ऑफ़िस - ऑफ़िस - 4 R.KapOOr द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें हास्य कथाएं किताबें ऑफ़िस - ऑफ़िस - 4 ऑफ़िस - ऑफ़िस - 4 R.KapOOr द्वारा हिंदी हास्य कथाएं 714 2.5k लेकिन अक्सर लोग अपनी पत्नी के साथ बहुत लंबी बात नहीं करते, शॉर्ट में ही निपटा देते हैं, उसने भी वैसा ही किया।"यार सब्ज़ी लेकर आने को बोल रही थी..."उसने बैल बजायी और चपरासी को बुलाया और उससे कहा ...और पढ़ेएक काम कर फ़टाफ़ट जा कर एक किलो मटर ले आ.... और बाहर से मैडम को अंदर भेज दे, गप्पे ही मार रहे हैं बैठ कर, तो अच्छा नहीं लगता वो बाहर अकेली बैठी रहें, और जा तू मटर लेकर जल्दी आ ""गप्पे मार रहे हैं !" मैं बड़ा हैरान था कितना शातिर चालाक बंदा है ये ।मैं अपनी कोई कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें ऑफ़िस - ऑफ़िस - 4 ऑफ़िस - ऑफ़िस - उपन्यास R.KapOOr द्वारा हिंदी - हास्य कथाएं 2.9k 10.5k Free Novels by R.KapOOr अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी R.KapOOr फॉलो