100 वर्ड लव स्टोरीज़ MB (Official) द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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100 वर्ड लव स्टोरीज़

100 वर्ड लव स्टोरी

1 - Ajay Puranik

लड़के और लड़की की आँख मिचौली की भनक किसी को न हो अतः लड़की की माँ ने लड़की को बंद पालखी में नाव से गंगा पार ननिहाल भेज दिया | लड़का, एक झलक के लिए खुली नाव में संग हो लिया| उससे सदा के लिए निजात पाने, दासी ने, जहाँ गंगा अथाह थी, लड़की की चप्पल गंगा में फेकदी और लड़के को निकाल लाने की चुनौती दी | बेचारा गंगा में कूद गया |

कुछ क्षण हुए और इस बार पालखी में से एक छपाक की आवाज आई|

सुबह तलाशने पर, गोताखोरों को लड़की और लड़के के शव गुत्थम गुत्था मिले |

***

2 - सुहानी मंजिल

Amrita Shukla

मेडिकल की पढाई पूरी कर मीता इंटर्नशिप के दौरान धर्मेन्द्र की तरह दिखने वाले मासूम चेहरे के महेश से मिली, जो प्यार के रिश्ते की शुरूआत थी। महेश के बारे में मीता हमेशा सुनती कि" जिसे महेश पसंद करेगा वो तो बहुत लकी होगी"। वो ही शब्द मीता के कानों में गूंज रहे थे और होठों पर मुस्कुराहट खिल रही थी। कहते हैं प्यार छुपता नहीं है। परिवार को भी पता चला। मीता के कहने से महेश के घर बात की गयी। ये सुखद संयोग था कि यह शादी धूमधाम से हुई। मीता महेश खुशनसीब थे कि उनके प्यार को सुहानी मंजि़ल मिल गयी थी।

***

3 - Anu Aryaa

" खीर लाई हूँ, खा लीजिएगा ।" "अरे, एक मिनट रुको।" "जान जाएगी अम्मा तो ग़ुस्सा करेगी फिर से।" वो मुड़ी कि उसने हौले से कलाई पकड़ ली। आज यूँ अचानक पहली बार ऐसे छुआ था। एक धड़कन कहीं अंदर ही रह गयी। उसने अपनी जेब से कुछ निकाल हथेली पर रख दिया। घर पहुँच कर काग़ज खोला, उसमें एक जोड़ी पायल और उस काग़ज़ पर लिखा था, "पता नहीं हम को हक़ है या नहीं ..." "सुनो अब इन्हें पहन कर छत पर आया करना।" अब वह एक जोड़ी पंख लिए उड़ती फिर रही थी। खिड़की पर बैठा कोई उस छनछन की आवाज़ से अपनी धड़कनों को मिला रहा था।

***

4 - प्यार की हद

Archana Singh

आभा, ट्रेन की खिड़की के बाहर देखते हुए पुरानी यादों में खोई जा रही थी। किसी कारण 35 वर्ष पूर्व माँ-पिताजी अलग हो गए थे, माँ पिताजी को याद कर रोया करती थी। सामने के बर्थ पर एक व्यक्ति आ गया कुछ अस्वस्थ सा था। अपनी एक डायरी में कभी कुछ लिखता, एक लिफाफ़ा लिए हुए था जिसे अपने प्यार तक पहुँचाना था। ट्रेन प्रातःमऊ पहुँची, आभा जैसे ही स्टेशन पर उतरी तो माँ को स्टेशन पर देख चौंक गई क्योंकि आज तक माँ उसे लेने नहीं आई थी। माँ की नज़र किसी को खोज रही थी कि तभी उस अजनबी ने लिफाफा थमाते हुए अपना प्यार व्यक्त किया और गोद में अंतिम सांस ली।

***

5 - प्यार का दीप

Archana Singh

आज सुबह से उठकर मेरा मन कुछ अनमना-सा हो रहा था। फिर भी मैंने पति को नाश्ता बनाकर टिफिन में दे दिया। मैं नहा धोकर नाश्ता करने बैठ गई कि तभी डोरबेल बजी। दरवाजा खोला तो देखा कि अम्मा सामने खड़ी थी। मैंने कहा,‘अम्मा कैसी हो? अम्मा ने कहा,‘ आजके आमर बूढ़ा शोरीर भालो नेई।हां, उसकी बंगाली भाषा मुझे ही समझ आती थी। अम्मा की उम्र साठ वर्ष के आस-पास की थी, बेटे बहू वाली थी । उसकी शादी को तीस वर्ष हो चुके थे। तीन बच्चे भी हुए किन्तु पति ने दूसरी शादी कर ली । इसके बावजूद अम्मा ने ही बूढ़े को संभाला , किडनी देकर प्यार के लौ का मान रखा।

***

6 - दफन

Arun V. Deshpande

-बाबूजी - मै राकेशसे बेहद प्यार करती हुं, शायद वो भी. मै उसिसे शादी करना चाहती हुं.

रुही, सुनोमेरी बात ,

जिस राकेशके प्यार का तुम वास्ता दे रही हो ..उसने तुम्हे अंधेरेमे रखा है. - उसकी मक्कारी -

चालाखीका तुम्हे पताही नही- वो तो अमीर मा-बाप की बेटियो को प्यार के जाल मे फसाने मे माहीर है.

तू तो एक गरीब बाप की बेटी है ..राकेश जैसा ठग –तेरे प्यार को कभी समझ नही सकता, ठोकर खानेसे पहले संभलजा बेटी, तेरे इस नासमज प्यार को दफन करदेनेमे ही सबकी भलाई है |

***

7 - स्याही

Ashish Kumar Trivedi

अभी भी उस रात की कालिमा उसके मन पर छाई थी। उसकी अपनी ही चीखें उसके कानों में गूंज रही थीं।

कदमों की आहट सुन उसने ऊपर देखा। उसका मंगेतर वैभव सामने खड़ा था। वैभव ने हर हाल में साथ निभाने का वादा किया था।

लेकिन अब शायद वह उसे अपना न सके। उसने अपनी उंगली पर पहनी सगाई की अंगूठी निकाल कर उसने आगे बढ़ा दी।

वैभव ने अंगूठी वापस उसकी उंगली में पहना दी। उसे अपनी बाहों में ले लिया। उसके आलिंगन की गर्मी से मन का अवसाद पिघल गया। मन में छाई स्याही आँखों से बह गई।

***

8 - कंबल

Ashish Kumar Trivedi

सर्द रात में ठंडी हवा तीर सी चुभ रही थी। कोई आधी रात का वक्त होगा। फुटपाथ पर बूढ़े भिखारी दंपति सोए हुए थे। दिन भर यहीं आस पास मिल कर दोनों भीख मांगते थे। जो भी मिल जाता उसी से गुजर कर लेते थे।

बूढ़े भिखारी की नींद खुली तो उसने देखा कि एकमात्र कंबल जो उनके पास था वह उसके शरीर पर पड़ा था। यह तो उसने बुढ़िया को उढ़ाया था। पास सोती बुढ़िया पर नज़र डाली। वह ठंड से कांप रही थी। बूढ़े की आँखें पनिया गईं। उसने कंबल बुढ़िया को ओढ़ा दिया।

***

9 - खरा सोना

Ashish Kumar Trivedi

अपने पति की बीमारी से लड़ते हुए बीना भावनात्मक सहारे की बहुत आवश्यक्ता महसूस कर रही थी। पर उसके आसपास सांत्वना देने वाला कोई नहीं था।

केवल विशाल से ही उम्मीद थी। कोई नाम न होते हुए भी उनका रिश्ता खरे सोने की तरह मिलावट रहित था। आखिरी मुलाकात में विशाल ने कहा था कि वह उसे सदा एक हमदर्द के तौर पर याद रखे।

बहुत सोंच विचार के बाद उसने निशाल को फोन किया।

उसकी आवाज़ सुनते ही विशाल समझ गया कि वह परेशान है।

बीना ने उसे सारी बात बता दी।

"तुम परेशान मत हो। मैं आता हूँ।"

बीना अब राहत महसूस कर रही थी।

***

10 - सपना

Ashish Kumar Trivedi

वरुण मेमोरियल स्कूल के उद्घाटन पर विभा बहुत उत्साह के साथ मीडिया को स्कूल दिखा रही थी।

एक टीवी रिपोर्टर ने पूंछा "आपका स्कूल अन्य स्कूलों से अलग कैसे है?"

"सभी बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके इसलिए हमारे यहाँ शिक्षा प्राईवेट स्कूलों की तरह होंगी किंतु हम फीस बहुत कम लेंगे। ताकि साधारण घरों के बच्चे भी आगे बढ़ सकें।"

"वरुण जी से आपका विवाह होने वाला था। किंतु अकस्मात ही उनकी मृत्यु हो गई। आपको उनकी कमी बहुत खली होगी।"

वरुण की तस्वीर को देख कर विभा बोली "अपने सपने के रूप में वह हरदम मेरे साथ हैं। हमेशा वह मुझे प्रेरणा देते रहेंगे।"

***

11 - बुरा सपना

C.P.Hariharan

मल्लिका बारहवीं में थी

उसकी मुलाकात मोहित से हुई

मोहित तो खूबसूरत था, मल्लिका सामान्य

प्यार की पहली पहल तो मल्लिका ने ली

वह भोलीभाली थी. मोहित ने तो उसकी फायदा उड़ाया

कुछ भी मुफ्त में मिलने से कोई इंकार करता ? उसको लगा कि मांगकर तो भीख भी नहीं मिली, बिना मांगे ही मोती मिली

मतलब निकल गया तो वह तितली की तरह और फूलों से शहद चूसने लगा

मल्लिका ने देर से समझी कि कांटे फूल में लगे या उल्टा, नुक्सान तो फूल का ही है

वह बेबस रोने लगी

उसने चुपचाप गर्भपात की जो कुछ भी हुआ एक बुरा सपना सोचकर आगे बढ़ी

आगे ऐसी हरकतें न करने की शपथ ली

शुभम

***

12 - मां की आखिरी निशानी

Hari Prakash Dubey

“सुनो, याद है न वो दुर्घटना ?” “कैसे भूल सकती हूँ, आज भी याद है वो दुर्घटना, हम दोनों तो कार के नीचे दबे हुए थे, और उसके बाद दोनों के ही एक –एक पैर काटकर किसी तरह डाक्टरों ने हमारी जान बचाई, और मां जी ने अपना सब रुपया –पैसा और जेवर हमारे इलाज में लगा दिया और उनकी दी हुई ये अंतिम निशानी, ये बैसाखी हम दोनों का सहारा बन गयीं !”“मां ने कहा था “तुम लोग तन से कमजोर भले ही हो पर मन से कमजोर कभी मत बनना !” “और ये बैसाखी… ये हमेशा हमारे साथ रहेगी, मां की आखिरी निशानी !”

***

13 - बेरंग प्रेम

Jahnvi Suman

राहुल ने दवा विक्रेता के पास अपने जीवन की पहली नौकरी की औऱ कुछ ही दिनों में सामने वाली दुकान में कार्यरत विम्मी को दिल दे बैठा।

जब जब विम्मी जे उसकी निगाहें मिलतीं वह शर्म से लाल हो जाता।

वह मन ही मन विम्मी को अपनी जीवन संगनी मान चूका था।

वह कभी उससे बात करने की हिम्मत नही जुटा पाता था।

एक दिन राहुल ने हिम्मत कर विम्मी को बाहर बुलाया।

वह कुछ बोलता उससे पहले ही उसकी नज़र विम्मी की मांग पर पड़ गई जो सिंदूर से लाल हो रही थी।

सारे रंग उड़ गए । बेरंग प्रेम उसपर ज़ोर ज़ोर से हँस रहा था।

***

14 - अधूरी कहानी

Jahnvi Suman

सुरप्रीत के जीवन की दहलीज पर योवन कब आ खड़ा हुआ, इसका अहसास उसे तब हुआ, जब जीतू को देखकर उसके दिल की धड़कने बढ़ जाने लगीं।

जीतू पंजाब के छोटे से गांव में मवेशियों को चराता फिरता था। सुरप्रीत उससे मिलने के लिए कोई न कोई बहाना ढूंढ ही लेती थी। दोनो घंटों एक दूसरे में खोए रहते।

एक दिन दोनों बातें करते पाकिस्तान बॉडर तक चले गए।

एक मवेशी के पीछे भागते भागते जीतू भारत की सरहद पार कर बैठा। फिर जो हुआ उसे देखकर सुरप्रीत की चीख निकल गई। पाकिस्तान के सैनिक जानवरों की तरह जीतू मो घसीटते हुए जीप मेंI डालकर ले गए।

आज भो सुरप्रीत वहाँ मैले कुचेले कपड़ों में जीतू का इन्तज़ार करती है।

कोई उसे पगली समझता है और कोई भिखारी समझ एक दो रुपए उसके हाथ में रख देता है।

***

15 - प्यार के ज़ज्बात

Jay Raval

१५ साल एक दुसरे के साथ रहने के बाद, दोनों में मनमुटाव और नफ़रत इस कदर बढ़ गए कि, उन्होंने मेडिकल ट्रीटमेंट से अपनी सारी मेमरी मिटा दी, और अनजान बन गए |

६ महीने के बाद दोनों अनायास उसी जगह मिले, जहाँ से उनके प्यार की शुरुआत हुई थी | दिमाग से सारी यादें मिटने के बावजूद दोनों फिर से मोहब्बत के रंग में आकर जुड़ गए |

सच हैं ना कि, दिमाग से कोई भी बात मिटा दो, लेकिन दिलों में पलपे हुए ज़ज्बात कभी नहीं मिटते, हर धड़कन के साथ वो रगों में बहते रहते हैं |

***

16 - Kamini Gupta

प्रीती और समीर एक दूसरे से शादी में मिले थे। प्रीती अपनी मर्ज़ी और पसंद से अपने मुताबिक लड़के से शादी करना चाहती थी। शादी में प्रीती से जब मुलाकात हुई उसे पहली ही नज़र में प्रीती पसंद आ गई। उसने अपनी मर्ज़ी घरवालों को शादी में ही बता दी। प्रीती के घरवालों तक यह बात पहुंची तो उनको पता चला कि समीर वही लड़का था जिसका रिशता प्रीती ने सूरत देख कर ही मना कर दिया था । पर समीर को देखकर प्रीती भी खामोश हो गई थी सूरत तो इतनी अच्छी नहीं थी पर उसके बात करने का तरीका, अपने ममी पापा के साथ मधुर व्यवहार और तहज़ीब ने उसे दो दिन में ही समीर का दिवाना बना दिया था। शादी खत्म हो गई थी, समीर ने प्रीती के घरवालों से उनकी राय जाननी चाही उनको तो कोई ऐतराज़ नहीं था पर वो प्रीती से डरते थे कि उसने पहले भी न कर दी थी । यह बात प्रीती को पता चली कि समीर और उनके घरवाले शादी के लिए जवाब मांग रहे हैं तो उसने चुपके से मां के पास जाकर कह दिया मां मुझे समीर पसंद है । सभी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा, एक शादी के समारोह ने दो अलग राहों पर जाते हुए इंसानो को एक मंज़िल दिखा दी थी।

***

17 - जलमहल

Kanta Roy

"रेत पर लिखा, लहर सब बहा ले जाता है!"

"सो?"

"मत लिखो!"

"हूँ!"

"फिर लिख रही हो?"

"......"

"दिखाओ!"

"लो, देखो!"

"तुमसे मेरा प्यार

बेहिसाब, बेशुमार"

"मिटा दो! अब मत लिखना!"

"साँसों में चढ़ती

साँसों में उतरती"

"......."

"तुमसे मेरा प्यार

बेहिसाब, बेशुमार"

"तुम पागल हो!"

"मैं पागल?"

"हाँ!"

"......"

"......."

"चुप क्यों हो गये?"

"ऐसे ही!"

"अब तुम भी लिखने लगे, देखूँ?"

"मत देखो!"

"दिखाओ!"

"नहीं होगा लौटना मेरा

मत करना इंतजार"

"जा रहे हो?"

"हाँ!"

"कब लौटोगे?"

".........."

"चुप मत रहो, कुछ तो कहो!"

"चाँद से कहना

तुम दिल की बात"

"प्लीज़!"

"आँखों में काट लेना

जुदाई वाली रात"

"सच में जा रहे हो?"

"हूँ!"

"रुक नहीं सकते?"

"नहीं!"

"क्यों?"

"कल मेरी शादी है!"

***

18 - खामोश प्रेम

Kavita Verma

गांव के बाहर निकलते ही उसने सतर्क हो कर चारों ओर देखा। किसी को न पा कर उसके कदम ठिठक से गये। क्या करे आगे बढे या रुक कर इंतजार करे? उसके माथे पर पसीना छलक आया धीमे कदमों से वह चलती रही। तभी उसके पीछे आहट सी हुई उसने पीछे पलट कर देखा एक सुकून उसकी आंखों में उतर आया। नदी किनारे हंसी ठहाके की आवाज सुनते ही वह उसके साथ हो गया और डंडा मजबूती से थाम लिया। उसका स्कूल आ गया था उसने कांधे के बैग को संभालते उसकी तरफ देखा और वह बिना उसकी ओर देखे साइकिल पर सवार हो आगे बढ गया।

***

19 - बूढ़ी आंखें Kavita Verma

आमने-सामने बने उन दो मकानों की बनावट में वैसे तो बहुत अंतर था लेकिन फिर भी कुछ तो समानता दोनों में थी। दोनों ही मकानों से आये दिन चीखने-चिल्लाने की आवाजें आती थीं। जिस मकान से आवाज आती उसके सामने वाले मकान से दो बूढ़ी आंखें खिड़की से झांकतीं और सामने वाले मकान में दो बूढ़ी आंखों की झलक देख कर ओझल हो जातीं। लगभग चार साल तक यह सिलसिला चलता रहा किसी को पता नहीं चला और एक दिन एक मकान की दो आँखें बंद हो गईं उस दिन दूसरी दो आंखें बेतहाशा बरसीं।

***

20 - बिछोह

Kavita Verma

हाथ में टिफिन छाता पकड़े काँधे पर बैग लटकाये वह सामने वाली सीट पर आकर बैठ गई। नज़रें मिलीं और दोनों ही अकबका गए। "कैसी हो ""ठीक हूँ " ऑफिस से आ रही हो ?""हाँ " "पति और बच्चे ?" उसने उसके गले में झूलते मंगलसूत्र को देखते हुए पूछा। "बहुत अच्छे हैं ,बच्चे दो हैं।" कुछ अटक सा गया उसके गले में। "तुम ""ठीक हूँ एक बेटा है पत्नी हाउस वाइफ है। ""क्यों मयंक " उसकी आँखें छलछला गयीं। "क्योंकि तुम्हारा करियर भी जरूरी था और मेरे घर में सब इसके खिलाफ। तुम घुट जातीं।"

***

21 - Khushi Saifi

आज 15 साल बाद वो दोनों मिल रहे थे। 65 साल का सूट बूट पहने एक आदमी पार्क में सीट पर अपने 15 साला पोते के साथ बैठा इंतेज़ार में बार बार हाथ पर बंधी घड़ी देख रहा था। हाथ घड़ी से नज़र उठी तो सामने से 63 साल की बूढ़ी औरत आती दिखी जिसे देख कर दिल फिर से धड़कने लगा पर 15 साल पुरानी बात कानों से टकराई। "आज बता देंगे हम दोनों अपने अपने बच्चों से कि जल्द हम दोनों शादी करने वाले हैं" तभी दरवाज़े से एक शादीशुदा जोड़ा आता दिखा "हमने शादी कर ली, आप दोनों दोस्त रिश्तेदार बन गए हैं" और कान में आयी आवाज़ वापिस पार्क में ले आयी "दादू वो देखें नानी आ गयी"

***

22 - Khushi Saifi

"मैं तुम से आखरी बार कह रही हूँ"

"तो क्यों कह रही हो"

"जब तुम मुझे कहते हो मैं फ़ौरन मान जाती हूँ"

"तो क्या मैं नही मान जाता फ़ौरन"

"ओफ्फो, तुम चाहते क्या हो ?"

"तो क्या तुम्हें इतना भी नही पता ?"

"मेरे सवाल पर सवाल मत करो"

आंखों में झांकते हुए "तो क्या जवाब तुम्हे बता दूँ ?"

"हाँ, बताओ.. क्या चाहते हो"

"तो क्या..."

"खबरदार जो इस बार "तो क्या" बोला"

"अच्छा.. आई लव यू"

शर्माते हुए "तो.. क्या तुम सच कह रहे हो"

"तुम ने "तो क्या" बोला.. हा हा हा हा"

***

23 - फिर सुबह

Kusum Joshi

चेतन तुम्हारी यादों बिना मेरी सुबह कभी नही हुई, जरुरी नही अब भी हम पीठ किये खड़े रहे ।

माया ! तुम मुझे माफी दोगी।,लरजती आवाज में चेतन फुफफुसाये।

संगीत मेरी रूह थी, "तुम्हें नफरत थी संगीत से .. बिना रुह कैसे जीती, तुम्हारा अविश्वास..

तुमने कहा "शक की वेदना में जीने से बेहतर हम अपने रास्ते ही बदल दें"।

उम्र के इस पड़ाव में एक दूसरे की जरूरत है, प्रेम ने परीक्षा ली थी।

हम आंखों की गहराईयों में झांकेंगे " सब गिले शिकवे, बह निकलेगें"

तुमने कभी लिखा था-

"दीप्त होता प्रेम..

..कंपकपाती.. लौ..फिर

नीले आकाश में सूर्य रश्मि सा दमकता प्रेम"।

जीवन के आखिरी बसंतों में हमारा पारितोषिक होगा "दमकता प्रेम" ..।

***

24 - शास्वत प्रेम

Lata Agrawal

“अम्बर ! क्या दुनिया में प्रेम बहुत जरूरी है ?”

“वसुधा ! यह तुम पूछ रही हो !"

“वो ... दुनिया में प्रेम के नाम पर जाने कैसे व्यापार हो रहे हैं इससे पूछा |”

“ लोग प्रेम के वास्तविक स्वरूप से अनजान हैं वसु |”

“क्या है वास्तविक स्वरूप ?”

“जिसमें वासना नहीं, लोक कल्याण का भाव हो |”

“कैसे... समझाओगे ?”

गरज के बरस पड़ा अम्बर, वसुधा ने समा लिया उसका प्रेम अपने आगोश में, प्रेम का ज्वर जब शांत हुआ, वसुधा ने देखा लाखों निरीह प्राणी, पेड़ पौधे जो प्रचंड ऊष्मा के ताप से जीवन की आस खो बैठे थे। उनमें फिर उम्मीद अंकुर फूटने लगे हैं।

***

25 - पवित्र प्रेम

Lata Agrawal

गजावली पद्मनाथ, नर्तकी मेहरुन्निसा कला प्रेमी धर्म से परे प्यार के बंधन में बंध, गंगा किनारे सुर-ताल की जुम्बिश में खोये थे तभी धर्म के ठेकेदार वहां पहुँच गये |

“तुम्हें अपने अपने धर्म में लौटना होगा,तुम्हारा प्रेम कुबूल नहीं समाज को |”

“सच्चा प्रेम है हमारा, इसका निर्णय स्वयं गंगा माँ करेगी |” उन्होंने माँ गंगा से गुहार लगाई,

“माँ के लिए तो सभी औलाद समान होती है, माँ ! अगर हमारा प्रेम सच्चा है तो हमें स्वीकारो माँ |”

उनके इतना कहते ही माँ गंगा एक एक सीढ़ी चढ़ी और अपने दोनों बच्चों को अपनी गोद में समेट कर ले गई |

***

26 - रूहानी प्यार

Madhu Jain

रोज शाम को उसकी पसंद का खाना लाना, एक दूसरे को हाथों से खिलाना, तालाब किनारे चांद निकलने तक बाहों में बाहें डालकर रूमानी बातें करना चंद महीनों में ही जिन्दगी का अहम हिस्सा बन गया।

आज उसे न पाकर परेशान अकेले ही चांद का इंतजार करने लगी। एक बालक आकर चिट्ठी देता है। मेरे पिता ने मेरी शादी तय कर दी है जा रहा हूँ।

उसने तालाब में छलांग लगा दी ।

पेड़ के पीछे से दौड़ता उसे आवाज देता हुआ आता है। फिर छपाक!!

तालाब में पानी की आवाज के साथ मुलाकात का सिलसिला भी खत्म।

***

27 - चाह

Mahesh Rautela

मैं बहुत दिनों से उससे कहना चाह रहा था कि," मैं उससे प्यार करता हूँ।" पर कह नहीं पा रहा था। इसलिए मैंने सोचा कि एक कागज में लिख कर उसे बता दूँ। कागज पर लिखा," मैं तुम्हें प्यार करता हूँ।" कागज को जेब में रख एक सप्ताह उसके आसपास आता जाता रहा लेकिन कागज उसे थमाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।कागज शब्दकोश में रख दिया और एक घंटा उसके पास बैठा रहा।वह समझ तो गयी होगी।वह मुझे छोड़ने दूर तक आयी लेकिन कुछ बातचीत हमारे बीच नहीं हुई, भविष्य के बारे में।

***

28 - Mahesh Rautela

मैंने उससे कहा,"मैं तुमसे प्यार करता हूँ ।" वह चुप खड़ी रही। दिनभर हम एक दूसरे की आँखों में झांकते रहे। दूसरे दिन मैंने उससे पूछा," कल मैंने जो कहा, तुमने बुरा तो नहीं माना ।" उसने कहा,"क्या?।" मैंने फिर कहा,"कल जो कहा। वह बोली,"क्या?" मैंने फिर कहा,"कल जो कहा। वह बोली,"क्या?" मैं उस वाक्य को फिर दोहरा नहीं पा रहा था। मैं कुछ कहे बिना वहां से चला गया। दूसरे दिन वह मुझे रास्ते में अपनी सहेलियों के साथ मिली। वह रूकी और मेरी ओर बढ़ी, लेकिन मैं बात नहीं कर पाया। चुप, हम एक दूसरे को देखते रहे।

***

29 - एक दूजे के लिए

Manju Gupta

" बस दो महीनों के बाद लन्दन में आसमान - सी असीमित मोहब्बत मेरी बांहों में होगी. प्यार की दुनिया में हम दो एक हो जाएंगे. स्काईपे विरह के पल बातों से कट जाएंगे. हवाईअड्डे पर विदा होते हुए रंजन ने रजनी की आँखों में झांकते हुए कहा. "

वापसी में रंजना का मुरझाया मन रंजन की मुलाकातों की खुशबू से भीग रहा था. रूठने में वह कितना प्यारा लगता.

रंजना यादों की पैहरन पहने दो महीनें काट लंदन के प्रेमनगर में रंजन से मिल के जिन्दगी सतरंगी खुशियाँ बिखेर रही थी. आज एक दूजे संग हकीकत के आंगन में मोहब्बत का हर लम्हा थम गया.

***

30 - हार्ड ड्रिंक

Mukesh Joshi

आज २ साल बाद एक दोस्त के मैरिज सेलिब्रेशन में कजरी दिख गई |

वो कॉलेज का तीसरा दिन था जब दोनों दोस्त बने थे। वहीं प्यार जब परवान चढ़ा तो घरवालों को ख़बर लग गयी। कजरी के घरवालों ने उसकी शादी तय कर दी | उस दिन जैसे-तैसे कजरी विवेक से मिलने आई थी।"कजरी तुम हिम्मत तो करो”

"नहीं विवेक मैं घरवालों की मर्ज़ी की ख़िलाफ़ नहीं जा पाऊँगी.. अपना ख़याल रखना और हो सके तो मुझे भूल जाना।

"साहब कुछ लेंगे।" वेटर की आवाज़ से विवेक का ध्यान टूटा।"एक हार्ड ड्रिंक ।"

***

31 - रेत पर महल

Pawan jain

गांव से राधा और श्यामा निकलीं, राधा मुंम्बई पहुँच गई, उसने जुहू बीच की रेत पर दिल को चीरता हुआ तीर बनाया, जो भीड़ के पैरों तले कुचला गया और समुद्र की लहरों के साथ बह गया ।

श्यामा ने शीतल जल से कल कल करती पतली सी नदी के किनारे चमचमाती रेत पर एक थाली में रोटी बनाई जिस पर कन्हाई नाम लिखा और एक चूल्हा बनाया उस पर अपना नाम लिख दिया, कन्हाई ने चारों तरफ एक चौखटा बनाकर घर बना दिया।

श्यामा बिना कुछ कहे उसे सर्वस्य निछावर कर बैठी।

***

32 - प्रेम

Pawnesh Dixit

चिड़िया और चिडे में इतना प्यार था कि एक पल के लिए भी वो अलग नहीं होते थे चाहे दिन में खुले आसमान में उड़ना हो, दाना चुगना हो या रात में घोसले में सोना हो | एक बार आसमान में काले काले मेघ छाए तभी एक शिकारी जंगल में आया,मारा खींच के एक बाण, चिडे चिड़िया दोनों उसी क्षण मृत्यु के गर्त में | उनका नन्हा बच्चा चूं चूं करता रहा पर शिकारी बच्चे को अपलक देखता रहा, दूसरे ही क्षण तेज हवा का झोंका आया, शिकारी डगमगाया एक काँटा उसके पैर में चुभ गया, अब वह दर्द से चीखा - आह की आवाज़ हुयी, मन में माँ की स्मृति कौंधी पर वहां देखने सुनने वाला अब कोई भी शेष न था| प्रेम की भाषा अतिगहन,मौन,शब्दरहित है पर संभवतः इंसान उससे भी ऊपर है बुद्धिमान जो ठहरा |

***

33 - फ़िसलन

Pradeep Mishra

वर्षों से चल रही उस प्रेम कहानी में निर्णायक मोड़ तब आया, जब प्रेमी युगल ने घर से भाग जाने का दुस्साहसिक फैसला कर डाला । भोर में जाने वाली मुम्बई-एक्सप्रेस को पकड़ने की धुन में लड़की ने आधी रात को छत से रस्सी के सहारे नीचे उतरना चाहा।एकाएक फिसलकर जमीन पर आ गिरी । हड़बड़ाए लड़के ने पहले तो वहां से भाग जाने के सर्वाधिक सुरक्षित विकल्प पर विचार किया, फिर कुछ संयत हो दर्द से छटपटाती लड़की को उठाकर उसके दरवाज़े तक ले गया और आवाज़ दी । प्रतिउत्तर में परिजनों ने लड़के की जमकर धुनाई की, किसी तरह जान बचाकर वह भागा । इसके बाद लड़की के पैर का प्लास्टर करा के उसे घर में नजरबंद कर दिया गया । और बेचारा लड़का चोट से जल्द उबरने के हल्दी व प्याज जैसे देसी उपचार में लगा था।

...ज़रा सी फ़िसलन एक बेहद संभावनाशील प्रेमकथा पर फिलहाल बहुत भारी पड़ गयी थी।

***

34 - प्यार को कोई नाम न दो

Prerna Gupta

“शिउली, देखो, मैं तुम्हारे लिए हरसिंगार के फूलों की माला लेकर आया हूँ |”

“तुम भूल गये पारिजात ? मैं हरसिंगार के फूलों की माला गूँथती हूँ, सिर्फ भगवान के लिए, | जाओ पहले इसे मंदिर में भगवान को पहना दो |”

“तुम मेरे प्यार को ठुकरा रही हो ?”

“नहीं परिजात, मैं तुम्हें उसी तरह प्यार करती हूँ, जैसे पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और सभी प्राणियों से |”

”मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता |"

“तुम मेरे ही हो, आओ, क्यों न मिलकर हम संसार के, सभी जरूरतमन्द लोगों के आँसुओं को, अपने प्यार से सींचकर खुशियों में बदल दें, देखो, इस चमकते सूरज को, इसे हमारे प्यार का सलाम |

***

35 - प्रीत भरी अनुभूति

Ranjana Sharma

आज उसे देखा एक विचित्र सी अनुभूति ने मन में जन्म लिया, एक व्यक्त आनंद और अव्यक्त भाव बहने लगा । चाह के भी न समीप जा सका न कुछ कह सका । मैं जो भूल कर चुका अब पछता रहा था । कनु के अंतर्जगत में हिलोरे लेने वाले मनोभावों को मैं भलीभाँति समझ सकता था ।

कनु उदास है पर उसकी उदासी जानने की कोशिस मैं क्यों कर रहा हूं?

वैभव ने फिर मन ही मन कहा, कनु वो तुम ही तो थीं जो बिना मिले चली गई, जबकि तुम्हे पता था कि तुम थीं तभी जिन्दगी थी तुम्हारे साथ ही मेने फूलों में रंग, खुशबू की आहट और पतझड़ की सांय सांय अनुभव की थी । आज तुम मेरे सामने बैठी हो बस इतना बता दो कि क्या अभी भी तुम अपनी साड़ी के पल्ले में- -मेरे गीत बांध लोगी ।

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36 - आखिरी अर्ज़

Ravi Ranveera

क्या इतना समय भी नहीं कि तुम मेरी आखिरी ख्वाहिश पर रूक सको?

