तेरे मेरे दरमियाँ.. Saroj Verma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें प्रेम कथाएँ किताबें तेरे मेरे दरमियाँ.. तेरे मेरे दरमियाँ.. Saroj Verma द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ 645 1.7k फरवरी का मौसम,हल्की गुलाबी ठण्ड,मिस्टर गुप्ता और मिसेज गुप्ता दोपहर का भोजन करके धूप सेंकने बाँलकनी में बैठे हैं तभी मिस्टर गुप्ता ने मिसेज गुप्ता की फोटो खीचते हुए कहा... "जरा इधर देखना" "क्या ?आपको भी बुढ़ापे में मेरी ...और पढ़ेखींचने का शौक चर्राया है",मिसेज गुप्ता बोलीं... "मौहब्बत जताने की कोई उमर नहीं होती,विमला जी!,आप तो मेरे लिए अब भी वहीं हैं जो काँलेज के समय हुआ करतीं थीं",मिस्टर गुप्ता बोलें.... "आपका आशिकाना अन्दाज़ गया नहीं अब तक"मिसेज गुप्ता बोलीं... "जब सामने आशिकी बैठी हो तो बेचारा ये आशिक क्या करे?,मिस्टर गुप्ता बोलें.... "देखो !मिस्टर आशिक !अब कुछ ज्यादा ही कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें तेरे मेरे दरमियाँ.. अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Saroj Verma फॉलो