गीता एक नौकरानी है,जो लोगों के घरों में झाड़ू-पोछा बरतन करके अपना और अपने परिवार का पेट पालती है,यूँ तो उसकी उम्र अठारह साल है लेकिन दुनिया को समझते समझते उसमें इतनी समझदारी आ गई हैं कि उसे अब लगने लगा है कि वो समय से पहले बूढ़ी हो गई है,अपने माँ-बाप के सभी बच्चों में वो बहुत ही खूबसूरत है,इसलिए तो उसका बापू उससे नफरत करता है,नफरत करने की वजह ये नहीं है कि वो बहुत खूबसूरत है बल्कि उसकी वजह कुछ और ही है, इस बात के लिए उसके बापू को उसकी अम्मा पर शक़ है,क्योंकि उसके इस दुनिया में आने से पहले उसकी माँ कावेरी किसी साहब के चक्कर में फँसी थी,वो साहब तलाकशुदा और बहुत ही सुन्दर-गोरा चिट्टा था और अच्छा खासा पैसा कमाता था,कावेरी उसके यहाँ खाना बनाने जाती थी,धीरे धीरे कावेरी उसके प्यार में पड़ गई और उसका ज्यादातर समय साहब के घर में ही बीतने लगा,उसके बाद गीता कावेरी की जिन्दगी में आई,तो गीता के बापू सियाराम को पूरा यकीन है कि गीता उसी साहब की सन्तान है,सियाराम ने वैसे भी अपने परिवार के लिए आज तक कुछ नहीं किया,जीवन भर दारू पी है और जुएँ में पैसा हारा है,बेचारी कावेरी हर रात खाना खाने से पहले उसके हाथों से मार खाती थी,जब सियाराम उसके साथ ऐसा व्यवहार करने लगा तो कावेरी ने भी खुद को खुश रखने और सियाराम से बदला लेने के लिए साहब से सम्बन्ध बना लिए,

Full Novel

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कामवाली बाई--भाग(१)

गीता एक नौकरानी है,जो लोगों के घरों में झाड़ू-पोछा बरतन करके अपना और अपने परिवार का पेट पालती है,यूँ उसकी उम्र अठारह साल है लेकिन दुनिया को समझते समझते उसमें इतनी समझदारी आ गई हैं कि उसे अब लगने लगा है कि वो समय से पहले बूढ़ी हो गई है,अपने माँ-बाप के सभी बच्चों में वो बहुत ही खूबसूरत है,इसलिए तो उसका बापू उससे नफरत करता है,नफरत करने की वजह ये नहीं है कि वो बहुत खूबसूरत है बल्कि उसकी वजह कुछ और ही है, इस बात के लिए उसके बापू को उसकी अम्मा पर शक़ है,क्योंकि उसके इस ...और पढ़े

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कामवाली बाई--भाग(२)

गीता मिसेज शर्मा के घर पहुँची ही थी कि उनकी सास शकुन्तला देवी जो आज ही प्रयाग से उनके आईं थीं,वें बोलीं.... ए लड़की तू कितनी देर से आईं हैं,घर का पोछा झाडू़ नहीं हुआ अब तक,मुझे आज पूजा के लिए कितनी देर हो गई... वो अम्मा जी!कहीं उलझ गई थी इसलिए देर हो गई,गीता बोली।। मैँ तेरे सब बहाने जानती हूँ,अब खड़ी खड़ी मेरा मुँह क्या ताक रही है चुपचाप काम पर लग जा,शकुन्तला देवी बोलीं.... जी!अम्मा जी!और इतना कहकर गीता ने अपने दुपट्टे को कमर के चारों ओर लपेटा और झाड़ू उठाकर काम पर लग गईं,जब अकेले ...और पढ़े

3

कामवाली बाई--भाग(३)

गीता एक दिन अपनी बहन लक्ष्मी के घर गई थी,घर का दरवाज़ा खुला हुआ था इसलिए गीता भीतर चली वहाँ पहुँचकर उसने जो देखा वो देखकर उसने अपनी आँखें मींच लीं,उसकी बहन लक्ष्मी किसी आदमी के साथ नग्नावस्था में बिस्तर पर थी,जैसे ही लक्ष्मी की नजर गीता पर पड़ी तो उसने चादर ओढ़ ली और उस आदमी ने भी वहीं पड़ी लक्ष्मी की साड़ी से अपना तन ढ़क लिया,गीता का मन ग्लानि से भर गया और वो सीधे घर से बाहर चली गई..... गीता ने घर पहुँचकर अपनी माँ कावेरी से तो कुछ नहीं बताया लेकिन मन ही मन ...और पढ़े

4

कामवाली बाई--भाग(४)

गीता ने रोमा मेमसाब के घर का काम छोड़कर एक नये घर का काम पकड़ लिया और वो थीं सुभद्रा कुलकर्णी और उनके पति भी डाँक्टर थे जिनका नाम वासुदेव कुलकर्णी था,उन दोनों की अपनी खुद की क्लीनिक थी जिसे वें दोनों मिलकर सम्भालते थे,काम में इतने ब्यस्त रहते थे कि उन्हें अपने बेटे हर्षित के लिए फुरसत ही नहीं मिलती थी,इसलिए उनका बेटा बोर्डिंग में पढ़ा था,लेकिन अब उसकी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी और उसने अपने ब्यस्त माँ बाप को देखकर पहले ही अपने माता पिता की तरह मेडिकल की पढ़ाई करने से इनकार कर दिया था,वो ...और पढ़े

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कामवाली बाई--भाग(५)

गीता का दिमाग़ हिल चुका था, डेनियल और हर्षित के बीच के सम्बन्ध को जानकर,वो अब मिसेज कुलकर्णी के काम पर जाती थी तो उसे हर्षित के बारें में सोचकर कुछ अज़ीब सा लगता था,अब वो हर्षित से उस तरह से बात नहीं करती थी जैसा कि पहले किया करती थी,ये बात हर्षित ने भी नोटिस की थी कि अब गीता उससे पहले की तरह बातें नहीं करती थीं,एक दिन जब गीता उसके कमरें मेँ खाना देने गई तो उसने गीता से पूछ ही लिया.... क्या बात है गीता?आजकल तुम मुझसे पहले की तरह बात नहीं करती, भइया!ऐसी कोई ...और पढ़े

6

कामवाली बाई--भाग(६)

मुरारी बोला... मैं गौरी से पहली बार तब मिला था जब वो दसवीं में पढ़ती थी,एक दिन वो साइकिल स्कूल जा रही थी और उसकी साइकिल का टायर पंचर हो गया,वो खड़ी होकर इधर उधर देखने लगी कि शायद उसे कोई साइकिल पंचर ठीक करने वाले की दुकान दिख जाएं,तभी उसके ही स्कूल के दो लड़के उसके पास आकर उल्टी सीधी फब्तियाँ कँसने लगें,गौरी बहुत डर गई क्योंकि वो एक सीधी सादी लड़की थी इसलिए उन लड़कों से वो कुछ नहीं कह पा रही थी,तभी मैं वहाँ से गुजरा और गौरी को बहुत परेशान देखा तो मैनें उन लड़कों ...और पढ़े

7

कामवाली बाई--भाग(७)

मुरारी को रोता देखकर कावेरी के आँसू भी छलक पड़े,उसे आज महसूस हुआ कि उसके बेटे ने अपने सीने इतना बड़ा दर्द छुपा रखा था,उसकी बात सुनकर कावेरी बोली.... बेटा!गौरी की सौतेली माँ बहुत ही खतरनाक औरत है,हम उससे नहीं लड़ सकते,हमारे पास ना तो इतना पैसा और ना ही इतनी शक्तियांँ, लेकिन तब भी मैं गौरी की मौत का बदला लेकर रहूँगा,मुरारी बोला।। नहीं बेटा!तू अकेला उन सबसे नहीं जीत पाएगा,कावेरी बोली।। इसलिए तो मुझे तुमलोगों का साथ चाहिए,मुरारी बोला।। मैं कोशिश करूँगीं तेरा साथ देने की ,कावेरी बोली, अपने माँ के ये शब्दसुनकर मुरारी को बहुत तसल्ली ...और पढ़े

8

कामवाली बाई--भाग(८)

मुरारी से मिलने से पहले तो हुस्ना ने सोचा था कि पहले वो युद्ववीर के बेटे को खतम करेगी,,जिससे युद्ववीर जिन्दगी से थोड़ा हताश हो जाएं,क्योंकि अब उसके पास केवल उसका छोटा बेटा ही बचा है सहारे के लिए और अगर उसने विलास सिंह को खतम कर दिया तो युद्ववीर सिंह को भी भीतरी चोट लगेगी जिससे कि वो टूट जाएगा और हुस्ना इसी ताक में ना जाने कब से थी, होली का त्यौहार आया और युद्ववीर की पार्टी के सदस्यों ने उनसे होली पार्टी की फरमाइश रखी ,बोलें इस होली पर पर तो ऐसा जलसा होना चाहिए कि ...और पढ़े

9

कामवाली बाई--भाग(९)

हुस्ना एक तवायफ़ थी तो उसके जानने वाले बहुत थे,हुस्ना की जान पहचान युद्ववीर की विरोधी पार्टी वाले सदस्य हो गई,हुस्ना ने पूरी तरह से उसे अपनी बातों से दीवाना बना दिया,उससे बातों बातों में पता चला कि वो युद्ववीर से कितनी नफरत करता है,हुस्ना को जब लगा कि वो पूरी तरह से उसका विश्वासपात्र हो गया है तो हुस्ना ने उसके साथ मिलकर एक योजना बनाई,हुस्ना नहीं चाहती थी कि मासूम मुरारी इस झमेलें में फँसे इसलिए उसने उसे अपनी योजना का हिस्सा नहीं बनाया क्योंकि हुस्ना के पास तो बहुत पैसा था वो अपना बचाव कर सकती ...और पढ़े

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कामवाली बाई--भाग(१०)

हुस्ना ने जैसे ही रिमोट दबाया तो वैसे ही उस माला में लगा बाँम्ब फट पड़ा,चूँकि वें सभी अभी हैलीकॉप्टर के पास ही मौजूद थे,जिसके हाथ में माला थी वो व्यक्ति भी हैलीकॉप्टर के बेहद करीब था,बाँम्ब फटने के साथ हैलीकॉप्टर के परखच्चे उड़ गए,अब हैलीकॉप्टर फटा तो उसके साथ साथ युद्ववीर और सुनीता के भी चिथड़े उड़ गए और साथ में वहाँ खड़े लोग भी लहुलूहान होकर इधर उधर बिखर गए,उस जगह की हालत ऐसी थी कि जैसे कि कोई जलजला आया हो,अब उस जगह भगदड़ मच गई,सब अपनी अपनी जान बचाकर यहाँ वहाँ भागने लगें,बस अफरातफरी का ...और पढ़े

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कामवाली बाई - भाग(११)

सुहाना की मौत पर गीता बहुत रोई,सुहाना से उसे बहुत लगाव था,वो उसकी हमउम्र थी इसलिए जब भी उसे भी पूछना होता था तो वो उससे पूछ लेती थी,वो उसे कम से कम सात सालों से जानती थी,पहले कावेरी सुहाना के घर काम किया करती थी इसलिए वो गीता को साथ में ले आती थी,कावेरी कभी भी गीता को घर पर अकेली नहीं छोड़ा करती थी उसे अपने पति पर भरोसा नहीं था,सुहाना अपने पुराने कपड़े और खिलौने गीता को दे दिया करती थी,सुहाना से ही गीता ने थोड़ा बहुत पढ़ना लिखना सीखा था,सुहाना ही गीता को मँहगे वाले ...और पढ़े

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कामवाली बाई - भाग(१२)

गंगा जैसे ही घर से निकली तो गीता ने अर्जिता से कहा..... मेमसाब!उसे रोकिए!कहाँ जाएगी ऐसी हालत में, गीता बात सुनकर अर्जिता बोली.... जब तक वो ये नहीं बताती कि उसके पेट में किसका बच्चा है तो तब तक मैं उसे अपने घर में नहीं रख सकती, कुछ तो तरस खाइए उस पर,गीता बोली।। अगर तुझे उस पर इतनी ही दया आ रही है तो तू ही उसे अपने घर में क्यों नहीं रख लेती,अर्जिता बोली।। फिर गीता कुछ ना बोली और बाहर निकल गई,उसने इधरउधर अपनी नज़र दौड़ाई तो उसे गंगा दूर सड़क पर दिखाई दी,वो भागकर गंगा ...और पढ़े

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कामवाली बाई - भाग(१३)

डाक्टर की बात सुनकर अर्जिता बोली.... तो क्या गंगा मेरी बहु बनने को राजी होगी? क्यों नहीं होगी?वो अगर से प्यार करती होगी तो जरूर राजी होगी,डाक्टर बोली।। लेकिन मैं उससे कैसें बात करूँ?मैं ने उसका कितना अपमान किया?अर्जिता बोली।। तुम उससे प्यार से बात करोगी तो वो तुम्हारी सारी पुरानी बातों को भूल जाएगी,डाक्टर बोली।। तो फिर मैं अभी गंगा के पास जाती हूँ,अर्जिता बोली।। ये ठीक नहीं रहेगा,जब गीता यहाँ काम करने आएं तो उससे कहना कि वो गंगा को यहाँ ले आएं,डाक्टर बोली... अगर गंगा ना मानी तो,अर्जिता बोली।। वो मान जाएगी,बस तुम कोशिश तो करो ...और पढ़े

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कामवाली बाई - भाग(१४)

इधर पुलिस की तहकीकात जारी थी,पुलिस को भी समझ नहीं आ रहा था कि ये सब किसने किया,जब गार्गी स्वस्थ हुई तो उससे पूछताछ की गई,तब वह बोली..... हम सब तो बर्थडे के बाद खाना खाकर लेट गए थे,मुझे कुछ नहीं मालूम की उसके बाद क्या हुआ?शायद हमारे खाने में कुछ था जिससे हम सब गहरी नींद में सो गए..... खाने की फोरेंसिक जाँच में पाया गया कि उस खाने में सचमुच बेहोशी की दवा थी,तब खाना डिलीवरी ब्वाँय और केक डिलीवरी ब्वाँय से भी पूछताछ हुई और वें बोलें कि हमसे केक और खाना तो गेट पर ही ...और पढ़े

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कामवाली बाई - भाग(१५)

गार्गी बोली.... उस रात शिवाली मेरी छोटी बहन त्रिशा की बर्थडे पार्टी में आई थी,खाना भी शिवाली ने आँर्डर था और इसी ने उन दोनों डिलावरी ब्वाँय को पेमेंट भी किया था, फिर क्या हुआ?पूनम बोली।। फिर शिवाली ने उस खाने और केक में बेहोशी की दवा मिलाई,हम दोनों ने सबको वो खाना और केक खिलाया लेकिन हमने नहीं खाया,उस दिन मेरे पापा भी घर आएं थे,उनका एक पुराना प्लाट पड़ा था जो उन्होंने बेचा थ,उसके उन्हें पच्चीस लाख रूपए मिले थे,वो रुपयों से भरा बैग भी लाएं थे,गार्गी बोली।। घर की तलाशी में पुलिस को वो बैग क्यों ...और पढ़े

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कामवाली बाई - भाग(१६)

गीता को अब अपने जीवन से रूचि नहीं रह गई थी,लगभग लगभग दुनिया के सभी इन्सान अक्सर इसी दौर गुजरते हैं,जब उनके जीवन में नीरसता का भाव आ जाता है,वें खुद से खुद को खुश नहीं रखना चाहते और गीता के साथ भी यही हो रहा था,शायद गीता ने इतनी कम उम्र में इन्सानों का वो घिनौना रूप देख लिया था कि उसे अब किसी पर भी भरोसा ना रह गया था.... लेकिन ये जीवन ही भरोसे और उम्मीदों पर टिका है तो इसे हम नकार नहीं सकते,चाहे मन से स्वीकारें या गैर मन से लेकिन इसे स्वीकारना ही ...और पढ़े

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कामवाली बाई - भाग(१७)

जब राधेश्याम ने गीता को अपने आपको घूरते हुए देखा तो बोला.... ऐसे क्या घूर रही हो? कुछ नहीं,ऐसे बोली... क्या ऐसे ही?बताओ भी डर क्यों रही हो?राधेश्याम ने पूछा।। वो आप हँसे इसलिए आपको गौर से देख रही थी,गीता बोली।। हँस लेता हूँ मैं भी कभी कभी,नहीं तो जिऊँगा कैसें?राधेश्याम बोला।। ऐसी क्या वज़ह है जो आप जीना नहीं चाहते?गीता ने पूछा।। तुमसे मैनें जरा सी बात क्या कर ली तुम तो मेरे सिर पर सवार होने लगी और इतना कहकर राधेश्याम वहाँ से जाने लगा तो गीता ने उसे रोकते हुए कहा... मैं आपके लिए भी घर ...और पढ़े

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कामवाली बाई - भाग(१८)

एक बार मेरी माँ बहुत बीमार पड़ गई,एक वही तो कमाने वाली थी वो भी बिस्तर पर लेट गई हमारे पास खाने को तो पैसें नहीं थे माँ का इलाज कैसें करवाते?तब मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा,पड़ोसी कुछ दिनों तक तो हमारी मदद करते रहे फिर उन्होंने भी मदद देना बंद कर दिया,एक रोज माँ की हालत इतनी बिगड़ गई कि मुझसे देखा ना गया,मैं ने सोचा क्यों ना चोरी करके पैसे लाऊँ और माँ का इलाज करवाऊँ, लेकिन जब मैं गाँव की हाट में चोरी करने गया तो मैं चोरी करते वक्त लोगों द्वारा पकड़ा गया,अब ...और पढ़े

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कामवाली बाई - भाग(१९)

मैं जब कमरें पहुँचा तो छलिया ने पूछा.... कपड़े पहुँचाने में कोई दिक्कत तो नहीं, हुई किसी ने कुछ तो नहीं..... मैनें कहा,नहीं! लेकिन मज़ा तो आया होगा इतनी सारी लड़कियांँ देखकर,छलिया बोला।। मैं तेरे जैसा लफंगा नहीं हूँ,मैनें कहा... अच्छा!बेटा! मुझसे छुपा रहा है,मैं लफंगा ही सही लेकिन तेरी आँखें तो कुछ और ही बता रहीं हैं,छलिया बोला।। ऐसी कोई बात नहीं है,मैनें कहा, वो तेरे गालों की लाली बता रही है कि कोई बात तो जरूर है,छलिया बोला।। तू तो ऐसे ही मेरे मज़े ले रहा है,मैनें कहा।। ना भाई!हम तो उड़ती हुई चिड़िया के पर गिन ...और पढ़े

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कामवाली बाई - भाग(२०)

लेकिन तूने कुछ सोचा तो होगा कि उससे कैसें मिलेगा,छलिया ने पूछा।। मैं सोच रहा था कि क्यों ना दोनों रात को उस कोठे में जाएं,मैनें कहा... तू पागल हो गया है क्या?पता है कितना रुपया माँगती है रमाबाई एक लड़की से मिलने का जो शायद हमारी एक महीने की कमाई हो,छलिया बोला।। तो क्या हो गया?ना सही एक महीने की बचत,मैनें कहा।। तू तो सच में दीवाना हो गया है,भाई!मेरे पास तो ना है इतने रूपए,तेरे पास हो तों तू चला जा,छलिया बोला।। यार!मैं तेरे भी रूपए दे दूँगा,तू बस मेरे साथ चलने के लिए हाँ कह दे,मैनें ...और पढ़े

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कामवाली बाई - भाग(२१)

सारंगी के सवाल का मेरे पास कोई जवाब नहीं था और सच तो ये था कि मैं वहाँ सेठ के सामने उससे कहता भी क्या?इसलिए तब मैनें उससे कुछ नहीं कहा और इसका ये नतीजा हुआ कि वो मुँह फुलाकर वहाँ से चली आई,मैं उससे बात नहीं कर पाया इस बात का मुझे भी बहुत अफसोस था,लेकिन मेरी भी मजबूरी थी जिसे वो बिना समझे ही चली गई,मैं जब शाम को अपने कमरें पहुँचा तो मैनें ये बात छलिया से बताई तो वो बोला.... यार!ये तो बड़ी गड़बड़ हो गई,लेकिन इसका मतलब है कि उसके दिल में तेरे लिए ...और पढ़े

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कामवाली बाई - भाग(२२)

जब मेरा उस शहर में मन नहीं लगा तो मैं इस शहर में आ गया,सारंगी और छलिया का बिछड़ना खल रहा था अब साथ में जग्गू दादा भी मुझे छोड़कर जा चुका था,एक साथ इतने ग़म सहना मेरे लिए बहुत मुश्किल था,इसलिए मैनें अपने ग़मों को भुलाने के लिए शराब का सहारा लिया,जहाँ जो काम मिलता तो कर लेता और साथ में जो पैसें मिलते उनसे शराब पीता,ना कोई रहने का ठिकाना और ना ही खाने पीने की चिन्ता,बस यूँ ही फक्कड़ बना गलियों में घूमा करता था, फिर एक दिन मैं सड़कों पर यूँ ही टहल रहा था ...और पढ़े

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कामवाली बाई - भाग(२३)

गीता की आँखों के सामने ही राधेश्याम को अन्तिम संस्कार के लिए ले जाया गया,गीता के लिए वो क्षण था,वो फूट फूटकर रो पड़ी,उसकी माँ ने उसे बहुत समझाया और गीता अपनी माँ के सीने से फूट फूटकर रो पड़ी,वो अपनी माँ से रोते हुए बोली.... आखिर राधे ने किसी का क्या बिगाड़ा था?जो भगवान ने उसे अपने पास बुला लिया,एक सच्चा दोस्त मिला था मुझे,वो भी भगवान ने छीन लिया, चुप हो जा बेटा!अच्छे इन्सानों की भगवान को भी जरूरत होती है,इसलिए शायद उन्होंने राधे को अपने पास बुला लिया,कावेरी बोली।। लेकिन क्यों?मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता ...और पढ़े

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कामवाली बाई - भाग(२४)

अब पादरी अक्सर हमारी दुकान पर आने लगे और उन्होंने मेरे माँ बाप को भी मना लिया कि मैं उनके यहाँ खाना पकाने जाऊँ ,अपने माँ बाप के कहने पर मजबूरीवश मुझे उनके घर खाना पकाने जाना ही पड़ा, मैं यूँ ही उनके घर खाना पकाने जाने लगी और फिर एक दिन उन्होंने कहा कि वें मुझे बहुत चाहते हैं,मुझे उनकी ये बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगी,सच कहूँ तो वें मुझे बिल्कुल पसंद नहीं थे क्योंकि उनकी हरकतें मुझे अच्छी नहीं लगतीं थीं और फिर एक दिन मौका देखकर पादरी ने मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की लेकिन ...और पढ़े

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कामवाली बाई - भाग(२५)

अब मैं और गंगूबाई मिलकर एलिस का ख्याल रखने लगें,हम दोनों के आने से अब गंगूबाई का परिवार पूरा गया था,अब धीरे धीरे गंगूबाई की उम्र हो रही थीं,लेकिन वो निरन्तर अब भी अपने काम पर जा रही थी क्योंकि उसके पैसों से ही घर का खर्च चल रहा था,मैनें भी छोटे मोटे काम करने शुरू कर दिए थे,फिर मैनें फूलों की एक दुकान रख ली,मेरी दुकान भी ठीक ठाक चल रही थी ,इसी तरह पाँच साल बीत गए,एलिस भी अब पाँच साल की हो चुकी थी और तभी गंगूबाई की तबियत कुछ ज्यादा खराब रहने लगी,उनके सारे टेस्ट ...और पढ़े

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कामवाली बाई - भाग(२६)

और फिर अपारशक्ति से दो तीन मुलाकातों के बाद मैं उनकी संगमरमर की मूर्तियों की माँडल बनने को तैयार गई,मैनें इस काम के लिए मुँहमाँगें रूपये लिए और उनका कान्ट्रेक्ट साइन कर लिया,अब मुझे काँलेज में काम करने की इजाजत नहीं थी और सच कहूँ तो मैं भी उस काम से ऊब गई थी और रूपये भी कम मिलते थे,जब इन्सान की तरक्की के रास्ते खुल जाते हैं तो वो अपनी पुरानी जिन्दगी भूल जाना चाहता है और मैं भी वही चाहती थी जो मैनें किया...... अब मुझे मूर्तिकारों के समक्ष खड़े होकर अपने पोज देने होते और वें ...और पढ़े