मुझे पता है तुम खामोश ही रहोगी. खुद खामोश रहकर ही तो मुझे बैचेनी में जिंदा रखी हो.

हर बार तुझसे मिलना आखिरी होता है पर अगली बार रोक लूंगा... इसी तपती आश में जिंदगी जीये जा रहा हूं.

पर अब संडे तक नहीं जी पाऊंगा! लग रहा है कि ट्रांसफर हो जाएगा दूर कहीं, कई किलोमीटर!

सुनो ना, तुम मेरी मोहब्बत में संडे बनकर मंडे, ट्यूजडे, थर्सडे से लेकर शनिवार को भूला दो!

तू ही मेरी संडे बन जाती तो कितना मस्त गुजरता ना, जिंदगी का हर हफ़्ता!

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37 - इमरोज़ नहीं मिलते

Ria Sharma

'दुनिया की हर अमृता को साहिर मिल जाएगा, परन्तु इमरोज़ नहीं मिलेगा'

'बकवास'

'मुझे साहिर पसंद नहीं'

क्यों ?'

'उसने अमृता के प्रेम को नहीं समझा'

'प्रेम को समझना आसान नहीं, तब साहिर बोल नहीं सका था...प्रिये'

'लिखता तो कमाल का था। लिख कर ही बता देता'

'इतने ढेरों गीत लिखे तो हैं उसने'

'किसके लिए, हवाओं के लिए लिखे?'

'ना तुम्हारे लिए लिखे..?'

'मुझे साहिर जैसे चुप्पे लोग पसंद नहीं'

'क्या मैं चुप्पा हूँ?'

'ना...'

'तो मैं तुम्हारा इमरोज़ हुआ?'

'नहीं…तुम मेरे साहिर हो'

'किन्तु तुम मेरी अमृता हुईं?'

'नहीं मैं तो तुम्हारा एक ख़्वाब हूँ...'

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38 - हम चुप हैं कि दिल सुन रहे हैं

Ria Sharma

"कॉमरेड देखा तुमने, गुलमोहर फिर खिलने लगे।" वह चहकी।

"हाँ, और उनमें तुम्हें भी देखा।" प्रेमी मुस्काया।

"शाम को मिलो..उस गुलमोहर के पेड़ के नीचे। तुमसे बातें किये बहुत दिन हुए ।" वह लजाई।

"हम्म.. "

"शाम को दिल खोल कर खूब बातें करेंगे, झरते हुए गुलमोहर को भी देखेंगे। आओगे?"

"आऊंगा। मेरे पास भी बहुत है तुमसे कहने के लिए।" प्रेमी भावुक हो उठा।

शाम को दोनों गुलमोहर के नीचे एक दूसरे का हाथ थामे, देर तक बैठे रहे। खामोशी से एक- दूसरे से ढेरों बातें करते रहे....

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39 - मजहब नहीं सिखाता

Rupendra Raj

प्यार करते थे एक दूसरे को। सब्जबाग देखते घंटो एक दूसरे का हाथ थामे जाने कितनी बार चांद की सैर कर आए थे। पर धरती पर गदर मचा था । उनके प्यार के खूनी घूम रहे थे; आंखों में अंगारे और नफरत के औजार लेकर ।रज्जो के कत्ल के झूठे इल्जाम में सलीम जेल में दिन-रात सोचता "खून क्यों करता जब साथ ही जीने मरने की कसमें खाई थी ?"रात उसने दम घोंट लिया; मजहब की जहरीली हवा और प्यार के विछोह को कबतक सहता ।लाश का पंचनामा होते देख मां बाप ईद के दिन फूट पड़े।

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40 - चलते मुस्कुराते रुके कदम

Sangeeta Gandhi

सड़क के पार तुम्हें देखा ! चेहरे की सफेद रंगत बालों में झलकने लगी है ।हमारे बीच एक सड़क रुकी रही है । मुझे याद है - तुम्हारे घर के बाहर की सड़क ! इस पार मैं खड़ी थी, उस पार तुम । आंटी आ कर तुम्हारा हाथ पकड़ ले गईं थीं ।मैं इस पार से अपने रुके कदम समेट मुड़ गयी थी | आज फिर इक सड़क के दोनों ओर हम रुके हैं|"आऊं तुम तक ? "ये कौन ? बिंदी, चूड़ियों, सिंदूर से सजी आकृति तुम्हारा हाथ पकड़ ले जा रही है !कदम थम गए । तुम फिर आगे बढ़ गए ।‘इतिहास फिर खुद को दोहरा गया !’

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41 - सुपर स्पेशल प्यार

Sanjay Naika

" रोशनी ..अब तुम एक आँख से देख सकती हो, क्या तुमको पता है एक आँख किसने डोनेट की ? "- डोकटर ने पूछा |

" हाँ मेरे सागर ने " - रोशनी ने कहा |

" तुम कितनी भाग्यशाली हो जो तुम्हें ऐसा प्यार करनेवाला मिला, तुम दोनों का प्यार तो स्पेशल है | "

" मेरे लाख मना करने बाद भी उसने मुज अंधी को एक आँख की रोशनी दी | "

" तब तो तुम दोनों का प्यार सुपर स्पेशल है | "

" सुपर स्पेशल प्यार ? "

" हाँ ... ‎क्योंकि सागर बस एक आँख से देखता था वही आँख प्यार के लिए डोनेट की | "

रोशनी की आँखों ने दुनिया को देखने से पहले रोना सीख लिया |

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42 - कंगाल

Savita Indra Gupta

" मृगेश, शादी कर ली ? "

" तुम्हारी शादी के बाद मैंने भी खुशबू का हाथ थाम लिया था।"

" थैंक्स गॉड .... कभी मिलवाओगे ना ? "

" अभी मिलवाता हूँ, एक बार हंसके दिखाओ। "

" तुम नहीं बदले, लो हंसती हूँ। " वह देर तक हंसती रही

" ओह नो," वह फफक पड़ा " अच्छा था, हमारी कभी मुलाक़ात न होती।"

" क्या हुआ ?"

" तुम्हारे हंसने पर, पारिजात के फूल झरते थे ... मदहोश करने वाली खुशबू फ़ैल जाती थी । तुम किसी और की हो गयीं, फिर भी वो खुशबू आज तक मेरी साँसों का संबल थी। अभी तुम हंसीं, तब ना कोई फूल झड़े, ना कोई खुशबू फ़ैली। आज मैं कंगाल हो गया।"

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43 - प्रदर्शन

Shraddha Bhatt

वही मासूम, प्यारी मुस्कान फिर दिखी मुझे। खिड़की के बहार एक बोर्ड में उसकी तस्वीर लगी थी। राधिका,ध डांसिंग क्विन मैंने पास पड़ी डिरेक्टरी में से मेप निकाला। होटल से आधे घंटे की दूरी पर था उसका शो। समय, एक घंटे बाद का। मैं निकल पड़ा।

वह ग्रीन रूम में खुद को निखार रही थी तभी मैंने कहा,

न मिलने की उम्मीद से आया था तुम्हारे शहरमें। पर मुलाकत हो ही गई। बेस्ट लक।उसे हर बार की तरह चौकन्ना कर मैं बाहर चला गया।

राधिका का आज का सबसे उत्तम नृत्य प्रदर्शन देखने मैं बहोत ही उत्सुक था।

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44 - एक प्रेम देह के परे

Suneel

"अब उठो भी, तुम्हे जाना नही है क्या ?""तू भी गज़ब है रे कमली! दूर शहर से तेरा साजन आया है, और तू है कि उसे एक दिन और रूकने की न कहकर वापस भेज रही है|""तुम यूँ ही घर बैठे रहोगे तो घर में चूल्हा कैसे जलेगा?""तूझे मेरे प्यार की बिल्कुल क़द्र नही..""तुम मेरी और बच्चों की परवाह करते हो..मेरे लिए यही प्यार है|" कमली ने सो रहे राजू के बालों में अंगुलियाँ फेरते हुए कहा|बिस्तर छोड़कर तौलिया उठाते हुए राजू ने कमली का माथा चूम लिया|

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45 - मेरी रूह

मोह के धागे

Tanuja Nandita

नंदी की कुछ यादें आज भी साथ प्रेमकहानी के नाम कुछ पल जो समझी उसे प्यार हुआ, दिल में टिस उठी थी नंदी के.. कि वो रूद्र की दोस्त थी या प्रेमिका।

रूद्र और नंदी एक ही कॉलेज में पढ़ते थे और रूद्र से उसकी अच्छी दोस्ती थी , एक दिन नंदी ने अपने दिल के सारे अहसास को रूद्र के सामने कह दिया, लेकिन रुद्र ने कहा सुनो, मुझे तुमसे प्यार नहीं, हम दोस्त है।

फिर एक दिन नंदी की शादी करीब और रूद्र ने नंदी को अपने दिल का हाल बयां किया, तब नंदी ने कहा, आज दिल से तुमने मुझे प्यार का नाम दिया और यक़ी करो अपना ये अहसास यादगार लम्हों को हमेशा जियूँगी, रूद्र को कभी न भूलूंगी, दिल में याद और अपनी दोस्ती को नया जीवन दूंगी।

हमारी प्रेमकहानी अधूरी ही सही, प्रेम तो है।

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46 - वाट्सअप चैट

Ush Chauhan

“हैपी एनीवर्सरी.” बारह बजते ही उसने मोबाइल से वाट्सअप मैसेज कर दिया.“क्या..आपको याद था?” झठ से जवाब आ गया.“हां, याद तो होगा ही.पॉच साल पहले हम दोनों ने एक साथ अपनी अपनी शादी की डेट पर सहमति दी थी.”“औह, थैक्सं, हैपी एनवर्सरी आपको भी”“अभी तक सोई नहीं?”“अरे कहाँ , आपको ही याद कर रही थी.”“हम्म, बहुत बिजी हूँ ऑफिस के कामों में आजकल,अब फ्री हुआ. चलो केच यू लेटर, इट्स गेटिगं लेट नाऊ, मेरी जानूँ वेट कर रही होगी.बाय.”“अच्छा सुनो.”“हाँ, बोलो.”“आय लव यू.”“लव यू टू .ओके बाय.”“अच्छा सुनो तो!”“अब क्या?”“उस रुम की लाइट ऑफ करके आना और वाई फाई भी ऑफ कर देना.”कुछ पल पहले के दो अजनबी, अगले ही पल एक दूसरे के आगोश में थे.

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47 - आखिरी मुलाकातUsh Chauhan

कुछ ना कहो..कुछ भी ना कहो..धीरे धीरे गाना चल रहा था. दोनो अपनी पसंदीदा रेस्ट्रां में पसंदीदा टेबल नं १२ पर बैठे कुछ बोल ना पाने की स्थिति में आखिरी मुलाकात कर रहे थे."तो तुमने शादी करने का डिसाइड कर ही लिया.""..""सुना है, वह एन आर आई है ""...""चलो तुम खुश रहो, आखिर, प्यार से ज्यादा दे भी क्या पाता मै तुम्हें "" सुनो." सूजी ऑखो से उसने कुछ कहने की कोशिश की." सुनाओ. "" कुछ नहीं "." हम्म .कभी भी कोई प्रोब्लम आये तो प्लीज़ शेयर जरूर करना. प्यार नहीं तो दोस्ती का रिश्ता तो रहेगा ही. मै हमेशा तुम्हारे साथ हूं.”हम कोई वक्त नहीं है हमदम..जब बुलाओगे ..चले आयेंगे...गज़ल के स्वर तेज हो चले थे.

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48 - गिरती पंखुरियॉ Ush Chauhan

चले ?”कहॉ ?”वहीं ..जहॉ कोई आता जाता नहीं “नहीं, ऐसी जगह खतरनाक होती हैं “पार्क?”रोज ही जाते हैं, मार्निंग वाक पर.”फिर, मॉल?”नहीं बहुत भीड़ होती है वहॉ.”ओह, तो किसी रिश्तेदार के घर?”नहीं, वे मुझे नहीं पसन्द रह गये.”तो जानेमन, कहॉ जाना है, आखिर हमारी शादी की सालगिरह है “आज घर पर ही पार्टी करते हैं.चलो मुंह - हाथ धो लो, तुम्हारे पसन्द के चिली पनीर, गोभी और हॉ खीर बनायी है”वाह वाह..खीर.”हॉ खीर..पर शुगर फ्री.”केन्डिल लाईट में डिनर करते एक खूबसूरत, पिछत्तर वर्षीय, जवॉ दिल दम्पति..आखों में आखे डाले जीवन के सुनहरे सफर मे गोल्डन जुबली मना रहे थे.

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49 - राशि

Ved Prakash Tyagi

राशि मेजर प्रदीप की विधवा थी, कान्हा के पैदा होने से पहले ही मेजर प्रदीप बारामूला में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। सामने वाले फ्लैट में सुमित अपनी माँ और बेटे के साथ रहता था और दोनों परिवारों में काफी मेल था। सुमित और उसकी माँ दोनों ही राशि को चाहते थे, कान्हा भी उनसे काफी हिल-मिल गया था। एक दिन कान्हा सबके सामने ही कह बैठा अंकल आप मेरे पापा बन जाओ न। तब सुमित तो चुप रहा लेकिन उसकी माँ राशि से बोली, बेटा तुम हाँ कर दो तो, सुमित तो कब से चाहता है।

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50 - एंटी वायरस

Vibha Rashmi

"मैम आपको स्टेशन तक छोड़ दूँ ?" वो अपनी मनपसंद कॅलीग से बोला ।

"रोज़ छोड़ता हूँ, आदत हो गई है, मुझे परेशानी नहीं होती । आपकी लोकल जाने के बाद, मैं पैदल इसी रास्ते रूम पर निकल जाऊँगा मैम ।"

"नहीं,आज रहने दो, खुद ही चली जाऊँगी । आज भी कंम्प्यूटर की क्लास देर से ओवर हुई, कल वाला वक्त ही हो गया ।"

"कोफ़ी कब पीएँगे साथ मैम ?"

" देखेंगे जब रिलैक्स्ड होंगे । "

" अब सिक्स मंथ हो गये रोज आते - आते । नौकरी अच्छी है और पेमेंट भी ।"

फिर रुक कर --"पर अब मुझे डर नहीं लगता ।" उनकी आँखें झुक गईं थीं ।" मैम ! किससे डर ? " वो पूछ ही बैठा ।" तुमसे, बिल्कुल डर नहीं... ।"

हम उम्र मैम की आँखों में लाल डोरों के साथ एंटी वायरस भी काम करने लगा था ।

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51 - मौन शब्द '

Vibha Rashmi

" सुनो ! दोनों में नोक - झोंक चल रही है, बहू -बेटे में रूठना - मनाना जारी है ।"घबरा कर रीमा पति से बोलीं । "बेड रूम से तेज़ आवाज़ में बातचीत हो रही है । ""क्यों, क्या हुआ ? " पति का चिन्तित स्वर ।"शिकायत कर रही है,दो साल हो गये शादी को, बहू ने न जाने कितनी बार प्यार का इज़हार किया । पर हमारे बेटे ने, " वो शब्द" न बोले पलट के, जो आजकल ..... ।""क्या नहीं बोला, कौन से शब्द ?" पति का सवाल "वोहीsss ..।" यशु के नेत्रों में इस उम्र में भी दो सौ वोल्ट के बल्ब जल उठे थे ।"अच्छा ssअच्छाss । " पति समझ गया । उन्हें

लगा यशु कहीं कुछ बोल न पड़े ।आगे बढ़ कर उसने अधेड़ पत्नी की मुलायम हथेली अपनी दोनों हथेलियों में कैद कर उसे चुप करा दिया ।

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52 - यादें

Vijayanand Singh

उस दिन होली-मिलन समारोह में वे एक-दूसरे को देखते ही रह

गये… अवाक्… विस्मित.... अचंभित.... सम्मोहित से। बीसेक वर्ष...... अनगिनत

पड़ावों… उतार-चढ़ावों से गुजरते हुए! कुछ तो नहीं बदला था… आँखों पर चढ़ आए

चश्मे के सिवा!

" मम्मी "- एक आवाज उन्हें वर्त्तमान में ले आई।

" बेटा, हमलोग कॉलेज में साथ-साथ पढ़ते थे। " बड़ी होती बेटी को बताना जरूरी लगा

उसे। घर पहुँचते ही मैसेज टोन बजा.... वीडियो था...पार्क में होली

खेलते प्रेमी-युगल.. नीचे लिखा था - " पुरानी यादें ताजा हो गयीं, सिद्धू। "

आँखों से दो बूँदें मोबाईल स्क्रीन पर गिरीं, और रंग झिलमिला

उठे। वह मुस्कुराया और खो गया फिर से.… अपने एकाकीपन में।

***

  • 53 - आखिरी चुंबन
  • Vinod Dave

    ध्वस्त हो चुके बंकर में अधखुली डायरी के आखिरी पन्ने पर लिखा था,

    ***

    आह भरते हुए उसने मेरा हाथ थामा। मैंने सख्त दिखने की कोशिश की, “तुम्हें अपने प्यार की पड़ी है। क्या वतन वास्ते मेरा कोई कर्तव्य नहीं?“

    “मत जाओ न...” अश्कों के बोझ से लदी उसकी आवाज़ थकी हुई सी थी।

    मैं सख्त दिखने का और नाटक नहीं कर पाया। पास आती हुई ट्रेन की आवाज ने माहौल उदास कर दिया।

    पलकों से अश्क लुढ़कते हुए मेरे होंठों तक आ गए। उसने अपने नर्म लबों से मेरे अश्क सोख लिए थे।

    ***

    वो उस सैनिक का आखिरी चुंबन था।

    ***

    54 - प्यार

    Virender 'veer' Mehta

    "नही! मैं नही करती तुमसे प्यार।" यही कहा था मैंने तुमसे एक दिन।"करने लगोगी।" हॅस पड़े थे तुम।....और फिर मैं दुल्हन तो बन गयी तुम्हारी लेकिन अपनी न बन सकी और छोड़ गयी तुम्हे उसी के लिए जिससे मैं करती थी प्यार। पर नहीं, जल्दी ही लौट भी तो आयी थी उसके प्यार का जहर पीकर, पर बहुत देर हो चुकी थी। उसने मुझसे 'मनचाहा' पा कर मुझे छोड़ दिया और तुम इसलिये छोड गये क्योंकि तुम मुझे पा कर भी नही पा सके।....अब मैं हूँ और मेरा पछतावा। दिन कट रहे है सजा की तरह। बस याद है तो तुम्हारे खत के आख़िरी शब्द। "हमें प्यार हमेशा उससे करना चाहिये जो हमें चाहता हो,उससे नही जिसे हम चाहते हो।

    ***

    55 - प्रपोजVirender 'veer' Mehta

    वर्षो बाद मिली थी वह!'कालेज कैम्पस' की यादें और हमारा साथ, इन्ही बातों में समय कब निकल गया और अपने-अपने 'घर' लौटने का समय आ गया।चलते-चलते अनायास ही उसने एक अप्रत्याशित प्रश्न मेरी ओर उछाल दिया। "राज, तुम्हारी पत्नी बहुत सुन्दर होगी ना!"मैं कुछ अचकचाते हुए प्रश्नवाचक मुद्रा में आ गया। "नही! ऐसा तो नही है, पर कयूँ?""नही वैसे ही, वो क्या हैं कि तुमने मुझे कभी 'प्रपोज' नही किया था ना!" जाते-जाते उसके कहे शब्द दिल में कहीं गहरे उतर गए।

    ***