जहाँ ईश्वर नहीं था - 3 Gopal Mathur द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

Jaha Ishwar nahi tha द्वारा  Gopal Mathur in Hindi Novels
गोपाल माथुर 1 आँख कुछ देर से खुली. बाहर सुबह जैसा कुछ भी नहीं लगा, हालांकि सूरज निकल चुका था, पर वह घने बादलों के पीछे कैद था. बारिश बादलों में लौट गई...

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