गेम बनाम मर्डर
बिजली वालों ने कॉलोनी में बिजली मरम्मत के लिए 12 घंटे बिजली बंद होने का ऐलान किया था। रमा सारे घर के ट्यूब, पंखे बन्द कर किचन में खिड़की खोल लंच बना रही थी, बच्चों के स्कूल से आने का वक़्त हो रहा था और वो इन्वर्टर को बच्चों के कमरे के पंखे कूलर चलाने के लिए बचा कर रख रही थी। पड़ोस के टीवी से आ रही न्यूज़रीडर की आवाज़ से उसका सर चकरा गया। वो दौड़ कर अपने मोबाइल पर न्यूज़ चला सुनने लगी। 'स्नोबेल स्कूल के दूसरी क्लास का छात्र स्कूल टॉयलेट के बाहर खून के तालाब में छटपटाता हुआ पाया गया। उसके गले पर तेज़ चाकू से वार किए गए थे। स्कूल बस ने कुछ देर पहले ही बच्चों को उतारा था और बच्चा पंचशील का था।' पंचशील और दूसरी कक्षा सुनकर रमा के माथे पसीना कब आंसुओं के साथ मिल गया पता नहीं लगा और सर चकराने लगा। आगे के धुँधलाते अक्षरों में बच्चे का नाम ज्ञान और पिता का भोलाराम सुन वो और गमगीन हो गयी। ये तो सामने की कलोनी की उसकी सहेली प्रतिमा का बेटा सोनू उर्फ ज्ञान था।
प्रतिमा को फोन लगाऊँ सोच रही थी कि उसके बच्चे स्कूल से आ गए। रिंकी और बबलू का माथा चूम दोनों को जूस देकर कपड़े बदलने का कह वो खुद भी हल्के रंग का सूट पहन तैयार हो गयी। तीनो साथ बैठ खाना खाने लगे। माँ को चुप चुप और परेशान देख रिंकी ने पूछा, 'मॉम आज तो आपको मालूम था मेरे टेस्ट पेपर्स मिले, फिर भी आप ने मांगे नहीं, बबलू का पराँठा खुद खाने बैठ गए, क्या हुआ है उदास क्यों हो आप मम्मा?'
'रिंकी, प्रतिमा आंटी का सोनू.. बेटा मुझे अभी प्रतिमा आंटी के घर और स्नोबेल स्कूल जाना होगा।
किसी ने स्कूल में सोनू का गला काट मर्डर कर दिया है.. आप बेटा अपना और बबलू का ध्यान रखना, लेट हो जाऊं तो मिल्कशेक बना लेना'। हाव्व कर दोनों बच्चे सहम के लंच करने लगे। सामने टीवी पर स्नोबेल स्कूल से लाइव आ रहा था। स्कूल बस से उतरते ही ज्ञान को रोज़ वाशरूम जाने की आदत थी। आज जब प्रेयर टाइम वो ग्राउंड में नहीं पहुंच तो उसकी क्लास टीचर ने उसकी खोज करवाई तो दिल दहला देने वाला दृश्य देख पुलिस बुलवाई गयी। वाशरूम के बाहर वाले सीसीटीवी कैमरे पर च्विंग्गम लगा का फोकस रोका गया था। टीवी बन्द करने और रेस्ट के बाद पढ़ने की हिदायत दे दोनों बच्चों को प्यार कर रमा निकल पड़ी।
प्रतिमा के घर हाहाकार मचा था। तरह तरह की कहानियां गढ़ी जा रही थी। प्रतिमा और उसके पति पुलिस स्टेशन गए हुए थे, पोस्टमाटर्म की रिपोर्ट से पहले लाश नहीं मिली थी। रमा सीधे स्नोबेल स्कूल गई, जहां कहा जा रहा था वाशरूम से एक बड़ा बुचर नायफ मिला था। कहां से आया उतना बड़ा चाकू स्कूल में और कौन है मासूम का हत्यारा... सोचते हुए रमा प्रिंसिपल ऑफिस दाखिल हुई और अपना आई कार्ड प्रिंसिपल मैडम को दिखाते हुए ज्ञान की क्लास और बस के सभी छात्रों को बुलवाने की अपील की। स्कूल प्रशासन ने पुलिस के ग्रीनचिट देने तक सभी छात्रों के घर फोन से सूचित कर सारे टीचर्स और स्टूडेंट्स को स्कूल में क्लासों में ही रोक रखा था। चाइल्ड वेलफेयर एसोसिएशन एनजीओ की चीफ और स्कूल मैनेजमेंट समिति की प्रेजिडेंट रमा को प्रिंसिपल जानती थीं।
कक्षा दूसरी सी के सभी छात्र लाइन लगा अपनी टीचर संग प्रिंसिपल रूम के बाहर आ गए, साथ ही बस रुट 7 के सभी छात्र भी। रमा पहले एक एक कर बस के सभी सीनियर छात्रों से बात करने लगी। एक छात्र सबकी नजर बचा बस की मैडम मुखर्जी से पूछ अपनी क्लास से पानी की बोतल लाने के बहाने खिसकता दिखा। रमा ने उसे आगे बुलाया, 'रोहन नाम है ना तुम्हारा? कक्षा ग्याहरवी एच... क्या सब्जेक्ट्स हैं तुम्हारे? और ये बैग नीचे रखो। मैडम वो.. वो न आंटी..
अरे ये इतना बड़ा मिट्टी दाग कैसा? किसी ने कीचड़ में धक्का दिया तुमको?
मैम फुटबॉल खेलते हुए न.... तड़ाक से दो थप्पड़ रसीद किये रमा ने रोहन की गाल पर... फुटबॉल मासूम बच्चे के खून से खेली जाती है क्या?
रमा मैम ये आप क्या बोल रही हैं, प्रिंसिपल उसको टोकती रही, रमा बोलती रही...
हाँ बता और कौन कौन हैं तेरे साथी? कहाँ से लाया चाकू? क्यों मारा तूने ज्ञान को? कैमरे को ढक कर क्या बच जाएगा??
रोहन रोते हुए प्रिंसिपल के चरणों में गिर पड़ा... मैडम मुझे माफ़ करो.. प्लीज़ मेरी गलती नहीं... शुभम और शेफाली के कहने पे मैं....
'शुभम और शेफाली कक्षा ग्यारह एच के मॉनीटर्स और शुभम तो हेड बॉय भी है... पी टी सर बोले। लाता हूँ दोनों को।'
'पर ये मर्डर तुम तीनों ने किया क्यों?' रमा सख्ती से बोली पर आंख नम थी उसकी।
शुभम का चेहरा पीटी सर की मार से लाल था। आते ही बोला, 'मैम रेड रैबिट गेम में ज्ञान हमारा टारगेट था। गेम के कहेनुसार 10 दिन से कभी हम उसको चॉकलेट दे रहे थे, कभी पेंसिल बॉक्स, कभी उससे पोयम सुनते, कभी उसके घर जाकर उसका रूम डेकोरेट.. कल रात का टास्क था फूड्स लैब से बुचर नाइफ, सबसे बड़ा चाकू उठा अपने टारगेट पर हल्का वार करना। अब हमको क्या मालूम था रोहन ज्ञान की जान ही ले लेगा। मेरा कुसूर नहीं मैम ये शेफाली और रोहन का प्लान था। मैंने तो सिर्फ उनको बोला ही था।' रोहन ही गया वाशरूम उसके पीछे, मैन शेफाली ने तो बस कैमरा बन्द किया था।'
एक कैमरा तो बन्द किया च्विंग्गम लगा, बाकी कॉरिडोर के कैमरे तो तुम तीनों की सच्चाई बता रहे। क्या बिगाड़ा था मासूम ज्ञान ने तुम्हारा? इतनी समझ नहीं कि गेम और ज़िन्दगी कितने अलग होते हैं। मर्दर किया है तुम सबने, और स्कूल भी छुपा रहा था सीसीटीवी फुटेज.....'
'रेड रैबिट तो बैन हो गई है, मैंने कितनी बार प्रेयर टाइम एनोउंस किया। मेरे स्कूल में रेड रैबिट... रमा जी आप मेरे स्कूल को बदनाम नहीं कर सकती।'
प्रिंसिपल की बात अनसुनी कर रमा ने पुलिस चीफ से रोहन, शुभम, शेफाली के बयान नोट करने और उनके साथ ही स्कूल पर भी सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया और खुद प्रतिमा के घर की ओर गाड़ी मोड़ दी। 'प्रतिमा, तुम्हारे बेटे राजा को तो वापिस नही ला सकती पर तुम्हारे बेटे के साथ इंसाफ कर दिया मैंने। एक डार्क नेट गेम ने कितने बच्चों को गुमराह कर अपना शिकार बनाया। रेड रैबिट गेम टास्क पूरे करने की खातिर कितने बच्चों ने अपनी जान दी, और कितने मासूमों की ज़िंदगी बर्बाद हुई। इंटरनेट की दुनिया का ये काला कोना, डार्क नेट मौत का सौदागर बना हुआ है। क्यों नही हमारे बच्चे ये बात समझते। क्यों गेम बनाम मर्डर बन गयी ज़िन्दगी मासूमों की।'
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