आजाद और खोजी इस्कंदरिया में एक होटल में ठहरे। जब खाने का समय आया, खोजी ने कहा कि वह अपने धर्म के कारण नहीं खाएंगे, जबकि आजाद ने विरोध किया और पूछा कि क्या अफीम खाना धर्म के खिलाफ नहीं है। खोजी ने तर्क किया कि एक गलत काम करने से सभी काम गलत नहीं हो जाते। इस बातचीत के बीच, दो तुर्की लोग होटल में खाना खाने आए, जिससे खोजी की सोच में बदलाव आया। उन्होंने देखा कि तुर्की लोग बिना किसी धार्मिक समस्या के खाना खा रहे थे। अंत में, खोजी ने भी होटल में खाना खाने का फैसला किया।
आजाद-कथा - खंड 1 - 55
Munshi Premchand
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
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विवरण
आजाद का जहाज जब इस्कंदरिया पहुँचा, तो वह खोजी के साथ एक होटल में ठहरे। अब खाना खाने का वक्त आया, तो खोजी बोले - लाहौल, यहाँ खानेवाले की ऐेसी तैसी चाहे इधर की दुनिया उधर हो जाय, मगर हम जरा सी तकलीफ के लिए अपना मजहब न छोड़ेंगे। आप शौक से जायँ और मजे से खायँ हमें माफ ही रखिए।
मियाँ आजाद के बारे में, हम इतना ही जानते हैं कि वह आजाद थे। उनके खानदान का पता नहीं, गाँव-घर का पता नहीं खयाल आजाद, रंग-ढंग आजाद, लिबास आजाद दिल आजाद...
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