]
दिनु – हाँ शंकर हम बहुत उम्मीद लेकर तुम्हारे पास आये है | इस मुसीबत से तुम ही हमें निकाल सकते हो |
शंकर – देख दिनु , शादी होने के बाद मैंने अपने पत्नी से वादा किया था कि मैं शादी के बाद ये सारे काम छोड़ दूँगा |..नहीं ,मैं अपना वादा नहीं तोड़ सकता हूँ |
अतुल – ऐसा मत बोलिएये अंकल ,मेरा भाई बेकसूर है | प्लीज उसे बचा लीजिए अंकल [ हाथ जोड़कर विनती करते हुए | ]
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शंकर – सारी बेटा मुझे माफ कर दो मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकता |
दिनु – वाह शंकर वाह, एक मासूम की जिंदगी से बढ़कर तुम्हारा वादा है | ठीक है मेरे दोस्त मैं चलता हूँ | [ नम आखो से | ]
महेश – प्लीज अंकल ऐसा मत करिये | मैं आपके आगे हाथ जोड़कर बोल रहा हूँ | [ विनती करते हुए | ]
दिनु – नहीं महेश ,इसके आगे हाथ जोड़ने की जरुरुत नहीं है | आज इसे किसी मासूम की जिंदगी से ज्यादा अपना वादा प्यारा है | मैं तो अपना पुराना दोस्त समझकर आया था जो बिना सोचे समझे किसी कि भी मदद करने के लिए तैयार हो जाता था |चलो यहाँ से चलो ,[ गुस्से में ]
[ फिर सभी मायुश होकर जाने लगते है | कि तभी शंकर पीछे से बोलता है ]
शंकर – रुको .. मैं तैयार हूँ |
[ सभी आवाज सुनकर पलटते है | ]
दिनु –क्या ? सच में हमारी मदद करोगे | [ चौक कर खुश होते हुए | ]
[ ये बात सुनकर सभी के चेहरे पर खुसी लौट आती है | ]
शंकर – हाँ , लेकिन एक बात तू तो मेरे बारे में जनता है | कि मैं हमेशा सच का साथ देता हूँ |
दिनु – मुझे पता है ,अगर हम गलत हुए तुम हमारी मदद मत करना |
शंकर – तो फिर ठीक है | कल इसी समय अपने भाई को लेकर यहाँ आ जाना |
महेश – ठीक है |
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सीन.न.34
इफेक्ट – रात का समय
लोकेशन – रत्ना ह्सपितल [ अनुज के कमरे में ]
[ अतुल,और महेश कमरे के अंदर आते है | ]
अनुज – भईया ,भईया आप आगये भईया |
अतुल – कैसा है मेरा भाई ? [पास जाकर ]
अनुज -ठीक हूँ भईया
अतुल – अनुज ,मुझे माफ कर दे मेरे भाई | [ रोते हुए हाथ पकडकर ]
अनुज – नहीं भईया नहीं, ये क्या कर रहे है आप? [ रोते हुए ]
[ बगल में खड़ी रूबी भी रोने लगती है | ]
अतुल – तू इतनी बड़ी मुसीबत में था और मैंने तेरे पर विश्वास नहीं किया | ..लेकिन अब मुझे सब कुछ पता चल गया है | अब तू डरना मत मेरे भाई | सब ठीक हो जायेगा |
महेश – हाँ अनुज हमें सब कुछ पता चल गया है | कि ये सब उस बुरी आत्मा ने किया है | हम सब मिलाकर उस बुरी आत्मा का सामना करगे | [ नम आखो से ]
रूबी – आप लोग किसी के पास गए थे |क्या हुआ ?क्या कहा उन्होंने ?
अतुल – वो हमारी मदद के लिए तैयार हो गए है |
सीन.न.35
इफेक्ट – शाम का समय
लोकेशन – शंकर के घर के अंदर
| शंकर कमरे के अंदर उस बुरी आत्मा से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर के रखा था |]
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[ अनुज को लेकर अतुल, महेश और दीनू, शंकर के घर के अंदर पहुँच चुके है | | ]
पारस – आईये अंदर आईये |
[ सभी अंदर आते है | ]
[और शंकर इशारा करके पारस को जाने के लिए कहता है | ]
शंकर – अपने भाई को भेजो और तुम सभी उस तरफ जाके बैठ जाओ |
[ अनुज घबराते हुए अपने भाई की तरफ देखता है | ]
अतुल – घबराना मत मेरे भाई ,सब ठीक हो जायेगा |
मेहश –हाँ,हम सब तुम्हारे साथ है |
दीनू – जाओ बेटा |
[ सभी अनुज को दिलाशा देते हुए भेजते है | फीर अनुज शंकर के पास जाता है |इधर महेश,दीनू और अतुल एक तरफ बैठ जाते है ताकि वह आत्मा इन्हे न देख सके | ]
शंकर – इस स्वास्तिक के निशान पर लेट जाओ |
[ घेरे के अंदर स्वास्तिक के निशान पर अनुज जाके लेट जाता है | अनुज के लेटने के बाद शंकर आखे बंद करके मन्त्र पढता है | मन्त्र पढ़ने के बाद शंकर अनुज एक चीज सुघांता है जिसे अनुज सूंघ कर बेहोश जाता है |फिर शंकर मन्त्र पढता है मन्त्र पढ़ने के बाद शंकर पास में जलते हुए आग के बर्तन में एक धुल जैसा पदार्थ फेकता है तो उस पदार्थ के कारण पुर कमरे में धुआं धुआं हो जाता है | जब धुआं धीरे धीरे खत्म होता है |तो सभी अनुज को देखकर डर जाते है | क्योकि वो आत्मा अनुज के शरीर में आ चूका था |उस समय अनुज की आखे एकदम से भयानक हो गया था |इसके अलावा अनुज का शरीर थोडा थोडा हिल भी रहा था | आत्मा को जबरदस्ती बुलाने के कारण वो एक दम गुस्से में था | ]
आत्मा – मुझे यहाँ किसने बुलाया ....? | [गुस्से में हिलते हुए बोलता है \\ ]
शंकर –मैंने तुझे यहाँ बुलाया है |
[ इधर ये तीनों उस आत्मा को देखकर घबरा रहे है | ]
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आत्मा – क्यों बुलाया मुझे यहाँ ?
शंकर – कौन है तू ? और ये सब क्यों कर रहा है ?
आत्मा – ये बुढ्ढे मेरे रास्ते से हट जा, वर्ना मैं तुझे भी नहीं छोडूंगा |
शंकर – जो मैं पूछ रहा हूँ वो बता , नहीं तो मैं तेरे कंकाल का पता लगाकर उसे जला दूँगा और तू अपना बदला नहीं ले पायेगा |
आत्मा –नहीं ,नहीं तू ऐसा कुछ भी नहीं करेगा| [ गुस्से में तडपते हुए | ]
शंकर – तो फिर बता कौन है तू ?और क्यों कर रहा है ये सब ? [ कडक आवाज में ]
आत्मा – पहले बताओ |की मेरे बारे में जानने के बाद तुम मेरे बीच में नहीं आओगे |
शंकर – अगर तू सच्चा होगा तो मैं तेरे रास्ते से हट जाऊंगा | ये मेरा वादा है |
आत्मा – बताता हूँ बताता हूँ ,मेरे नाम सुरेश है आज से करीब दस साल पहले की बात है | वाराणसी से 30 किलोमीटर दूर एक सूरजपुर गावं है |
सीन.न.36
इफेक्ट – रात के आठ बजे
लोकेशन – सुरेश का घर
[ सुरेश घर में उसकी पत्नी और उसका एक छोटा भाई है |जिसकी उम्र लगभग 14साल कि है | ]
[ रात का समय है | सुरेश और सुनील ,खाना खाने के लिए नीचे जमींन पर बैठे हुए है और खाने का इंतजार कर रहे है | ]
सुरेश – अरे शीला जल्दी खाना लाओ ,बहुत तेज की भूख लगी है |
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शीला – बस दो मिनट, अभी ला रही हूँ |[ रसोई घर में से बोलती है | ]
सुरेश – क्या बात है सुनील ?ऐसे मुहं लटका के क्यों बैठे हो ?
[ सुनील मुहं लटका के बैठा हुआ है ]
सुनील – मुझे भी रोहन की तरह शहर जा के पढना है |
सुरेश – अरे बस इतनी सी बात के लिए मुहं लटका के बैठे हो |अरे तुम्हे भी शहर भेज देगे पढने के लिए |
[ तभी शीला दोनों का खाना परोश कर लाती है | ]
शीला – ये लीजिए आप लोग का गरमा गरम खाना | [ खाने की थाली दोनों के सामने रखते हुए | ]
सुरेश – और तुम्हारी थाली ?
शीला – रसोई घर में है | बाबा , दो हाथ से दो ही थाली लाऊंगी न ,आप लोग खाना खाना शुरू करिये |मैं अपनी थाली लेके आ रही हूँ | [ कहकर किचन में चली जाती है | ]
सुरेश – सुनील खाना खाओ
सुनील – नहीं मुझ नहीं खाना |[ गुस्से में ]
सुरेश –अरे खाना क्यों नहीं खाना ?
[ तभी शीला अपने खाना की थाली लेकर आती है और बैठते हुए बोलती है | ]
शीला – क्या होगया मेरे प्यारे देवर जी को ? खाना क्यों नहीं खा रहे है ?
सुनील – नहीं, जब तक आप बतायेगे नहीं, तब तक मैं खाना नहीं खाऊंगा |
सुरेश – पहले खाना खालो फिर सुबह बात करते है |
सुनील – नहीं ,मुझे नहीं खाना [ थाली को एक तरफ हटाकर गुस्से में वहाँ से उठकर आँगन में जाकर बैठ जाता है |
सुरेश – सुनील सुनील
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शीला – आप रुकिए मैं उसे मैं मनाती हूँ [ शीला, सुरेश को रोकते हुए |]
[ फिर शीला प्यारा सा गीत गाकर सुनील को मनाती है | ]
सीन.न.37[a]
इफेक्ट – सुबह का समय
लोकेशन – शमशेर सिंह की हवेली
[ शमशेर सिंह सूरजपुर गावं का प्रधान है |वह बहुत अमीर और प्रतिष्ठित आदमी है | शमशेर सिंह के दो बेटे और एक बेटी है | रमेश उनका बड़ा बेटा है | रमेश काफी गुसैला आदमी है | छोटा बेटा रोहन है जो अपने मामा के साथ शहर में पढता है | और शमशेर सिंह की बेटी गीता जिसकी उम्र 21 साल है | सुबह का समय है ,शमशेर सिंह कुर्सी बैठे हुए है | और चाय पी रहे है | तभी रमेश तैयार होकर आता है | ]
रमेश – प्रणाम बाबूजी [ पैर छूता है और डाइनिग टेबल पर बैठता है |
शमशेर – जीते रहो
[ उसी वक्त गीता भी आ जाती है | ]
गीता – अरे भईया ,आज इतनी जल्दी कैसे जग गए ? कही जा रहे हो क्या ? [ कुर्सी पर बैठते हुए ]
रमेश - पहले चाय नास्ता तो लेके आ
गीता – निमर्ला चाची |
निर्मला – हाँ हाँ आरही हूँ ..... हाँ बिटिया बोलो [ आवाज सुनकर आती है | ]
गीता – मेरे भईया जी सुबह सुबह कही जाने वाले है तो उनके लिए चाय नास्ता लेके जल्दी आईये | [ मजाक भरे लहजे में ]
निर्मला – अभी लाती हूँ | [जाने के लिए पलटती है ]
रमेश – रुकिए चाची , तू नहीं बना सकती है अपने भईया के लिए चाय नास्ता
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[ निर्मला रुक जाती है |
गीता – क्यों नहीं भईया | ?
निर्मला – अरे बेटा क्यों परेशान कर रहे हो बिटिया को ? सब कुछ बन के तैयार है | मैं अभी लाती हूँ |
[ कहकर चली जाती है | ]
गीता –अरे भईया बताया नहीं कहाँ जा रहे हो ?
[ तभी सुरेश घर के अंदर आता है | ]
सुरेश – प्रणाम बाबूजी |
शमशेर – जीते रहो ,
[सुरेश भी कुर्सी पर आकर बैठता है | ]
गीता – आप भी आ गए सुरेश भईया आप लोगो को कहीं जाना है क्या है ?
सुरेश – क्यों रमेश ने तुमको नहीं बताया कि हम लोग कहाँ जा रहे है |? [कुर्सी पर बैठते हुए ]
[ निर्मला चाय नास्ता लेकर आती है और सब को देकर चली जाती है | ]
गीता – नहीं
सुरेश –शहर जा रहे है |नया ट्रक्टर खरीदने के लिए | [ चाय पीते हुए ]
गीता – तब तो भईया मेरे लिए भी कुछ लेते आईएगा [ खुश होते हुए | ]
सुरेश – हाँ हाँ बोलो गीता बहन क्या चाहिए ?
गीता – पायल लेते आईएगा |
रमेश –ठीक है लेते आयेगे ,.... पिताजी पैसे दीजिए [ पिताजी की पास जाकर ]
[ गीता रमेश कि बात सुनकर खुश हो जाती है | ]
शमशेर – बंशी को बुलाओ |
53
रमेश – बंशी को
शमशेर – अरे पहले बुला तो सही |
रमेश – बुलाता हूँ |.. बंशी ,बंशी [ बंशी को आवाज लगाता है ]
[ बंशी दौडकर आता है | ]
बंशी – जी भईया |
रमेश – देख बाबु जी बुला रहे है |
बंशी – जीबाबूजी \\ [ शमशेर के पास जाते हुए ]
शमशेर – बंशी अनाज के कितने पैसे हुए |
बंशी – जी बाबूजी वो ..दस लाख ..दो हजार ..पचास रुपये |
शमशेर – गिरधर आज ही पैसे देने के लिए बोला था न |
बंशी –जी बाबूजी |
[शमशेर के बोलने से पहले ही रमेश बोल देगा | ]
रमेश – ठीक है बाबूजी ,मैं गिरधर से पैसे लेकर चला जाऊंगा |.. चल बंशी हमें बस स्टेशन तक छोड़ दे |
[ फिर घर से बाहर जाते हुए बाते करते है |]
बंशी – कही जा रहे है क्या भईया ?
सुरेश – हाँ नया ट्रक्टर खरीदने जा रहे है |
रमेश – अब चल जल्दी हमें छोड़ नहीं तो बस छूट जायेगा ||
[ फिर सभी घर के बाहर निकलते है और जीप में बैठकर निकल जाते ही | जीप सुरेश चला रहा है ,और बगल में रमेश बैठा है|और पीछे बंशी बैठा हुआ है | | ]
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सीन.न.38[a]
इफेक्ट – सुबह का समय
लोकेशन – गिरधर के घर के बाहर
[ सुरेश गिरधर के घर के सामने जीप रोकता है | ]
रमेश – तू यही रुक, मैं पैसे लेकर आ रहा हूँ | [ जीप से उतरते हुए ]
सुरेश – जल्दी आना
[ फिर रमेश गाड़ी से उतरकर सीधे गिरधर के घर में जाता है | ]
रमेश – प्रणाम गिरधर काका |
गिरधर – अरे रमेश बाबु आप इतनी सुबह सुबह .. आईये आईये बैठिये ,कैसे आना हुआ ?
[ जब रमेश घर के अंदर आता है उस वक्त गिरधर कुर्सी पर बैठकर चाय पी रह था | और रमेश को देखकर कुर्सी से खड़ा हो जाता है |
रमेश –वो काका ..
गिरधर – अरे कमला कि माँ, रमेश बाबु आये है जरा इनके लिए चाय वाय तो लाओ | [ रमेश की पूरी बात सुने बैगर ही अपनी पत्नी को आवाज देने लगता है | ]
रमेश – अरे काका चाय की जरुरत नहीं है मुझे शहर जाने के लिए बस पकडना है |
गिरधर – अच्छा कमाल की माँ चाय रहने दो |[ हंसते हुए ] तो शहर जा रहे है रमेश बाबु, कोई काम है क्या ?
रमेश – हाँ, नया ट्रक्टर खरीदना है |इसीलिए मैं वो अनाज के पैसे लेने आया हूँ |
गिरधर – हाँ हाँ वो पुरे पैसे मैं अभी आपके घर पहुँचाने वाला था | रुकिए मैं अभी पैसे लेकर आ रहा हूँ |
[ फिर गिरधर अलामारी से पुरे पैसे लाला कपडे में लपेट कर रमेश को लाकर देता है | ]
गिरधर – ये रहे आपके पुरे पैसे दस लाख दो हजार पचास रूपये गीन लीजिए | [ पैसे देते हुए ]
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रमेश – गिनने की कोई जरुरत नहीं ,मैं चलता हूँ नमस्ते [ पैसा लेकर घर से बाहर निकलता है |]
गिरधर – नमस्ते |
सीन.न.38[b]
इफेक्ट – सुबह का समय
लोकेशन – गिरधर के घर के बाहर
[ रमेश गिरधर से पैसे लेकर आता है |]
रमेश – बंशी ये बाकी के पैसे ले जाकर बाबूजी को दे देना [ बंशी को पैसे निकाल कर देते हुए |]
बंशी –ठीक है भईया | [पैसे लेते हुए ]
सुरेश –जल्दी बैठ बस के जाने का समय हो गया है |
रमेश – हाँ बैठ रहा हूँ | [ जीप में बैठता है ]......हाँ चल |
[ फिर सुरेश जीप लेकर बस स्टेशन की तरफ निकल जाता है | ]
सीन.न.39
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – हवेली के अंदर
[ बंशी ,रमेश और सुरेश को बस स्टेशन पर छोडकर ,पैसे लेकर हवेली के अंदर आता है | ]
बंशी – बाबूजी ,बाबूजी, बाबूजी [जवाब न मिलाने पर अपने आप से कहता है | ] ..लगता है बाबूजी अपने कमरे में होगे | [ फिर बंशी शमशेर के कमरे में जाता है | तो शमशेर सिंह वहाँ
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भी नहीं मिलते है | ] यहाँ भी नहीं अब क्या करू ....[ अपने से कहते हुए | ] ..हाँ ,पैसे गीता को दे देता हूँ |
[ फिर बंशी गीता के कमरे की तरफ जाता है | कि तभी उसे बाथरूम से गीता के गुनगुनाने की आवाज आता है | गीता बाथरूम में नहा रही थी | बंशी गीता की आवाज सुनकर बाथरूम के पास जाकर रुक जाता है |और अगल बगल देखते हुए | बंशी बाथरूम के खिडकी से गीता को नहाते हुए अपनी हवास बहती नजरो सेदेखने लगता है | गीता नहाकर अपने कमरे में जाती है |तो बंशी भी गीता के कमरे की तरफ जाता है | गीता बेखबर होकर बिना दरवाजा बंद किये अपने कमरे में जब कपडे बदलती रहती है तो बंशी कमरे में झांकर गीता को कपडे पहनते हुए भी देखता रहता है कि तभी बंशी से दरवाजे के पास रखा एक मूर्ति नीचे गिर जाता है | |मूर्ति के गीरते ही बंशी घबरा जाता है | लेकिन जैसे मूर्ति के गिरने की आवाज गीता सुनती है तो दरवाजे की तरफ अपने कपडे पहन कर जल्दी से आती है |
गीता – कौन है ? ,कौन है वहाँ [ बोलते हुए दरवाजे के पास आती है |]
बंशी – मैं मैं हूँ, बंशी [ घबराते हुए मूर्ति को रखते हुए | ]
गीता –तुम ,तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? [हैरान होकर ]
बंशी –वो वो बाबूजी को पैसे देने आये था |.. लेकिन बाबूजी घर पर नहीं है तो सोचा कि पैसे आपको दे दू | [ हल्का सा घबरा कर ]
गीता –अच्छा ,ठीक है लाओ पैसे | [ हाथ बढ़ाकर पैसे मांगती है | ]
बंशी – ये लीजिए | [ जब बंशी गीता को पैसे पकडाता है तो गीता हाथ बंशी के हाथ को छू जाता है | जिससे बंशी को बहुत अच्छा लगता है | | ..अच्छा मैं अब चलता हूँ बाबूजी को बता दीजियेगा |
गीता – हाँ हाँ बता दूंगी |
[ बंशी वहाँ से चला जाता है | और गीता भी अपने कमरे में पैसा लेकर आ जाती है | ]
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सीन.न.40
इफेक्ट- रात के आठ बजे
लोकेशन – बंशी के घर के अंदर
[बंशी और उसके दो चम्मचे जैसे साथी हरी और मनोहर साथ में बैठकर शराब पी रहे है | ]
मनोहर – क्या बात है बंशी भईया ?आज दारू का नशा तुम्हे नहीं हो रहा है | [ दारू पीते हुए]
हरी – हाँ भईया ,पहले तो तुम्हे दूसरी बोतल पीते ही नशा हो जाता था |लेकिन आज चार बोतल पी गए लेकिन तुम्हे थोडा भी नशा नहीं हुआ ,क्या बात है ?
बंशी –साला ,जब से उस गीता के गोरे बदन को देखा है |तब से मन बेचैन हो गया उसे पाने के लिए ,और उसके नशा के आगे साला ये दारू एक दम से बेकार लग रहा है | [ गिलाश मेज पर रखते हुए | ]
हरी – भईया, उसी गीता की बात कर रहे हो न, जो रमेश की बहन है |[ दारू पीते हुए ]
बंशी – तो तुझे क्या लगा ? मैं उस पगली गीता की बात कर रहा हूँ |
मनोहर – बंशी भईया ,अगर उस रमेश को पता चल गया न ,तो साला जान से मार देगा |
हरी – छोडो भईया उसके बारे में , वो नहीं मिलने वाली ,इस दारू को ही पीकर नशा करो [ नशे में होकर ]
बंशी – उसे तो मैं पाकर ही रहूँगा | [मन ही मन सोचता है | ]
मनोहर – बोतल खत्म हो गया है | जा जाके दूसरी लेके आ |
हरी – अभी लाता हूँ | [ फिर हरी उठाकर लडखडाते हुए अंदर जाता है | ]
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सीन.न.41
इफेक्ट – सुबह का समय
लोकेशन – शमशेर सिंह के घर के बाहर
[ रमेश और सुरेश नया ट्रैक्टर घर लेके आ गए है | ]
शमशेर – अरे वाह कितना शानदार ट्रैक्टर है |
रमेश – हाँ बाबूजी ,पहले वाले से काफी बढ़िया है |
सुरेश – हाँ बाबूजी, ये तीन सिलेंडर वाला ट्रैक्टर है | और इससे खेत की अच्छी जुताई भी होगी |
शमशेर – ले बंशी तुझे भी उस खटारे ट्रैक्टर से छुटकारा मिल गया |
बंशी – जी बाबूजी ,बहुत ही अच्छा ट्रैक्टर है |
[ तभी गीता और निर्मला थाली में पूजा का सामान लेके आती है | ]
गीता – चलिए सभी लोग हट जाईये , बिना पूजा किये कोई भी इसे नहीं चलाएगा |
रमेश – अच्छे से पूजा करना ताकि अच्छे से ये काम करे|
गीता – हाँ हाँ कर रही हूँ | [फिर गीता ट्रैक्टर पर स्वास्तिक का निशान बनाती है और दीप जलाकर ट्रैक्टर की आरती उतारती है |
रमेश – हो गया न पूजा |
गीता – अभी नहीं | ...चाची वो नारियल दीजिए | [ निर्मला नारियल देती है ]... इसे कौन फोड़ेगा ?
सुरेश – मैं फोड देता हूँ |
[ फिर सुरेश नारियल फोड देता है | ]
शमशेर – चल बंशी अब बैठ जा और इस ट्रैक्टर का शुभारम्भ कर |
गीता – एक मिनट
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रमेश – अब क्या बाकि है ?
गीता – अरे भईया ,शुभारंभ करने से पहले ट्रैक्टर के आगे नीबू मिर्च टांगाजाता है | फिर उसके बाद चक्के के नीचे नीबू रखा जाता है | ताकि सारे काम अच्छे से हो | समझे आप
रमेश – समझ गया मेरी बहन ,अब जल्दी कर [हँसते हुए | ]
गीता – चाची दूसरी थाली दीजिए |
[ निर्मला थाली देता है | फिर गीता ट्रैक्टर के आगे नीबू मिर्च टांगती है | फिर नीबू चक्के के नीचे रख देती है]
रमेश – अब हो गया न |
गीता – हाँ, अब होगया ,अब इसको चला सकते है |
शमशेर – चल बंशी ,अब इसका शुभारंभ कर | [
[ फिर बंशी ट्रैक्टर चला कर ट्रैक्टर का शुभारम्भ करता है ]
सीन.न.42
इफेक्ट – शाम का समय
लोकेशन – सुरेश का घर
[ सुरेश घर से बाजार के लिए निकलता है | ]
सुरेश – शीला मैं बाजार जा रहा हूँ | कुछ लाना है तो बता दो |
शीला – हाँ हाँ आ रही हूँ [कीचन से बाहर आती है | ] ..दो किलो आलू ,एक पाव मिर्च और ..आधा किलो टमाटर ले लेना |
सुरेश – और कुछ
शीला – नहीं
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सुनील –भईया ,मुझे एक कापी और पेंसिल लेते आईएगा | [ पास में जमींन पर चटाई बिछाकर पढते हुए कहता है | ]
सुरेश – ठीक है लेते आऊंगा ,अच्छा मैं चलता हूँ
[ जैसे ही सुरेश घर के बाहर जाता है तो शीला को होश आता है कि चावल भी खरीद कर लाना है तो वह तुरंत घर से बाहर जाती है और सुरेश को आवाज लगाती है | ]
शीला – अजी सुनिए |
सुरेश – हाँ बोलो | [ साईकिल पर बैठे हुए बोलता है | ]
शीला – चावल खत्म हो गया है |पाँच किलो चावल भी ले लीजियेगा |
सुरेश – ठीक है | [ फिर सुरेश साईकिल से बाजार की तरफ निकल जाता है |
सीन.न.43
इफेक्ट – शाम का समय
लोकेशन –गिरधर सेठ के दूकान पर
[ गिरधर सेठ के दूकान पर बंशी आता है | और गिरधर से बाते करना शुरू कर देता है | ]
बंशी – और गिरधर सेठ क्या हाल है ? [ गिरधर के दुकान में रखा नमकीन निकाल कर खाते हुए | ]
गिरधर – सब ठीक है भाई ,अपना बताओ [ मुस्कुराते हुए | ]
बंशी – बताओ नहीं, पैसा लाओ |
गिरधर – कैसा पैसा भाई ?
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बंशी – कैसा पैसा?, बताऊ कैसा पैसा? बताऊ,[ नमकीन खाना छोडकर गुस्से में गिरधर का कालर पकडकर | ]
गिरधर –अरे बाबा मैं तो मजाक कर रह हूँ , तुम तो नाराज हो गए भाई [ मुसकुरते हुए अपना कालर छुडाते हुए]
बंशी – तो मैं भी मजाक कर रहा था ,अब जल्दी से पैसे लाओ |
गिरधर – दे रहा ....ये लो बीस हजार रुपये | [ पैसा निकाल कर देते हुए | ]
[उसी दौरान सुरेश भी गिरधर के दुकान के पास सब्जी लेकर पहुंचता है | और अपनी साईकिल खड़ा करता है ]
बंशी – बस बीस हजार रुपये ,लेकिन अनाज तो तीस हजार का हुआ था ,बाकी के दस हजार |
गिरधर – अरे बंशी बाबु, चोरी किये हुए अनाज में से मेरा भी तो कुछ हक बनाता है | अगर रमेश बाबू को इसके बारे में पता चल गया न ..तो तुम जानते ही हो कि फिर क्या होगा ?समझे
[ ये सारी बात सुनकर सुरेश चौक जाता है | और दुकान से कुछ दुरी पर हट जाता है ताकि बंशी उसे देख न सके ]
बंशी – ठीक है ठीक है , चलता हूँ | [ पैसे लेकर बंशी दुकान से निकल जाता है | ]
[ इधर गिरधर अपना काम करने लगता है | ]
गिरधर – अरे करिया तीन किलो दाल तौल के रख दे ,
करिया – जी मालिक
[ सुरेश दुकान के अंदर आता है | ]
सुरेश – राम राम गिरधर काका, कैसे हो ?[ दुकान में आकर ]
गिरधर – राम –राम सुरेश बाबु ,बताईये कैसे आना हुआ ?
सुरेश – बस चावल पक गया है उसे उतारना बाकि है |
गिरधर – मैं कुछ समझा नहीं ?
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सुरेश – अरे कुछ नहीं ,पाँच किलो चावल तौल दीजिए | [हँसते हुए ]
गिरधर – अरे करिया जल्दी से सुरेश बाबू के लिए पाँच किलो चावल तौल दे |
करिया – जी मालिक [ फिर चावल तौलने लगता है ]
गिरधर – और क्या चाहिए ?
सुरेश – और ..तो कुछ .भी नहीं चाहिए | बस चावल ही लेना था |
[करिया चावल तौल कर लाता है | ]
गिरधर – ये रहा आपका पाँच किलो चावल |
सुरेश – अच्छा ,तो मैं चलता हूँ | [चावल उठाकर जाने के लिए पलटता है | ]
गिरधर – अरे बाबा ,पैसे नहीं दोगे क्या ?
सुरेश – अरे माफ करना [ पलटकर ],..ये लीजिए पैसे | [ पाकेट से पैसे निकाल कर देता है फिर चावल लेकर निकल जाता है | ]
सीन.न.44
इफेक्ट – सुबह का समय
लोकेशन – शमशेर सिंह के हवेली के बाहर
[ शमशेर सिंह से मिलने एक आदमी आया हुआ है और वह उनसे बाते कर रहा है | ]
आदमी – अच्छा बाबु जी मैं चलता हूँ , शादी में आना मत भूलिएगा | [ कुर्सी से खड़ा होकर ]
शमशेर – अरे ऐसे कैसे भूल जाऊंगा ,मैं जरूरू आऊंगा |
आदमी – ठीक है बाबू जी मैं चलता हूँ| प्रणाम [ पैर छूकर ]
शमशेर – जीते रहो |
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[ पैर छूकर वह आदमी वहाँ से चला जाता है |उस आदमी के जाने बाद शमशेर सिंह समाचर पत्र उठाकर पढ़ने लगते है | शमशेर सिंह समाचर पढते रहते है की तभी रमेश बंशी को मारते हुए लाता है |साथ में सुरेश भी रहता है | लेकिन वो बंशी को नहीं मार रहा था | ]
बंशी – गलती हो गयी रमेश भईया मुझे माफ कर दो ,मुझे माफ कर दो | [ रोते हुए हाथ जोड़कर ]
रमेश –माफ कर दू ,तुझ जैसे नमक हराम को तो जिन्दा गाड़ देना चाहिए |
[ बंशी शमशेर सिंह को जब देखता है तो उनके पैरों में गिर जाता है | ]
बंशी – बाबूजी बाबूजी मुझे बचालो बाबूजी | [ पैरों में गिर कर ]
शमशेर – अरे क्या हुआ है ? क्यों मार रहा है इसे ?[ चौकर रमेश को रोकते है ]
रमेश – मैं इसे जिदा नहीं छोडूंगा | [लात से मारते हुए | ]
शमशेर – रुक जाओ, मैंने कहा रुक जा रमेश , बात क्या है ? क्यों मार रहा इसे ? | [ कड़क होकर बोलते है फिर बंशी को पकडकर उठाते है | ] .
[ शोर शराबा सुनकर गीता और निर्मला भी बाहर आ जाते है | ]
रमेश – बता साले, क्या किया है तुने ?
शमशेर – बोल बंशी क्या किया है तुने ,?
बंशी –ब ब बाबूजी वो वो मैं मैंने ..
रमेश – चुपकर नमक हराम , मैं बताता हूँ बाबूजी, इसने क्या किया है ? इसने गिरधर सेठ के पास तीस हजार का अनाज चुराकर बेचा है |
शमशेर – तुम्हे कैसे पता ?
रमेश – मुझे सुरेश ने बताया |
शमशेर – सुरेश क्या ये सच बात है ?
सुरेश – हाँ बाबूजी ये सच बात है | इसने अनाज चुराकर गिरधर सेठ के पास बेचा है |
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शमशेर – बोल बंशी क्या ये सच बोल रहे है ?
बंशी –जी जी बा बा बाबूजी ,मुझसे गलती हो गयी बाबूजी ,आगे आगे से कभी ऐसा नहीं करूँगा बाबूजी | मुझे माफ करदो बाबूजी ,मुझे माफ कर दो | [ पैर में गिर कर ]
रमेश – माफ कर दे ,नहीं ,अब तू इस घर में नहीं रहेगा [ बंशी की तरफ बढते हुए | ]
शमशेर – रुक जा रमेश , बहुत हो गया, इसे माफ कर दो |
रमेश – क्या बात कर रहे है बाबूजी ?
शमशेर – जब इसने अपनी गलती मान लिया है तो इसे माफ कर देना चाहिए |.. बोल बंशी आगे से ऐसी गलती दोबारा होगा |
बंशी – नहीं बाबूजी ,नहीं ,ऐसी गलती कभी नहीं करूँगा बाबूजी ,कभी नहीं | [हाथ जोडकर रोते हुए | ]
शमशेर – ये ले पैसे जा जाके हस्पताल में मरहम पट्टी करा ले [ जेब से पैसे निकाल कर देते हुए | ]
बंशी – जी बाबूजी ... [ पैसा लेता है | ]
[ फिर बंशी पैसा लेकर सुरेश को घूरते हुए वहाँ से चला जाता है | इधर रमेश भी गुस्से में वहाँ से घर में चला जाता है | ]
सीन.न.45
इफेक्ट – रात का समय
लोकेशन – बंशी के घर के अंदर
[ बंशी और उसके दो चम्मचे आपस में बैठकर इस घटना के बारे में बाते कर रहे है | ]
हरी – ये लो भईया इसे पी लो शरीर का सारा दर्द खत्म हो जायेगा |[ गिलास देते हुए ]
बंशी- ये क्या है बे ?
