"मुगल—ए—आजम" फिल्म की कहानी इसके निर्माण की चुनौतियों और सफलता की यात्रा को दर्शाती है। यह फिल्म भारतीय सिनेमा की एक ऐतिहासिक और रोमांटिक कृति है, जिसे बनाने में लगभग दस साल लगे और डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुए। इसके निर्माता के. आसिफ ने अपने जुनून और कल्पनाओं को साकार करने के लिए बहुत मेहनत की। इस फिल्म ने रिलीज के समय सभी बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड तोड़ दिए और 1975 में "शोले" के रिलीज होने तक सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म बनी रही। 2004 में इसे रंगीन करके फिर से रिलीज किया गया, जिसने एक बार फिर सफलता का नया इतिहास रचा। "मुगल—ए—आजम" ने समय के साथ अपनी लोकप्रियता को बनाए रखा और इसे भारतीय सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ कृतियों में से एक माना गया। दर्शकों की इस फिल्म के प्रति जिज्ञासा आज भी कायम है, और यह पुस्तक इस जिज्ञासा को पूरा करने के लिए लिखी गई है। मुगल-ए-आजम Sushila Kumari द्वारा हिंदी क्लासिक कहानियां 3 15k Downloads 20.3k Views Writen by Sushila Kumari Category क्लासिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण जनमानस को गहराई तक प्रभावित करने वाली फिल्म मुगल-ए-आजम ने दषकों बीत जाने के बाद भी अपनी चमक नहीं खोयी है। आज जब सिनेमा निर्माण की एक से बढ़ कर एक टेक्नोलाॅजी का विकास हो चुका है दर्शकों के लिये यह फिल्म एक पहेली सरीखी लगती है। भारतीय सिनेमा के 100 साल पूरे होने के मौके पर ब्रिटेन में कराये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार मुगल-ए-आजम को हिन्दी सिनेमा की सर्वश्रेश्ठ कृति माना गया। सिनेमा प्रेमी आज भी इस फिल्म के निर्माण के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानने को उत्सुक रहते हैं और यह पुस्तक इस उत्सुकता को पूरा करने के उद्देश्य से लिखी गयी है। उम्मीद है कि मातृभारती के माध्यम से यह पुस्तक इंटरनेट और मोबाइल एप्स के जरिये दुनिया भर के सिने-प्रेमियों को उपलब्ध हो पायेगी। हमारे देश में फिल्म लेखन को गंभीरता से नहीं लिया जाता है, जबकि जनमानस पर जिन विषयों का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है उनमें सिनेमा अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे में सिनेमा एवं उसके विभिन्न पहलुओं के बारे में पाठकों को अवगत करना जरूरी हो जाता है। इस जरूरत के मद्देजनर यह पुस्तक लिखी गयी है। आज भले ही फिल्म निर्माण व्यवसाय में तब्दील हो गया है और फिल्में बनाने का एकमात्र लक्ष्य मुनाफा कमाना रह गया है, लेकिन एक समय था जब फिल्म निर्माण का उद्देश्य केवल मुनाफा नहीं था और उस समय की फिल्मों तथा फिल्मों से जुड़ी हस्तियों ने सामाजिक चेतना को सकारात्मक तरीके से प्रभावित किया। जनमानस पर जितना प्रभाव साहित्य और कला का रहा संभवतः उससे अधिक प्रभाव सिनेमा का पड़ा। भारतीय जनमानस को प्रभावित करने वाली कुछ चुनिंदा फिल्मों की अगर बात की जाये तो हर पहलू से मुगल-ए-आजम सिरमौर फिल्म साबित होगी। मुगल-ए-आजम को बनाने में लगभग दस साल लगे और इस पर डेढ़ करोड़ रूपये से अधिक खर्च हुये। जब यह फिल्म रिलीज हुयी तब इसने उस समय तक के सभी बाॅक्स आफिस रेकार्डों को ध्वस्त कर दिया और और 1975 में फिल्म शोले के रिलीज होने के समय तक सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म का कीर्तिमान कायम रखा। 2004 में इस फिल्म को रंगीन करके दोबारा रिलीज किया गया तो इसने फिल्म इतिहास में एक बार फिर कामयाबी का नया इतिहास रचा। More Likes This रुह... - भाग 7 द्वारा Komal Talati कश्मीर भारत का एक अटूट हिस्सा - भाग 1 द्वारा Chanchal Tapsyam बीते समय की रेखा - 1 द्वारा Prabodh Kumar Govil टीस - पहली बार देखा था उसे - 1 द्वारा Shayar KK Shrivastava एहसास - भाग 1 द्वारा Vartikareena क्या यही है पहला प्यार? भाग -1 द्वारा anmol sushil त्रास खनन - 1 द्वारा Prabodh Kumar Govil अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी