अन्जानी राहें Aana द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अन्जानी राहें

जुलाई २०१५; हमेशा की तरह सभी कॉलेज और स्कूल प्रारंभ हो चुके थे | इशिका ने अन्तर कि परीक्षा पास कर लिया था और उसे कॉलेज में एडमिशन के लिए जाना था | अन्तर कॉलेज में 92% मार्क्स आने के बाद भी इशिका ग्रेजुएशन के लिए कही बाहर न जा सकी, इशिका के पिता एक छोटे से किसान थे | जो बिहार के पटना जिले के रहने वाले थे | खेती से परिवार का गुज़ारा बड़ी मुश्कील से हो पाता था | स्कूल में मेधावी होने के साथ-साथ इशिका बहुत ही लगनशील विद्यार्थी थी | अभी तक उसकी पढाई का खर्च स्कॉलरशिप से ही हो पाया था | इंटर कॉलेज में मेरिट में आने से उसे जो मेरिट स्कॉलरशिप मिली थी, उससे वो आसानी से आगे कि पढाई जारी कर सकती थी |

इशिका ने बहुत सोच-विचार कर पटना के ही एक कॉलेज में एडमिशन ले लिया | आज कॉलेज का पहला दिन था, इशिका ने ज्यो ही कॉलेज में एंट्री कि सामने से आ रहे सीनियर ने कहा, hey, “are u new-comer”. उसने कुछ डरते-डरते जवाब दिया –जी सर | इशिका चुप-चाप से गर्दन नीचे करते हुए क्लास कि तरफ बढ़ ही रही थी कि अयान ने पीछे से फ़िर आवाज लगाई, स्टॉप वह फ़िर रुक गई | अयान ने उसका नाम पूछा, तो उसने दबे हुए स्वर में धीरे से उत्तर दिया- इशिका ....अब उसे क्लास में जाने कि और भी जल्दी थी ....लेकिन अयान ने उसे रोकते हुए पूछा सब्जेक्ट क्या है तुम्हारा...इशिका ने थोडा गर्दन उठाते हुए कहा ...सोशियोलॉजी..और फ़िर उसने कहा मै अयान बीएससी सेकंड ईयर स्टूडेंट इन मरीन साइंस और अयान ओके बाय कहता हुआ लाइब्रेरी कि ओर चला गया | इशिका ने क्लास में जैसे ही एंट्री कि सर ने पूछा ये कोई टाइम है आने का क्लास में पुरे पांच मिनट लेट है आप..पहला दिन है इसलिए रहने देता हू आगे से ऐसा नही होना चाइए...उसने जी सर कहते हुए हां में सर हिलाया और बैठ गयी | स्कूल तो वो डेली जाती थी लेकिन आज कॉलेज का पहला दिन उसे कुछ अलग ही लग रहा था | जैसे –तैसे कॉलेज का पहला दिन ख़त्म हुआ | घर आकर उसकी वही रोज कि दिनचर्या घर के काम करना और फ़िर अपनी पढाई में लग जाना | पढ़ते पढ़ते उसे कब नीद आ गयी उसे पता भी न चला | अगले दिन कॉलेज में प्रवेश करते ही अयान का फ़िर मिल जाना और उसने गुड मोर्निंग कहते हुए उसने निकलने कि कोशिश ही कि थी कि अयान ने उससे पूछा पहला दिन कैसा था.-उसने हाँ में सर हिलाया और bell के बजते ही क्लास कि ओर चल पड़ी |

धीरे –धीरे ये सिलसिला चलता रहा और अयान और इशिका जल्दी ही अछे मित्र बन गए | अयान के सेकंड ईयर में होने से इशिका को काफी हेल्प मिल जाती थी | दोनों अक्सर साथ बैठ कर स्टडी करते और किसी न किसी टॉपिक पर discuss करते ..कोई भी समस्या होती दोनों मिलकर उसका समाधान धुध ही लेते | धीरे –धीरे समय व्यतीत होता गया और उनकी दोस्ती और भी गहरी हो गयी अब वो दोनों सुख में दुःख में हमेशा एक दुजे का साथ देते अब इशिका सेकंड ईयर में थी और अयान का लास्ट ईयर, लेकिन इसके साथ साथ बहुत कुछ बदल चूका था,

अयान अब इशिका को पसंद करने लगा था और उसे उसकी हर बात अच्छी लगती थी लेकिन अयान, इशिका से कहने में झिझकता था .उसे लगता था कि सायद वो ये सब बातें करके उसे परेशान तो नही कर देगा या कही वो उससे नाराज हो गयी तो या कही उसने दोस्ती ही ख़तम कर दी तो ....इन सब बातो को सोचते सोचते आज अयान को पूरी रात नीद नही आयी | करवटे बदलते –बदलते कब सुबह हुई उसे इसका भी अंदाजा नही हुआ |

अयान एक संपन्न परिवार का अकेला पुत्र था और उसके पिता दीनानाथ शास्त्री एक बहुत ही बुद्धिमान और इमानदार वकील थे | इस पेशे में काम करते हुए उन्होंने अपना दामन झूठ और पाप दोनों से बचा के रखा था | उनकी पत्नी कमला जी बहुत ही धार्मिक महिला थी और अयान को उन्होंने सदैव अछे और बुरे में भेद करना सिखाया था और उसका प्रभाव अयान पर साफ़ दीखता भी था | वह स्वभाव से बहुत ही सरल, उत्तम विचारो वालो, पैसा और स्टेटस उसके लिए मायने नही रखते थे, सायद इसीलिए उसे इशिका से दोस्ती करने में ज्यादा वक़्त नही लगा कुकी दोनों के विचारो में काफी हद तक समानता थी | दोनों ही नेकदिल और स्वाभाविक थे और शिक्षा में भी दोनों पुरे कॉलेज में प्रसिद्ध थे |

माँ ने रसोई से आवाज लगते हुए कहा ...अयान ....अयान कॉलेज नही जाना क्या नास्ता कब करोगे .....आज उसे इशिका के बारे में ही सोचते सोचते काफी समय हो गया था कॉलेज का वक़्त होने वाला है उसे ये भी अंदाजा न रहा बाथरुम से आवाज लगते हुए उसने कहा ....जी मा......आया..... बस... दो मिनट ...आप नास्ता लगा दो |

आज जब अयान कॉलेज आया तो, इशिका कुछ उदास सी बैठी थी, अयान ने उसे देखते ही कहा, क्या हुआ यहाँ चुप चाप क्यूँ बैठी हो ?उसने पहले तो कुछ कहा नही लेकिन अयान के कहने पर उसने अपनी उदासी का कारण उसे बताया | इशिका कि उदासी का कारण कुछ और नही बल्कि अभी तक कि गयी उसकी लगन और मेहनत का परिडाम आगे क्या होगा ....जिस वितीय समस्या को लेकर उसने अपने सपने को पूरा करने का रास्ता बदल दिया था क्या वो उसे पा सकेगी......क्या उसके सपने पुरे हो पाएंगे | अयान ने उसे होसला देते हुए कहा, कु न होंगे तुम्हारे सपने पुरे ...मै हु तुम्हारे साथ ....तुम्हारी काबिलियत है तुम्हारे साथ और इतना कहने पर इशिका कि आँखों में अब दुगुनी चमक थी और उस चमक के साथ चेहरे पे एक हलकी सी मुस्कान भी थी | अब दोनों बाते करते करते अपनी अपनी क्लास में चाले गए | पूरी रात उधेड़ बन करते करते अयान ने सोचा था, कि आज इशिका को अपने मन कि बात कह देगा लेकिन उसे इस तरह से अपने सपनो में खोया देख उसने अपनी जुबान सिल लिए..वो नही चाहता था कि वो किसी भी तरह से उसके सपनो के बीच आये |

कॉलेज से अयान का प्लेसमेंट होने के बाद उसे इंडियन नेवी में रैंक ए ऑफिसर कि जॉब मिल गयी और उसे चेन्नई के लिए जाना पड़ा | इशिका का ये तीसरा ईयर था | अयान के जाने के बाद उसे उसकी कमी का एहसास हुआ | अब उसका ज्यादा समय या तो किताबो में जाता था और पढ़ते पढ़ते अचानक उसे अयान कि याद आ ही जाती थी | जिस प्रेम का अहसास अभी तक इशिका को नही हो पाया था वो अयान के जाने के बाद अनायास ही उसके खयालो में दस्तक देता था ...इधर अयान और इशिका के बीच कोई कांटेक्ट न होते हुए भी अयान इशिका को भुला नही था समय के साथ इस प्यार का रंग और भी गहरा हो चला था ...और अब उसे इन्ताजार था तो इशिका के सपनो के पूरा होने का ....जाते जाते उसने इशिका से प्रोमिश जो लिया था .....उसके जाने के बाद वो कभी कांटेक्ट में नही रहेंगे और वो पूरा ध्यान अपने उस सपने को पूरा करने में ही लगाएगी जो उसने देखे है इशिका के लिए और जो इशिका ने देखे खुद के लिए .... |

धीरे –धीरे वक़्त ने भी करवटें ले ली थी ..इशिका का थर्ड ईयर कम्पलीट हो चूका था और उसने आई. ए. यस. कि परीक्षा पास कर ली थी ...आज उसकी आँखों में ख़ुशी के आसू थे और मन में अयान के लिए ढेर सारा प्यार और सम्मान .....वो अयान ही था, जिसने मुश्किल वक़्त में उसे सम्हाला था उसके टूटते हौसलों को उसने पंख दिए थे ...... | दूर रहते हुए भी अयान को इशिका के हर पल कि खबर होती थी | अयान के मित्र उसे इशिका कि हर छोटी बड़ी बात का जिक्र किया करते थे | इन अजनबी सालो में एक वही सहारा था उसके पास,जो उसे इशिका के पास होने का एहसास दिलाता था | उसे इस बात कि खबर लग गयी थी |

उसी वक़्त अयान का फ़ोन आया और उसने फोन उठाते ही पहला शब्द सुना ....बधाई हो ....अचानक अयान कि आवाज सुन कर वह चुप सी हो गयी, इतनी बड़ी सफलता के बाद अयान का इस तरह से बधाई देना,इशिका कि आँखे भर आई थी | फ़िर अयान ने कहा मै घर आ रहा हूँ और बहुत जल्द ही शादी करने वाला हूँ | यह सुन कर मानो इशिका स्तब्ध सी रह गयी, उसके चेहरे कि मुस्कान थोड़ी फीकी पड़ गयी | ऐसा लग रहा था उससे कोई बहुत दूर जा रहा है |

आज अयान कि फ्लाइट लैंड होने वाली है सुबह ११ बजे, यही सोचते सोचते इशिका के मन में अनायास ही अक्सर ये ख्याल आ जाता कि उसे अपनी फीलिंग अययन से शेयर कर लेनी चाहिए,फ़िर दुसरे ही पल उसके मन में अजीब सी बेचैनी थी क्या वो भी यही सोचता है जो मई सोचती रही हू | फ़िर अचानक ही सोचा उसने कुछ न कहा तो, क्या होगा ...इन बताओ कि जाद्दोजहद में कब शाम के तिन बज गए उसे पता ही नही चला | तभी अयान का फ़ोन आया और उसने कहा हम कल ही जा रहे रिश्ते कि बात करने और उसने इशिका से उस्केपुचा घर में सब कैसे है इशिका ने धीरे से कहा सब अच्छा है,और फ़िर अययन ने कहा फ़िर कल मिलते है |

परेसान इशिका खयालो में इतना गम थी कि उसने अयान कि बातो का मतलब भी नही समझा |

आज फ़िर इशिका चुप-चाप अकेले कमरे में बैठे हुए अयान के साथ बिताये पुराने लम्हों को याद करके अनायास ही मुस्कुरा रही थी, दोपहर के दो बज रहे थे | तभी दरवाजे पे ख़त ख़त कि आवाज आती है, माँ ने कमरे से आवाज लगाते हुए इशिका को पुकारा पर उसका ध्यान उस ओर नही गया, और उसकी माँ ने आगे बढ़कर दरवाजा खोला | तभी अयान ने कहा नमस्ते आंटी, मै अयान इशिका और मई कॉलेज में साथ पढ़ते थे,और ये मेरे पेरेंट्स |

इशिका कि माँ ने उन्हें कमरे में बिठाया और उसके पिता जी को बुलाया ..और बातचीत कि सुरुवात हुई | इशिका के पिता को इस रिश्ते से कोई ऐतेराज नही था, और उन्होंने इशिका कि राय जानने के बाद ही कोई निर्णय लेने के लिए कहा, तभी इशिका ने घर में कुछ लोगो कि बात करने कि आवाज सुनी और उसे आवाज कुछ जनि पहचानी सी लग रही थी | जब हाल में अयान को देखा तो उसकी खुसी का ठिकाना न था, उसने मन ही मन कहा, तो वो मै थी, जिसकी अयान कल बातें कर रहा था | इशिका कि राय जानने के बादअयान कि खुसी का ठिकाना न रहा | दोनों आज बहुत खुश थे | आज उनकी दोस्ती को एक नया मुकाम हासिल हुआ था |

आज दुनिया जहां कि सारी खुशियाँ उनके कदमो में थी | आज दो अनजानी राहे हमेशा के लिए एक हो चुकी थी |