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कामवाली बाई - भाग(२७)

उसके बाद मालकिन हमेशा ब्यस्त रहने का बहाना ढूढ़तीं रहतीं,वें छोटे बाबू के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने कोशिश करतीं और अब छोटे बाबू भी उनके व्यवहार से खुश रहने लगे थे,जिन्दगी यूँ ही बीत रही थी,छोटे बाबू अब चौदह साल के हो चले थे और मालकिन उनसे बात करनें में ऊर्दू के शब्दों का इस्तेमाल करतीं थीं,जिससे छोटे बाबू की ऊर्दू बहुत अच्छी हो गई थीं,वें सबसे बहुत सलीके से बात करते थे और सबके साथ बड़े अदब के साथ पेश आते थे,मेरे भी दोनों बच्चे अब बड़े हो चले थे,मेरे माँ बाप अब बीमार रहने लगें ...और पढ़े

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कामवाली बाई - भाग(२८)

मैं मिस्टर सिसौदिया से दूसरे दिन मिली तो वें बोलें.... माँफ करना कैमिला!मैं कल अपने होश खो बैठा था,मैने ज्यादा पी ली थी,मुझे तो याद भी नहीं कि मैनें गुस्से में तुमसे क्या क्या कहा? तब मैने उनसे कहा .... सर!आपने नशे में कहा कि आप अपनी माँ से बहुत प्यार करते हैं... मैं ऐसा कभी कह ही नहीं सकता कैमिला!क्योंकि मैं उनसे बहुत नफरत करता हूँ,सिसौदिया साहब बोलें.... लेकिन आपने ऐसा ही कहा था,मैनें कहा।। मेरी माँ प्यार के काबिल ही नहीं थी,सिसौदिया साहब बोलें... तो फिर आपको उनके जाने का इतना ग़म क्यों हैं?मैनें उनसे पूछा।। मुझे ...और पढ़े

29

कामवाली बाई - भाग(२९)

अब गीता जिन्दगी के एक और रंग से रूबरू हो चुकी थी,लेकिन कुछ भी हो पेट भरने के लिए रोटी चाहिए और रोटी खरीदने के लिए पैसें और पैसों के लिए काम करना पड़ता है इसलिए गीता को मजबूर होकर फिर से एक घर का काम पकड़ना ही पड़ा,इस बार उसे एक रईस खातून के यहाँ काम मिला,जिनका नाम मदीहा था,वें बेहिसाब दौलत की मालकिन थी,उन्हें एक ऐसी कामवाली चाहिए थी जो उनके घर खाना पका सकें,क्योंकि अब वें बहुत बूढ़ी और लाचार हो चुकीं थीं,उनकी एक बेटी भी थी लेकिन वो अपनी पढ़ाई के लिए विदेश गई और ...और पढ़े

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कामवाली बाई - (अन्तिम भाग)

हम आराम कर ही रहे थें कि वें बुजुर्ग फिर से हमारे पास आएं तो अम्मी ने पर्दा कर बुजुर्गों को देखकर पर्दे का चलन था,फिर चाहें वो बुजुर्ग किसी भी गाँव का ही क्यों ना हो और वें मेरे अब्बाहुजूर से बोलें.... बेटा!कौन से गाँव जाना है? जी!यहाँ से कुछ कोसों दूर इमलिया गाँव है वहाँ जाना है,अब्बाहुजूर बोलें... जी!बहुत अच्छा!लेकिन बेटा थोड़ी सावधानी बरतना,क्योकिं मैनें देखा है कि बहु और बच्चियों ने कीमती जेवरात पहनें हैं?बुजुर्ग बोलें.... जी!सावधानी किसलिए चचाजान?मेरे अब्बा ने पूछा।। बेटा!इधर आस पास के इलाकें में बहुत डकैत लगते हैं और ख़ासकर ब्याह बारातों ...और पढ़े

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