यह कहानी "परीक्षा गुरू" के प्रकरण 25 में हरकिशोर नामक एक साहसी पुरुष के बारे में है, जो ब्रजकिशोर का भाई है। हरकिशोर अपने कार्यों में बड़ा उद्योगी और दृढ़ है, और उसे लड़ाई-झगड़े के कामों में महारत हासिल है। वह हमेशा बड़ी उपलब्धियों की तलाश में रहता है और जल्दी से निर्णय ले लेता है, जिसके कारण कभी-कभी उसे बिना सोचे-समझे नुकसान उठाना पड़ता है। हरकिशोर की सफलता उसे और अधिक आत्मविश्वास देती है, लेकिन जब उसकी इच्छाएँ पूरी नहीं होतीं या उसे प्रशंसा हासिल नहीं होती, तो वह क्रोधित हो जाता है। वह अन्य लोगों के साथ संबंध बनाए रखता है, लेकिन उसकी मित्रता अक्सर भय से प्रेरित होती है। कहानी में यह भी बताया गया है कि साहसी लोग अगर स्वार्थ छोड़कर समाज के हित में काम करें तो वे बहुत उपयोगी हो सकते हैं। हालांकि, हरकिशोर के मित्रता और संबंधों में संतुलन की कमी है, जिसके कारण वह क्रोध में आ जाता है। जब उसे निहालचंद मोदी से बातचीत करते हुए सुनाई देता है कि स्थिति ठीक नहीं है, तो वह अपने गुस्से को व्यक्त करना शुरू करता है। कहानी में साहस, स्वार्थ, और संबंधों की जटिलता को दर्शाया गया है, जिसमें हरकिशोर की मानसिकता और उसके कार्यों का परिणाम दिखाया गया है। परीक्षा-गुरु - प्रकरण-25 Lala Shrinivas Das द्वारा हिंदी लघुकथा 2.3k Downloads 7k Views Writen by Lala Shrinivas Das Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण हम प्रथम लिख चुके हैं कि हरकिशोर साहसी पुरुष था और दूर के सम्बन्ध मैं ब्रजकिशोर का भाई लगता था. अब तक उस्के काम उस्की इच्छानुसार हुए जाते थे वह सब कामों मैं बड़ा उद्योगी और दृढ़ दिखाई देता था. उस्का मन बढ़ता जाता था और वह लड़ाई झगड़े वगैरे के भयंकर और साहसिक कामों मैं बड़ी कारगुजारी दिखलाया करता था. वह हरेक काम के अंग प्रत्यंग पर दृष्टि डालनें या सोच बिचार के कामों मैं माथा खाली करनें और परिणाम सोचनें या कागजी और हिसाबी मामलों मैं मन लगनें के बदले ऊपर, ऊपर सै इन्को देख भाल कर केवल बड़े, बड़े कामों मैं अपनें तांई लगाये रखनें और बड़े आदमियों सैं प्रतिष्ठा पानें की विशेष रुचि रखता था. Novels परीक्षा-गुरु लाला मदनमोहन एक अंग्रेजी सौदागर की दुकानमैं नई, नई फाशन का अंग्रेजी अस्बाब देख रहे हैं. लाला ब्रजकिशोर, मुन्शी चुन्नीलाल और मास्टर शिंभूदयाल उन्के... More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी