Dwaraavati - 21 book and story is written by Vrajesh Shashikant Dave in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Dwaraavati - 21 is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. द्वारावती - 21 Vrajesh Shashikant Dave द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी 149 Downloads 417 Views Writen by Vrajesh Shashikant Dave Category फिक्शन कहानी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण 21एक नूतन प्रभात ने जन्म ले लिया। केशव समुद्र की उसी कन्दरा पर स्थित वही शिला पर बैठा था। प्रणव नाद कर रहा था। आज उसने आँखें बंद नहीं की थी। खुली आँखों से वह ओम् का जाप कर रहा था। आज वह सूर्य की दिशा में, सूर्य के सम्मुख नहीं बैठा था। वह उस दिशा में बैठा था जिस दिशा में कल गुल अपने घर की तरफ़ दौड़ गयी थी। खुली दृष्टि रेत के उस भाग पर स्थिर थी जहां कल गुल के पदचिन्ह थे। वह ओम् का जाप तो कर रहा था किंतु उसका मन, उसका ध्यान आज अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी