1 जैसे ही ट्रेन आकर रुकी मुसाफिरों का हूजूम चढ़ने को बेताब हो गया। एक दूसरे को धक्का - मुक्की देते हुए सभी चढ़ने लगे। मैं भी कोशिश कर चढ़ गया। अभी अपनी बर्थ पर बैठा ही था कि ट्रेन खुल गई। अभी ट्रेन रेंग ही रही थी कि एक लगभग चीखती हुई आवाज सुनाई दी, "प्लीज़ कोई मेरी हेल्प करो......" और एक लड़की बैग टांगे दौड़ती हुई दिखाई दी। मै भी उसकी आवाज सुन कर सब दर्शक बने लोगों को बगल करता हुआ गेट के पास आ गया। उसने सहायता के लिए हाथ आगे फैला दिया। मैंने भी अपना
Full Novel
पल पल दिल के पास - 1
1 जैसे ही ट्रेन आकर रुकी मुसाफिरों का हूजूम चढ़ने को बेताब हो गया। एक दूसरे को धक्का - देते हुए सभी चढ़ने लगे। मैं भी कोशिश कर चढ़ गया। अभी अपनी बर्थ पर बैठा ही था कि ट्रेन खुल गई। अभी ट्रेन रेंग ही रही थी कि एक लगभग चीखती हुई आवाज सुनाई दी, "प्लीज़ कोई मेरी हेल्प करो......" और एक लड़की बैग टांगे दौड़ती हुई दिखाई दी। मै भी उसकी आवाज सुन कर सब दर्शक बने लोगों को बगल करता हुआ गेट के पास आ गया। उसने सहायता के लिए हाथ आगे फैला दिया। मैंने भी अपना ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 2
2 उस दिन के बाद किसी भी तरह नियति को तलाशना मेरे जीवन का मकसद बन गया। हर महीने हैदराबाद आता और जहां भी उम्मीद होती, लगभग हर संभावित जगह नियति को तलाशता। समय बीतता जा रहा था पर नियति तो क्या उसकी परछाई भी नही मिल पा रही थी। मैं परेशान हो एक पल के लिए भी नियति को नहीं भूल पाता । मेरी तलाश चलती रही , समय ना किसी के लिए रुका है न रुका। पर समय के साथ मेरे दिल में नियति की यादें धूमिल होने की बजाय गहरे तक घर कर गई। भले ही ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 3
3 अभी तक आप सभी ने पढ़ा, नियति और मयंक की बेटी मिनी की बर्थ डे पार्टी हो रही जिसमे केक अभी तक नही आ पाया है। नियति की सास नीना देवी इस बात से नाराज है। वो उससे कहती है की जाओ और पता करो की केक अभी तक क्यों नहीं आया..? नियति ये पता करने के बदले खुद ही दुकान जा कर केक ले आने का फैसला करती है। बाहर उसे ड्राइवर कहीं दिखाई नहीं देता तो वो परेशान हो जाती है। मां को नियति पर नाराज होते हुए मयंक देख लेता है। वो भी उसके पीछे ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 4
भाग 4 अलविदा... पूर्व के भाग में आप सभी ने पढ़ा की बेटी मिनी के बर्थ डे केक लेकर समय मयंक जल्दी घर पहुंचने के लिए तेज स्पीड गाड़ी चला रहा था। मयंक सामने से आ ट्रक से बचने के चक्कर में संतुलन खो बैठा और एक पेड़ से जा टकराया। घायल मयंक और नियति को हॉस्पिटल पहुंचाया जाता है। तीसरे दिन सुबह ही मयंक की हालत अचानक ही बिगड़ जाती है। डॉक्टर की सारी कोशिश नाकाम होती है। अब आगे पढ़े। डॉक्टर की झुकी नजरे देख नीना देवी का दिल बैठा जा रहा था। सुबह खाली हॉस्पिटल का ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 5
भाग 5 अग्नि पथ पूर्व के भाग में आपने पढ़ा, नियति और मयंक दोनो ही गंभीर रूप से घायल है। नियति की चोट बाहरी थी, वहीं मयंक की चोट अंदरूनी थी। ऊपर से देखने पर मयंक बिलकुल ठीक लग रहा था, पर इन चोटें ने उसे अंदर से बहुत ज्यादा घायल कर दिया था। फल स्वरूप दूसरे दिन मयंक इस दुनिया से …..सदा... सदा…...के लिए चला गया। नियति की स्थिति ठीक नहीं होने के बावजूद उसकी मां उसे लेकर उसके ससुराल पहुंचती है। नियति को अंदर से किसी अनहोनी की आशंका हो रही थी। पढ़े आगे क्या हुआ जब ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 6
भाग 6 तुम बिन कैसे जिऊं? अभी तक की कहानी में आपने पढ़ा, मयंक की मृत्य के बाद नियति मां उसे लेकर उसके ससुराल आतीं है। वहां पहुंच कर नीता मौसी उसे बताती है की मयंक उससे दूर जा चुका है। नियति को देखते ही नीना देवी आपे से बाहर हो जाती है, और उससे चले जाने को कहती है। पर नीता अपनी बहन को ऊंच नीच समझती है। समाज और रिश्तेदारों के सामने इज्जत की दुहाई देती है। और मयंक की तेरहवीं तक नियति को रुकने देने की विनती करती है। उसके समझाने से नीना देवी मान जाती ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 7
भाग 7 जाऊं किस ओर? अभी तक आपने पढ़ा की एक्सीडेंट में मयंक की मृत्यु के बाद नियति की उसे अपने साथ ले कर आती है। सास नीना देवी को नियति की शक्ल भी देखना गँवारा नहीं होता। पर बहन के समझाने पर उसे घर में कुछ दिनों के लिए रहने देने को राजी हो जाती हैं। नीना देवी के नियति से चले जाने को कहने पर अनायास ही नियति की मां के मुंह से निकल जाता है की, "पर बेटी तू जाएगी कहां…?" नियति को मां के इस वाक्य से बहुत ठेस पहुंचती वो दुखी होकर कहती है ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 8
भाग 8 फैसला पिछले भाग में आपने पढ़ा की मयंक की तेरहवीं के बाद नियति की मां वापस अपने जाने लगती है। वो चाह कर भी नियति को कुछ दिन अपने साथ ले जाने की बात नीना देवी से नही कर पाती है। वो नीना देवी से वापस जाने की इजाजत ले कर जाने लगती है। तभी नीना देवी उन्हें रोक कर नियति को भी साथ ले जाने को कहती है। नीना देवी ने भले ही नियति को दिल से nhi अपनाया हो, पर नियति ने नीना देवी को सिर्फ मयंक की मां या अपनी सास नही समझा था। ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 9
भाग 9 सफर पिछले भाग में अभी तक आपने पढ़ा की नीना देवी के कहने पर नियति की मां लेकर अपने घर आ जाती है। मिनी को नीना देवी ने नियति के साथ नही जाने दिया। नियति किसी तरह नीता के समझाने पर मिनी को छोड़ कर आने को तैयार हुई। जब नीता ने उससे वादा किया की नीना देवी की जानकारी के बिना ही वो मिनी से उसे बराबर मौका मिलते ही मिलवाती रहेगी, तथा फोन से बात करवाती रहेगी। मामा के घर नियति का खुले दिल से स्वागत हुआ। अब आगे पढ़े। मामा के घर कुछ दिन ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 10
भाग 10 जब फिर तुम्हे देखा पिछले भाग में आप ने पढ़ा, की नियति नीना देवी के कहने पर ससुराल छोड़ कर मायके में रहने आ जाती है। फिर कुछ समय बाद जॉब कर लेती है। पुनः दूसरी जॉब के लिए हैदराबाद जाते वक्त ट्रेन में मुझसे मुलाकात होती है। फिर वो मुझसे दूर जाने के लिए बिना अपना कोई कॉन्टेक्ट दिए ही चली जाती है। मैं दीवाना सा हर महीने हैदराबाद की हार उस संभावित जगह पर नियति को तलाशने की कोशिश करता हूं। पर वो हैदराबाद से दिल्ली जा चुकी होती है । मुझे मिलती कहां से..? ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 11
भाग 11 पिछले भाग में आपने पढ़ा की मैं अपने दोस्त संतोष के कहने पर उसकी मदद के लिए जाता हूं। वहां अचानक ही मुझे नियति दिख जाती है। और संयोग देखिए उसका वकील रस्तोगी मेरा जिगरी दोस्त निकलता है। नियति कोर्ट अपनी बेटी मिनी की कस्टडी के लिए आई थी। रस्तोगी ने नियति से वादा किया था की बहुत जल्दी वो फैसला नियति के हक में करवा देगा। पर अब उसकी लापरवाही बर्दाश्त करने लायक नही थी। अब आगे पढ़ें। मैने सोचा तो था कि उस दिन की शाम को रस्तोगी से नियति के केस की पूरी डिटेल ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 12
भाग 12 तुमसे मिलने की तमन्ना है.. पिछले भाग में आपने पढ़ा की मैने नियति से कोर्ट में अचानक मुलाकात में वादा किया किया था की उसकी हेल्प करूंगा मिनी की कस्टडी दिलाने में। रस्तोगी मेरा दोस्त था तो मैंने उससे केस का पूरा डिटेल लेने के लिए उसे कॉल किया। मेरा अंदेशा सही निकला। जैसा की मैं जानता था की रस्तोगी अपने हर केस में कुछ न कुछ झोल जरूर करता था। नियति के केस में भी वो नीना देवी की साइड हो गया था। वो सिर्फ केस को लंबा खींचना चाहता था। जब उसे मेरी नियति से ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 13
भाग 13 काश ये पल ठहर जाए…! मैं नियति को छोड़ने उसके घर जा रहा था। रास्ता ज्यादा लंबा था। मैं चाहता था ये रास्ता खत्म ही नहीं हो। धीरे धीरे गाड़ी ड्राइव कर रहा था। मेरी गाड़ी चलाने की रफ्तार देख कर नियति असमंजस में थी कि मैं गाड़ी चलाने में नौसिखिया तो नहीं हूं। और मैं उसकी उलझन को इंजॉय कर रहा था। हल्की फुल्की बातें कर मैं उसका तनाव कम करने की कोशिश कर रहा था। नियति के बताए अनुसार मैंने उसके घर के सामने पहुंच कर गाड़ी खड़ी कर दी। वो चाहती थी मैं जल्दी ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 14
भाग 14 अभी तक आपने पढ़ा कि नियति से बिछड़ने के बाद फिर से अचानक मेरी उससे मुलाकात कोर्ट हो जाती है। जहां वो अपनी बेटी मिनी की कस्टडी हासिल करने के लिए आई थी। उसे परेशान देख मुझसे रहा नही गया। कोर्ट के दांव पेच ने नियति को उलझा रक्खा था। मैंने उससे कहा, "मैं वादा करता हूं कि उसकी बेटी मिनी की कस्टडी में उसकी मदद करूंगा।" इसी सब जानकारी के लिए मैं नियति और रस्तोगी के साथ मीटिंग रखता हूं एक रेस्टोरेंट में। नियति रस्तोगी के अभी तक के रवैए से संतुष्ट नहीं थी। पर आज ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 15
भाग 15 पिछले भाग में आपने पढ़ा की रस्तोगी का दिल बदल जाता है। वो अपनी और अपने क्लाइंट प्रति जिम्मेदारी को समझता है। उसे अहसास होता की वो गलत राह पर था। उसका फर्ज तो पीड़ितों और दुखियो को न्याय दिलाना है। ये वो किस रह पर चल पड़ा था। उसके लालच की वजह से कितनी पीड़ा पहुंचती होगी उसके क्लाइंटो को ये उसने सोचा ही नहीं कभी। आज भी अगर मैं उसके और नियति के केस के बीच नहीं आता तो शायद रस्तोगी कभी नहीं बदलता। अब आगे पढ़े। मैं पूरी तैयारी के साथ मुकदमे की तारीख ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 16
भाग 16 हम होंगे कामयाब आपने पिछले भाग में पढ़ा की मुकदमे की तारीख पर जज साहब जूनियर वकील डांट लगाते है और ताकीद करते है की अगली पेशी पर आप अपने क्लाइंट और अपने बॉस खुराना साहब दोनो के साथ आए। इसमें कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। रस्तोगी भी अब अपनी पूरी क्षमता के साथ मुकदमे की पैरवी कर रहा था। अब आगे पढ़े। उस दिन की अदालती कार्यवाही के बाद अगली डेट जज साहब ने इस तरह रखने की ताकीद की कि जिस तारीख पर दोनो पक्ष मौजूद रहे। जूनियर वकील को खास हिदायत दी गई की ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 17
भाग 17 राज आपने पिछले भाग में पढ़ा की नीता मिनी को लेकर बाहर जाती है और नीना को बात नहीं बताती है क्योंकि उसे नियति को मिनी से मिलवाना था। देर होने पर नीना देवी शांता से मिनी को अपने पास लाने को बोलती है। शांता मिनी को लेने जाती है। अब आगे पढ़े। शांता जानती थी की मिनी नीता के साथ है बाहर लॉन में। वो बाहर आई। शाम का धुंधलका अब रात के अंधेरे में बदलने लगा था। शांता मन ही मन सोचने लगी इतनी देर तक तो नीता दीदी मिनी बेबी के साथ बाहर नहीं ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 18
