Ab bhee der thee book and story is written by Prabodh Kumar Govil in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Ab bhee der thee is also popular in Classic Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. अब भी देर थी Prabodh Kumar Govil द्वारा हिंदी क्लासिक कहानियां 521 2k Downloads 4.7k Views Writen by Prabodh Kumar Govil Category क्लासिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण सुनसान बियाबान था। सायं - सायं हो रही थी। सड़क के दोनों ओर बड़े- बड़े पेड़ों के तरह - तरह के छोटे - बड़े पत्ते खड़खड़ा रहे थे। कोई भय से, कोई उन्माद से तो कोई हताशा से। दूर - दूर तक कहीं बिजली की रोशनी का नामोनिशान नहीं था। थोड़ी देर पहले बारिश होकर चुकी थी। कोई जंगली जानवर भी सड़क पार करता तो डर से जान का जोखिम उठाकर ही भागता। किसी को किसी का भरोसा न था। घना जंगल ठहरा।कई किलोमीटर के ऊबड़- खाबड़ और टूटे- फूटे रास्ते में रोशनी के नाम पर एकमात्र उस मोपेड की More Likes This Last Benchers - 1 द्वारा govind yadav जेन-जी कलाकार - 3 द्वारा Kiko Xoxo अंतर्निहित - 1 द्वारा Vrajesh Shashikant Dave वो जो मैं नहीं था - 1 द्वारा Rohan रुह... - भाग 7 द्वारा Komal Talati कश्मीर भारत का एक अटूट हिस्सा - भाग 1 द्वारा Chanchal Tapsyam बीते समय की रेखा - 1 द्वारा Prabodh Kumar Govil अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी