इस पत्र में लेखक ने बापू (महात्मा गांधी) के प्रति अपनी प्रेरणा और सम्मान व्यक्त किया है। वह बताते हैं कि बापू की निडरता और जुल्म सहने की क्षमता ने उन्हें अपने दुर्गुणों से लड़ने की ताकत दी है। लेखक ने एक चर्चा का उल्लेख किया, जिसमें उनके मित्र ने बदले को शुद्धतम विचार बताया, लेकिन लेखक ने बापू के विचारों का हवाला देते हुए बताया कि बदलाव लाने पर ही विरोध का विचार करें। लेखक ने यह भी कहा कि इतिहास में कभी-कभी ऐसा होता है कि जज कैदी का स्वागत करते हैं, जो बापू के प्रति सम्मान को दर्शाता है। उन्होंने एक विकलांग व्यक्ति का उदाहरण दिया, जो प्रार्थना के महत्व को जानता है, जबकि उच्च समाज के लोग इससे विमुख हो गए हैं। अंत में, लेखक ने बताया कि बापू के विचारों ने उनके जीवन का लक्ष्य बदल दिया है; अब वह अपने लिए नहीं, बल्कि उच्च उद्देश्य के लिए कार्य करते हैं।
प्रिय बापू
chintan lakhani Almast
द्वारा
हिंदी पत्र
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विवरण
ये भारत में जन्मे एक विश्व वन्दनीय महात्मा के बारे में मेरी कुछ उत्सुकता है जिन्होंने शब्दों का रूप लिया है l अब सोचा की उनकी बात किससे की जाए और कोई शायद समज न पाए तो क्यों न उनकी बात उनसे ही की जाये तो उनको ही पत्र लिखकर वो सारी बाते कर दी जो उनसे नहीं कर पाया l
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