भारत की रणनितिक चुनौतियां इस समय गंभीर हैं, विशेषकर ब्रिक्स सम्मेलन में आतंकवाद के मुद्दे पर चीन की असहमति और रूस की अनिच्छा के कारण। भारत को अब कड़े निर्णय लेने की आवश्यकता है, क्योंकि पिछले दस वर्षों में सामरिक स्थिति चुनौतीपूर्ण रही है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आईटी में सफलता प्राप्त की है, लेकिन औद्योगिक विकास अपेक्षित गति से नहीं हो पाया है। लोकतांत्रिक व्यवस्था ने कई बार देश को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है, लेकिन अब ठोस निर्णय लेने का समय है ताकि 2030 तक भारत को सशक्त और सुरक्षित बनाया जा सके। भारत की चुनौतियां आंतरिक और बाहरी दोनों स्तरों पर हैं, और चीन की बढ़ती शक्ति एक स्पष्ट खतरा बन चुकी है। 1949 में चीनी साम्यवादी शासन की स्थापना के बाद से, चीन ने आर्थिक विकास के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन यह लोकतंत्र के बिना हुआ है। यदि भारत में भी एक पार्टी शासन स्थापित होता है, तो वो चीनी मॉडल को दोहराने में सक्षम हो सकता है, लेकिन ऐसा होना लोकतंत्र के लिए खतरनाक होगा। भारत को अपनी लोकतांत्रिक सीमाओं के भीतर रहते हुए विकास करना होगा, और पिछले बीस वर्षों में चीन ने जो सामरिक मुद्रा भंडार बनाया है, उससे भारत को सीखने की आवश्यकता है। भारत की रणनीतिक चुनौतियां vivekanand rai द्वारा हिंदी पत्रिका 6 1.9k Downloads 8.8k Views Writen by vivekanand rai Category पत्रिका पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण भारत की रणनितिक चुनौतियां ब्रिक्स सम्मेलन में भारत की तमाम कोशिशों के बावजूद आतंकवाद के मुद्दे पर चीन की असहमति और रूस की अनिच्छा एक बड़ा परिवर्तन का संकेत है। भारत द्वारा बेहद कड़े और स्पष्ट निर्णय लेने का सयम आ गया है। पिछले दस वर्ष भारतीय सामरिक स्थिति (स्ट्रेटेजिक पोजीशन) के लिए बेहद रोचक, चुनौतीपूर्ण और संभावनाओं से भरे रहे हैं। ऐसा आंतरिक और बाहरी दोनों स्तरों पर हुआ है। एक ओर जहां भारत ने दुनियाभर में आइटी (एवं अन्य) से जुड़ी क्षमताओं का लोहा मनवा कर सैकड़ों अरब डॉलर का व्यापार किया है और ब्रांड इंडिया स्थापित की है, वहीं अनेक क्षेत्रों में हमारी औद्योगिक शक्ति उस गति से नहीं बढ़ पायी है, जितना बढ़ती जनसंख्या के उत्पादक नियोजन के लिए जरूरी है। गंभीर चुनौतियों के बावजूद भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था ने बार-बार देश को आगे बढ़ने में, विरोधाभासी स्वरों को सुर देने में और गरीबों को हाशिये पर More Likes This नव कलेंडर वर्ष-2025 - भाग 1 द्वारा nand lal mani tripathi कुछ तो मिलेगा? द्वारा Ashish आओ कुछ पाए हम द्वारा Ashish जरूरी था - 2 द्वारा Komal Mehta गुजरात में स्वत्तन्त्रता प्राप्ति के बाद का महिला लेखन - 1 द्वारा Neelam Kulshreshtha अंतर्मन (दैनंदिनी पत्रिका) - 1 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) गलतफहमी - भाग 1 द्वारा Sonali Rawat अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी