अकबर बीरबल ३ MB (Official) द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अकबर बीरबल ३

अकबर — बीरबल


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तीन सवाल

महाराजा अकबर, बीरबल की हाजिरजवाबी के बडे कायल थे। उनकी इस बात से दरबार के अन्य मंत्री मन ही मन बहुत जलते थे।

उनमें से एक मंत्री, जो महामंत्री का पद पाने का लोभी था, ने मन ही मन एक योजना बनाई। उसे मालूम था कि जब तक बीरबल दरबार में मुख्य सलाहकार के रूप में है उसकी यह इच्छा कभी पूरी नहीं हो सकती।

उस मंत्री के तीन सवाल थे —

1. आकाश में कितने तारे हैं?

2. धरती का केन्द्र कहां है?

3. सारे संसार में कितने स्त्री और कितने पुरुष हैं?

बादशाह अकबर ने फौरन बीरबल से इन सवालों के जवाब देने के लिए कहा और शर्त रखी कि यदि वह इनका उत्तर नहीं जानता है तो मुख्य सलाहकार का पद छोड़ने के लिए तैयार रहे।

बीरबल ने कहा—तो सुनिए महाराज।

पहला सवाल—बीरबल ने दरबार में एक भेड़ मंगवाई और कहा, जितने बाल इस भेड़ के शरीर पर हैं आकाश में उतने ही तारे हैं। मेरे दोस्त, गिनकर तस्सली कर लो, बीरबल ने मंत्री की तरफ मुस्कुराते हुए कहा।

दूसरा सवाल—बीरबल ने जमीन पर कुछ लकीरें खिंची और कुछ हिसाब लगाया। फिर एक लोहे की छड़ मंगवाई गई और उसे एक जगह गाड़ दिया और बीरबल ने महाराज से कहा, श्महाराज बिल्कुल इसी जगह धरती का केन्द्र है, चाहे तो आप स्वयं जांच लें।

महाराज बोले—ठीक है, अब तीसरे सवाल के बारे में कहो।

अब महाराज तीसरे सवाल का जवाब बडा मुश्किल है, क्योंकि इस दुनिया में कुछ लोग ऐसे हैं जो ना तो स्त्री की श्रेणी में आते हैं और ना ही पुरुषों की श्रेणी में। उनमें से कुछ लोग तो हमारे दरबार में भी उपस्थित हैं जैसे कि यह मंत्री जी।

महाराज यदि आप इनको मौत के घाट उतरवा दें तो मैं स्त्री—पुरुष की सही—सही संख्या बता सकता हूं।

अब मंत्री जी सवालों का जवाब छोड़कर थर—थर कांपने लगे और महाराज से बोले — श्महाराज बस—बस मुझे मेरे सवालों का जवाब मिल गया। मैं बीरबल की बुद्धिमानी को मान गया हूं।

महाराज हमेशा की तरह बीरबल की तरफ पीठ करके हंसने लगे और इसी बीच वह मंत्री दरबार से खिसक लिया।

गधा कौन?

एक बार बादशाह अकबर अपने दो बेटों के साथ नदी के किनारे गए। साथ में बीरबल भी थे।

दोनों बेटों ने अपने कपडे उतारे और नदी में नहाने उतर गए।

बीरबल को उन्होंने अपने कपड़ों की रखवाली करने के लिए कहा।

एक बार बादशाह अकबर अपने दो बेटों के साथ नदी के किनारे गए। साथ में बीरबल भी थे।

दोनों बेटों ने अपने कपडे उतारे और नदी में नहाने उतर गए।

बीरबल को उन्होंने अपने कपड़ों की रखवाली करने के लिए कहा।

उन्होंने बीरबल को कहा, बीरबल तुम्हें देख कर ऐसा लग रहे है जैसे धोबी का गधा कपडे लाद कर खडा हो।

बीरबल ने झट से जवाब दिया, महाराज धोबी के गधे के पास केवल एक गधे का ही बोझ होता है, किंतु मेरे पास तो तीन—तीन गधों का बोझ है।

बीरबल के मुंह से जवाब सुनकर बादशाह अकबर निरूत्तर हो गए।

कल, आज और कल

एक दिन बादशाह अकबर ने ऐलान किया कि जो भी मेरे सवालों का सही जवाब देगा उसे भारी ईनाम दिया जाएगा। सवाल कुछ इस प्रकार से थे रू —

ऐसा क्या है जो आज भी है और कल भी रहेगा?

ऐसा क्या है जो आज भी नहीं है और कल भी नहीं होगा?

ऐसा क्या है जो आज तो है लेकिन कल नहीं होगा?

साथ ही इन तीनों सवालों के उदाहरण भी देने थे।

किसी को भी चतुराई भरे इन तीनों सवालों का जवाब नहीं सूझ रहा था।

तभी बीरबल बोला, ‘हुजूर! आपके सवालों का जवाब मैं दे सकता हूं, लेकिन इसके लिए आपको मेरे साथ शहर का दौरा करना होगा। तभी आपके सवाल सही ढंग से हल हो पाएंगे।

बादशाह अकबर और बीरबल ने वेष बदला और सूफियों का बाना पहन कर निकल पड़े।

कुछ ही देर बाद वे बाजार में खड़े थे। फिर दोनों एक दुकान में घुस गए।

बीरबल ने दुकानदार से कहा, ‘हमें बच्चों की पढ़ाई के लिए मदरसा बनाना है, तुम हमें इसके लिए हजार रुपए दे दो।श्

जब दुकानदार ने अपने मुनीम से कहा कि इन्हें एक हजार रुपए दे दो तो बीरबल बोला, जब मैं तुमसे रुपए ले रहा हूंगा तो तुम्हारे सिर पर जूता मारूंगा। हर एक रुपए के पीछे एक जूता पड़ेगा। बोलो, तैयार हो?

यह सुनते ही दुकानदार के नौकर का पारा चढ़ गया और वह बीरबल से दो—दो हाथ करने आगे बढ़ आया। लेकिन दुकानदार ने नौकर को शांत करते हुए कहा, ‘मैं तैयार हूं, लेकिन मेरी एक शर्त है। मुझे विश्वास दिलाना होगा कि मेरा पैसा इसी नेक काम पर खर्च होगा।

ऐसा कहते हुए दुकानदार ने सिर झुका दिया और बीरबल से बोला कि जूता मारना शुरू करें। तब बीरबल व बादशाह अकबर बिना कुछ कहे—सुने दुकान से बाहर निकल आए।

दोनों चुपचाप चले जा रहे थे कि तभी बीरबल ने मौन तोड़ा, ‘बंदापरवर! दुकान में जो कुछ हुआ उसका मतलब है कि दुकानदार के पास आज पैसा है और उस पैसे को नेक कामों में लगाने की नीयत भी, जो उसे आने वाले कल (भविष्य) में नाम देगी।

इसका एक मतलब यह भी है कि अपने नेक कामों से वह जन्नत में अपनी जगह पक्की कर लेगा। आप इसे यूं भी कह सकते हैं कि जो कुछ उसके पास आज है, कल भी उसके साथ होगा। यह आपके पहले सवाल का जवाब है।

फिर वे चलते हुए एक भिखारी के पास पहुंचे।

उन्होंने देखा कि एक आदमी उसे कुछ खाने को दे रहा है और वह खाने का सामान उस भिखारी की जरूरत से कहीं ज्यादा है। तब बीरबल उस भिखारी से बोला, ‘हम भूखे हैं, कुछ हमें भी दे दो खाने को।

यह सुनकर भिखारी बरस पड़ा, ‘भागो यहां से। जाने कहां से आ जाते हैं मांगने।

तब बीरबल बादशाह से बोला, ‘यह रहा हुजूर आपके दूसरे सवाल का जवाब। यह भिखारी ईश्वर को खुश करना नहीं जानता। इसका मतलब यह है कि जो कुछ इसके पास आज है, वो कल नहीं होगा।

दोनों फिर आगे बढ़ गए।

उन्होंने देखा कि एक तपस्वी पेड़ के नीचे तपस्या कर रहा है। बीरबल ने पास जाकर उसके सामने कुछ पैसे रखे। तब वह तपस्वी बोला, ‘इसे हटाओ यहां से। मेरे लिए यह बेईमानी से पाया गया पैसा है। ऐसा पैसा मुझे नहीं चाहिए।

अब बीरबल बोला, ‘हुजूर! इसका मतलब यह हुआ कि अभी तो नहीं है लेकिन बाद में हो सकता है। आज यह तपस्वी सभी सुखों को नकार रहा है। लेकिन कल यही सब सुख इसके पास होंगे।

‘और हुजूर! चौथी मिसाल आप खुद हैं। पिछले जन्म में आपने शुभ कर्म किए थे जो यह जीवन आप शानो—शौकत के साथ बिता रहे हैं, किसी चीज की कोई कमी नहीं।

यदि आपने इसी तरह ईमानदारी और न्यायप्रियता से राज करना जारी रखा तो कोई कारण नहीं कि यह सब कुछ कल भी आपके पास न हो। लेकिन यह न भूलें कि यदि आप राह भटक गए तो कुछ साथ नहीं रहेगा।

अपने सवालों के बुद्धिमत्तापूर्ण चतुराई भरे जवाब सुनकर बादशाह अकबर बेहद खुश हुए।

मूखोर्ं की फेहरिस्त

बादशाह अकबर घुड़सवारी के इतने शौकीन थे कि पसंद आने पर घोड़े का मुंहमांगा दाम देने को तैयार रहते थे।

दूर—दराज के मुल्कों, जैसे — अरब, पर्शिया आदि से घोड़ों के विक्रेता मजबूत व आकर्षक घोड़े लेकर दरबार में आया करते थे।

बादशाह अपने व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए चुने गए घोड़े की अच्छी कीमत दिया करते थे।

जो घोड़े बादशाह की रुचि के नहीं होते थे उन्हें सेना के लिए खरीद लिया जाता था।

बादशाह अकबर के दरबार में घोड़े के विक्रेताओं का अच्छा व्यापार होता था।

एक दिन घोड़ों का एक नया विक्रेता दरबार में आया। अन्य व्यापारी भी उसे नहीं जानते थे। उसने दो बेहद आकर्षक घोड़े बादशाह को बेचे और कहा कि वह ठीक ऐसे ही सौ घोड़े और लाकर दे सकता है, बशर्ते उसे आधी कीमत पेशगी दे दी जाए।

बादशाह को चूंकि घोड़े बहुत पसंद आए थे, सो वैसे ही सौ और घोड़े लेने का तुरंत मन बना लिया।

बादशाह ने अपने खजांची को बुलाकर व्यापारी को आधी रकम अदा करने को कहा।

खजांची उस व्यापारी को लेकर खजाने की ओर चल दिया। लेकिन किसी को भी यह उचित नहीं लगा कि बादशाह ने एक अनजान व्यापारी को इतनी बड़ी रकम बतौर पेशगी दे दी। लेकिन विरोध जताने की हिम्मत किसी के पास न थी।

सभी चाहते थे कि बीरबल यह मामला उठाए।

बीरबल भी इस सौदे से खुश न था। वह बोला, श्हुजूर! कल मुझे आपने शहर भर के मूखोर्ं की सूची बनाने को कहा था। मुझे खेद है कि उस सूची में आपका नाम सबसे ऊपर है।'

बादशाह अकबर का चेहरा मारे गुस्से के सुर्ख हो गया। उन्हें लगा कि बीरबल ने भरे दरबार में विदेशी मेहमानों के सामने उनका अपमान किया है।

गुस्से से भरे बादशाह चिल्लाए, श्तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई हमें मूर्ख बताने की?'

क्षमा करें बादशाह सलामत।श् बीरबल अपना सिर झुकाते हुए सम्मानित लहजे में बोला, आप चाहें तो मेरा सर कलम करवा दें, यदि आपके कहने पर तैयार की गई मूखोर्ं की फेहरिस्त में आपका नाम सबसे ऊपर रखना आपको गलत लगे।'

दरबार में ऐसा सन्नाटा छा गया कि सुई गिरे तो आवाज सुनाई दे जाए।

अब बादशाह अकबर अपना सीधा हाथ उठाए, तर्जनी को बीरबल की ओर ताने आगे बढ़े। दरबार में मौजूद सभी लोगों की सांस जैसे थम—सी गई थी। उत्सुक्तावश व उत्तेजना सभी के चेहरों पर नृत्य कर रही थी। उन्हें लगा कि बादशाह सलामत बीरबल का सिर धड़ से अलग कर देंगे। इससे पहले किसी की इतनी हिम्मत न हुई थी कि बादशाह को मूर्ख कहे।

लेकिन बादशाह ने अपना हाथ बीरबल के कंधे पर रख दिया। वह कारण जानना चाहते थे। बीरबल समझ गया कि बादशाह क्या चाहते हैं। वह बोला, आपने घोड़ों के ऐसे व्यापारी को बिना सोचे—समझे एक मोटी रकम पेशगी दे दी, जिसका अता—पता भी कोई नहीं जानता। वह आपको धोखा भी दे सकता है। इसलिए मूखोर्ं की सूची में आपका नाम सबसे ऊपर है।

हो सकता है कि अब वह व्यापारी वापस ही न लौटे। वह किसी अन्य देश में जाकर बस जाएगा और आपको ढूंढ़े नहीं मिलेगा। किसी से कोई भी सौदा करने के पूर्व उसके बारे में जानकारी तो होनी ही चाहिए।

उस व्यापारी ने आपको मात्र दो घोड़े बेचे और आप इतने मोहित हो गए कि मोटी रकम बिना उसको जाने—पहचाने ही दे दी। यही कारण है बस।'

तुरंत खजाने में जाओ और रकम की अदायगी रुकवा दो।श् बादशाह अकबर ने तुरंत अपने एक सेवक को दौड़ाया।

बीरबल बोला, श्अब आपका नाम उस सूची में नहीं रहेगा।'

बादशाह अकबर कुछ क्षण तो बीरबल को घूरते रहे, फिर अपनी दृष्टि दरबारियों पर केन्द्रित कर ठहाका लगाकर हंस पड़े।

सभी लोगों ने राहत की सांस ली कि बादशाह को अपनी गलती का अहसास हो गया था।

हंसी में दरबारियों ने भी साथ दिया और बीरबल की चतुराई की एक स्वर से प्रशंसा की।

बीरबल की योग्यता

दरबार में बीरबल से जलने वालों की कमी नहीं थी।

बादशाह अकबर का साला तो कई बार बीरबल से मात खाने के बाद भी बाज न आता था। बेगम का भाई होने के कारण अक्सर बेगम की ओर से भी बादशाह को दबाव सहना पड़ता था।

ऐसे ही एक बार साले साहब स्वयं को बुद्धिमान बताते हुए दीवान पद की मांग करने लगे। बीरबल अभी दरबार में नहीं आया था। अतः बादशाह अकबर ने साले साहब से कहा— श्मुझे आज सुबह महल के पीछे से कुत्ते के पिल्ले की आवाजें सुनाई दे रही थीं, शायद कुतिया ने बच्चे दिए हैं। देखकर आओ, फिर बताओ कि यह बात सही है या नहीं ?'

साले साहब चले गए, कुछ देर बाद लौटकर बोले—हुजूर आपने सही फरमाया, कुतिया ही ने बच्चे दिए हैं।

अच्छा कितने बच्चे हैं? बादशाह ने पूछा।

हुजूर वह तो मैंने गिने नहीं।'

गिनकर आओ।'

साले साहब गए और लौटकर बोले— हुजूर पांच बच्चे हैं?' कितने नर हैं३कितने मादा? बादशाह ने फिर पूछा। वह तो नहीं देखा।' जाओ देखकर आओ।' आदेश पाकर साले साहब फिर गए और लौटकर जवाब दिया—तीन नर, दो मादा हैं हुजूर।'

नर पिल्ले किस रंग के हैं?'

हुजूर वह देखकर अभी आता हूं।'

रहने दो३बैठ जाओ। बादशाह ने कहा।

बीरबल के दरबार में हाजिर होने पर बादशाह ने क्या किया...

साले साहब बैठ गए। कुछ देर बाद बीरबल दरबार में आया। तब बादशाह अकबर बोले— श्बीरबल, आज सुबह से महल के पीछे से पिल्लों की आवाजें आ रही हैं, शायद कुतिया ने बच्चे दिए हैं, जाओ देखकर आओ माजरा क्या है!'

जी हुजूर। बीरबल चला गया और कुछ देर बाद लौटकर बोला— हुजूर आपने सही फरमाया ३ कुतिया ने ही बच्चे दिए हैं।'

श्कितने बच्चे हैं?'

श्हुजूर पांच बच्चे हैं।'

श्कितने नर हैं। कितने मादा।'

हुजूर, तीन नर हैं दो मादा।'

नर किस रंग के हैं?'

दो काले हैं, एक बादामी है।'

ठीक है बैठ जाओ।'

बादशाह अकबर ने अपने साले की ओर देखा, वह सिर झुकाए चुपचाप बैठा रहा। बादशाह ने उससे पूछा— श्क्यों तुम अब क्या कहते हो ?'

उससे कोई जवाब देते न बना।

राज्य में कौए कितने हैं

एक दिन बादशाह अकबर अपने मंत्री बीरबल के साथ अपने महल के बाग में घूम रहे थे।

बादशाह अकबर बागों में उड़ते कौओं को देखकर कुछ सोचने लगे और बीरबल से पूछा, श्क्यों बीरबल, हमारे राज्य में कितने कौए होंगे?

बीरबल ने कुछ देर अंगुलियों पर कुछ हिसाब लगाया और बोले, श्हुजूर, हमारे राज्य में कुल मिलाकर 95, 463 कौए हैं।

तुम इतना विश्वास से कैसे कह सकते हो? हुजर, श्आप खुद गिन लीजिए, बीरबल बोले।

बादशाह अकबर को कुछ इसी प्रकार के जवाब का अंदेशा था।

उन्होंने पूछा, श्बीरबल, यदि इससे कम हुए तो?

तो इसका मतलब है कि कुछ कौए अपने रिश्तेदारों से मिलने दूसरे राज्यों में गए हैं और यदि ज्यादा हुए तो? तो इसका मतलब यह हैं हु़जूर कि कुछ कौए अपने रिश्तेदारों से मिलने हमारे राज्य में आए हैं — बीरबल ने मुस्कुरा कर जवाब दिया।

बादशाह अकबर एक बार फिर मुस्कुरा कर रह गए।

बीरबल और तानसेन का विवाद

तानसेन और बीरबल में किसी बात को लेकर विवाद हो गया। दोनों ही अपनी—अपनी बात पर अटल थे। हल निकलता न देख दोनों बादशाह की शरण में गए।

बादशाह अकबर को अपने दोनों रत्न प्रिय थे। वे किसी को भी नाराज नहीं करना चाहते थे, अतः उन्होंने स्वयं फैसला न देकर किसी और से फैसला कराने की सलाह दी।

हुजूर, जब आपने किसी और से फैसला कराने को कहा है तो यह भी बता दें कि हम किस गणमान्य व्यक्ति से अपना फैसला करवाएं? बीरबल ने पूछा।

तुम लोग महाराणा प्रताप से मिलो, मुझे यकीन है कि वे इस मामले में तुम्हारी मदद जरूर करेंगे। बादशाह अकबर ने जवाब दिया।

बादशाह अकबर की सलाह पर तानसेन और बीरबल महाराणा प्रताप से मिले और अपना—अपना पक्ष रखा।

दोनों की बातें सुनकर महाराणा प्रताप कुछ सोचने लगे, तभी तानसेन ने मधुर रागिनी सुनानी शुरू कर दी। महाराणा मदहोश होने लगे।

जब बीरबल ने देखा कि तानसेन अपनी रागिनी से महाराणा को अपने पक्ष में कर रहा है तो उससे रहा न गया।

तुरंत बोला— श्महाराणा जी, अब मैं आपको एक सच्ची बात बताने जा रहा हूं, जब हम दोनों आपके पास आ रहे थे तो मैंने पुष्कर जी में जाकर प्रार्थना की थी कि मेरा पक्ष सही होगा तो सौ गाय दान करूंगा और मियां तानसेन जी ने प्रार्थना कर यह मन्नत मांगी कि यदि वह सही होंगे तो सौ गायों की कुर्बानी देंगे। महाराणा जी अब सौ गायों की जिंदगी आपके हाथों में है।'

बीरबल की यह बात सुनकर महाराणा चौंक गए। भला एक हिंदू शासक होकर गो हत्या के बारे में सोच कैसे सकते थे। उन्होंने तुरंत बीरबल के पक्ष को सही बताया।

जब बादशाह अकबर को यह बात पता चली तो वह बहुत हंसे।

बीरबल कहां मिलेगा

एक दिन बीरबल बाग में टहलते हुए सुबह की ताजा हवा का आनंद ले रहे था कि अचानक एक आदमी उनके पास आकर बोला, श्क्या आप मुझे बता सकते हो कि बीरबल कहां मिलेगा?'

बाग में। बीरबल बोला।

वह आदमी थोड़ा सकपकाया लेकिन फिर संभलकर बोला, श्वह कहां रहता है?'

अपने घर में। बीरबल ने उत्तर दिया।

हैरान—परेशान आदमी ने फिर पूछा, श्तुम मुझे उसका पूरा पता ठिकाना क्यों नहीं बता देते?'

क्योंकि तुमने पूछा ही नहीं। बीरबल ने ऊंचे स्वर में कहा।

क्या तुम नहीं जानते कि मैं क्या पूछना चाहता हूं? उस आदमी ने फिर सवाल किया।

नहीं।' बीरबल का जवाब था।

वह आदमी कुछ देर के लिए चुप हो गया, बीरबल का टहलना जारी था। उस आदमी ने सोचा कि मुझे इससे यह पूछना चाहिए कि क्या तुम बीरबल को जानते हो? वह फिर बीरबल के पास जा पहुंचा, बोला, बस, मुझे केवल इतना बता दो कि क्या तुम बीरबल को जानते हो?'

हां, मैं जानता हूं। जवाब मिला।

तुम्हारा क्या नाम है? आदमी ने पूछा।

बीरबल। बीरबल ने उत्तर दिया।

अब वह आदमी भौचक्का रह गया। वह बीरबल से इतनी देर से बीरबल का पता पूछ रहा था और बीरबल था कि बताने को तैयार नहीं हुआ कि वही बीरबल है। उसके लिए यह बेहद आश्चर्य की बात थी।

श्तुम भी क्या आदमी हो३श् कहता हुआ वह कुछ नाराज—सा लग रहा था, श्मैं तुमसे तुम्हारे ही बारे में पूछ रहा था और तुम न जाने क्या—क्या ऊटपटांग बता रहे थे। बताओ, तुमने ऐसा क्यों किया?'

मैंने तुम्हारे सवालों का सीधा—सीधा जवाब दिया था, बस!'

अंततः वह आदमी भी बीरबल की बुद्धि की तीक्ष्णता देख मुस्कराए बिना न रह सका।

बादशाह का सपना

एक रात सोते समय बादशाह अकबर ने यह अजीब सपना देखा कि केवल एक छोड़कर उनके बाकी सभी दांत गिर गए हैं।

फिर अगले दिन उन्होंने देश भर के विख्यात ज्योतिषियों व नुजूमियों को बुला भेजा और और उन्हें अपने सपने के बारे में बताकर उसका मतलब जानना चाहा।

सभी ने आपस में विचार—विमर्श किया और एक मत होकर बादशाह से कहा, श्जहांपनाह, इसका अर्थ यह है कि आपके सारे नाते—रिश्तेदार आपसे पहले ही मर जाएंगे।'

यह सुनकर बादशाह अकबर को बेहद क्रोध हो आया और उन्होंने सभी ज्योतिषियों को दरबार से चले जाने को कहा। उनके जाने के बाद बादशाह ने बीरबल से अपने सपने का मतलब बताने को कहा। कुछ देर तक तो बीरबल सोच में डूबा रहा, फिर बोला, श्हुजूर, आपके सपने का मतलब तो बहुत ही शुभ है। इसका अर्थ है कि अपने नाते—रिश्तेदारों के बीच आप ही सबसे अधिक समय तक जीवित रहेंगे।'

बीरबल की बात सुनकर बादशाह बेहद प्रसन्न हुए।

बीरबल ने भी वही कहा था जो ज्योतिषियों ने, लेकिन कहने में अंतर था।

बादशाह ने बीरबल को ईनाम देकर विदा किया।

दाढ़ी पकड़ने की सजा

थोड़ी देर के बाद एक दरबारी बोला, — जहांपनाह! जिसने ऐसा दुस्साहस किया है, उसका सिर धड़ से उड़ा दिया जाए।

दूसरे दरबारी ने कहा, मेरी राय है जहांपनाह कि ऐसी गुस्ताखी करने वाले को हाथी के पैरों तले कुचलवा दिया जाए।

किसी ने कहा — उस पर कोड़े बरसाएं जाएं,

— किसी ने कहा कि — उसे जिंदा दीवार में चिनवा दिया जाए। जितने दरबारी, उतनी तरह की बातें। तरह—तरह की सजाएं सुझाई गईं।

उनकी बातें सुन कर बादशाह ऊब गए। अंत में उन्होंने बीरबल से कहा, बीरबल, तुम क्या कहते हो? हमारी दाढ़ी खींचने वाले को हमें क्या सजा देनी चाहिए?

बीरबल मंद—मंद मुस्कुराए और बोले— श्जहांपनाह! आप उसे प्यार से मिठाई खिलाइए। इस अपराध की यही सजा है।

बीरबल का उत्तर सुनकर सारे दरबारी चौंके और उस अंदाज में बीरबल का चेहरा देखने लगे, मानो वे पगला गए हों।

जबकि बीरबल के उत्तर से खुश होकर बादशाह ने कहा, श्वाह—वाह! बीरबल, तुम्हारी बात बिल्कुल सही है।

लेकिन यह तो बताओ कि मेरी दाढ़ी किसने खींची होगी?श्

बीरबल ने कहा,— श्जहांपनाह! छोटे शाहजादे के अलावा ऐसी हिम्मत कौन कर सकता है? उसने तो प्यार से ही ऐसा किया होगा! इसलिए उसे सजा में मिठाई खिलानी चाहिए।

बीरबल की बात सही थी। आज सुबह शाहजादा बादशाह की गोद में बैठा था। खेलते—खेलते उसने बादशाह की दाढ़ी खींची थी। चतुर बीरबल के जवाब से बादशाह खुश हुए।

अन्य सभी दरबारियों, जो इतना भी नहीं सोच पाए कि बाहर का कोई शख्स भला बादशाह की दाढ़ी कैसे खींच सकता है, के सिर शर्म से झुक गए।