में और मेरे अहसास - 43 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें कविता किताबें में और मेरे अहसास - 43 में और मेरे अहसास - 43 Darshita Babubhai Shah द्वारा हिंदी कविता 702 2.6k शरारत मुहब्बत बन गई है lशराफत इनायत बन गई है ll तुम्हारी याद मे लिखीं हुईं lदैनन्दिनी रवायत बन गई है ll ************************************* दिन तो गूजर जाता है lरात काटे नहीं कटती ll खंजर की तरह चुभती है lयाद ...और पढ़ेनहीं टलती ll ************************************* हर शाम सुहानी नही होती lकभी पुरी कहानी नही होती।l जैसे सबाब की उम्र नहीं होती lवैसे शराब पुरानी नहीं होती ll मुहब्बत कभी भी हो जाती है lहर इश्क को जवानी नही होती। कई दिल फैक होते हैं जहा मे lहर मुहब्बत रूहानी नहीं होती ll मिलने की तड़प हद से बढ़े तो lमुलाकात कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें में और मेरे अहसास - 43 में और मेरे अहसास - उपन्यास Darshita Babubhai Shah द्वारा हिंदी - कविता (321) 66.7k 271.1k Free Novels by Darshita Babubhai Shah अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Darshita Babubhai Shah फॉलो