तुम्हारे बाद - 4 Pranava Bharti द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

Tumhare Baad द्वारा  Pranava Bharti in Hindi Novels
दिल के दरवाज़े पे साँकल जो लगा रखी थी
उसकी झिर्री से कभी ताक़ लिया करती थी
वो जो परिंदों की गुटरगूं सुनाई देती थी
उसकी आवाजों को ही माप लिया करती थ...

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