एक अप्रेषित-पत्र - 11 Mahendra Bhishma द्वारा पत्र में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें पत्र किताबें एक अप्रेषित-पत्र - 11 एक अप्रेषित-पत्र - 11 Mahendra Bhishma द्वारा हिंदी पत्र 790 5.3k एक अप्रेषित-पत्र महेन्द्र भीष्म मग़रिब की नमाज ‘‘सुषमा! प्लीज.... देर हो रही है।'' “बस्स... दो मिनट.... अौर जज साहब।” “क्या सुषमा....? पिछले बीस मिनट से अभी तक तुम्हारे दो मिनट पूरे नहीं हुए?” मैंने रिस्टवाच में देखते हुए कहा। ...और पढ़ेक्यों डैडी को तंग करती हो....।” उर्वशी मेरी पाँच साल की बेटी मेरे लिए हमदर्दी जताते बोल पड़ी। “लो भई.... हो गयी तैयार...।” सुषमा ने उर्वशी के गालों पर तेज चुम्बन जड़ते हुए कहा। “.... अौर जो मैं पिछले आधे घण्टे से....।” मैंने अपनी बारी न आते देख सुषमा को अपने गाल की अौर संकेत करते हुए कहा। “आप भी....” कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें एक अप्रेषित-पत्र - 11 एक अप्रेषित-पत्र - उपन्यास Mahendra Bhishma द्वारा हिंदी - पत्र (15) 12.5k 87k Free Novels by Mahendra Bhishma अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Mahendra Bhishma फॉलो