ए पर्फेक्ट मर्डर

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खिड़की गांँव के उस छोटे से पुलिस स्टेशन में एक खामोशी सी छा गई जब अमोल ने इंस्पेक्टर यादव पर चीखते हुए कहा,"मैं बारह घंटों से इस पुलिस स्टेशन के चक्कर काट रहा हूँ पर आप हैं कि आपके कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। मेरी पत्नी पिछले बारह घंटों से घर नहीं आई है इंस्पेक्टर। प्लीज़, तलाश कीजिए उसकी।" अमोल गुप्ता, एक फूड कम्पनी में सुपरवाइज़र के पद पर नियुक्त था। कद-काठी, शक्ल-सूरत बहुत आम थी। रंग सांवले से थोड़ा कम था। पूरी तरह श्याम वर्ण भी नहीं कहेंगे। अपने छोटे से परिवार में बहुत खुश था। दिल्ली में खिड़की एक्सटेंशन में अपनी पत्नी नीलम और दो बच्चे, रोहित जो चार साल का था और चित्रा जो छह साल की थी, के साथ रहता था।

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 1

भाग 1खिड़की गांँव के उस छोटे से पुलिस स्टेशन में एक खामोशी सी छा गई जब अमोल ने इंस्पेक्टर पर चीखते हुए कहा,"मैं बारह घंटों से इस पुलिस स्टेशन के चक्कर काट रहा हूँ पर आप हैं कि आपके कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। मेरी पत्नी पिछले बारह घंटों से घर नहीं आई है इंस्पेक्टर। प्लीज़, तलाश कीजिए उसकी।" अमोल गुप्ता, एक फूड कम्पनी में सुपरवाइज़र के पद पर नियुक्त था। कद-काठी, शक्ल-सूरत बहुत आम थी। रंग सांवले से थोड़ा कम था। पूरी तरह श्याम वर्ण भी नहीं कहेंगे। अपने छोटे से परिवार में बहुत खुश था। ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 2

भाग 2थाने में अमोल की बात कोई सुनने को तैयार नहीं था। सब उसका मज़ाक उड़ाने में लगे हुए “सर, मैं आपसे रिक्वेस्ट कर रहा हूँ, प्लीज़ नीलम को ढूंढ़िए। हो सकता है वो किसी मुसीबत में हो।” अमोल ने फिर से इंस्पेक्टर से विनती की। "देख भाई! पहली बात अभी तेरी बीवी को गये हुए चौबीस घंटे नहीं हुए। तो हम तहकीकात शुरू नहीं कर सकते। और दूसरा….ये वाले पर ध्यान देना, हो सकता है कि तेरी बीबी तुझसे परेशान हो किसी और के साथ भाग गई हो….हा हा हा।" इंस्पेक्टर यादव ने अपने मोटे से पेट पर ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 3

भाग 3“विक्रम तैयार हो गए आप कि नहीं?” कविता ने कमर का दरवाज़ा खटखटाते हुए पूछा। तभी विक्रम राठोर दरवाज़ा खोल कविता को अंदर ले लिया और उसे अपनी बांहों में भरते हुए कहा, “आपको हमारा दरवाज़ा खटखटाने की क्या ज़रूरत है। मैडम आप बेझिझक अंदर आ सकती हैं।” कविता ने एक नज़र विक्रम को देखा। उसके कमीज़ के अधखुले बटन के अंदर से उसका सुगठित शरीर दिख रहा था। कविता ने अपना हाथ उसकी कमीज़ के अंदर डालते हुए कहा, “ऐसी हालत में हमें अंदर ना बुलाया करें विक्रम साहब! हम कंट्रोल नहीं कर पाते अपने आपको।” “तो ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 4

अमोल का घर बहुत ही खूबसूरत ढंग से सज़ा हुआ था। फर्नीचर भले ही नया नहीं था पर उसपर खूबसूरत कवर, तकिए, दीवान पर बिछी खूबसूरत चादर, उस जगह की खूबसूरती को बढ़ा रही थी। शो केस में वेस्ट मैटीरियल से बनी बहुत सी चीज़ें रखीं थीं। सीपियों और शीशों से हर दरवाज़े पर तोरन बनाकर लटका रखी थी। "अमोल….घर बहुत खूबसूरत सजाया है नीलम ने।" कविता ने तारीफ करते हुए कहा। "जी, उसे बहुत शौक है इन सब चीज़ों का।" अमोल बोला। "अमोल, तुम दोपहर को घर आए तब तुमने क्या किया? और किसने बताया तुम्हें नीलम के ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 5

भाग 5दोपहर को कविता दोबारा उस दुकानदार की दुकान पर गयी और जैसा कि उसे अनुमान था, दुकानदार अपने आराम करने चला गया था और दुकान पर उसका नौकर मगन था। "तो तुम मगन हो?" कविता ने पूछा।"जी मैडम, आप तो….सुबह इंस्पेक्टर के साथ आईं थीं…है ना!" मगन ने उत्साहित होते हुए कहा। "वाह! तुम तो दुकान पर थे भी नहीं फिर भी पहचान गये। क्या बात है मगन!” कविता ने संदेह भरी नज़र से मगन को देखते हुए पूछा। “वो मैडम, मैं वो, सामने वाले घर में था, सामान देने गया था। वहीं से आपको और इंस्पेक्टर साहब ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 6

कविता ने नीलम की सभी दोस्तों को फोन किया। पर उनसे कुछ खास खबर नहीं मिल पाई। सबका एक कहना था कि उनकी ज़्यादा बातचीत या मुलाकात नहीं होती नीलम से। पर …. सबने किसी सोनम का नाम लिया। सोनम और नीलम एक ही स्कूल से पढ़े थे। शायद वो जानती हो नीलम के बारे में। कविता ने तुरंत अमोल को फोन मिलाया।"नमस्ते भाभी। कुछ…पता चला नीलम का?" अमोल ने फोन उठाते ही पूछा।"अमोल….सोनम कौन है? इसका नम्बर आपने हमें नहीं दिया?" कविता ने छूटते ही कहा ‌।"अ…भाभी…सोनम, नीलम की बचपन की सहेली है। दरअसल मैंने इसका नम्बर इसलिए ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 7

भाग 7"कुछ बहुत अजीब पता चला है विक्रम। ये नीलम टपरवेयर का काम करती थी जिसकी जानकारी अमोल ने नहीं दी।" कविता ने कहा।"तुम्हें कैसे पता चला?" विक्रम ने पूछा।"फेसबुक अकाउंट से। मैं उसका अकाउंट चैक कर रही थी कि मेरी नज़र एक टपरवेयर के ऐड पर पड़ी जिसमें नीलम ने कमेंट कर रखा था कि इसकी सदस्यता कैसे ली जाती है? उसपर कम्पनी ने रिप्लाई में अपना नम्बर भेजा और उस नम्बर पर फोन कर जब मैंने पता किया तो पता चला कि नीलम पिछले एक साल से इस काम में है। और पिछले छह माह से बहुत ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 8

भाग 8“मेरी सोच बहुत सुधरी हुई है प्रीत! तुम सिर्फ मेरी हो। जब मैं हूँ तुम्हारी ज़िंदगी में तो और को‌ रिझाने की क्या ज़रूरत है?” अमोल ने प्रीति को कस कर बाहों में भरते हुए कहा। “मैं मानती हूँ अमोल कि मैंने डांस लोगों को और लड़कों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए किया था। उस समय मेरी सोच ये थी कि मुझे भी एक बॉयफ्रेंड चाहिए। पर आज मैं ऐसा नहीं सोचती। आज मैं अपने डांस को प्रोफेशन बनाना चाहती हूँ।” प्रीति के ऐसा कहते ही अमोल गुस्से से आग-बबूला हो उठा। उसने एक हाथ प्रीति ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 9

भाग 9“अरे! राठोर, भाई कितनी देर लगा दी तुमने आने में।” ए. सी. पी. विक्रांत, आगे बढ़ इंस्पेक्टर राठोर कविता का स्वागत करते हैं।“हैलो सर, सॉरी, वो केस में उलझ गए थे। और शुक्रिया, आपने हमें इजाज़त दी अपने प्लान को यहाँ एग्ज़ीक्यूटिव करने की।” इंस्पेक्टर राठोर ने कहा।“केस सॉल्व हो जाए, हमारे लिए वही ज़रूरी है। आओ, एंजॉय करो।” ए. सी. पी विक्रांत बोला। इंस्पेक्टर राठोर और कविता पार्टी में आए अन्य लोगों से मिलने लगे। तभी उन्होंने अमोल को देखा। कविता के इशारे पर इंस्पेक्टर राठोर अमोल के पास गया, “आ गया भाई! आ जा!” “यार! इस ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 10

भाग 10अमोल के जाने के बाद कविता उसके पास आई और बोली, “कुछ पता चला?” “हम्ममम, कुछ तो है हमें नज़र नहीं आ रहा। अमोल बहुत शक्की किस्म का इंसान लगता है। या तो ये अपनी पत्नी के लिए ओवर प्रोटेक्टिव है या फिर उसे अपनी बीवी पर भरोसा नहीं है। और हो सकता है कि इसकी इन हरकतों की वजह से नीलम चली गई हो।” “मतलब तुम ये कहना चाहते हो कि नीलम भाग गई किसी और के साथ? अपने दो मासूम बच्चे छोड़कर? ऐसे कैसे सोच सकते हो तुम विक्रम?” कविता ने गुस्से से तमतमाते हुए कहा। ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 11

भाग 11खिड़की गांव थाना*****************विक्रम आस-पास कई फुटेज देखने में व्यस्त था। तभी कविता वहाँ आ पहुँची। “मिल आईं नीलम फैमिली से?” विक्रम ने पूछा। “हाँ, बहुत गरीब घर से ताल्लुक रखती है नीलम। बादली गांव में छोटा सा घर है। बुरी हालत में। समझ नहीं आया कि अमोल ने बच्चों को वहाँ क्यों भेज दिया। उसके माता-पिता ने बताया कि नीलम शादी से पहले एक स्कूल में टीचर थी। और उसने सरकारी स्कूल से पढ़कर अपनी पढ़ाई पूरी की, और साथ में ट्यूशन ले कर घर का खर्च चलाया। बहुत मेहनती रही है नीलम। उसके पिता एक बस ड्राइवर ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 12

भाग 12“तो इसका मतलब नीलम यहाँ से सीधा सलेक्ट पैलेस मॉल गई थी।” विक्रम जीप में बैठते हुए बोला। किसी और ख्याल में खोई हुई थी। उसने विक्रम की बात का कोई जवाब नहीं दिया। “कहाँ खो गईं आप मैडम?” कविता, विक्रम की आवाज़ सुन अपनी सोच से बाहर आई और एक लम्बी सांस भरते हुए बोली,“विक्रम, मैंने कहा था ना कि नीलम एक अच्छे कैरेक्टर की औरत है। देखा ना, वो कितनी मेहनत कर रही थी अपने बच्चों के लिए। ऐसी औरत अपने बच्चों को छोड़कर कहीं क्यों जाएगी?” “मैं सहमत हूँ तुम्हारी बात से कविता। मैंने तो ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 13

भाग 13“बैठिए सर, बैठिए मैम।” विपुल ने कैबिन में ले‌ जाकर दोनों को बैठाया। “मिस्टर विपुल, आप नीलम को जानते हैं?” विक्रम ने पूछा। “क्या बात है सर? हुआ क्या है?” विपुल ने घबराते हुए पूछा। “बहुत जल्द पता चल जाएगा। आप पहले मेरे सवालों के सही से जवाब दें।” विक्रम अपने कड़क अंदाज़ में बोला। “सर, नीलम मेरी साली की सहेली हैं। उसने मुझसे रिक्वेस्ट की थी कि मैं नीलम की हेल्प कर दूँ। तो इसलिए मैंने उन्हें यहाँ टपरवेयर का काम करने की इजाजत दे दी।” विपुल ने बताया। “और इसके बदले तुम नीलम से कमीशन लेते ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 14

भाग 14खिड़की गाँव पुलिस स्टेशन**************************"विक्रम, ये आरती चौहान हैं। जिनसे मेरी फेसबुक पर बात हुई थी। इन्होंने टपरवेयर की ले रखी है। सुलोचना जी और नीलम इन्हीं के अंडर काम करती हैं।" कविता ने विक्रम को बताया। "आरती जी, आप नीलम के बारे में जितना जानती हैं प्लीज़ बताएं।" विक्रम ने उसे बैठने का इशारा करते हुए कहा। "सर, वो बहुत टैलेंटिड थी। एक साल में उसने बहुत से बैच जीते थे। हर माह का बैस्ट एम्प्लॉई का पुरस्कार उसे ही मिलता था। बस वो और आगे बढ़ सकती थी, पर अपने पति की छोटी सोच के कारण सीमित ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 15

भाग 15“माधवी जी, नमस्ते। मैं कविता राठोर। आपसे फोन पर बात हुई थी।” “जी कविता मैम, आइए, अंदर आइए।” कह माधवी, मेनेजर विपुल की साली कविता को अंदर ले गई। “बैठिए कविता मैम। क्या लेंगी आप? ठंडा-गर्म कुछ मंगवाऊं?” “नहीं माधवी जी, बस चंद सवालों के सही जवाब चाहिएँ। आप नीलम अहूजा को जानती हैं?” “जी, वो मेरी कॉलेज की सहेली है।” “आपने ही उसे अपने जीजाजी विपुल के रेस्तरां में उसकी सिफारिश की थी?” “जी मैम, मैं उसकी मदद करना चाहती थी।” “तो नीलम खुद आपके पास आई थी, अपनी सिफारिश करवाने?” कविता ने पूछा। “दरअसल मैम, मेरी ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 16

भाग 16“विपुल सर ने मेरे साथ बदतमीजी की। कहने लगे कि यदि मुझे इस टपरवेयर के काम को आगे है तो…तो एक रात…उनके साथ बितानी पड़ेगी।” ये कह नीलम फिर रोने लगी। माधवी शायद विपुल द्वारा रखे इस प्रस्ताव पर ज़्यादा आश्चर्य चकित नहीं थी। “नीलम, तू घबरा मत। मैं…समझ सकती हूँ।” “मैंने विपुल सर को एक बड़े भाई की तरह माना था। स्टॉफ में सबके सामने वो भी यही कहते रहे कि तुम मेरे लिए माधवी के जैसी हो। जब किटी पार्टी की लेडीज़ फोटो वगैरह खींचती थीं तो मुझे प्यार से अपने साथ खड़े कर लेते थे ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 17

भाग 17उधर शरद से कविता की पूछताछ जारी थी। “तो आपको नीलम पसंद नहीं थी?” कविता के इस सवाल शरद थोड़ा भड़क गया। “अरे, मैम मैं आपको कह चुका हूँ, कि नीलम भाभी एक उम्दा इंसान थीं…मतलब…हैं, इसलिए उस नज़रिए से वो मुझे पसंद थीं, पर आप जो एंगल जोड़ना चाह रहीं हैं, वो एंगल तो दूर-दूर तक नहीं था।” कविता शरद के इस तरह बौखला जाने पर थोड़ा मुस्कुराई और बोली, “सॉरी। अच्छा ये बताएं कि नीलम और अमोल के आपस में कैसे संबंध थे।” “बढ़िया थे। दोनों साथ में खुश थे।” “पर…हमें तो पता चला है कि ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 18

भाग 18रात को जब कविता घर‌ पहुँची तो विक्रम पहले से ही कमरे में मौजूद था। उसके हाथों में बैग देखकर वह मुस्कुराते हुए बोला, “क्या बात है! इतनी सारी खरीदारी। वैसे, जहाँ तक मेरी जानकारी है मैडम आप केस के सिलसिले में गईं थीं पर…यहां तो हाथों में बैग भर शॉपिंग करके लौट रहीं हैं।” “जलन हो रही है कि तुम्हारे लिए कुछ नहीं लाई।” कविता ने बैग बिस्तर पर पटकते हुए कहा। “जानेमन, हमें आपसे क्यों जलन होने लगी भला। आप इन डिज़ाइनर सूट को पहन कर जब पार्टी में आएंगी तो शान तो हमारी ही बढ़ेगी ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 19

भाग 19“इस मनोज को ढूंढना पड़ेगा विक्रम।” “मैं तिहाड़ जेल में इंस्पेक्टर रावत को जानता हूँ। उससे मालूमात हासिल हूँ। फिलहाल, कल विपुल से दोबारा से पूछताछ करनी पड़ेगी।” कविता कुछ सोच में बैठ गई। विक्रम ने उसके गले में अपनी बाहों का घेरा डालते हुए कहा,“क्यों इतना सोच रही हो कविता?” “विक्रम, एक अजीब सी फीलिंग हो रही है। ऐसा लग रहा है कि कहीं हमें देर तो नहीं हो गई? कहीं नीलम के साथ कुछ अनहोनी तो नहीं हो गई?” “कविता, हमने अपनी तरफ से हर संभव कोशिश कर ली है। शहर के सभी हॉस्पिटल में पता ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 20

भाग 20मेफेयर नर्सिंग होम******************“नमस्ते डॉक्टर चंद्रा। मैं इंस्पेक्टर विक्रम राठोर और ये मेरी पत्नी कविता राठोर। ये एक प्राइवेट भी हैं और बहुत से केस में हमारे डिपार्टमेंट की मदद भी कर चुकी हैं।” “हैलो सर, प्लीज़ बैठिए। आप दोनों…यहाँचेकअप के लिए आए हैं या…?” डॉक्टर चंद्रा ने पूछा। “वो दिन भी ज़रूर आएगा डॉक्टर, पर फिलहाल हम यहाँ एक केस के सिलसिले में आए हैं।” विक्रम ने मुस्कुराते हुए कहा। “जी कहिए मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूं?” कविता ने अपने पर्स से नीलम की तस्वीर निकाल कर उनको दिखाते हुए पूछा, “आप इसे जानती हैं?” डॉक्टर ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 21

भाग 21“हाँ गौतम, क्या न्यूज़ है?” विक्रम ने जीप साइड में रोकते हुए पूछा। “विक्रम थोड़ा अर्जेंट है, थाने जाओ, सब बताता हूँ।” इंस्पेक्टर गौतम ने फोन पर कहा। “थाने? तुम दिल्ली में हो?” विक्रम ने पूछा। “हाँ, आज ही आया हूँ।” “ठीक है मैं आता हूँ।” ये कह विक्रम ने फोन रख दिया। “गौतम का फोन था। उसे प्रीति पर नज़र रखने को कहा था। लगता है कुछ सबूत हाथ लगे हैं। एक काम करता हूंँ तुम्हें अपर्णा घई के छोड़कर मैं थाने निकल जाता हूँ।” विक्रम ने कविता से कहा। “ठीक है, पर कुछ पता चलते ही ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 22

भाग 22“कविता, कहाँ हो? देखो तो कौन आया है?” विक्रम घर में घुसते ही कविता को पुकारने लगा। कविता किचन में रात के खाने की तैयारी में जुटी थी, विक्रम की आवाज़ सुन हाथों में कड़छी लिए बाहर आई। उसे देख विक्रम और गौतम दोनों ने अपने हाथ ऊपर उठा लिए और‌ बोले,“माफ़ी सरकार, माफी।” “अरे! मैं तो किचन में काम कर रही थी। क्या तुम दोनों भी ना! नमूने हो बिल्कुल।” कविता ने हँसते हुए कहा, और फिर गौतम की तरफ देख मुस्कुराते हुए बोली, “हैलो गौतम! कैसे हो?” “हैलो कविता! मैं बिल्कुल ठीक हूँ। तुम कैसी हो?” ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 23

“देखो, हमें दोनों पहलुओं पर गौर‌ करना चाहिए। हो सकता है कि प्रीति सच में दिल्ली केवल अपने माता-पिता मिलने आती हो, और हो सकता है कि शरद ने सिर्फ नीलम की मदद की हो। उसके पीछे कोई और वजह ना हो।” गौतम ने गुत्थी को थोड़ा सुलझाने की कोशिश की। “हाँ, पर इसका उल्टा भी हो सकता है। तो, एक काम करते हैं, कविता तुम बैंगलुरू चली जाओ। प्रीति से मिलकर आओ। शायद सच्चाई पता चल जाए।” विक्रम बोला। “अमोल से ही पूछताछ कर लेते हैं ना, मेरे बैंगलुरू जाने से क्या होगा?” कविता ने कहा। “नहीं-नहीं, अमोल ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 24

भाग 24नंदनी कविता का बहुत प्यार से स्वागत करती है। दोनों मिलकर खूब सारी बातें करती हैं। “कविता, कल प्रीति के घर ग्यारह बजे के बाद जाना। और मेरा एक हवलदार सादे कपड़ों में तुम्हें टैक्सी में छोड़ने जाएगा और लेने भी आएगा। कविता एक बात तो बिलकुल सही है कि प्रीति और अमोल आपस में बातें करते हैं। अब…उनका ये रिश्ता किस हद तक है, ये तुम्हें पता लगाना है।” गौतम बोला। “हम्मम, पता तो करना ही पड़ेगा। नीलम की गुत्थी को सुलझाए बिना चैन नहीं मिलेगा। ठीक है, मैं कल तैयार रहूंगी। और नंदनी, अगर मैं जल्दी ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 25

भाग 25“प्रीति! बहुत खुशी हुई तुझे इतने सालों बाद देखकर!” कविता ने उसकी तरफ बढ़ते हुए कहा। प्रीति भी हुई आगे बढ़ी और कविता को गले लगाती हुई बोली, “मुझे भी तुझे देख कर बहुत खुशी हो रही है। आज सालों बाद अपने कॉलेज की किसी सहेली से मिल रही हूँ।” “वैसे प्रीति, तेरा घर तो बहुत आलीशान है! क्या शान है तेरी! नौकर-चाकर, गाड़ी, बंगला! मैं बहुत खुश हूँ तेरे लिए।” कविता ने अपनी खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा। “आ बैठ यार! बता क्या लेगी?” प्रीति ने उसे प्यार से अपने आलीशान सोफे पर बैठाते हुए कहा। “तेरे ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 26

भाग 26फ़्लैश बैक**********“अंकल मुझे एक अच्छी कम्पनी में जॉब मिल गई है। अब तो मैं प्रीति का हाथ मांग हूँ।” अमोल ने मिठाई का डिब्बा प्रीति के पिताजी के सामने रखते हुए कहा। प्रीति के पिताजी व्यंग्यात्मक लहज़े में बोले, “तन्खवाह कितनी है।” “जी पच्चीस हजार रुपए। और हर साल इंक्रीमेंट भी होगा।” अमोल ने मुस्कुराते हुए प्रीति की तरफ देखते हुए जवाब दिया। प्रीति के पिताजी हँसने लगे, “बस, पच्चीस हजार रुपए! इसमें तुम मेरी बेटी को क्या सुख दोगे? आधा पैसा तो किराए में निकल जाएगा।” “अंकल शुरुआत में पच्चीस हजार भी बुरे नहीं होते। और किराए ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 27

भाग 27वर्तमान समय**************प्रीति की आँखों में आँसू थे। ऐसा लग रहा था मानो वो अभी भी उसी दर्द और से गुज़र रही थी। कविता भी उसकी आप-बीती सुन दिल से दुखी थी। दो प्यार करने वालों का बिछड़ जाना उसे कभी पसंद नहीं आया। “तो, अमोल को कभी पता चला कि तू क्यों नहीं आई?” कविता ने पूछा।“नहीं, काफी समय तक पता नहीं चला। सोनिया के भाई ने सोनिया को बताया कि मैंने एक अमीर लड़के से शादी के लिए हाँ कर दी है। और मैं इंडिया से बाहर सैटल हो गई हूँ। यही बात ज़ाहिर है सोनिया ने ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 28

