राबिया का जूता Omprakash Kshatriya द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें सामाजिक कहानियां किताबें राबिया का जूता राबिया का जूता Omprakash Kshatriya द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 562 5k राबिया का जूता ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश' राबिया अपने भाई के पुराने जूते पहन—पहन कर परेशान हो गई थी. उस ने कई कोशिश की मगर, उसे नए जूते नहीं मिले. इस बार उस ने पापा से कह दिया, '' ...और पढ़े यदि मुझे नीलम जैसे जूते नहीं मिले तो मैं स्कूल नहीं जाऊंगी.'' पापाजी ने उसे समझाया, '' इस बार घर में इतना पैसा नहीं है. फिर कभी नए जूते ले आऊंगा. '' मगर, राबिया नहीं मानी. '' आप कई बार मुझे बहला चुके हैं. मैं इस बार नए जूते लिए बिना स्कूल नहीं जाऊंगी,'' राबिया ने जिद पकड़ ली. आखिर पापाजी कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें राबिया का जूता अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Omprakash Kshatriya फॉलो