भाग 18 अभी तक आपने पढ़ा की नीता मिनी को ले कर नियति से मिलाने गई थी। उसे बाहर आते हुए नीना ने देखा था। पर ये ना तो नीता ने बताया की वो नियति से मिनी को मिलाने ले गई थी, ना ही नीना अंदाजा लगा पाई। बात छुप गई थी। तभी अचानक मिनी के मुंह से निकला शब्द वहां मौजूद सभी के चेहरे का रंग उड़ा गया। जैसे ही मिनी ने कहा, "मम्मा ने दिया।" नीता के चेहरे पर घबराहट छा गई। वो जल्दी से मिनी के पास आ गई और बात बिगड़ने से संभालने के लिए ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 19
भाग 19 इम्तहान पिछले भाग में आपने पढ़ा कि नीता मिनी को नियति से मिलवाने जाती है, वो भी से बिना बताए चोरी से। इस बात का पता चलने पर नीना नीता से नाराज हो कर उस को भला बुरा कहती है। नीता को नीना दीदी की बातें बुरी लगती है और वो अपनी बड़ी बहन नीना से नाराज हो कर कर अपने घर चली जाती है। उसके जाने से नीना को उस वक्त तो कोई भी फर्क नहीं पड़ा। क्योंकि वो नियति से मिनी को मिलवाने से नाराज थी। पर जब दूसरे दिन सुबह नीता नही आई तो ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 20
भाग 20 अभी तक आपने पिछले भाग में पढ़ा की मिनी की कस्टडी को लेकर नीना देवी और नियति वकील के बीच बहस चल रही है। जज साहब इत्मीनान से ध्यान पूर्वक दोनों पक्षों की बात सुन रहे थे। खुराना भी बहुत बड़े देश के जाने माने वकील संतोष साल्वे भी अदालत में मौजूद थे। रस्तोगी अपना पॉइंट जज साहब के सामने रख चुका था। अब आगे पढ़े। कोर्ट अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा था। दोनो पक्ष अपना अपना पॉइंट बड़ी ही कुशलता से रख रहे थे। अब रस्तोगी को इंतज्ञार था बस नीता के आने का। बस ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 21
भाग 21 अभी तक आपने पिछले भाग में आपने पढ़ा की नीना देवी केस का रुख बदलने के लिए और मेरे ऊपर लांछन लगाती है। वो अपनी उंगली हमारे संबंध पर उठाती हैं। पर जज साहब बिना सबूत आरोप लगाने से सख्ती से मना करते है। साथ ही वो नीना के मन में भरी नफरत को भी भांप जाते है। नियति को घर से निकालने और मिनी को उससे दूर रखने का कोई भी ठोस कारण खुराना और संतोष साल्वे नही दे पाते है। जज साहब अब सब कुछ मिनी के ऊपर छोड़ते है। नीना मिनी को फोर्स कर ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 22
भाग 22 जीत आपने अभी तक पिछले भाग में पढ़ा की नियति को मिनी की कस्टडी मिल जाती है। को उसकी मां नियति के सुपुर्द कोर्ट कर देता है। इस खबर से नियति के पूरे परिवार में खुशियां छा जाती है। अब आगे पढ़े। नियति की मां अपनी खुशी को नही समेट पाती है वो मिनी के पास आकर उसको अपने सीने से लगा लेती हैं। पर मिनी उन्हे खुद को गले नही लगाने देती। वो अपनी नानी को अलग कर देती है इसमें उसकी कोई गलती नही थी। क्यों कि मिनी के लिए नानी अपरिचित के समान ही ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 23
भाग 23 आपने अभी तक पढ़ा नियति को मिनी की कस्टडी मिलने रस्तोगी पार्टी की मांग करता है। उसके पर पार्टी करने का प्रोग्राम बनाते हैं। मेरी मां पार्टी कहीं और करने की बजाय पार्टी अपने घर पर करने का प्रस्ताव रखती है। सब की रजा मंदी से पार्टी की जगह मेरे घर पर तय होती है। जिसके लिए सभी सहर्ष राजी हो जाते है। इधर हम सब जेंट्स बातें करने में मशगूल हो जाते है। उधर कविता दीदी फुर्ती के साथ खाना तैयार करने में जुट जाती है। नीता मौसी मिनी के साथ खेलने और बाइक चलाना सिखाने ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 24
भाग 24 आपने पिछले भाग में पढ़ा की नीता मासी के बयान देने से केस का रुख पलट जाता फिर मिनी की कस्टडी नियति को मिल जाती है। इस खुशी में रस्तोगी पार्टी की मांग करता है। जिसके लिए सब खुशी खुशी तैयार हो जाते है । जिसे प्रणय की मां अपने घर पे करने का प्रस्ताव रखती है। जिसे सब मान लेते है। पार्टी के बाद प्रणय नियति की फैमिली को उसके घर छोड़ता है और मिनी और नियति नीता मौसी के घर चली जाती है। इधर नीना देवी का अंग प्रत्यंग क्रोध से जल रहा था। वो ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 25
भाग 25 अभी तक आपने पिछले भाग में पढ़ा कि केस हारने के बाद मिनी को नियति को सौपना देवी के लिए बड़ा मुश्किल होता है। वो इसे सह नही पा रहीं। खुराना उन्हे एक और उम्मीद दिखाता है। नीना की समाप्त प्राय आशा को उम्मीद की किरण दिखाई देती है। नीना देवी खुराना की बातों पर यकीन कर उसे इस दिशा में ही काम करने को कहती हैं। नीना देवी की खुराना से नाराजगी थोड़ी कम हो जाती है। खुराना नीना देवी को भरोसा दे कर जाने को हुआ तभी खुराना को नीना देवी ने रोक लिया और ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 26
भाग 26 अभी तक आपने पढ़ा की नीता प्रणय को ड्राइवर न होने का बहाना बना कर शॉपिंग में वाली प्रॉबलम के विषय में बताती है तो प्रणय तुरंत मदद के लिए तैयार हो जाता है और खुद ही चल पड़ता है उनके साथ शॉपिंग के लिए। मैं पूरे उत्साह के साथ रेडी होता हूं। दिल में अजीब सी खुशी महसूस कर रहा था मैं। मुझे खुश देख कर मां भी खुश थी। वही सड़क, वही रास्ता था। मैं रोज ही इन रास्तों से गुजरता था। पर आज मुझे सब कुछ बहुत सुहावना लग रहा था। बेहद उत्साह के ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 27
भाग 27 मैं अपनी योजना में कामयाब हो गया था। अब थोड़ा सा सुकून महसूस कर रहा था। अगर का भेजा ये व्यक्ति अपनी चाल में कामयाब हो जाता तो अनर्थ ही हो जाता। नियति ये केस जीत कर भी हार जाती। नीना देवी ने जो आरोप नियति और मुझ पर लगाए थे उस पर जज साहब ने कहा था कि बिना किसी सबूत के नियति पर आरोप ना लगाए। खुराना ने नीना देवी के साथ मिल कर इसी सबूत को जुटाने का वादा किया होगा। और उसकी जिम्मेदारी इस व्यक्ति को सौंपी गई होगी। और इस व्यक्ति ने ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 28
भाग 28 आपने पिछले भाग में पढ़ा की नियति और प्रणय के पीछे नीना देवी के कहने पर अपना लगा देता है। को छिप कर प्रणय और नियति को फोटो खींचता है। पर प्रणय ने अपनी होशियारी से उसके कैमरा पर पानी गिरा कर उसका ध्यान भटका देता है और इस बात का फायदा उठा कर सारी फोटो डिलीट कर देता है। अब आगे पढ़े। मैं अपना सारा दर्द घर पहुंचने के पहले अंदर ही जब्त कर लेना चाहता था। उसका कोई भी असर खुद पे दिखा कर मां को दुखी नहीं करना चाहता था।मैं कुछ देर बाहर समय ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 29
भाग 29 अभी तक आपने पढ़ा की जब नीना देवी की बदजुबानी से खुराना की सहन शक्ति जवाब दे है तो वो उन्हें आईना दिखा देता है। सारी सच्चाई खरी खरी उनके सामने रख देता है। नीना देवी को ये बर्दाश्त नहीं होता की कोई उन्हे सही और गलत का बोध कराए। खुराना की बातें सीधा उनके दिमाग पर असर करती है और वो बेहोश हो जाती हैं। नीना देवी के गिरने की आवाज सुनकर चंचल भागी भागी आती है। नीना को गिरे देख अपने ही अंदाज में चीखने लगती है, "हाय! ये मेरी जीज्जी को क्या हो गया? ...और पढ़े
पल पल दिल के पास - 30 - अंतिम भाग
भाग 30 अभी तक पिछले भाग में आपने पढ़ा की चंचल और मदन के नीना देवी की सारी प्रॉपर्टी कर चले जाने पर नीना देवी के इलाज के भुगतान के लिए शांता मजबूर हो कर नीता को फोन करती है। नीता शांता का फोन आते ही तुरंत हॉस्पिटल जाकर नीना देवी को अपने घर के कर आती है। साथ ही हॉस्पिटल का पूरा बिल चुकाती है। नीता अपनी बहन को असहाय देख उन्हे न्याय दिलाने के लिए प्रणय के पास मदद के लिए आती है। प्रणय उन्हे आश्वस्त करता है की को कुछ भी बन पड़ेगा वो जरूर करेगा। ...और पढ़े