भाग 28प्रमोद प्रीति के सामने आकर खड़ा हो गया। प्रीति बिना पलक झपके उसे देखती रही। “मैं…मैं मानता हूँ कल जिस तरह मैं आपसे पेश आया वो ग़लत था। पर…” इससे पहले की प्रमोद आगे बोलता प्रीति बोल पड़ी, “पर अपनी मर्दानगी साबित करने का एक अलग ही मज़ा है। है ना?” प्रीति का इस तरह बेबाकी से बोलना प्रमोद को बहुत अखर गया। वो तुनक कर बोला, “आपसे शादी मेरी मजबूरी थी। माँ का दबाव था मुझ पर। उन्हें आपसे भी एक वारिस चाहिए। इसलिए मुझे कल रात आपके साथ…” “मेरे रंग-रूप को लेकर कल रात आपने मुझे ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 29

भाग 29खुशियों के उन हसीन पलों को याद करती हुई प्रीति वर्तमान में वापस आई और‌ यथार्थ के धरातल अपने आपको फिर से बहुत तन्हा महसूस किया।“चलो देर से ही सही तुझे अपने पति का प्यार मिल ही गया। ये सुन बहुत खुशी हुई मुझे।” कविता ने प्रीति की आँखों में सच को जानने की कोशिश करते हुए कहा। उसके दिल में प्रीति के लिए सांत्वना ज़रूर थी पर साथ ही गुस्सा भी। जब उसके और प्रमोद के बीच में सब ठीक था तो अमोल उसकी ज़िन्दगी में वापस क्यों आया? अपने पति को वो धोखा क्यों दे रही ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 30

भाग 30बैंगलुरू प्रीति का बंगला***********************कविता जानने के लिए उत्सुक थी कि प्रीति अमोल से मिली कैसे? “तो, तेरे पति बेवफाई तुझे अमोल तक ले गई? हैं ना?” कविता ने पूछा।“नहीं, ऐसा नहीं था कविता। अमोल से मिलना महज एक संयोग था। तुम राकेश को जानती हो? वो जिसके फादर आई एस थे! वो एक बार मुझे एक पार्टी में मिला। दरअसल प्रमोद अपने सर्किल में होने वाली पार्टियों में मुझे ले जाता था। या ऐसे कहें कि ले जाना उसकी मजबूरी थी। ऐसी ही एक पार्टी में मेरी मुलाकात राकेश से हुई। बातों-बातों में उसने अमोल का ज़िक्र छेड़ ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 31

भाग 31होटल पहुंच अमोल‌ ने सावधानी से प्रीति को गाड़ी से उतारा और रिसेप्शन से चाबी लेता हुआ उसे की तरफ ले गया। लिफ्ट में भी प्रीति अमोल के भाव रहित चेहरे को देखती रही। अमोल का ये रुखा व्यवहार उसके दिल कोअंदर तक घायल कर रहा था। रूम पर पहुंच अमोल ने प्रीति को उसके बिस्तर पर बैठाया और बोला, “मिसेज गुप्ता, अब आप आराम करें। इतना नाचने और पीने के बाद आप बहुत थक गई होंगी। मैं… चलता हूं। गुड बाय।” ये कह जैसे ही अमोल मुड़ा प्रीति ने उसका हाथ पकड़ उसे रोकते हुए पूछा, “इतनी ...और पढ़े

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 32

भाग 32अमोल ने प्रीति को कसकर अपनी बाहों में भरते हुए कहा, “इतने सालों से हम दोनों प्यार के तड़प रहे हैं। वो प्यार जो हमें तृप्त करे। पर ना तुम्हारा पति और ना ही मेरी पत्नी, हमें वो प्यार दे पाए। अब समय हमारा है। हम अपने हिस्से का प्यार पा कर रहेंगे। भले ही उस वक्त तकदीर ने हमें जुदा कर दिया था पर अब हम कभी जुदा नहीं होंगे प्रीति।” ये कह अमोल ने प्रीति के लिपस्टिक से रंगे लाल होंठों को और अधिक लाल कर दिया। प्रीति अमोल के इस प्यार भरे आलिंगन और स्पर्श ...और पढ़े

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