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हरी – हल्दी वाला दूध है | पीलो, ये जो मार मार कर चहरे को जले हुए पकौड़े की तरह बना दिया है ,वो ठीक हो जायेगा |
बंशी – अबे साले, मेरे शरीर का दर्द, मेरे दवा से ठीक होगा, जा जाके जल्दी से दारू की बोतल ला [ झल्लाते हुए]
हरी – अरे भईया ला रहा हूँ | [ फिर हल्दी वाला दूध खुद पीते हुए दारू लेने जाता है | ]
मनोहर – सच भईया बहुत बुरी तरह से मारा है साले ने , पूरा शकल ऐसा लग रहा है जैसे जली हुयी कड़ाही हो | [बंशी इस बात पर मनोहर को घूरता है ].. खैर छोडो भईया लेकिन ये सब हुआ कैसे ? रमेश को इसके बारे में पता कैसे चला ?
बंशी – साल उस सुरेश ने उसे ये सारी बात बताया |
[ तभी हरी दारू का बोतल लेके आ जाता है | ]
हरी – ये लो भईया दारू, इसे पीकर जल्दी से अपने शरीर का दर्द भगाओ | [ दारू की बोतल रखते हुए बैठता है]
बंशी – जल्दी से दारू गिलास में डाल |
मनोहर – जी भईया [ दारू गिलाश में डालते हुए ] हाँ भईया बताया नहीं सुरेश को ये सब कैसे पता चला ?
बंशी – पता नहीं ,मुझे नहीं मालूम |
[फिर मनोहर दारू का गिलाश बंशी को देता है | और दोनों भी दारू का गिलास लेते है | और पीते हुए बाते करते है | ]
हरी – भईया ,कहीं गिरधर सेठ ने तो नहीं न बताया |
मनोहर – अब ये सब बाते छोड , बंशी भईया, तो अब क्या करोगे ? बदला लोगे या फिर भूल जाओगे |
बंशी – साला भूल जाऊंगा ,कभी नहीं, इसका बदला मैं दोनों से चुकाऊंगा | [गुस्से में मनोहर का कालर पकडते हुए | ]
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मनोहर – अरे भईया लेकिन ये सब करोगे कैसे ? [कालर छुडाते हुए | ]
हरी – हाँ भईया ,आखिर बदला कैसे लोगे ?
बंशी – बदला तो दोनों से लूँगा | वो भी सूद समेत , मेरे पास एक योजना है |
हरी – कैसा योजना भईया?
[ फिर बंशी दोनों को अपने करीब बुलाकर सारी योजना बताता है | ]
मनोहर – बहुत बढ़िया योजना है भईया ,इसमे तो बहुत मजा आयेगा |
[ ये बात कहकर सभी हसने लगते है | ]
सीन.न.46
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – गिरधर के दूकान पर
[ बंशी गुस्से में गिरधर सेठ का कालर पकड कर उससे बाते कर रहा है | ]
बंशी – क्यों बे गिरधर सेठ? तुने ही ये सारी बात सुरेश को बताया है न [ गुस्से में कालर पकडकर ]
गिरधर –अरे क्या कर रहे हो ? छोडो मुझे, छोडो [ अपन कालर छुडा कर ] मैंने किसी से कुछ भी नहीं कहा |
बंशी – अगर तुने किसी से कुछ नहीं कहा तो फिर सुरेश को ये बात कैसे पता चला ?
गिरधर – उस दिन जब तू मेरे दुकान से पैसे लेकर गया ,तो तेरे जाने के तुरंत बाद भी सुरेश आया था ,मुझे तो लग रहा है कि उसने हमारी सारी बाते सुन लिया था | समझा
बंशी – समझ गया | [ गुस्से में ] ठीक है मैं चलता हूँ |
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सीन.न.47
इफेक्ट – दोपहर का समय
लोकेशन – सुनसान सडक पर
[ गीता सुनसान रास्ते से गुनगुनाते हुए घर जा रही थी कि तभी सामने बंशी आ जाता है | ]
गीता – हूँ हूँ हूँ हूँ [ [ गुनगुनाते हुए घर जा रही है | ] .... अरे तुम ,तुम यहाँ [ चौक कर ]
सीन.न.48
इफेक्ट – दोपहर का समय
लोकेशन – गावं से बाहर एक सुनसान खंडहर में
[ बंशी गीता को उठाकर उस खंडहर में लाता है | पहले से ही उसके दो चम्मचे मनोहर और हरी वहाँ पर मौजूद रहते है | फिर तीनों बरी बारी से गीता का रेप कर देते है | रेप के बाद गीता बेहोश हो चुकी थी |
बंशी – मजा मिल गया न अब ध्यान से सुनो ,जैसा बोला था ,तुम दोनों ठीक वैसा ही जाकर करो ,जाओ जल्दी जाओ .
मनोहर –जी भईया | [ फिर दोनों वहाँ से निकल जाते है | ]
बंशी – अब पता चलेगा , मुझसे पंगा लेने का नतीजा |
सीन.न.49
इफेक्ट – दोपहर का समय
लोकेशन – सडक पर
[ मनोहर सडक पर दौड़ते हुए जा रहा था कि तभी सामने से आ रहे सुरेश की साईकिल से मनोहर टकरा जाता है | ]
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सुरेश – अरे संभला के मनोहर ,कहाँ भगा जा रह है | [ साईकिल सँभालते हुए | ]
मनोहर – सुरेश भईया ,....अच्छा हुआ ..अ अ आप यही मिल गए | [ घबरा कर हांफते हुए बोलता है | ]
सुरेश – आराम से बोल भाई , क्या बात है ?
मनोहर – भईया ,वो वो गीता |
सुरेश – गीता ,क्या हुआ गीता को ? [ चौकते हुए ]
मनोहर –वो वो बंशी गीता को खंडहर की तरफ ले जा रहा था ,जल्दी चलिए भईया ,कहीं कोई अनर्थ न हो जाए | [ घबराने का नाटक करते हुए | ]
सुरेश – क्या ,?.. [ फिर सुरेश मनोहर को साईकिल पर बैठाकर खंडहर की तरफ चल देता है | ]
सीन.न.50
इफेक्ट – दोपहर का समय
लोकेशन – खेत में
[ खेत में कई लोग काम कर रहे थे | उसी खेत में चम्पा भी काम कर रही थी | हरी खेत में पहुंचता है ]
हरी – चंपा, चंपा [ धीरे से बोलता है | ]
चंपा – क्या है ?क्यों बुला रहे हो ?[ धीरे से बोलती है काम करते हुए | ]
हरी – अरे वाह भूल गयी , मिलने का वादा किया था |
चंपा – अरे मैं तो भूल ही गयी ?
हरी – तो फिर चल ,
चंपा – वहाँ ले जाकर कुछ करोगे तो नहीं न | [ शर्माते हुए | ]
हरी – अभी तक कुछ किया है ,नहीं न ,तो फिर जल्दी चल [ हाथ पकडकर ]
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चंपा –अरे आराम से चल कोई देख न ले [ चलते हुए \\ ]
[फिर दोनों वहाँ से चल देते है | ]
सीन.न.51
इफेक्ट – दोपहर का समय
लोकेशन – खंडहर में
[ मनोहर ,सुरेश को खंडहर में लेकर आता है | जहाँ गीता बेहाल सा होकर जमींन पर बेहोश पड़ी हुयी है | ]
सुरेश – गीता ... गीता ,ये क्या होगया तुम्हे ? गीता ,गीता, होश में आओ गीता | [ गीता को होश में लाते हुए]
बंशी – आ गया अपनी बहन को बचाने के लिए | [ पीछे से बोलता है | ]
[ सुरेश बंशी आवाज सुनकर उसके पास जाकर | ]
सुरेश – बंशी ... क्या किया है तुने गीता के साथ ? बोल बंशी बोल [ बंशी का कालर पकडकर ]
बंशी – तू जानना चाहता है की मैंने इसके साथ क्या किया है? ,,, मैंने इसके साथ रेप किया है | रेप [ फिर हंसने लगता है पीछे से मनोहर भी हँसता है| ]
[ जब सुरेश ये बात सुनता है तो गुस्से में बंशी को मारने लगता है | ]
सुरेश – साले कुत्ते कमीने मैं तुझे जान से मार दूँगा | तुझे जिन्दा नहीं छोडूंगा, साले कमीने | [ मारते हुए ]
[ सुरेश जब बंशी को मारता रहता कि तभी मनोहर सुरेश को पीछे से पकड लेता है | ]
मनोहर – अरे बस करो सुरेश भईया कितना मारोगे ?
सुरेश – मनोहर क्या कर रहा है ? छोड़ मुझे, छोड़ | [ अपने आप को छुडाने की कोशिश करते हुए | ]
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बंशी – ये मेरे साथ है ,और इसने भी गीता के साथ ..
[ फिर दोनों हंसने लगते है | ]
सुरेश – क्या ? .. साले नहीं छोडूंगा तुम सब को मार डालूँगा तुम सबको | [ गुस्से में ]
मनोहर – लो भईया ,कर लो बात ,पकड़ा मैं हूँ और छोडने की बात ये कर रहा है | |
सुरेश – क्यों किया तुने ऐसा? क्या बिगाड़ा था इसने तेरा ? [ गुस्से में ]
बंशी – तू यही जानना चाहता है न कि मैंने ऐसा क्यों किया ? ... तो सुन साले [मारते हुए ] , उस दिन तेरी वजह से रमेश ने मुझे बहुत मारा था उसी का बदला ले रहा हूँ | [मारते हुए | ]
सुरेश – लेकिन इसमे गीता की क्या गलती है ?
बंशी – अबे साले, रमेश की बहन होने के नाते मैंने रमेश का बदला इससे ले लिया , | [ कहते हुए हंसलगता है |]
[ बात करते हुए मनोहर की पकड थोड़ी ढीली पड़ती है तो सुरेश अपने आप को छुडाकर उन दोनों को मारने लगता है | फिर तीनों में मार पीट चालु होजाता है | मार पीट के दौरान गीता को होश आ जाता है | तो गीता बंशी को पीछे से मारने लगाती है | ]
गीता – छोड़ कमीने छोड़ |
बंशी – हट साली
[ लेकिन बंशी गीता को धक्का देकर हटा देता है | मार पीट करते हुए सुरेश को एक मोटा डंडा मिल जाता है और उस डंडे से उन दोनों को मारने लगता है |बंशी अपने आप को बचाने के लिए गीता को पकडकर अपने सामने कर देता है जिससे सुरेश के डंडे का वार गीता के सर पर लगा जाता है | गीता के सर पर वार होते हुए चंपा देख लेती है तो उसे लगता है की सुरेश ने उसे मारा है | जब डंडे का वार गीता को लगता है तो सुरेश एक दम से घबरा जाता है | और उन दोनों को मारना छोड़ कर गीता को संभालने जाता है | इसी मौके का फयदा उठाकर बंशी डंडे से सुरेश के सर पर मार देता है | और सुरेश वही बेहोश हो जाता है ]
बंशी – साला, कमीना ,गीता को मारा तुने,गीता को
चंपा – ये ये सब क्या हो रहा है | ..गीता बहन, गीता बहन ... [ गीता के पास जाती है | ]
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हरी – हाँ हाँ बंशी भईया ये सब क्या हो रहा है | [ नाटक करते हुए | ]
बंशी – साला गीता बहन के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहा था |
चंपा – क्या? सुरेश ने ऐसा किया ? [चौकते हुए ]
हरी – अरे बाते करना छोडो ,जल्दी से इसे हस्पताल ले चलो |
चंपा – हाँ हाँ जल्दी चलो, काफी खून बह रहा है |
बंशी – हरी तुम दोनों जाकर रमेश भईया और बाबूजी को खबर करो, तब तक हम दोनों गीता को हस्पताल लेकर जाते है |
हरी – ठीक है भईया, हम लोग खबर करते है | आप जल्दी से हस्पताल पहुचो | [ फिर दोनों वहाँ से निकल जाते है | ]
सीन.न.52
इफेक्ट – शाम का समय
लोकेशन – हास्पिटल में
[ बंशी और मनोहर स्ट्रेचर पर गीता को लेकर डॉक्टर के पास लाते है | ]
बंशी – हट जाओ हट जाओ .... ....... [डॉक्टर को देखकर ] डॉक्टर साहब डॉक्टर साहब , जल्दी से इन्हे देखिये | [ डॉक्टर के पास पहुंचकर ]
डॉक्टर – अरे ये ये तो शमशेर सिंह की बेटी है | ,कैसे हुआ ये सब ?[ गीता को देखकर ]
मनोहर –डाक्टर साहब बाते बाद में करियेगा, जल्दी से इन्हें देखिये |
डॉक्टर – हाँ हाँ [ फिर डॉक्टर गीता का नब्ज चेक करते है | तो पता चलता है कि गीता अभी जिन्दा है | ] .. अभी ये जिन्दा , नर्स जल्दी से ऑपरेशन की तैयारी करो |
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[ फिर गीता को ऑपरेशन थियेटर में लेजाया जाता है | इधर बंशी और मनोहर डॉक्टर की ये बात सुनकर घबरा जाते है | ]
बंशी – अबे साले, गला ठीक से नहीं दबाया था क्या ? ये तो जिन्दा है [ धीरे से मनोहर को बोलता है | ]
मनोहर –अरे भईया ठीक से दबाया था | मुझे क्या मालूम की साली नहीं मरेगी ? अब क्या होगा भईया मुझे तो बहुत डर लग रहा है | अगर गीता बच गयी तो .. [घबराते हुए | ]
बंशी – अबे चुप कर साले, कोई सुन लेगा, मैं मैं कुछ सोचता हूँ | [ घबराते हुए ]
[ तभी एक नर्स उनके पास आती है | ]
नर्स – बैठ जाओ वहाँ
मनोहर – अरे बैठाने आई हो ,ये मरहम पट्टी कौन करेगा ?[ झल्लाते हुए ]
नर्स – उसी के लिए आई हूँ |
बंशी – अब चुप चाप बैठ जा , नर्स अपन काम करो |
[ फिर नर्स उन दोनों का मरहम पट्टी करने लगाती है | ]
मनोहर – आह, आराम से करो, दर्द हो रहा है |
सीन.न.53
इफेक्ट – शाम का समय
लोकेशन – हास्पिटल के बाहर
[ रमेश अपने जीप से हास्पिटल पहुँचता है | साथ में शमशेर सिंह हरी और चंपा भी रहते है \\| सभी जीप से उतरकर हसपताल के अंदर आते है | इधर ये दोनों ऑपरेशन थियेटर के पास कुर्सी पर बैठे हुए है | ]
शमशेर – गीता कहाँ है? कहाँ है गीता ? [ घबरा कर पूछते है | ]
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बंशी – वो वो अभी ऑपरेशन थियेटर में है | [ कुर्सी से खड़ा होकर | ]
शमशेर – क्या ? [चौकते हुए ]. ये क्या हो गया मेरी बच्ची को ? [ रोते हुए कुर्सी पर बैठ जाते है | ]
रमेश – बाबूजी, बाबूजी, संभालिए अपने आप को, कुछ नहीं होगा हमारी गीता | [ दिलाशा देते हुए | ].. बंशी ये सब किसने किया ?बता मुझे [ गुस्से में ]
बंशी – भईया वो वो [ फिर बंशी, हरी, मनोहर और चंपा मिलकर सारी बता बताते है | ]
[ ये सारी बात सुनकर रमेश और शमशेर के होश उड़ जाता है | ]
शमशेर – क्या ? [ चौकते हुए ]
रमेश – नहीं छोडूंगा, नहीं छोडूंगा उसे ,जान से मार दूँगा साले को | [गुस्से में ]
शमशेर – नहीं रमेश ,तुम ऐसा कुछ भी नहीं करोगे | [अपने आप को सँभालते हुए | ]
रमेश – नहीं बाबूजी, उसने हमारे साथ बहुत बड़ा घात किया है | मैं उसे नहीं छोडूंगा [ जाने के लिए पलटता है]
शमशेर –रुक जा रमेश [ रमेश को रोकते हुए | ] तुम ऐसा कुछ भी नहीं करोगे | इसका फैसला कल पंचायत में होगा |
रमेश – मेरी बहन का फैसला पंचायत में होगा, नहीं बाबूजी ,नहीं | [पलटते हुए ]
शमशेर – देख रमेश, गीता अगर तेरी बहन है, तो वो हमारी बेटी भी है | जिस तरह से मैं गावं के लोगो का न्याय पंचायत से करता हूँ |उसी तरह से हमारा भी न्याय पंचायत से होगा |
[ तभी सुरेश जख्मी हालत में वहाँ पहुंचाता है | ]
बंशी – भईया ,वो वो सुरेश इधर ही आ रहा है |
[ सभी की नजर सुरेश पर जाता है | ]
सुरेश – बाबूजी, बाबूजी
[ सुरेश जैसे ही करीब आता है | तो रमेश गुस्से में उसे मारने लगता है | ]
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रमेश – साले कमीने मैं तुझे जान से मार दूँगा ,मैं तुझे जिन्दा नहीं छोडूंगा |
[ मारते हुए ]
सुरेश – मेरी बात सुनो रमेश ,मेरी बात सुनो ,
[ लेकिन रमेश गुस्से में उसका गला दबाने लगता है जिससे सुरेश का दम घुटने लगता है | इधर हसपताल में सभी लोग ये सब नजारा हैरान होकर देखते है | और इधर ये तीनों ये सब देख कर मन ही मन खुश होते है]
शमशेर – रुक जा रमेश , रुक जा [ रमेश को सुरेश से छुडाते हुए ].. मैंने कहा रुक जा बस अब तुम कुछ भी नहीं करोगे |
रमेश – बाबूजी |
शमशेर – चुप अब और कुछ नहीं | [ गुस्से में रमेश की बात काटते हुए ]
[ फिर सुरेश अपने आप को सँभालते हुए | ]
सुरेश – ब ब बाबूजी मेरी बात सुन लो |
शमशेर – [ तमाचा मारते हुए ] चुप अब एक और लब्ज नहीं बोलेगा तू , निकल जा यहाँ से, निकला जा [ गुस्से में ]
सुरेश – बाबूजी [ चौकते हुए ]
बंशी – तुने सुना नहीं बाबूजी ने क्या कहा ?निकल यहाँ से, निकल
[ मौका देखकर बंशी और उसके दोनों साथी सुरेश को जबरदस्ती धक्के मार मार कर बाहर कर देते है सुरेश चिल्लाता है लेकिन उसकी बातो कोई भी नहीं सुनता है | ]
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सीन.न.54
इफेक्ट – शाम का समय
लोकेशन – ऑपरेशन थियेटर के बाहर
[ सभी ऑपरेशन थियेटर के बाहर बेचैन होकर डॉक्टर के बाहर निकलने का इन्तजार करते है | डॉक्टर गीताका ऑपरेशन करके बाहर निकलते है |
रमेश – डॉक्टर, कैसी है मेरी बहन ? [ परेशान होकर ]
डॉक्टर – घबराने कि कोई बात नहीं है | अब वो खतरे से बाहर है |
शमशेर –क्या हम उससे मिल सकते है डॉक्टर साहब ?
डॉक्टर – जब तक होश नहीं आ जाता ,तब तक आप लोग उससे नहीं मिल सकते है
[ फिर डॉक्टर दिलाशा देकर वहाँ से चले जाते है | लेकिन गीता के बचने की खबर से जहाँ रमेश और शमशेर खुश होते है ,वहीँ बंशी हरी और मनोहर ये बात सुकर एक दम से घबरा जाते है | ]
सीन.न.55
इफेक्ट – शाम का समय
लोकेशन – सुरेश का घर
[ शीला घर में सब्जी काट रही थी और सुनील अपनी पढाई कर रहा था | कि तभी दरवाजा कोई जोर जोर से खटखटाता है | ]
शीला – आ रही हूँ [ सब्जी कटना छोडकर ] .. अरे कौन है ?जो इतनी जोर से दरवाजा पिट रहा है | .... [ दरवाजा खोलकर जब सुरेश को अपने सामने देखती है तो शीला घबरा जाती है | क्योकि सुरेश किसी दूसरे हास्पिटल में से अपनी मरहम पट्टी करक घर आता है | ]... आप अरे .. ये ये सब कैसे हुआ ? [सुरेश बीना बोले अंदर आता है ] ..अरे मैं आप से ही पूछ रही हूँ |ये
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ये सर पर चोट कैसे लगा ? [ सुरेश पास की कुर्सी पर बैठ जाता है |] .. अरे आप कुछ बोल क्यों नहीं रहे है ? ..... [सुनील भी पास आ जाता ] सुरेश कुछ जबाब नहीं देता है और रोने लगता है]
शीला – आप आप घबराईये मत, सब ठीक हो जायेगा | गीता तो सच जानती है न, वो वो तो बताएगी न ये सब किसने किया है | [ दिलाशा देते हुए ]
सुरेश – वो बात नहीं है शीला, मुझे दुःख इस बात का है कि रमेश ही नहीं बल्कि बाबूजी भी मुझ पर विश्वास नहीं किये |
शीला – मैं तो विश्वास करती हूँ न , | [ शीला सुरेश को दिलाशा देती है | ]
सुनील – हाँ भईया, हम विश्वास करते है आप पर , मत रोईये भईया सब ठीक हो जायेगा | [ रोते हुए सुरेश का आसूं पोछते हुए | [ फिर सुरेश दोनो को अपने से गले लगा लेता है | ]
सीन.न.56
इफेक्ट – रात के 11:45 बजे
लोकेशन – हस्पताल में
[ शमशेर सिंह और चंपा घर जा चुके है | हास्पिटल में रमेश के साथ बंशी ,मनोहर और हरी रुके हुए है | रमेश गीता के कमरे के बाहर बैठा रहता है, और बैठे बैठे ही उसकी आखं लग जाती है | लेकिन इधर ये तीनों गीता के बचने की खबर से एक दम से बेचैन है | ]
मनोहर – भईया कुछ करो भईया, गीता के होश आते ही सारी सच्चाई सब के सामने आ जायेगी | [ घबराते हुए धीरे धीरे बोलता है ]
हरी – हाँ भईया ,उसके बाद ये रमेश हमें कुत्ते की मौत मारेगा |कुछ करो भईया, कुछ करो ? [ घबरा कर धीरे धीरे बोलता है |
बंशी – मैं अभी आ रहा हूँ |
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मनोहर -कहाँ जा रहे हो भईया, हमें छोड़कर ?
बंशी –मैंने कहाँ न एक दम चुप ,...मैं अभी आ रहा हूँ |[ धीरे से गुस्सेमे उन दोनों डाँटते हुए ,वहाँ से चला जाता है | ]
हरी – कहीं भईया हमें छोडकर भाग तो नहीं न गए | [ घबराते हुए ]
मनोहर – पता नहीं यार ,[ घबराते ]
[ कुछ ही देर बाद बंशी वापस आता है | ]
हरी – अरे भईया आ गए आप ...क.,कहाँ चले गए थे ?
बंशी –चुप एकदम चुप
[ सभी चुप हो जाते है | ]
[तभी एक नर्स गीता के कमरे में जाती है | और तुरन्त परेशान होकर गीता के कमरे से बाहर आती है | ]
और डॉक्टर को जल्दी से बुलाकर लाती है | जब नर्स डॉक्टर को लेकर आती है | डॉक्टर अंदर जाते है | और गीता का चेकप करते है | ]
डॉक्टर – ये ये तो मर चुकी है |.. ये ये कैसे हो सकता है ?
नर्स – सर जब मैं अंदर आई तो ,देखा की इनके मुहं पर तकिया रखा हुआ था |
डॉक्टर – इसका मतलब कोई इस खिडकी से अंदर आया और इनका मुहं तकिये से दबाकर इन्हें मार डाला |
[ डॉक्टर मायुश होकर बाहर आते है | ]
रमेश – क्या हुआ ?डॉक्टर सब ठीक तो है न |
डॉक्टर – माफ़ करना रमेश भाई , वो.. गीता ...अब नहीं रही
[ ये बात सुनकर तीनों खुश होते है ]
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रमेश –क्या ? ..ये ये नहीं हो सकता ,आप तो कह रहे थे की गीता बिलकुल ठीक है तो तो फिर गीता कैसे मर सकती है ?बताओ डॉक्टर ,बताओ [गुस्से में |]
डॉक्टर – रमेश भाई ,गीता को किसी ने मार डाला है | गीता का मुहं किसी ने तकिये से दबा कर मार डाला है|
[ मौका देखकर बंशी रमेश के पास आकर बोलता है ]
बंशी – भईया ,मुझे मालुम ये सब किसने किया है| ये ये सब उस सुरेश का काम है |
रमेश – साला ,कमीना ,नहीं छोडूंगा उसे, नहीं छोडूंगा [ गुस्से में उसकी आखे एक दम लाल हो जाती है ]
सीन.न.57
इफेक्ट – आधी रात को
लोकेशन – सुरेश के घर में
[ रमेश ,बंशी ,हरी और मनोहर चारो मिलकर सुरेश उसकी बीवी और भाई को हाथ बांध कर कुर्सी पर खड़ा करे के फंसी के फंदे पर लटकाने वाले है | ]
सुरेश – नहीं ,नहीं, रमेश, ऐसा मत कर | [रोते हुए ]
रमेश – तुझे छोड़ दू साले, तुने जो किया है न, उसके लिए तुझे यही सजा मिलेगा | [ गुस्से में ]
सुरेश – नहीं रमेश, तू ये गलत कर रहा है |तू तू सच नहीं जनता रमेश |
रमेश – चुप कमीने ,तेरी वजह से मेरी बहन आज जिन्दा नहीं है | [गुस्से में ]
सुरेश – क्या ? [चौक कर ] नहीं ऐसा नहीं हो सकता, गीता नहीं मर सकती |
रमेश – वो मर चुकी है , साले कमीने, अरे वो तुझे अपना भाई मानती थी और तुने ... छी
शीला – रमेश भईया, बस एक बार इनकी आप बात सुन लो |
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रमेश –मुझे कुछ नहीं सुनना ,बंशी, इन्हे मार डाल |
[ कहकर रमेश गुस्से में वहाँ से निकल जाता है | ]
सुरेश – रमेश, रमेश, तू ऐसा नहीं कर सकता , मेरी बात सुन ले रमेश, रमेश .. [ रोते हुए चीखता]
[ इधर रमेश के जान के बाद ये तीनों हँसने लगते है |]
बंशी – अब तू कुछ नहीं कर सकता | [हँसते हुए ]
सुरेश – तुने ही गीता को मारा है न [ गुस्सा होकर ]
बंशी – हाँ हाँ मैंने ही गीता को मारा है | मैंने ही, जानना चाहता कैसे? तो सुन [ फिर बंशी बताता है कि कैसे उसने गीता को मारा है ]
सुरेश – क्यों किया तुने ऐसा कमीने, क्यों ?
हरी – अरे पागल है क्या तू, साल अगर वो बच जाती, तो आज तेरी जगह हम तीनों होते |
शीला – ये सब क्यों कर रहे हो ? क्या बिगाड़ा है हमने तुम लोगो का ? [रोते हुए ]
बंशी – तुम दोनों ने कुछ नहीं किया है, साल इसकी वजह से रमेश ने मुझे बहत मारा था | उसकी बदला ले रहा हूँ |
[ हँसते है ][ फिर हरी सुनील के तरफ जाकर टेबल को पैर से हिलाता है ]
सुनील – भईया भईया मुझे मरना नहीं है भईया मुझे बचालो भईया | [रोते हुए ]
सुरेश – दे देख बंशी तू तू तुझे जो कुछ भी करना है मेरे साथ कर, लेकिन म म मेरे बीवी और भाई को छोड़ दे | मैं तेरे आगे हाथ जोडता हूँ ,बंशी [ रोकर ]
[ तीनों इस बात पर जोर का हँसते है |]
बंशी – तुझे इस हालत में देखकर मुझे बहुत बुरा लग रहा है |लेकिन क्या करू करना ही पड़ेगा?
[फिर बंशी ,हरी और मनोहर उन्हें मारकर घर से निकल जाते है | तीनों फंदे पर लटक रहे है ]
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सीन.न.58
इफेक्ट – रात का समय
लोकेशन – शंकर का घर
[ सुरेश की आत्मा अपनी आप बीती सुनान के बाद बुरी तरह से चीखता है | उसकी उस गूंज से पूरा कमर गूंज उठता है | फिर उसके बाद वो आत्मा चीखते हुए अनुज के शरीर से निकल जाता है | ]
आत्मा – आ आ आ आ .......... [ आत्मा बुरी तरह से चीखता है | ]
[आत्मा चीखने के बाद अनुज के शरीर से निकल जाता है | और अनुज बेहोश होकर जमीन पर फिर जाता है | जैसे ही वो आत्मा अनुज के शरीर से बाहर निकलता है अतुल जल्दी से उठकर अनुज के पास आता है | पीछे से दीनू और महेश भी आते है |
अतुल – अनुज अनुज [ कहते हुए उसका सर अपने गोद में ले लेता है | | ]
सीन.न.59
इफेक्ट – रात का समय
लोकेशन – सेट्रल जेल के बाहर
[ महेश की जीप सेंट्रल जेल के बाहर रूकती है | और उसमे से महेश और अनुज बाहर आते है | जेल का दरवाजा खुला और मेहश अनुज को अंदर ले जाकर छोड़ देता है | और जीप लेकर शंकर केघर की तरफ चल देता है | ]
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सीन.न.60
इफेक्ट – रात का समय
लोकेशन – शंकर का घर [ सोफे पर ]
[शंकर के घर में सभी बैठ कर सुरेश की आत्मा के बारे में बाते कर रहे है | सभी लोग उस आत्मा की आप बीती सुनकर एक दम से भवुक हो गए थे | ]
शंकर – उस आत्मा के साथ जो कुछ भी हुआ बहुत बुरा हुआ है |
अतुल –मैं मानता हूँ अंकल,कि उस आत्मा के साथ जो कुछ भी हुआ है बहुत बुरा हुआ है | लेकिन वो हमें क्यों परेशान कर रहा है ?
शंकर – हूँ [ लंबी साँस लेकर कुर्सी से उठकर ] .. वो आत्मा तुम्हे रमेश समझकर अपना बदला ले रहा है|
अतुल – मतलब
शंकर – मतलब ये की, रमेश कि शक्ल तुम से मिलता है | और वो तुम को रमेश समझकर अपन बदला ले रहा है |
अतुल – पर मैं तो रमेश नहीं हूँ |
शंकर – ये हम जानते है की तुम अतुल हो, रमेश नहीं ,लेकिन वो आत्मा नही जनता कि तुम अतुल हो | अगर हमें इस आत्मा से बचंना है तो हमें उस रमेश का पता लगाना बहुत जरुरी है | ....और इसका पता हमें सूरजपुर गावं से ही लगेगा | [ सोफे के पीछे खड़े होकर ]
सीन.न.61
इफेक्ट – रात का समय
लोकेशन – अतुल का घर
[ अतुल घर आकर सारी बात रूबी को बताता है | ]
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रूबी – सूरजपुर गावं
अतुल – हाँ सूरजपुर गावं ,अब तो वहीँ जाकर पता चलेगा कि रमेश कहाँ है
रूबी – कब जाना है |
अतुल – कल सुबह ,और हाँ मेरे जाने के बाद तुम मम्मी-पापा के पास चली जाना |
रूबी – ठीक है |
सीन.न.62
इफेक्ट – सुबह का समय
लोकेशन – अतुल के घर के बाहर
[ मेहश अपनी कार लेकर अतुल के घर आ चूका है अतुल और रूबी कार के डिगी में अपना सामान रखता है | और कार में आकर बैठता है | ]
अतुल – अपना ख्याल रखना
रूबी – बाय [हाथ हिलाकर ]
सीन.न.63
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – रास्ते में
[ अतुल और महेश कार से सूरजपुर गावं के लिए निकल चुके है | सूरजपुर गावं मुंबई से करीब हजार किलोमीटर दूर था | अतुल और महेश रास्ते में पूछते हुए दो दिन बाद सूरजपुर गावं पहुंचते है | कार मेहस चला रहा था |
अतुल – ओ भाई [ रास्ते में कार रोकर ]
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आदमी – हाँ कहिये [ रुक कर ]
अतुल – हमें सूरजपुर गावं जाना है |
आदमी – सूरजपुर गावं तो यही है |आप लोगो जाना कहाँ ?
अतुल – हमें हवेली जाना है |
आदमी - यहाँ से सीधे जाईयेगा और दाये मुड जाईयेगा | कुछ ही दुरी पे आपको हवेली नजर आ जायेगा |
अतुल – धन्यवाद . ..
[ फिर महेश उस आदमी के बताये गए रास्ते पर चल देते है | ]
सीन.न.64
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – हवेली के सामने
[ महेश और अतुल की कार हवेली के सामने रूकती है| और दोनों कार से बाहर आते है | ]
महेश – क्या शानदार हवेली है ? [ कार से उतरकर हवेली को देखकर ]
अतुल – वो तो है, अब चल अंदर चलकर देखते है |
महेश – हूँ [ गर्दन हिलाकर आगे बढते है | ]
कैलाश – इतने सालो बाद यहाँ कौन आया है [ अपने आप से बोलता है ] |.. रुको ......[ अतुल और महेश पीछे पलट कर देखते है |].. त त तू तुम्हारी शक्ल तो बिलकुल रमेश भईया से मिलता है | [ चौक कर पास आते हुए | ]
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[ दोनों मुश्किल से कुछ ही कदम चलते है कि तभी पीछे से एक आदमी की आवाज आता है | तो दोनों पीछे पलट कर देखते है | वो आदमी अतुल को देखर एक दम से चौक जाता है | वह आदमी निर्मला का बेटा कैलाश था |]
अतुल – हाँ मुझे पता है की मेरी शक्ल रमेश से मिलता है | अब ये बताओ की रमेश हमें कहाँ मिलेगा ?
कैलाश – रमेश भईया ,तुम उनको कैसे जानते है ?
मेहश – देखो ,हमें रमेश से मिलना बहुत जरुरी है | बताओ वो कहाँ मिलेगा ?
कैलाश – तुम लोग उनसे नहीं मिल सकते हो ?
अतुल - क्यों नहीं मिल सकते ?[ थोडा कड़क होकर ]
कैलाश – अरे मैं कहा न कि तुम लोग उनसे नहीं मिल सकते |[ झल्लाते हुए ]
महेश – आखिर क्या बात है? कि हम लोग नहीं मिल सकते
कैलाश – तुम लोग उनसे इसलिए नहीं मिल सकते, क्योकि रमेश भईया को मरे तीस साल हो चुके है |[ आरामसे ]
[ अतुल और महेश ये बात सुनकर एक दम से चौक जाते है |और दोनों चौकते हुए एक दूसरे का मुहं देखते है|]
अतुल – क्या ? नहीं , ये नहीं हो सकता ,तुम, झूठ बोल रहे हो, बताओ वो कहाँ है | [बेचैन होकर ]
महेश – शांत हो जा अतुल ,.. देखिये आप को नहीं पता की हम कितनी बड़ी मुसीबत में है | प्लीज आप हमें बता दीजिए, कि रमेश हमें कहाँ मिलेगा ?[ अनुरोध करते हुए ]
कैलाश – अरे तुम दोनों को समझ में नहीं आ रहा है क्या ?मैं सच बोल रहा हूँ ,उनको मेरे तीस साल हो चूका है
अतुल – अब क्या होगा? हम कैसे उसे बचायेगे? |[ परेशान होकर ]
महेश – अतुल संभला अपने को ,कुछ नहीं होगा अनुज को | [ अतुल को सँभालते हुए | ]
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कैलाश – तुम दोनों हो कौन ?और कहां से आये हो ? और रमेश भईया के बारे कैसे जानते हो ?
अतुल – हम रमेश ही नहीं, बल्कि बंशी, हरी, मनोहर, गीता सब के बारे में जानते है |
कैलाश – क्या ? लेकिन तुम लोग इनके बारे में कैसे जनता हो ?[ चौकते हुए ]
[ फिर अतुल और महेश उस आदमी को सारी बात बताते है | सारी बात जानने के बाद वह आदमी एक दम से चौक जाता है | ]
कैलाश – नहीं ,नहीं ये नहीं हो सकता ,ये नामुमुकिन है | सुरेश की आत्मा कैसे भटक सकती है ? उसका तो अंतिम संस्कार हो चूका है | और और तुमने कहा कि सुरेश की आत्मा पिछले दस साल से भटक रहा ये ये बात सही नहीं है सुरेश बंशी हरी मनोहर और रमेश भईया ये सभी तीस साल पहले मर चुके है | तो फिर ये कैसे संभव है की सुरेश की आत्मा पिछले दस साल से भटक रहा है |
अतुल – एक मिनट, पहले आप हमें ये बताओ कि रमेश कि मौत कैसे हुयी ?
कैलाश – जब तुम्हे सब कुछ पता है तो तुम चंपा के बारे में भी जानते होगे |
महेश – हाँ
कैलाश – सुरेश की मौत के ठीक तीन दिन बाद..|
सीन.न.65
इफेक्ट – शाम का समय
लोकेशन – बंशी का घर
[ तीनों अपनी कामयाबी पर खुश होकर शराब पी रहे है और हंस रहे है | ]
हरी – वाह बंशी भईया, वाह, मान गए आप को,क्या योजना बनाया था आपने ? [ चम्पा हरी को बुलाने के लिए बंशी के घर आ रही थी | लेकिन उनकी बाते सुनकर वह बाहर ही खड़ी हो जाती है और बाहर खड़ी होकर उनकी सारी बाते सुनती है तो उसके होश उड़ जाते है|]
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मनोहर – मजा आगया भईया ,मजा आ गया, गीता के साथ मजा हमने लिया और इल्जाम उस सुरेश पर लगा दिया | [ हँसते हुए | ]
बंशी – साला मुझसे से दुश्मनी किया , मेरे से जो दुश्मनी करेगा, उसका यही अंजाम होगा |..और एक बात ,आज के बाद से ये बाते कभी मत करना समझे |
हरी – हाँ हाँ भईया समझ गए ,...वैसे भईया मजा बहुत आया |
[ इस बात पर तीनों ठहाका मार कर हंसने लगते है | ]
[ इधर चम्पा ये सब सुनकर एक दम से चौक जाती है | और तुरंत वहाँ से भागती है |]
सीन.न.66
इफेक्ट – शाम का समय
लोकेशन – शमशेर सिंह की हवेली
[ चम्पा ये सारी सच्चाई जानने के बाद सीधे हवेली आती है | शमशेर सिंह कुर्सी पर बैठे हुए है |]
चम्पा – बाबूजी ,बाबूजी [ रोते हुए बाबूजी के पास आती है और उनके पैरों में गिर जाती है | ].. मुझे माफ कर दो बाबूजी, मुझे माफ कर दो ..
[ चम्पा की आवाज सुनकर रमेश, कैलाश और, निर्मला भी वहाँ आ जाते है | ]
शमशेर – अरे क्या हुआ चम्पा? क्या बात है ?क्यों रो रही है ? [ चम्पा को उठाते हुए ]
चम्पा – बाबूजी, हमको माफ कर दो बाबूजी, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी है, बाबूजी [हाथ जोड़कर रोते हुए]
रमेश – अरे रोती भी रहेगी या फिर बताएगी भी , क्या बात है ?
चम्पा – वो वो [ फिर चम्पा सारी बात बताती है सारी बात सुनाने के बाद सभी एकदम से शाक्ड हो जाते है |लेकिन रमेश गुस्से से एक दम पागल हो जाता है | ]
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रमेश – इतना बड़ा धोखा दिया उसने नहीं छोडूंगा ,नहीं छोडूंगा [ फिर गुस्से में रमेश घर से निकलता है तो शमशेर सिंह पीछे से आवाज देते है |]
शमशेर – रमेश [ गुस्से में चिल्लाकर रमेश को आवाज देते है |तो रमेश, शमशेर सिंह की आवाज सुनकर पीछे पलटता है | ].. ये ले सालो को जिन्दा मत छोड़ना | [ शमशेर सिंह गुस्से में रमेश को बन्दुक फेक कर देते हुए | रमेश बन्दुक लेकर उन तीनों को मारने के लिए घर से निकल जाता है | ]
सीन.न.67
इफेक्ट – रात के 7:35 बजे
लोकेशन – बंशी का घर
[ तीनों शराब पीकर नशे में है और बाते करके हंस रहे है तभी रमेश दरवाजा तोडकर बंशी के घर में घुसता है| तीनों रमेश को देखकर डर जाते है |]
बंशी – र र र र रमेश भ भ भईया आ आप | [डर कर खड़ा होकर]
रमेश – साले कमीने , [ रमेश गुस्से में बन्दूक निकालकर हरी और मनोहर को तुरंत मार डालता है | बंशी ये सब देख कर एक दम से डर जाता है | ]
बंश- भ भ भ भईया म म म मुझे [ डर के मारे बंशी की आवाज ठीक से नहीं निकल पता है | ]
रमेश – कुत्ते ,कमीने , [ पास जाकर एक घुसा मार कर जमींन पर गिरा देता है | ] तेरी वजह से मैंने अपने भाई जैसे दोस्त को मार दिया ,कमीने [ फिर रमेश तबा तोड़ बंशी को बन्दुक के मुठिए से जान से मार है | बंशी को मारने के बाद रमेश रोते हुए चीखता है और जमींन पर घुटनों के बल गिर जाता है | ]
कट
89
सीन.न.68
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – हवेली के बाहर |
[ कैलाश सारी बात महेश और अतुल को बताता है | ]
कैलाश – उन तीनों को मारने के बाद रमेश भईया अपने आप को कानून के हवाले कर दिये | अदालत ने रमेश भईया को 6 खून करने के इल्जाम में फंसी कि सजा दे दिया | ..फंसी के दो दिन बाद ही शमशेर बाबूजी को दिल का दौरा पड़ा और वो भी इस दुनिया से चल बसे | [कैलाश अपने आंसू को पूछते हुए ]. उस कमीने बंशी की वजह से हँसता खेलता दो परिवार पूरी तरह बर्बाद हो गया |
[ दोनों ये बात सुनकर भवुक हो जाते है | ]
महेश – शमशेर सिंह के छोटे लड़के क्या हुआ ?
कैलाश – इन सब घटना के बाद रोहन अपने मामा के साथ मुंबई शहर चला गया, और दोबारा इस गांव में कभी नहीं आया | फिर कुछ सालो बाद पता चला की रोहन और रोहन के मामा जी ये देश छोडकर हमेशा हमेशा के लिए विदेश चले गए | .. खैर जो होना था हो चूका .. और कुछ जानना है आप लोगो को
अतुल – नहीं [ गर्दन हिलता है ]
[ दोनों ये बात सुनकर एक दम से सोच में पड़ जाते है | ]
सीन.न.69
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – रास्ते में
[ अतुल और महेश कार में जाते हुए बाते करते है | ]
90
मेहश – तुझे क्या लग रहा है? कि वो आदमी सही बोल रहा था |
अतुल – मुझे तो कुछ भी समझमें नहीं आ रहा है |
महेश – नहीं ,मुझे नहीं लगता की वो आदमी सच बोल रहा था |
अतुल – तुझे कैसे पता? कि वो सच नहीं बोल रहा था |
महेश – वो इस लिए की, उसने कहा की ये सभी लोग तीस साल पहले ही मर चुके है तो तो फिर सुरेश की आत्मा पिछले दस साल से कैसे भटक रहा है ?
अतुल – ये बात भी तो सही है ,लेकिन सच का पता कैसे चलेगा ?
महेश – उसने कहा था न, की रमेश को फंसी हुयी थी ,अगर ये बात सच है, तो थाने में उसकी मौत का रिकार्ड जरुर होगा |
सीन.न.70
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – अतुल का घर
[ शंकर, दिनु ,अतुल और,महेश सभी बैठकर बाते कर रहे है | ]
शंकर – रमेश के बारे कुछ पता चला |
महेश – हाँ
शंकर – तब तो अच्छी बात है |
अतुल – अच्छी बात नहीं है
शंकर – क्या मतलब ?
अतुल – मतलब ये कि ... रमेश को मरे हुए तीस साल हो चुके है
[ ये बात सुनकर शंकर ,और दिनु शाक्ड हो जाते है | ]
91
शंकर – क्या ? ... ये ये क्या बोल रहे हो तुम ?
महेश – हाँ अंकल ,ये सच है | [ फिर उसके बाद अतुल और महेश विस्तार से सारी बात बताते है | ]
[ सारी बात सुनाने के बाद दोनों शाक्ड हो जाते है | ]
शंकर – इसका मतलब ये सभी लोग तीस साल पहले ही मर चुके है |.. [सोचते हुए ] ये कैसे हो सकता है ?
नहीं, ये नहीं हो सकता ,अगर ये सारी घटनाये तीस साल पहले ही घट चूका है तो फिर ये आत्मा ऐसा क्यों बोला की वो पिछले दस साल से भटक रहा है | [ परेशान होकर कुर्सी से खड़ा हो जाता है | ]
महेश – यही बात तो हमें भी समझ में नहीं आ रहा है |
शंकर – ये सारी बाते तुम लोगो को किसने बताया ?
अतुल – ये सारी बाते हमें निर्मला के बेटे कैलाश ने बताया |
दिनु – कहीं ऐसा तो नहीं, कि उस आदमी ने तुम लोगो से झूठ बोला हो |
महेश – पहले हमें भी यही लगा, की कहीं कैलाश हमसे झूठ तो नहीं न बोल रहा है | इस लिए सच का पता लगाने के लिए हम वहाँ के पोलिस स्टेशन गए , तो पता चला की ये सारी बाते सच है |
शंकर – अगर ये सारी बाते सच है तो ,फिर ये कैसे हो सकता ? |..ये सारी घटनाये तीस साल पहले ही घट चूका है इसके अलावा सुरेश की लाश का अंतिम संस्कार भी हो चूका है तो फिर उसकी आत्मा कैसे भटक सकती है | [ सोच में पडकर ]
दिनु – ये सब कैसे हो सकता है शंकर ?
शंकर – कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर ये सब कैसे हो सकता है | ?
अतुल – इसका मतलब कि हम उस आत्मा से नहीं बच सकते |[ निराश होकर ]
92
शंकर – ऐसी बात नहीं है | कुछ तो है जो हमसे छूट रहा है | ...लेकिन मैं इस रहस्य को सुलझाने की पूरी कोशिश करूँगा | भगावन पर भरोसा रखो सब ठीक हो जायेगा | [अतुल को दिलाशा देता है \\|]
[ सभी इस बात को जानकर एक दम से परेशान हो जाते है | ]
सीन.न.71
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – जेल के अंदर
[ अतुल और महेश जेल के अंदर अनुज से मिलने आते है | अनुज मायुश सा जेल के अंदर बैठा है | ]
अतुल – अनुज [ अनुज को पुकारता है | ]
अनुज – भईया ,[ उठकर पास आता है | ] कुछ पता चला भईया उस आत्मा के बारे में कि वो ये सब क्यों कर रहा है ?
अतुल – हाँ, सब कुछ पता चल गया है मेरे भाई ,बस कुछ ही दिनों में हमे उस आत्मा से छुटकारा मिल जायेगा | और और तुम बच जाओगे | [ सच को छुपते हुए दिलाशा देता है | ]
अनुज – सच भईया हम उस आत्मा से बच जायेगे | [थोड़ खुश होते हुए ]
महेश – हाँ अनुज, जल्दी ही सब कुछ ठीक हो जायेगा |
अनुज – भईया, वो फिर मेरे सामने आया था ,और और उसने धमकी दिया, कि इस बार वो भाभी को मार देगा
अतुल – क्या ? [चौकते हुए ]
93
अनुज – हाँ भईया, जल्दी कुछ करो वर्ना जिस तरह से वो पूजा को मार डाला, उसी तरह से वो भाभी को भी मार डालेगा |
[ दोनों इस बात को सुनकर एक दम से शाक्ड हो जाते है | ]
सीन.न.72
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – शंकर का घर
[ अतुल और महेश शंकर के घर आते है | और सोफे पर बैठकर बाते कर रहे है | ]
शंकर – क्या बात है अतुल ? काफी परेशान दिख रहे हो | कुछ हुआ है क्या ?
अतुल – उस आत्मा ने धमकी दिया है कि इस बार वो मेरे बीवी को मारने वाला है | कुछ करो अंकल कुछ करो | वरना वो मेरी बीवी को मार डालेगा [ परेशान होकर | ]
शंकर – एक मिनट रुको [ फिर शंकर उठकर एक कमरे में जाता है और अलामरी में से एक लाकेट ला केदेते हुए ] ये लो |
अतुल – ये क्या है ?
शंकर – ये देवी माँ का लाकेट है | इस लाकेट को खास तौर पर मैंने अपने लिए बनाया था भुत प्रेतों से निपटने के लिए ,फ़िलहाल इसे तुम अपनी बीवी को पहना देना, जब तक ये तुम्हारी बीवी के गले में रहेगा, वो आत्मा तुम्हारी बीवी का कुछ भी नहीं कर पायेगा |
सीन.न.73
इफेक्ट – शाम का समय
लोकेशन – शंकर के घर के बाहर
[ अतुल और महेश लाकेट लेकर बाहर आते है और जीप में बैठते है कि तभी महेश के फोन कि घंटी बजने लगता है | ]
94
महेश – कमिश्नर साहब .... [फोन उठता है | ] .. हाँ सर
कमिश्नर – हाँ महेश इस वक्त जहाँ कहीं भी फौरन आकर मुझसे मिलो
महेश – ठीक है सर मैं अभी आ रहा हूँ |
अतुल – क्या हुआ ?
महेश – कमिश्नर साहब का फोन था मुझे बुलाया है |
अतुल – ठीक है मुझे रास्ते में छोड़ देना मैं चला जाऊंगा |
महेश – हूँ [ फिर महेश जीप लेकर वहाँ से निकल जाता है | ]
सीन.न.74
इफेक्ट – शाम का समय
लोकेशन – कमिश्नर के ऑफिस में
[ महेश कमिश्नर के ऑफिस में उनसे मिलाने जाता है | ]
महेश – हाँ सर बोलिए क्या बात है ?
कमिश्नर – मेरी बीवी का दस लाख का हार किसी ने हार चुरा लिया |
मेहश – वो कैसे सर ?
कमिश्नर – शालिनी मार्केट गयी हुयी थी कुछ सामान लेने के लिए उसी दौरान किसी ने उसके गले में से हार चुरा लिया.... ये रहा उस हार कि तस्वीर, जल्दी से जल्दी उस हार को खोज निकालो |
महेश- परेशान मत होईये सर जल्दी ही ये हार आपको मिल जायेगा | [ हार कि तस्वीर को देखते हुए | ]
95
सीन.न.75
इफेक्ट – रात का समय
लोकेशन – अतुल का घर
रूबी – ये क्या है ?
अतुल – ये देवी माँ का लाकेट है इसे पहन लो जब तक ये तुम्हारे में गले में रहेगा तब तक वो आत्मा तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ पायेगा | और हाँ कुछ भी जाये इसे तुम अपने गले से नहीं निकलोगी | समझी [ रूबी को लाकेट देते हुए | ]
रूबी – वो तो ठीक है | लेकिन कब तक हम इस आत्मा से इस तरह से बचते रहेगे | सबसे बड़ी बात तो ये है कि हमें अनुज को फंसी होने से बचाना है | धीरे धीरे समय निकलता जा रहा है | [ परेशान होकर ]
अतुल – सब ठीक हो जाएगा ,शंकर अंकल जरुर कोई न कोई रास्ता निकालेगे | और मैं जब तक जिन्दा हूँ तब तक तुम दोनों को कुछ नहीं होने दूँगा | [ दिलाशा देते हुए | ]
सीन.न.76
इफेक्ट –दिन का समय
लोकेशन –शंकर का घर |
[ शंकर और दीनू सोफे पर बैठक कर बाते कर रहे है | ]
दिनु – कुछ पता चला शंकर ,
शंकर – कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है यार , कि आखिर ये सुरेश कि आत्मा कैसे भटक रही है ?
दीनू – कोई तो रास्ता होगा न यार उस आत्मा से बचने के लिए |
96
शंकर– वही तो सोच रहा हूँ यार , कि कैसे इस रहस्य को सुलझाया जाय ? .. | |[ सोच में पड़कर ]
दिनु – मुझे तो लग रहा है कि उस कैलाश ने झूठ बोला है या फिर उसे ठीक से पता ही न हो कि सुरेश कि लाश का अंतिम संस्कार हो चूका है |
शंकर – इतना तो तय है कि सुरेश कि लाश का अंतिम संस्कार अभी तक नही हुआ है इसीलिए वो अभी तक भटक रहा है ..... लेकिन एक बात मुझे ये समझ में नहीं आ रहा है |कि अगर वो तीस साल पहले ही मर चूका है तो फिर उसने ऐसा क्यों कहा? कि वो पिछले दस साल से भटक रहा है | [सोचते हुए सोफे से खड़ा होकर ]
दिनु – मैं तो कहता हूँ कि तुम्हे एक बार सूरजपुर गावं जाना चाहिए|
शंकर – मैं भी यही सोच रहा हूँ | कि एक बार सूरजपुर गावं चल के मझे खुद देखना चाहिए, कि आखिर माजरा क्या है ?[ सोचते हुए ]
सीन.न.77
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – थाने में
[ कादिर हवलदार एक चोरनी थाने में पकडकर महेश के सामने लाता है | ]
चोरनी – साहब, छोड़ दो न, जाने दो न साहब [ गुहार लगते हुए | ]
कादिर – सर इसीने वो हार चुराया है |
चोरनी – साहब छोडो दो न साहब [ महेश के सामने गिडगिडाते हुए ]
महेश – चुप कर ,तुझे शर्म नहीं आती ये सब करते हुए | [ कड़क होकर ]
चोरनी – अरे साहब कुछ ले दे के छोड़ न साहब |
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महेश – चुप एक दम चुप ,अब एक शब्द भी नहीं बोलेगी तू [ कुसी से खड़ा होकर ] ... रीता इसकी तलाशी लो |
[ फिर रीता उस चोरनी की तलाशी लेती है | तो उसके पर्स से एक कीमती हार मिलता है रीता उस गहने को महेश को देती है | ]
महेश – ये तेरा है [ हार हाथ में लेकर ]
चोरनी – हाँ साहब ये मेरा है |
महेश – अगर ये हार तेरा है तो तू इसे मुरारी सेठ के पास बेचने क्यों गयी थी
चोरनी – वो वो साहब
महेश – चल मैं बताता हूँ तुने जिस औरत का ये हार चुराया है वो कमिशनर साहब की बीवी का हार है और उन्होंने इस हार की तस्वीर हमें परसों ही दे दिया था | और जैसे ही तू मुरारी सेठ के पास इस हार को बेचने गयी | उसने हमें तुरंत फोन कर दिया |
चोरनी – गलती हो गयी साहब मुझे नहीं पता था कि वो कमिशनर साहब की बीवी का हार है | आईन्दा से ऐसी गलती नहीं होगा साहब ,छोड़ साहब | जाने दो साहब
[ तभी महेश कि नजर चोरनी के गले में पहने हुए सोने के लाकेट पर जाता है | ]
महेश – ये गले में क्या पहना है? चल इसे भी निकाल
चोरनी – अरे साहब ये मेरा है ,इसे मेरे पति ने दिया है ये चोरी का नहीं है साहब |
मेहश – अच्छा ,ये सोने का लाकेट चोरी का नहीं है , चल निकाल इसे [ गुस्से से ]
चोरनी – अरे साहब ए ए मेरा
रीता – तुझे समझ नहीं आ रहा है चल निकाल निकला इसे [ रीता जबरदस्ती चोरनी के गले से लाकेट निकालती है और महेश को देती है |
[ महेश उस लाकेट को हाथ में देखता रहता है कि तभी वो लाकेट अचानक से खुल जाता है और उस लाकेट के अंदर तस्वीर को देखकर महेश शाक्ड हो जाता है ] और गुस्से में उस चोरनी से पूछता है | ]
98
महेश – सच सच बता ,ये लाकेट तुझे कहाँ से मिला ?[ गुस्से में ]
चोरनी – सच कह रही हूँ साहब ये लाकेट मुझे मेरे पति ने दिया है |
महेश – इस वक्त कहाँ मिलेगा तेरा पति ?
चोरनी – इस समय वो घर ही होगा साहब |
महेश – चल पता बता अपना |
सीन.न.78
इफेक्ट –दिन का समय
लोकेशन – कैलाश के घर के बाहर
[ शंकर की कार कैलाश के घर के बाहर रूकती है |और वो कार से उतरता है |
शंकर – ये भाई जरा सुनना | [ शंकर उधर से गुजरते हुए एक आदमी को रोकता है | ]
आदमी – हाँ जी बोलिए [ पास आकर ]
शंकर – कैलाश का घर यही है |
आदमी – हाँ जी यही है |
शंकर – धन्यवाद |
[ आदमी बताकर निकल जाता है | फिर शंकर कैलाश के घर की तरफ बढ़ता है और दरवजा खटखटाता है | ]
तो कैलाश कि पत्नी दरवाजा खोलती है | ]
मीना – हाँ जी कहिये |
शंकर – वो मुझे कैलाश से मिलना है |
मीना – वो तो घर पर नहीं है |
99
शंकर – कहाँ मिलेगे ?
मीना – इस वक्त वो हवेली में मिलेगे |
शंकर – हवेली
सीन.न.79
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – हवेली के अंदर
[ कैलाश हवेली के अंदर साफ सफई करवा रहा था उसी समय शंकर हवेली पहुंचकर कैलाश से हवेली में चलते हुए बाते करते है | ]
कैलाश – मैंने तो उन्हें सब कुछ बता दिया था | [ चलते हुए ]
शंकर – नहीं, तुमने उन्हें पूरी बात नहीं बताया [ चलते हुए ]
कैलाश – [ हंस कर ] क्या बात कर रहे है ? मैंने जो कुछ भी कहा वो सच है
शंकर- जब ये सारी घटनाये हुयी थी उस वक्त तुम कितने साल के थे ?
कैलाश – तो कही आप ये नहीं न सोच रहे है |कि मैं उस वक्त छोटा था तो मुझे सारी बाते ठीक से याद है कि नहीं ..[ हल्का मुस्कुराकर ].. तोआप ये बिलकुल गलत सोच रहे है ... ए पप्पू जरा इधर आना | [दीवाल पर टंगी एक तस्वीर के पास रुकर ]
पप्पू नौकर – आया भईया |
[ दीवाल पर जो तस्वीर लगी रहती है| उसमे शमशेर और ,रमेश के अलावा बाकि कई लोग उस तस्वीर में थे]
शंकर – ये रमेश है न | [ तस्वीर में रमेश की फोटो पास जाकर देखते हुए | ]
कैलाश –हाँ ,यही है रमेश भईया |
100
पप्पू – हाँ भईया क्या करना है ?
कैलाश – अरे इस तस्वीर को देख कितना गन्दा लग रहा है जल्दी से साफ़ कर इसे |
पप्पू – जी भईया [ फिर वह तस्वीर को साफ करने लगता है | ]
कैलाश – और कुछ जानना है आप को [ शंकर नहीं में गर्दन हिलाकर जवाब देता है | ]..और हाँ अगर आपको और भी कुछ जानना होगा तो मेरा नंबर ले लीजिए ,बार बार उतनी दूर से आने की जररूत नहीं पड़ेगा |
शंकर – हूँ [ निराश होकर गर्दन हिलता है | ]
सीन.न.80
इफेक्ट – शाम का समय
लोकेशन – थाने में
[ कादिर हवलदार थाने में आता है | ]
कादिर – सर
महेश – हाँ कादिर क्या हुआ ? [फाईल देखते हुए ]
कादिर – सर वो घर पर नहीं मिला |
महेश – साला जायेगा कहाँ उसके घर पर नजर रखो जैसे ही मिले मुझे तुरंत खबर करना ,ठीक है | [ फाईल देखना छोडकर , घर के लिए निकलते हुए ]
कादिर – ठीक है सर
101
सीन.न.81
इफेक्ट – रात का समय
लोकेशन – अतुल का घर
[ करीब आधी रात को प्यास के कारण रूबी की नीद खुलती है |और जैसे ही पानी पीने के लिए बिस्तर से उठती है तो सामने देखकर रूबी डर के मारे चीखने लगाती है | रूबी की चीख से अतुल की नीद खुल जाती है|
अतुल – क्या हुआ? क्या हुआ रूबी ? तुम ऐसे चीख क्यों रही हो ? [ रूबी को झकझोर कर पूछते हुए ]
रूबी – वो वो वो स स स सा ..म ने [ अतुल के बाहों में अपने आप को डर के मारे छिपाते हुए सामने की तरफ इशारा करती है | ]
[ अतुल सामने देखता है तो सामने वो आत्मा रहता है | ]
अतुल – त तू तुम तुम यहाँ क्या कर रहे हो चले जाओ यहाँ से चले जाओ
आत्मा – ही ही ही [ हँसता हुए ]..तुझे ऐसे तडपता देख मुझे बहुत खुशी मिल रहा है | और जिस दिन मैं तुम्हारी बीवी और भाई को मारूंगा उस दिन तो मुझे और भी मजा आयेगा तुझे तडपता दखके ही ही ही
अतुल – तू मेरे जीते जी मेरे भाई और बीवी का कुछ भी नहीं कर पायेगा | [थोडा हिम्मत करके बोलता है | ]
आत्मा – तू मुझे रोकेगा तू ,कुछ भी नहीं कर पायेगा तू मेरा, और सुन अब तेरे पास ..,सिर्फ चार दिन है, उसके बाद मैं पहले ,तेरे भाई और बीवी को तडपा तडपा कर मारूंगा और फिर तुझे ,बचा सकता है तो बचाले अपने परिवार और अपने आप को [ गुस्से में गुर्राते और अंत में भयानक हंसी हँसते हुए वहाँ से गायब हो जाता है | ]
रूबी – वो वो हमें मार डालेगा जिन्दा नही छोडेगा हमें [ अतुल के बाहों में डर कर बोलती है ]
102
अतुल – कुछ नहीं होगा तुम लोगो को कुछ नहीं होगा ,मैं जब तक जिन्दा हूँ तुम लोगो को कुछ नहीं होने दूँगा | [ रूबी को दिलाशा देते हुए ]
सीन.न.82
इफेक्ट – सुबह का समय
लोकेशन – थाने में
[ दो दिन बाद वो चोर पकड़ा जाता है| फिर कादिर थाने से फोन करके महेश को उस चोर के पकडे जाने कि खबर देता है | ]
कादिर– जय हिंद सर
महेश – जय हिंद .
कादिर – सर वो चोर पकड़ा गया है | आप जल्दी से आ जाओ | ]
महेश –ठीक है, मैं आधे घंटे में पहुँच रहा हूँ |
सीन.न.83
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – थाने में
[ महेश कि जीप थाने के बाहर आकर रूकती है | और महेश जीप से उतरकर थाने मे आता है | ]
हवलदार – जय हिंद सर [ दरवाजे पर खड़ा हवलदार ]
103
महेश – जय हिंद [ कहते हुए अंदर जाता है | ]..... हाँ कादिर कुछ बोला कि नहीं इसने [ जेल के अंदर चोर को देखते हुए ] ?
कादिर – नहीं सर
महेश – देख अब कैसे बोलता है ये ? [ महेश गन निकालते हुए जेल के अंदर जाता है | ] ... तो तू कुछ भी नहीं बोलेगा |
चोर – साहब जो आप जानना चाहते है उसके बारे मुझे कुछ भी नहीं पता है |
मेहश- तो ठीक है | मुझे भी तेरी जरुरुत नहीं है | [ गन तानते हुए ]
चोर – अरे साहब ये क्या कर रहे हो नहीं नहीं ही |
[ लेकिन महेश कुछ भी नहीं सुनता है और दो गोली उस चोर के कान के के बगल में चला देता है | चोर गोली चलने की वजह से चीखने लगता है | ]
[ जब चोर अपने आप को जिन्दा पता है तो वह तुरंत सब कुछ बोलने लगता है | ]
चोर – म म म मैं स स सब कुछ बता हूँ साहब म मुझे मारना मत मुझे मारना मत |
सीन.न.84
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – अतुल का घर
[ अतुल दिनु और रूबी इन सब बातों को लेकर काफी परेशान है |]
अतुल – कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे मैं अनुज और रूबी को उस बुरी आत्मा से बचाऊ ,कैसे कैसे मैं उस बुरी आत्मा से लडू | [परेशान होकर मेज पर अपने हाथ पटकते हुए | ]
दीनू – परेशान मत हो बेटा शंकर जरुर कोई न कोई रास्ता निकालेगा |
104
अतुल – काका हमारे पास बहुत कम समय उसने हमें धमकी दिया है कि वो हमें जान से मार देगा |
दीनू – भगवान पर भरोषा रख बेटा सब ठीक हो जायेगा | [कंधे पर हाथ रख कर दिलाशा देते हुए ]
रूबी – शंकर अंकल आ गए |
[ शंकर घर में आता है | ]
अतुल – आप आ गए अंकल |
दिनु – क्या बात है शंकर ? तू कुछ बोल क्यों नहीं रहा है ? [ परेशान होते हुए ]
शंकर – क्या बोलू यार क्या बोलू ?
दिनु – मतलब
शंकर – मतलब ये कि मैं उस आत्मा से बचने का कोई रास्ता नहीं निकाल पाया . मैं इस रहस्य को नहीं सुलझा पाया कि आखिर ये सब कैसे हो रहा है | [ मायुश होकर ]
[ ये बात सुनकर सभी एक दम से शाक्ड हो जाते है | ]
रूबी – इसक मतलब वो वो बुरी आत्मा हम सब को मार डालेगा [ डर कर घबराते हुए ]
अतुल – कुछ नहीं होगा कुछ नहीं तुम लोगो | मेरे होते हुए वो आत्मा तुम लोगो अब छू भी नहीं सकता [ गुस्से में ]
शंकर – ये ये ये आदमी कौन है ? जिसकी तस्वीर दीवाल पर लगी है | [ चौकते हुए ]
दिनु – क्यों क्या हुआ ? तुम इस तस्वीर को देख कर इतना चौक क्यों रहे हो ?
शंकर – पहले मुझे ये बताओ कि ये तस्वीर किसकी है ?
अतुल – ये ये हमारे प्रदीप भईया है |
शंकर – तुम्हारे भाई के साथ क्या हुआ था ?
अतुल – पर बात क्या है अंकल आप इनके बारे में क्यों पूछ रहे है |
105
शंकर – मैं तुम्हे सब कुछ बताऊंगा पहले तुम मुझे अपने भाई के बारे में बताओ |
अतुल – ठीक है ... आज से करीब आठ साल पहले की बात है | एक ट्रक एक्सीडेंट में भईया की मौत हो गयी | और इस तरह से भईया हमें छोड़कर चले गए |
शंकर – एक मिनट .... [शंकर कैलाश को फोन लगता है ]
कैलाश – हाँ कौन ?[ फोन उठाकर ]
शंकर – मैं शंकर बोल रहा हूँ |
कैलाश – हाँ बोलिए अब क्या जानना चाहते है आप ?
शंकर – वो आदमी कौन था जो रमेश के पीछे खड़ा था |
कैलाश – वो सुरेश भईया कि तस्वीर है |
शंकर – अच्छा एक बात और सुरेश का अंतिम संस्कार कब हुआ था
कैलाश –17-04-1986 ……और कुछ जानना है आप को
शंकर – नहीं [ फोन कट कर देता है | ]
अतुल – क्या हुआ अंकल? कुछ पता चला कि ये सब कौन कर रहा है ?
शंकर – हाँ… ये जो कुछ भी हो रहा है इसकी वजह से हो रहा है [ तस्वीर की तरफ इशारा करके ]
[ ये सब सुनकर सभी शाक्ड हो जाते है | ]
अतुल – ये क्या बकवास कर रहे है आप ?
शंकर – मैं बकवास नहीं कर रहा हूँ | मैं सच बोल रहा हूँ मुझे सब कुछ समझ में आगया है | ये जो कुछ भी हो रहा है वो सब तुम्हारे भईया की आत्मा की वजह से हो रहा है |
अतुल – ये ये सब कैसे हो सकता है | अरे मैंने अपने इन्ही हाथो से प्रदीप भईया की लाश का अंतिम संस्कार किया है, तब फिर उनकी आत्मा कैसे भटक सकती है | [ दुखी होते हुए ]
दीनू – हाँ शंकर ये सच ..
106
शंकर – नहीं ये सच नहीं है मैं पुरे यकीन के साथ कह सकता हूँ कि तुम्हारे भाई की लाश का अंतिम संस्कार अभी तक नही हुआ है |
अतुल – नहीं ऐसा नहीं हो सकता |
महेश – ये सच ...[ सभी महेश की आवाज सुनकर उसकी तरफ शाक्ड होकर देखते है | ] [ महेश घर के अंदर आता है ]... हाँ अतुल ये जो कुछ भी कह रह रहे है ये सच कह रहे है ..प्रदीप भईया की लाश का अंतिम संस्कार अभी तक नहीं हुआ है |
[ सभी ये बात सुनकर शाक्ड हो जाते है | ]
अतुल – ये ये क्या बोल रहे हो महेश ? ये कैसे हो सकता है |
महेश – एक मिनट ..कादिर [ कादिर महेश की आवाज सुनकर एक कैदी को पकड कर लाता है | वह कैदी कोई और नहीं बल्कि वो चोरनी का पति था | ].. बता साले क्या हुआ था उस दिन?
चोर – बताता हूँ साहब बताता हूँ ,अ आ आज से ठीक आठ साल पहले ...
सीन.न.85
इफेक्ट – रात का समय
tलोकेशन – जंगल वाले रास्ते पर
[ रघु और सोहन दो लुटेरे है और वे दोनों इस जंगल से गुजरने वाले आदमियों को लुट लेते है इस बार भी ये दोनों जंगल में किसकी को लूटने के इंतजार में बैठे हुए है | ]
सोहन – रघु तैयार हो जा कोई से बाईक आ रहा है |
रघु – ला रस्सी दे [ रस्सी मांगता है | ]
सोहन – ले पकड ,और जल्दी से सडक की दूसरी तरफ जा |
रघु – हूँ [ फिर रघु रस्सी का एक सिरा पकड कर जल्दी से दूसरी तरफ जाता है | ]
107
सोहन – तैयार है न
रघु – हाँ
[ फिर दोनों सडक के किनारे रस्सी लेके तैयार हो जाते है| फिर जैसे ही वो बाईक वाला करीब आता है तो दोनों रस्सी में फंसाकर गिरा देते है | बाईक वाला आदमी कोई और नहीं बल्कि प्रदीप था | बाईक के गिरने से प्रदीप का पैर बाईक के नीचे दब जाता है और प्रदीप को काफी चोटे भी आते है | फिर ये दोनों मौके का फायदा उठाकर प्रदीप का बैग छिनने लगते है | तो प्रदीप उन दोनों का विरोध करता है | ]
प्रदीप – अरे कौन हो तुम लोग ?ये क्या कर रहे हो छोडो मुझे छोडो |
रघु – अबे साले इतनी मेहनत से तेरे को नीछे गिराए है तो इसका मेहनताना तो लेना ही पड़ेगा न चल छो द इसे
[ फिर रघु प्रदीप से बैग छीन लेता है | और बैग छीनकर वापस जाने के लिए पलटते है तो प्रदीप रघु का पैर पकड लेता है |]
प्रदीप – अब कहाँ भाग रहे हो सालो इतनी आसानी जाने से नहीं छोडूंगा |
रघु – अबे छोड़ साले छोड़ मेरा पैर छोड़ . [ अपना पैर छोडाने की कोशिश करता है ]
सोहन – छोड़ साला छोड़ ... रुक साला ऐसे नहीं छोडेगा ये
[ फिर तभी इधर उधर देखता है तो उसे एक मोटा डंडा मिला जाता है फिर सोहन उस डंडे से प्रदीप के सर पर दे मारता है | सर पर चोट लगते ही प्रदीप एक दम से शांत हो जाता है | ]
रघु – अबे इसके सर से तो खून बहने लगा .कंही ये मर तो नहीं गया | [ घबराते हुए ]
सोहन – नहीं बे, इतना जोर से थोड़े ही न मारा कि मर जायेगा |
रघु – नहीं, मुझे तो लग रहा है कि ये मर गया साला |
सोहन – एकएक मिनट रुक, मैं देखता हूँ ..... [ फिर सोहन प्रदीप के दिल पर कान लगाकर सुनता है |तो उसे पता चलता है कि प्रदीप मर चूका है | जब उसे ये पता चलता है तो वह शाक्ड होकर रघु की तरफ देखता है ]
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रघु – क्या हुआ ? ऐसे क्यों देख रहा है ? [ घबराहट के साथ ]
सोहन – ये ये तो मर गया है | .चल चल भागते है यहाँ से |[ [ घबराहट के साथ ]
रघु – अबे पागल हो गया है क्या? इसे ऐसे ही छोडकर भाग चले |
सोहन – क्या मतलब तेरा ?
रघु - अबे अगर ये लाश पुलिस को मिल गया तो तो वो वो इस लाश के जरिये हम तक पहुँच जायेगे |
सोहन –पागल हो गया है क्या ? अबे किसकी को पता नहीं चलेगा कि इसे हमने मारा है |
रघु – नहीं, मुझे बहुत डर लग रहा है |
सोहन – अबे तो क्या करे इस लाश का ?
रघु – अगर इस लाश को हम लोग यही कहीं इस जंगल में दफना देगे तो हम कभी नहीं पकडे जायेगे |
सोहन – ठीक है ठीक है, चल जल्दी उठा इसे वरना कोई आ जायेगा [ रघु पर गुस्सा होते हुए |
[ फिर दोनों प्रदीप को उठाकर जंगल के अंदर लाते है और एक गढ्ढे में डाल देते है | ]
सोहन – अब तो ये दफ़न होने जा रहा है तो इसके पास जो कुछ भी सब लेते है |
रघु – ठीक कह रहा है तू |
[ फिर उसके बाद दोनों प्रदीप के सारे सामान लेलेते है | सोहन प्रदीप का पर्स निकालकर उसमे से कुछ पैसे रघु देता है और बाकि पैसे पर्स के साथ अपने पास रख लेता है | रघु प्रदीप का सोने का लाकेट निकल कर लेलेता है | इसी तरह बाकि के कीमती सामान उसके के शरीरी से निकाल लेते है | अंत में सोहन प्रदीप के बीच वाली अगूंठी को निकालने की कोशिश करता है तो वह अगूंठी नहीं निकलता है | ]
रघु – अबे छोड़ साले नहीं निकल रहा हैतो अब चल जल्दी से इसे दफ़ना देते है |
[ फिर दोनों आस पास मिटटी के ढेलो से प्रदीप को दफना देते है || ]
रघु – अब जल्दी निकलते है यहाँ से
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सोहन – अबे रुक
रघु – अब क्या ?
सोहन – बाईक
[ फिर दोनों बाईक लेके वहाँ से भाग जाते है | ]
सीन.न.86
इफेक्ट – रात का समय
लोकेशन – अतुल का घर
[ वह चोर सब को पूरी बात बताता है कि कैसे उन्होंने ने प्रदीप को मार डाला | ]
अतुल – साले कुत्ते कमीने, तुने मेरे भाई को मार डाला, मैं तुझे जिन्दा नहीं छोडूंगा साले [ गुस्से में मारते हुए |]
महेश – अतुल, छोडो इसे, छोडो [ अतुल को उस चोर से अलग करते हुए ]
अतुल – नहीं छोडूंगा इसे इसने मेरे भाई को मारा [ चोर को मारने के लिए आगे बढाता है | ]
महेश – अतुल रुक जा, इसे मारने कुछ नहीं होगा ..... [ अतुल को रोकता है ]
दीनू – तो वो फिर वो किसका लाश था, जिसका हम लोगो ने अंतिम संस्कार किया था | [शाक्ड होकर]
महेश – बता साले [ चोर को बोलता है | ]
चोर – म म मैं बताता हूँ वो किसका लाश था |.... उस रात प्रदीप को मारने के बाद सोहन बाईक लेकर अपने घर के लिए चला गया |
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सीन.न.87
इफेक्ट – रात का समय
लोकेशन – सडक पर
[ सोहन तेज बाईक चलाते हुए घर कि तरफ जा रहा था कि अचानक सोहन सामने से आती हुयी ट्रक से जा टकरा जाता है और सोहन बाईक के साथ ट्रक के चक्के के नीचे दब कर मर जाता है | ]
सीन.न.88
इफेक्ट – सुबह का समय
लोकेशन – सडक पर
[ महेश और दो हवलदार उस लाश के पास खड़े है और दो लोग उस लाश को स्ट्रेचर पर उठाकर कर रखते है और लाश को अम्बुलेंस में ले जाते है | ]
सीन.न.89
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन – अतुल का घर
[ अतुल घर से दूकान जाने के लिए तैयार है कि तभी अचानक फोन आता है | अतुल फोन उठाता | ]
अतुल – हल्लो कौन
महेश – मैं महेश बोल रहा हूँ |
अतुल – हाँ महेश बोलो
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महेश – अतुल तुम इसी वक्त थाने आ जाओ एक जरुरी काम है |
अतुल – ठीक है मैं अभी आता हूँ |
सीन.न.90
इफेक्ट – दिन का समय
लोकेशन –थाने में
[ अतुल बाईक से थाणे में आता है | ]
अतुल – हाँ महेश मुझे यहाँ क्यों बुलया? क्या बात है ?[ पास आकर कुर्सी पर बैठते हुए ]
महेश – बैठ जाओ
अतुल – हाँ बोलो क्या बात है ?
महेश – अतुल प्रदीप भईया अब नहीं रहे है| [ मायुश होकर धीरे से बोलता है ]
अतुल- क्या मतलब [ चौकते हुए ]
महेश – रात को जब प्रदीप भईया घर आ रहे थे कि अचानक उनका ट्रक से एक्सीडेंट हो गया और उनकी मौत हो गयी |
[ अतुल ये सुनकर शाक्ड हो जाता है \\]
सीन.न.91
इफेक्ट – शाम का समय
लोकेशन – श्मशान में
[ अतुल .अनुज दीनू और महेश रोते हुए प्रदीप का अंतिम संस्कार कर रहे है | ]
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सीन.न.92
इफेक्ट – रात का समय
लोकेशन – अतुल का घर
[ ये सारी बाते जानकर सभी एकदम से शाक्ड हो जाते है | ]
शंकर – मैं बोला था न अभी तक तुम्हारे भाई का अंतिम संस्कार नहीं हुआ |
महेश – लेकिन ये बात आप को कैसे पता चला? कि प्रदीप भईया कि लाश का अंतिम संस्कार अभी तक नही हुआ |
शंकर – वो इस लिए कि प्रदीप का शक्ल सुरेश से मिलता है |.. सिर्फ शकल ही नहीं मिलता बल्कि सुरेश का पुनर्जन्म हुआ तुम्हारे भाई के रूप में
[ ये बात सुनकर सभी शाक्ड हो जाते है ]
अतुल – लेकिन मैं कैसे मानलू कि सुरेश का पुनर्जन्म प्रदीप भईया के रूप में हुआ ..मेरी भी शकल तो रमेश से मिलाता है तो क्या मैं रमेश का पुनर्जन्म हूँ? नहीं न
शंकर – मैं ये बात मानता हूँ लेकिन मैंने ये साबित कर सकता हूँ ये बात सच है
महेश – वो कैसे ?
शंकर – बस मुझे ये बताओ कि प्रदीप का जन्म कब हुआ था ?
अतुल – हूँ .. 17-04-1986
शंकर – ठीक इसी दिन सुरेश का अंतिम संस्कार भी हुआ था | [ सभी ये बात सुनकर शाक्ड ] ..उधर सुरेश का अंतिम संस्कार हुआ और इधर सुरेश का पुनर्जन्म हुआ तुम्हारे भाई के रूप में |
अतुल – ठीक है मैं ये बात मान लेता हूँ लेकिन मुझे एक बात नहीं समझ में आ रहा है कि जब तक प्रदीप भईया जिन्दा थे तब तक उन्हें कभी भी अपने पिछले जन्म के बारे में याद नही आया लेकिन मरने के बाद ही उन्हें अपने पुनर्जन्म के बारे में कैसे याद आ गया ?
दिनु – हाँ शंकर आखिर ये सब कैसे हुआ ?
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शंकर – रघु के कहने के अनुसार उस रात जब इसके दोस्त सोहन ने प्रदीप के सर पर वार किया तो .प्रदीप मरते मरते अपने इस जन्म की सारी बाते भूल गया और उसे अपने पिछले जन्म की सारी बाते याद अगया | प्रदीप को मरे आठ साल हो चूका है इसलिए उसे बस इतना याद है कि वो पिछले आठ साल से भटक रहा है |
अतुल – वो आखिर ऐसा कैसे कर सकते है अरे हम लोग तो उनके भाई है |
शंकर – ये सब रमेश की शक्ल तुमसे मिलने कि वजह से हो रहा है |
दिनु – शंकर अब सब कुछ पता चल गया है तो इससे बचने का कोई रास्ता होगा न
शंकर – हाँ उस आत्मा से बचने का रास्ता है |
अतुल – कैसे ? |
शंकर – अगर हमें उस आत्मा यानी कि तुम्हारे भाई कि आत्मा से बचना है तो हमें उसकी इस जन्म की याद वापस लाना होगा | तभी हम सब बच सकते है |
महेश – पर उनकी याद वापस कैसे आएगी ?
शंकर – जिस तरह से सर वार करने से उसकी यादाश्त वापस चली गयी ठीक उसी तरह से उसके सर वार करने से ही उसकी याद वापस आ जायेगी |और हम सब उस बच जायेगे |
अतुल – ऐसा हो सकता है |
शंकर – हो सकता है, लेकिन हमारा वार उसी जगह पर होना चाहिए जहाँ पर उसे पहले चोट लगने के करना उसकी याद चली गयी थी |
महेश – पर हम आत्मा से कैसे लड़ सकते है | और नहीं किसी भी प्रकार हमारा वार उस पर असर करेगा | तब हम उसंकी याद कैसे वापस ला सकते है |
शंकर – मेरे पास एक ऐसा दिव्य और शक्तिशाली हथियार है जिसकी सहायता से हम तुम्हारे भाई की याद वापस ला सकते है | ..और एक बात ये कहना जितना आसान है करना उतना ही कठिन है | ,अगर ऐसा नहीं हुआ तो समझो हम सब मारे जाएगे | इस लिए हमें हर हाल तुम्हारे भाई की याद वापस लाना ही होगा |
दिनु – शंकर हमारे पास वक्त बहुत कम है हमें जो कुछ भी करना है जल्दी ही करना होगा |
114
शंकर – जो कुछ भी होगा वो आज और अभी होगा ...और एक बात जैसे ही हम उसकी लाश तक पहुंचेगे| वो जरूरू वहाँ आयेगा तब उस समय अतुल तुम्हे उसका ध्यान अपनी तरफ खीचना होगा ताकि पीछे से मैं उस पर वार कर सकू| समझे
अतुल – समझ गया अंकल कि मुझे क्या करना है ?
शंकर – दिनु तुम रूबी के साथ यही रुकोगे |
दिनु – ठीक है
महेश – चल साले बता तुने प्रदीप भईया की लाश को कहाँ दफनाया है ?
[ फिर दिनु और रूबी को छोड़कर सभी घर से निकल जाते है | ]
सीन.न.93
इफेक्ट – रात का समय
लोकेशन – शंकर का घर
[ अतुल महेश और शंकर घर के अंदर आते है शंकर संदूक से एक मोटा सा राड निकलाता है जिसकी लम्बाई लगभग डेढ़ मीटर का था और वह हथियार तन्त्र मंत्र से बंधा हुआ था | ]
शंकर – यही वो हथियार जिसका प्रयोग मैं बुरी आत्माओ से लड़ने में किया करता था | इसी हथियार से हम तुम्हारे भाई की याद वापस लायेगे |
[ अतुल और महेश उस दिव्य और शक्तिशाली हथियार को देखते है | फिर वो सभी हथियार लेके वहाँ से जंगल की तरफ निकल पड़ते है | ]
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सीन.न.94
इफेक्ट –रात का समय
लोकेशन – अतुल का घर
[ दिनु और रूबी घर के अंदर बैठे हुए है | ]
रूबी – मुझे बहुत डर लग रहा है काका, सब ठीक तो हो जायेगा न |
दीनू – सब ठीक हो ..... अरे ये तो लाईट चली गयी |
[अचानक घर की लाईट चली जाती है | ]
रूबी – अरे अचानक ये लाईट कैसे चली गयी | [ डरते हुए ]
रूबी – मैं मैं अभी कैंडल जलाती हूँ |
[ फिर रूबी डरते हुए कुर्सी से उठती है और अँधेरे में धीरे धीरे ड्रावर के पास जाती है और ड्रावर से मोमबत्ती और माचिस निकालती है और मोमबत्ती को जलालकर टेबल पर लाकर रखते हुए बैठती है कि तभी उसकी नजर दीनू कि तरफ जाती है तो दीनू एक दम से डरा हुआ है दीनू को ऐसे देखकर रूबी भी डर जाती है | ]
रूबी – क क क क्या हु..आ क.क काका अ अ आ आप इतने डरे हुए क्यों है ?
दीनू – वो वो वो तुम्हारे बा..गल में बैठा है [ डरते हुए इशारा करता है | ]
[ रूबी दिनु की ये बात सुनकर डर जाती है और डरते हुए जब अपने बगल में देखती है तो उस आत्मा को देखकर डर जाती है और डर के मारे चीखते हुए कुर्सी से उठकर दूर हट जाती है और डर के मारे उसकी आखे बंद हो जाती है |लेकिन वो आत्मा धीरे धीरे उसकी तरफ बढ़ता है ]
दीनू – रु रुक जा म म मैं क क कहता हूँ रुक जा [ दीनू पीछे से डरते हुए बोलता है ]
[ लेकिन वो आत्मा रूबी की तरफ बढ़ता ही जाता है | तो दिनु उसे रूबी की तरफ बढते देखकर एक डंडा उठता है और उस डंडे को लेकर उस आत्मा को पीछे से मारने लगता है | ]
दीनू – मैं कहता हूँ रुक जा रुक जा [ वह आत्मा नहीं रुकता है तो दीनू उसे डंडे से मारने लगता है ]
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[ फिर वो आत्मा दीनू को एक घुसा मारता है तो दीनू कुछ दूर जा के गिर जाता है| रूबी ये सब देखर और भी डर जाती है | और चिल्लाने लगती है | ]
रूबी –नहीं नहीं अ अ आगे म म मत बढ़ो [ डर कर दीवाल से सट जाती है | ]
[ फिर वो आत्मा जैसे ही रूबी को छूता है तो उस आत्मा को तुरंत एक झटका लगता है तो वह रूबी से कुछ दूर हट जात है | ये झटका रूबी के गले में पहने हुए उस दिव्य लाकेत की वजह से होता है |फिर वो आत्मा रूबी के गले में उस लाकेट को देखकर सब कुछ समझ जाता है | ]
आत्मा – अच्छा, तो उसने तुझे बचाने के लिए ये लाकेट दिया है| लेकिन ये लाकेट भी तुझे नहीं बचा सकता ,निकाल इसे, निकाल [ गुस्से में चीखते हुए ]
दीनू – नहीं बेटी, उस लाकेट को मत निकालना, जब तक वो लाकेट तुम्हारे गले में रहेगा, ये तेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता |
आत्मा –तो तू इसे नहीं निकालेगी
रूबी –नहीं, नहीं निकालूंगी [डरते हुए ]
[ फिर वो आत्मा गुस्स्से दीनू कि तरफ जाता है और दीनू को गर्दन पकडकर हवा में लटका देता है हवा में लटकाने के कारण दीनू का दम घुटने लगता है | ]
आत्मा – अब बोल, निकालेगी कि नहीं
दीनू – न न् नही बे बे बेटी उसे मत निकालना
[ दीनू इतना बोलता है तो वो आत्मा दीनू का गला थोडा और तेज से दबाने लगता है जिससे दीनू कि आवाज नहीं निकल पाटा है | ]
रूबी – नहीं, नहीं, उन्हें मत मारो, उन्हें छो छोड़ दो, छोड़ उन्हें
आत्मा – छोड़ दूँगा, जब तू उस लाकेट को निकाल कर बाहर फेंक देगी
रूबी – हां हा हा म म मैं निकालती हूँ उन्हें कुकुछ मत करो
[ फिर रूबी गले से वो लाकेट निकाल कर खिडकी से बाहर फेक देती है आत्मा ये सब देखकर मुस्कुरता है और फिर दीनू को छोड़ देता है दीनू नीछे गिरता है और उसकी हालत एक दम से
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खराब हो जाती है लेकिन फिर भी वो अपने आप को सँभालने की कोशिश करता है |वो आत्मा दीनू को छोड़कर रूबी की तरफ धीरे धीरे मुस्कुराते हुआ आगे बढ़ता है लेकिन जैसे ही वो रूबी के करीब जाता है कि अचानक वो गायब हो जाता है उसे अचानक गायब होते देख दोनों चौक जाते है कि आखिर ये कहाँ चला गया | उसके गायब होने के बाद रूबी दीनू के पास जाती है और दीनू को सँभालने की कोशिश करने लगती है | ]
रूबी – काका काका अ आप ठीक है न, ठीक हैं न काका
दीनू – [खांसते हुए ] खो खो ह ह हाँ बे बेटी ठी ठी ठीक हूँ, ठीक हूँ | [ पास जाकर दीनू को सँभालते हुए ]
सीन.न.95
इफेक्ट – रात का समय
लोकेशन – जंगल में
[ चोर जंगल में उस जगह पर सब को ले जाता है जहाँ पर उसने प्रदीप को दफनाया था | फिर सभी मिलकर उस जगह को खोदते हैऔर सभी प्रदीप के कंकाल को देखते है | अतुल कंकाल के एक अंगुली में अगूंठी देखकर पहचान लेता है | फिर अतुल नम आखो से उस अंगूठी को अपने हाथ से छूता है |अंगूठी को छूने के बाद गुस्से में उस चोर की तरफ देखता है तो वह चोर डर जाता है | ]
शंकर – अतुल अपने आप को संभालो.. उसे पता चल चूका होगा कि हम लोग यहाँ तक पहुँच चुके है वो कभी भी यहाँ पहुँच ....
[ तभी उस जंगल में एक आवाज सुनाई देता है जो काफी दूर से आ रहा है | और वो आवाज किसी और की नहीं बल्कि उस आत्मा की थी | ]
शंकर – वो वो आ रहा है अतुल, तुम तैयार हो न |
अतुल – हाँ अंकल, मैं तैयार हूँ |
118
शंकर – ठीक है|
[ फिर शंकर वो दिव्य हथियार लेके एक पेड़ के पीछे जाके छुप जाता है | वो आत्मा चीखते हुए अपने कंकाल के पास आ जाता है और वो आत्मा इतना भयानक तरीके से चीखता है कि पूरा जंगल उस की भयानक चीख से गूंज उठता है | उसकी इस भयानक चीख .से सभी लोग अपने अपने कान बंद कर लेते है| चीखने के बाद वो आत्मा अतुल और महेश को घूर कर देखता है इधर चोर और कादिर उस आत्मा को देखकर कार के पीछे जाके छुप जाते है | ]
आत्मा – ओ तो तू है, मुझे लगा कोई और ..खैर तू यहाँ क्या कर रहा है ? ...अच्छा अच्छा, अब समझा, तू मेरे इस कंकाल को जलाने आया है ताकि तू अपने आप को बचा सके ..ही ही ही लेकिन अगर तू ऐसा करेगा तो तो तू अपने भाई को कैसे बचा पायेगा हा हा हा
अतुल – अ अ आप को कुछ नहीं पता है .अ आ आप मेरे मेरे प्रदीप भईया हो
आत्मा – चुप कर.. अरे भाई तो मैं तुझे अपना मानता था लेकिन तुने ...
[ तभी पीछे से शंकर उस आत्मा के सर पर वार करता है जिससे वो आत्मा कुछ दुरी पर जाके गिर जाता है और इस वार से वो आत्मा एक से लडखडा जाता है और एकदम से गुस्से में हो जाता है | ]
आत्मा – साला कमीना पीछे से वार करता है .लेकिन अब मैं इन सबके साथ साथ तुझे भी नहीं छोडूंगा |[ गुस्से में ]
शंकर – मेरे होते हुए तू कुछ भी नहीं कर पायेगा |
[ कहते हुए शंकर उस आत्मा एक बार फिर वार करना चाहता है लेकिन इस बार शंकर वार करने में सफल नहीं हो पता क्योकि वह आत्मा अपनी ताकत से शंकर के वार को रोक देता है और शंकर इतना मरता है कि शंकर खून से लथप होकर जमींन पर गिर जाता है | ये सब देखकर अतुल और महेश एकदम से डर जाते है |वह आत्मा शंकर को मारने के बाद इन दोनों की तरफ बढ़ता है |]
महेश – अतुल हमें उस दिव्य हथियार तक पहुचना होगा |नहीं तो ये हमें जिन्दा नहीं छोड़ेगा|
अतुल – मैं इसे रोकता हूँ तू तू उस दिव्य हथियार को लेने की कोशिश कर |
महेश – ठीक है |
119
अतुल – आ आ लड़ मुझसे |
[ फिर अतुल उस आत्मा से भीड़ जाता है लेकि.न वो आत्मा अपने एक ही वार में अतुल को मारकर जमींन पर गिरा देता है | फिर वो आत्मा अतुल को मारने के लिए उसकी तरफ बढ़ता है, की महेश पीछे से चिल्लाते हुए उस आत्मा पर वार करने जाता है, लेकिन वो आत्मा महेश के वार करने से पहले ही उसे मारने से रोक लेता है | फिर वो आत्मा महेश को बुरी तरह से मारपीट कर जमीं पर फेंक देता है | महेश खून से लथपथ होकर जमीं पर गिर जाता है | जब वह आत्मा महेश को मरता रहता है तो अतुल जैसे ही उस दिव्य हथियार को लेने के लिए आगे बढ़ता है कि तभी वो आत्मा उसके सामने आजाता है हँसते हुए गुस्से में अतुल को कई घुसे मारकर जमींन पर फेंक देता है | अतुल भी खून से लथपथ होकर जमींन पर गिर जाता है |
आत्मा – अब देख साले मैं तुझे कैसे तडपा तडपा के मारता हूँ? |
[ गुस्से में चीखता हुआ वहाँ से गायब हो जाता है | ]
चोर – अबे भाग यहाँ से वरना उसने हमें यहाँ देख लिया तो वो वो हमें भी जान से मार देगा
कादिर – तू तू सही बोल रहा है भाग यहाँ से |
[ इधर ये दोनों डर के मारे उस वहाँ से भाग जाते है | ]
[ गायब होने के कुछ देर बाद वह आत्मा अनुज और रूबी को पकडकर लाता है और जमींन पर दोनों को धडाम से पटक देता है | रूबी और अनुज एकदम से डरे हुए है | ]
आत्मा – देख देख अपने भाई को ..कह रहा था कि वो तुम लोगो को बचायेगा, लेकिन वो मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ पाया, और नहीं तुम लोगो को अब मरने से बचा पायेगा हा हा हा [ जोर का भयानक हंसी हसंता है ]
[ अनुज और रूबी अतुल के साथ साथ महेश और शंकर को जमींन् पर खून से लथपथ देखकर डर के मारे एकदम से घबरा जाते है | दोनों रोते हुए अतुल के पास जाते है | ]
अनुज – भईया, भईया, उठो भईया, उठो [ अतुल को झकझोर कर ]
रूबी – ये ये क्या होगया? ये क्या होगया? लिपट कर रोते हुए ]
[फिर अनुज और रूबी महेश की तरफ जाते है और उसे होश में लाने कि कोशिश करते है | ]
120
अनुज – महेश, भईया, महेश भईया, उठो भईया उठो | [ मेहश को होश लेन की कोशिश करता है |]
आत्मा – अब इनमें से कोई नहीं उठने वाला है, और नहीं ये सब तुम लोगो को मरने से बचा सकते है |
[ फिर वो आत्मा दोनों को बुरी तरह से मारता रहता है तो उसी समय अतुल को होश आजाता है और ये सब देखकर हैरान हो जाता है | कुछ देर ऐसे ही अनुज और रूबी को बुरी तरह से मारकर वो आत्मा खूब भयानक हंसी हंसता है | ये सब नजारा देखकर अतुल तडप उठता है | ]
अतुल – नहीं, नहीं, छोड़ दो उन्हें, मत मारो, मत मारो [ असहाय होकर जमींन पर हाथ पटकता है | और उस आत्मा के सामने गिडगिडाता है ]
आत्मा – हा हा हा .. तुझे इस हाल में देख कर आज मुझे बहुत खुशी मिल रही हा हा हा .. अब मैं तेरे सामने इन दोनों को तडपा तडपा कर मारूंगा और तू मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ पायेगा |]
अतुल - नहीं नहीं उन्हें कुछ मत करो छोड़दो उन्हें छोड़ दो [ चीखता है
[लेकिन वो आत्मा रूबी और अनुज को अपने हाथो से हवा में लटकाकर उनका दम घोटने लगता है | ऐसा लगता है की वो आत्मा अपने मकसद में कामयाब हो जायेगा, की तभी शंकर उस दिव्य से उस आत्मा पर पीछे से वार करता है | वार होने के कारण आत्मा उन दोनों को छोड़ देता है | फिर दोनों में मार पीट चालू हो जाता है मार पीट के दौरान महेश को भी होश आ जाता है चारो एक जगह होकरशंकर को इस तरह उस आत्मा से लड़ते देख हैरान हो जाते है | शंकर उस दिव्य हथियार से लगातार आत्मा पर वार करता है जिससे वो आत्मा उस दिव्य हथियार के आगे एकदम से असहाय होकर जमींन पर गिर जाता है |
शंकर – उठ, उठ, साले उठ ... [ गुस्से में बोलता है | ]
[ फिर वो आत्मा जैसे ही उठता है तो शंकर एक बार फिर वार करने जाता है लेकिन वो आत्मा शंकर के इस वार को रोक लेता है |]
आत्मा – रुक जाओ ..कौन हो तुम ? और मुझे क्यों मार रहे हो ?.. ये ये ये लोग यहाँ क्या कर रहे है?. [आत्मा इन सब को देखकर शाक्ड हो जाता है |यानि कि प्रदीप की याद वापस आ चुका था | ]
121
[ तभी प्रदीप की नजर अतुल ,अनुज ,रूबी और महेश की तरफ जाता है तो वह उनकी तरफ जाता है | सभी को लगता है की प्रदीप की याद वापस आ चुकी है | |]
प्रदीप की आत्मा – तू तू तुम सब यहाँ क्या कर रहे हो ?.. और ये ये सब किसने किया तुम्हारे साथ ?[शाक्ड]
[ सभी ये जानकर राहत की साँस लेते है की प्रदीप की याद वापस आगयी है | ]
अतुल – भईया ,भईया ..आपको सब कुछ याद आगया है भईया [ प्रदीप की पास जाते हुए | ]
प्रदीप की आत्मा – ये ये क्या बोल रहा है तू? .. मुझे कुछ समझ में नही आ रहा है ये सब क्या हो रहा है ?
[ शंकर भी सब के पास आ जाता है | ]
शंकर – मैं बताता हूँ कि ये सब क्या हो रहा है?
[ फिर सारी बाते शंकर अतुल और मेहश मिलकर प्रदीप को बताते है प्रदीप ये सारी बाते जानकर एकदम से शाक्ड हो जाता है |]
प्रदीप की आत्मा – नहीं, नहीं, ये नहीं हो सकता, ऐसा नहीं हो सकता .......[ रोते हुए चीखता है | ]
अतुल – नहीं भईया, नहीं ,अपने आप को संभालो भईया | [दिलाशा देते हुए ]
प्रदीप – अनुज, अनुज मेरे भाई, मुझे माफ कर दे मेरे भाई, मेरी वजह से ...तुम लोगो को इतना तकलीफ उठाना पड़ा, मुझे माफ करदो, मुझे माफ कर दो | [ हाथ जोड़कर रोते हुए ]
अनुज – नहीं, भईया नहीं, ये जो कुछ भी हुआ ये सब अनजाने में हुआ, इसमे आपकी कोई गलती नहीं है ,कोई गलती नहीं | [ प्रदीप को दिलाशा दते हुए ]
शंकर – हाँ प्रदीप, जो होना था वो हो चूका , शुक्र करो की तुम्हारी याद सही समय पर वापस आ गया नहीं तो इनमे से कोई भी जिन्दा नहीं बचता |
महेश – लेकिन अंकल, इनसे लड़ने के लिए आप के पास इतना ताकत अचानक कहाँ से आ गया ?
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शंकर – उधर देखो [ एक तरफ इशारा करके दिखाता है ]
[ जब सभी उस तरफ देखते है तो एकदम से शाक्ड हो जाते है | क्योकि उधर शंकर की लाश पड़ी हुयी थी | मतलब की शंकर मर चूका था |]
शंकर - मैं भी प्रदीप की तरह एक आत्मा हूँ ..आत्मा बनने के कारण ही मैं प्रदीप की याद वापस लाने में सफल हो पाया | ..चलो जो होना था हो चूका, मैंने अपना वादा जिंदा रहकर नहीं, लेकिन मरकर पूरा कर दिया
प्रदीप – हाँ मेरे भाई, ये सब मेरी वजह से शुरू हुआ है और अब मैं ही इसे खत्म करूँगा |
[ एक तरफ प्रदीप की याद वापस आने की वजह से सब खुश थे तो दूसरी तरफ शंकर की मौत से सब दुखी थे| शंकर और प्रदीप कि वजह से अनुज बरी हो जाता है | और इस तरह एक बार फिर सभी बीती बातो को भूलकर फिर जीने से की कोशिश करने लगते है |]
समाप्त