इस कहानी में लेखक 'तुम' और 'माँ' पर विचार करते हैं। **'तुम'** पर लिखने का निर्णय लेने के पीछे लेखक की व्याख्या है कि 'तुम' एक ऐसा शब्द है जो सभी जगह मौजूद है और इसके माध्यम से अपनापन व्यक्त किया जा सकता है। लेखक 'मैं', 'हम', 'सब' या 'शून्य' पर नहीं लिख सकते क्योंकि वे आत्मविवेचना या समाज सुधारक की भूमिका में नहीं हैं। 'तुम' की विशिष्टता यह है कि यह किसी को अपना बना सकता है, और लेखक इसे एक भावनात्मक और गहरा अनुभव मानते हैं। वे यह भी बताते हैं कि 'तुम' पर लिखना उनके लिए चुनौतीपूर्ण है, लेकिन यह उन्हें अपने विचारों को व्यक्त करने का एक नया तरीका प्रदान करता है। **'माँ'** के बारे में लेखक की बातें उसकी अनिवार्यता और बलिदान को उजागर करती हैं। 'माँ' घर की बुनियाद है, जो अपने बच्चों के लिए हर कठिनाई का सामना करती है। वह अपने हिस्से का सब कुछ अपने बच्चों को देती है और खुद को पीछे रखती है। लेखक ने माँ की भूमिका को एक ब्रह्माण्ड और एक निर्माणकर्ता के रूप में प्रस्तुत किया है, जो हर छोटी-बड़ी घटनाओं पर ध्यान देती है और अपने बच्चों के लिए हर बला से टकराने को तैयार रहती है। माँ के बारे में लेखक की भावनाएं गहरी और श्रद्धापूर्ण हैं, और वे उसकी अनकही कहानियों को भी छूते हैं। कुल मिलाकर, यह कहानी 'तुम' और 'माँ' के माध्यम से प्रेम, संबंध और बलिदान की गहराई को दर्शाती है।
कुछ अनुभव
Shreyas Apoorv Narain
द्वारा
हिंदी मनोविज्ञान
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विवरण
कुछ अनुभव हैं मेरे।मैं यानी मैकश के।सोचा आप सभी से साझा करूँ।बाकी आप सभी की इच्छा!
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