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प्यार का इजहार - LETTER TO YOUR VALLENTINE

प्यारका इजहार

Vrishali Gotkhindikar

निहारिका का नमस्ते जी ..आपको कैसे संबोधित करू समझ नहीं आ रहा .फिर भी आशा है आप खुद हि हमे समझ लेंगे आठ दिन हुये आपको यहासे निकल कर ..|फोन पर आपसे दो तीन मर्तबा बात हुई थी..|आप नाराज है ये भी जान पडा बातोबातोमे पता नही क्यो हमे फोन पर बात करने मे थोडी झिझक सी लगती है..खुल कर बोल नही पाते हम ,और जो बोलनां चाहा होता है पीछे ही छुट जाता है |इसलिये हमने सोचा क्यो न खत के जरीये आपसे बात की जाय ..वैसे भी vallentine day नजदीक है तो यु समझो की ये हमारा “प्रेमपत्र “ है आपके लिये |.

हमे आज भी याद है वो हमारी मामा की बेटीका सगाई वाला दिन पीछले हप्ते आपको हम उसी समारोह मे मिले थे|हमारे मामाजी की लडकी पूर्वा का ब्याह तय हुआ उसकी सगाइ की रसम की तारीख निकल गयी |हमारा और मामाजीका घर लखनौ मे एकही इलाके मे ही है... तो यु आना जाना भी लगा रेहेता है|उसपर पूर्वा और हम एक साथ पले बढे है |स्कुल भी एक ही था हम दोनो का ..दिन भर स्कुल मे साथ रेहेते हुये भी हम दोनोका मन नहीं भरता था |कॉलेज मे भी हम साथ ही पढे है |कभी वो हमारे घर, तो कभी हम उनके यहा ऐसा चलता था दिनभर | सगी बेहेनोसे ज्यादा था हमारा प्यार |बचपन से हम कोई भी बात हो एक दुसरे से नही छुपाते थे |घरवाले तो बोलते इन दोनो की एक ही घरमे शादी करा देंगे ताकी ये कभी जुदा नां हो पाये |इनके लिये एक घरके दो भाई ढून्ढेगे ..!खैर ये तो ठेहेरी मजाक वाली बाते ..आखिर किसका ब्याह कहां होना है ये कहां पता होता है ? अचानक से पूर्वा की सगाई तय हुवी | दुल्हा दिल्लीवाला था |दिल्लीसे उनके रीश्तेदार और दुल्हेमिया के दोस्त भी आनेवाले थे |एक बडावाला फंक्शन मामाजी ने रख्खा था |उन लोगोकी खातिरदारी करनेकी जीम्मेवारी हमे दि गयी थी|मामा जी का केहेना था की उनकी मेहेमाननवाजी मे कोई भी कमी नही रेहेनी चाहिये | फिर सगाई के एक दिन पेहेले एक बडी गाडी लेकर दिल्लीवाले मेहेमान आ गये |उन सबके ठेहेरेने का प्रबंध तो पास वाले एक हॉटेल मे कीया गया था |हम सब लोग गुलाब के फुलोके साथ उनके स्वागत के लिये उनकी गाडी के पास गये |एक एक करके सब उतार गये ..और आखिर मे हमारे होनेवाले जीजू उतर गये |जीजू के साथ थे आप ..उनके “खास “दोस्त के रुपमे ..!हमे देख के जीजू आपकी तरफ देख के बोले ,सुरज देखा तुमने ? ये है हमारी beautiful साली याने आधी घरवाली ..निहारिका “|जीजू की और हमारी पेहेचान वैसे शादी तय करते समय हो गयी थी |हमने भी एक बडावाला गुलाब का फुल हसकर जीजू को दिया |और दुसरा गुलाब आपके हाथ मे देकर आपकी तरफ हसके देखा और वेलकम भी किया |“वाव सच मे आप बडी खुबसुरत है”..हमारी तरफ देखकर आप बोल दिये |एकदम एक पराये आदमीसे हमारी तारीफ सुनतेही हम थोडा सेहेम से गये |फिर अचानक जीजू बोले ..”अरे निहारिका इसे पराया मत समझो, ये हमारा जिगरी दोस्त है सागर बडी हवेली है इनकी दिल्लीमे ..लोग भी बडे है..|”“बस कर दोस्त पेहेली मुलाकातमे हमे इतना भी बडा मत बनाओ “आप बोल दिये |जीजू बस से उतर कर चलने लगे ..आगे जाकर उन्हे घरके बाकी सदस्योने घेर लिया |अचानक आप आगे आये और सामने आकर बोले” हमे तो लाल गुलाब मिला है|जानती हो इसका मतलब “?हमने आप की तरफ देखा और नजर झुका के हस दिये |सच बताये तो आपके देख कर हमारे “होश “उड गये थे |आप दिखने मे बहोत ही अच्छे थे ..जैसे की कोई हिंदी फिल्म के हिरो |उंचा पुरा कद , बहोत ही घने बाल ,बडी बडी मुछे ,बोलते बोलते हाथ बालोमे फेरने की अदा .!! उफ हा ..आपको आचरज होगा मगर पेहेली नजर मे हमने आपको बहोत बारिकी से देखा था | उस रात को खाने के बाद सब लोगोके साथ पेहेचान बनाने का प्रोग्रम था |हॉटेल के एक बडे हॉल मे सब लोग इकठ्ठा हुवे थे |हम पूर्वा के साथ एक कोर्नेर मे बैठे थे तभी जीजू वहा आ गये |“सालीजी हमको हमारी होने वाली बीबी के साथ बात करनी ही अगर आप इजाजत दे तो ..“हा हा बिलकुल ,मगर अभी उसको साथ लेके नही जाना ही ये याद रखो और इजाजत के लिये फीस देनी होगी”|जरूर ..जो मांगे वो मिलेगा जीजू हसकर बोले और पूर्वा को साथ लेके चले गये |तभी आप वहा आ गये ..”यहा बैठ सकते है क्या ?....अपने पुछां.“जी तशरीफ रखिये “मैने बोल दिया |“इस हरे लेहेंगे मे आप तो कमाल की खुबसुरत लग रही हो “..आप बोल दिये |हम खुश होकर हस दिये ..मनमे तो आया हम भी बोल दे की आप भी अच्छे दिख रहे हो ..मगर एक अजनबी को हम अचानक ऐसे कैसे बोलते ? फिर हम दोनो बहोत देर तक बाते करते रहे शुक्र था, उस भिड्मे किसी का ध्यान हमारी तरफ नही था| आपने आपके बारेमे बहोत कुछ बताया |आप दिल्ली से एक बिजिनेसमन थे |आपकी एक बडी फ्यामिली थी वहा |कारोबार के सीलसिले मे अक्सर विदेश भी आना जाना रेहेता था आपका |फिल्म तथा संगीत मे बहोत “रुची “थी आपको |फिर आपने हमारे बारे मे भी जानने की कोशिश की |हम क्या बताते ?हम तो एक सीधे साधे घर से थे | कॉलेज पास किया था |आगे पढने का मन भी था |मगर अभी तक कुछ तय नही किया था |हमको रसोई मे बहोत ही रुची थी,घुमना फिरना अच्छा लगता है यही सारी बाते आपको बतायी |हम मेहेसुस कर रहे थे आप हमे बडीही बारिकी से देख रहे थे |और आपको पता नही था की हम भी आपकी आखोमे खोये हुये थे | परिचय का सिलसिला खतम हो रहा था की आप बोल पडे “हमे भी हमारी जिंदगी मे एक खुबसुरत परी का इंतजार है और वो जो परी है ना वो खाना भी अच्छा बनानेवाली हो | समझ गयी ना ? हम आपकी आखोमे आखे डाल कर सहमा कर हास दिये |उस रात निंद हमारी आखोमे आनेको तय्यार ही थी| बस करवटे बदलते रहे सुबह तक |सुबह हो गयी तो कब तय्यार होकर आपके रूबरू हो जाऊ ऐसा हुआ था हमे |आज एक सफेद जरी वर्क की सारी हमने पेहेनी थी और उसपर authentic jwellaryहम बहोत सुंदर लग रहे थे ऐसे सब बोल रहे थे और पूर्वा के बाद अब हमारी शादी की बात छेडी जां रही थी |घरके सब लोग हमको बहोत चीढा रहे थे |पूर्वा ने भी अब हमारी शादी की जिम्मेदारी उठा ली थी |वो हमे खुद के साथ दिल्ली ले जाना चाहती थी |सुनकर हमारे मनमे मी लड्डू फुटने लगे |मनमे बस आपकाही खयाल था | जैसे ही सगाई के हॉल मे पहुंचे हमारी आखे आपको तलाश कर रही थी |मगर आप कही दिख नही रहे थे | सगाई की रसम शुरू होने को थी और जीजू को लेकर आप अंदर दाखील हो गये |आप दोनोने शेरवानी सूट पेहेना था |आपको देखकर हमारी धडकने बढ गयी इत्तेफाक से आपके सूट का रंग भी सफेद ही था | हम दोनो ने एक दुसरे की तरफ देखा और खुश हुए| आप जीजू के साथ थे और हम पूर्वा के पास | तभी मौका देखकर आप हमारे कानमे हलकेसे बोल दिये,”आज तो आपकी खुबसुरती ने “जवाब “दे दिया है, सबकी नजरे आपपर टिकी हुई है | हम मन हि मन बोले हमे तो सिर्फ आपकी नजर दिख रही है| सगाई की रसम पुरी हो गयी |खानेके टेबल पर आप हमारे पास ही बैठे थे |आपके पास बैठ के एक खुशबू मेहेसुस हो रही थी और सुकून भी था दिलमे |आखिर सब खतम हुआ और आप लोगोके जानेकी घडी नजदीक आ गयी |पता नही क्यो लेकीन हमारे मनमे बहोत बेचैनी थी ..एसेमे आपने हमे एक कोने मे बुला लिया |इधर उधर देखकर हमारा हाथ थाम लिया और बोले ,“मेरे बारेमे मैने सब बताया है,तुम्हारे बारेमे भी सब जान लिया हैबोलो मेरा साथ दोगी ?मुझे जरुरत है इस “परी “ की ...आपका हाथ हाथमे आतेही हमारे दिलकी धडकने तेज होने लगी ..आपके सवाल के जवाब का आपको तुरंत इंतजार था .और .वो भी “हां”मे |ये तो हम जान गये थे ..मगर क्या करे हमारे मुह से एक लब्ज भी निकल नही पाया |अचानक किसीकी आहट सून कर आपने मेरां हाथ छोड दिया और बिना जवाब के नाराज होकर चले गये ,ये हमारी समझ मे आ गया | उस रात हम बिलकुल सो नही पाये | बार बार सिर्फ आपका खयाल था मनमे | सोच रहे थे आप तो इतने बडे लोग है, आपके सामने हमारी क्या अवकात होगी ?क्या ये सब हम निभा सकेंगे ?केवल जजबात के आधार पर जिंदगी बिताना क्या मुमकिन है? फिर ये सब बाते हमने पूर्वा से शेअर भी की ,मगर उसकी तरफ से भी हमारी जोडी कमाल रहेगी ऐसा जवाब पाया |एक हप्ता हो गया हमने बहोत सोच लिया ..और अब मै इस नतिजे पर पहुंचे ही की हम तुम्हारे बिना नही जी सकते हमे यकीन है आपका भी यही हाल होगा वहा..फोन पर केहेने की हिम्मत नही इसलिये ये लिख कर बोल रही हु हम अपनी सारी जिंदगी आपके साथ खुशिसे बिताना चाहते है|I LOVE YOU B MY VALLENTINE …आपकी होने की” चाहत” रखनेवाली निहारिका ..

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