Sanyasi book and story is written by Saroj Verma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Sanyasi is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सन्यासी -- भाग - 5
Saroj Verma
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
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विवरण
इसके बाद सुरबाला मुस्कुराते हुए जयन्त के कमरे से चली गई,सुरबाला के जाने के बाद नलिनी ने जयन्त से पूछा.... "जय! क्या तू सच में एक दिन सन्यासी बन जाऐगा?" अपनी माँ की बात सुनकर जयन्त मुस्कुराते हुए उनसे बोला... "क्या पता...हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है,ये तो दुनिया वालों पर निर्भर करता है कि वो मुझे क्या बनाते हैं?" "बेटा! ये तेरी जिन्दगी है,इसका फैसला तो तेरे हाथ में होना चाहिए कि तू क्या बनना चाहता है",नलिनी बोली.... "लेकिन माँ! दुनियावालों का मिजाज़ देखकर भरोसा उठ है मेरा सब पर से,सब के मन में केवल
कभी कभी इन्सान अपने जीवन से विरक्त होकर इस सांसारिक जीवन से सन्यास लेकर सन्यासी बन जाता है, लेकिन क्या वो सच में इस संसार के चक्रव्यूह से निकल पाता है...
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