लाजवन्ती Ved Prakash Tyagi द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें लघुकथा किताबें लाजवन्ती लाजवन्ती Ved Prakash Tyagi द्वारा हिंदी लघुकथा (24) 440 1.4k लाजवन्ती मैं तो अपनी बेटी को डॉक्टर बनाऊँगा, नमिता के पेट पर हाथ फिराते हुए राजेन्द्र ने कहा, और अगर बेटा हुआ तो, नमिता ने अपने पेट को दोनों हाथों का सहारा देते हुए पूछा, बेटा हुआ तो उसको ...और पढ़ेडॉक्टर ही बनाऊँगा, बड़ा डॉक्टर बनकर मेरी क्लीनिक वो संभालेगा। राजेन्द्र व नमिता की बातें अभी चल ही रही थी कि राजेन्द्र ने अचानक घड़ी की तरफ देखा, साड़े बारह बज चुके थे, सुबह उठकर क्लीनिक भी खोलना था और नमिता को जांच के लिए भी जाना था। रात बहुत हो गयी अब सोना चाहिए और इतना कहकर राजेन्द्र ने कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी सुनो मोबाईल पर डाऊनलोड करें अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Ved Prakash Tyagi फॉलो