फिल्म 'अलिटा: बेटल एंजेल' का निर्माण जेम्स कैमरून ने किया है, जो पहले 'टाइटेनिक' और 'अवतार' जैसी माइलस्टोन फिल्में बना चुके हैं। यह कहानी 2563 में शुरू होती है, जब मानव सभ्यता महायुद्ध के बाद बर्बाद हो चुकी है और आयरन सिटी नामक एक खतरनाक शहर में कुछ हजार लोग बचे हैं। यहाँ मानव अंगों का व्यापार होता है और जीवन में कोई सुरक्षा नहीं है। एक दिन, वैज्ञानिक डायसन इडो को ज़लेम से फेंके गए कचरे में एक पुराना सायबोर्ग मिलता है, जिसे वह ठीक कर 'अलिटा' नाम देता है। अलिटा को अपना अतीत याद नहीं है, लेकिन एक टीनएज लड़के ह्यूगो से मिलने के बाद, उसे अपने जीवन का असली मकसद समझ में आने लगता है। फिल्म का निर्देशन रॉबर्ट रॉड्रिग्ज ने किया है, और यह जापान के सर्जक युकितो किशिरो के मंगा पर आधारित है। फिल्म में मानवीय संवेदनाओं को अच्छी तरह से दिखाया गया है, लेकिन अलिटा और ह्यूगो के बीच प्रेम कहानी को अधिक खींचा गया है। अलिटा का किरदार मोशन कैप्चर तकनीक से बनाया गया है, जिसमें रोजा सालाजार ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। फिल्म के एक्शन दृश्य, स्पेशियल इफेक्ट्स और सिनेमेटोग्राफी लाजवाब हैं। मोटरबोल रेस के दृश्य भी शानदार ढंग से फिल्माए गए हैं। अलिटा: बेटल एंजेल Mayur Patel द्वारा हिंदी फिल्म समीक्षा 22.5k 4.5k Downloads 16.7k Views Writen by Mayur Patel Category फिल्म समीक्षा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण ‘अलिटा: बेटल एंजेल’ में ज्यादा दिलचस्पी जागने का सबसे बडा कारण है ईस फिल्म के निर्माता जेम्स केमेरुन, जिन्होंने ईससे पहले ‘टाइटेनिक’ और ‘अवतार’ जैसी माइलस्टोन फिल्में बनाई थीं. न सिर्फ जेम्सने ‘अलिटा: बेटल एंजेल’ का निर्माण किया है बल्की ईस फिल्म की पटकथा भी उन्होंने (ए. कालोग्रिडिस के साथ मिलकर) लिखी है. जाहिर सी बात है की ‘अलिटा: बेटल एंजेल’ से अपेक्षाएं बहोत ज्यादा होगी. तो चलिए जानते है की कैसी है ये फिल्म…फिल्म की कहानी शुरु होती है सन 2563 में. महायुद्ध के बाद पृथ्वी पर मानव-सभ्यता तबाह हो चुकी है. केवल कुछ हजार मनुष्य बचे है जो Novels फिल्म रिव्यू - मयूर पटेल फिल्म रिव्यू – ‘ठग्स ओफ हिन्दोस्तान’… दर्शको को वाकइ में ठग लेगी ये वाहियात फिल्म कई सालों से ये होता चला आ रहा है की दिवाली के त्योहार पर रिलिज हुई... More Likes This ट्रिपलेट्स भाग 1 द्वारा Raj Phulware नेहरू फाइल्स - भूल-80 द्वारा Rachel Abraham Dhurandhar - Movie Review द्वारा Ashish पती पत्नी और वो - भाग 1 द्वारा Raj Phulware टीपू सुल्तान नायक या खलनायक ? - 9 द्वारा Ayesha फिल्म समीक्षा द डिप्लोमेट द्वारा S Sinha सिल्वरस्क्रीन के गोल्डन ब्वॉयज़ - 1 द्वारा Prabodh Kumar Govil अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी