कभी कभी हम जीवन में ऐसे दो राहे पर आकर रुक जाते हैं कि समझ ही नहीं आता कि अब किधर जायें। ऐसे ही दो राहे पर खड़ी थी रुपाली जिसके एक तरफ़ प्रियांशु था और दूसरी तरफ़ अजय। उनमें से कौन उसका हीरो था और कौन था खलनायक ? क्या यह समझने में उसने बहुत देर कर दी। .पढ़िए मेरे धारावाहिक 'कौन है खलनायक' में।
Full Novel
कौन है ख़लनायक - भाग १
अजय और रुपाली बचपन से साथ में खेलते हुए बड़े हुए थे। दोनों की दोस्ती बड़ी ही अजीब थी। आपस में बहुत झगड़ा करते थे फिर बात करना भी बंद कर देते थे। लेकिन यह झगड़ा कभी भी लंबा नहीं चल पाता था। दो-तीन घंटे में ही दोनों में से कोई एक बात करने चला आता था। वे दोनों आसपास की सोसाइटी में ही रहते थे। इसलिए मिलना, जुलना, खेलना हर रोज़ की ही बात थी। पहली से आठवीं क्लास तक उनका स्कूल अलग-अलग था। बचपन से ही अजय को रुपाली बहुत अच्छी लगती थी। एक दिन उसने ...और पढ़े
कौन है ख़लनायक - भाग २
लेकिन रुपाली चुपचाप बैठे उसे देखती ही जा रही थी। उसके बाद प्रियांशु पीछे खाली सीट पर जाकर बैठ कुछ लड़के उसके पास गए और बात करने लगे। दोस्ती करने में भी वह कभी देरी नहीं करता था। कुछ ही दिनों में उसके काफी दोस्त भी बन गए। रुपाली तो पहली नज़र में ही उसे अपना दिल दे बैठी थी। किंतु प्रियांशु लड़कियों में कोई ख़ास रुचि नहीं दिखाता था। एक से एक सुंदर लड़कियों को देखकर भी वह उनसे बात करने की कभी पहल नहीं करता था। रुपाली चोरी-छिपे तिरछी निगाहों से उसे देख लिया करती थी। ...और पढ़े
कौन है ख़लनायक - भाग ३
दूसरे दिन अजय और प्रणाली के आने के बाद भी रुपाली प्रियांशु के साथ कैंटीन चली गई। अजय और आपस में कुछ बात कर रहे थे। तभी वह चुपचाप से निकल गई। उसने प्रियांशु से कहा, "चलो कैंटीन चलते हैं।" सुधीर भी उनके साथ में ही था। जैसे ही अजय का ध्यान गया उसने पूछा, "अरे प्रणाली! रुपाली कहाँ है?" "मालूम नहीं अभी तो यहीं थी, पूरी क्लास तो खाली है। चलो शायद कैंटीन निकल गई होगी।" अजय और प्रणाली जब कैंटीन आए तो यह देख कर दंग रह गए कि रुपाली उन्हें बिना ...और पढ़े
कौन है ख़लनायक - भाग ४
अजय ने कहा, "रुपाली नाराज़ी कैसी? मेरे जीवन का हर पल, हर लम्हा तुम्हारे लिए है। तुम्हें जीवन में भी, किसी भी वक़्त, जीवन के किसी भी मोड़ पर यदि ऐसा लगे कि मैं तुम्हारे काम आ सकता हूँ; तुम सिर्फ़ एक आवाज़ दोगी ना तो मैं दौड़ा चला आऊँगा। तुम्हें सिर्फ़ इतना कहना चाहता हूँ कि तुम अपना ख़्याल रखना। किसी पर भी इतना विश्वास मत करना कि वह तुम्हारे लिए दुःख का कारण बन जाए।" "अजय तुम यह क्या कह रहे हो? क्यों कह रहे हो?" अजय बिना कुछ बोले, अपना टूटा हुआ दिल लेकर ...और पढ़े
कौन है ख़लनायक - भाग ५
कभी रुपाली के मन में ख़्याल आता कि अजय उसका इतना अच्छा दोस्त है, क्या वह उसके साथ ऐसा कर सकता है? अंततः रुपाली ने यह निश्चय कर लिया कि वह इस विषय में प्रियांशु से ही साफ़-साफ़ बात करेगी। उसने प्रियांशु को फ़ोन लगाकर कहा, "प्रियांशु आज शाम को फ़िल्म देखने चलो ना?" "हाँ रुपाली तुम्हारी इच्छा सर आँखों पर और क्या हुकुम है बोलो?" "उसके बाद बाहर ही डिनर करेंगे, ठीक है" "और कुछ?" "बस और कुछ नहीं।" शाम को फ़िल्म देखने के बाद वे दोनों डिनर के लिए निकले। प्रियांशु ...और पढ़े
कौन है ख़लनायक - भाग ६
अजय और प्रियांशु की बातों के विरोधाभास में उलझी रुपाली की पूरी रात करवटें बदलते हुए बीत गई। उसे नहीं आ रहा था कि वह किस पर विश्वास करे और किस पर ना करे। सुबह-सुबह लगभग चार बजे प्रियांशु का फ़ोन आया। रुपाली ने तुरंत ही फ़ोन उठाया, "हैलो प्रियांशु " "हैलो रुपाली, तुम अभी तक सोई नहीं?" "नहीं, नींद नहीं आ रही है।" "क्यों क्या हुआ? टेंशन कर रही हो ना कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ?" "नहीं ऐसा कुछ नहीं है।" "तुम झूठ बोल रही हो, मैं जानता ...और पढ़े
कौन है ख़लनायक - भाग ७
शाम को सात बजे अजय सीधे रुपाली के घर पहुँच गया। उसने डोर बेल बजाई तो रुपाली की माँ ने दरवाज़ा खोला। उसे देखते ही उन्होंने कहा, "अरे अजय बेटा आओ-आओ।" "नमस्ते आंटी" "नमस्ते बेटा, क्या हुआ आज कल दिखते ही नहीं हो। रुपाली कह रही थी अलग-अलग पीरियड लगते हैं इसलिए साथ में नहीं जाते।" रुपाली के झूठ को छिपाते हुए अजय ने कहा, "दोनों के सिर्फ़ पहले पीरियड का ही समय अलग है आंटी इसीलिए अलग-अलग जाते हैं।" इतने में रुपाली भी वहाँ आ गई और इस तरह अजय को अचानक घर में ...और पढ़े
कौन है ख़लनायक - भाग ८
रुपाली को तुरंत ही अपनी ग़लती का एहसास हो गया। वह सोचने लगी कि उसने जोश में आकर माँ यह क्या कह दिया। बस माँ का गुस्सा थोड़ा शांत हो जाए फिर वह जाकर सॉरी बोल देगी। कुछ देर बाद रुपाली अपनी माँ को मनाने कमरे में गई तब उनकी आँखें नम थीं। उसने कहा, "सॉरी मम्मा मुझे ऐसा बिल्कुल नहीं कहना चाहिए था।" "रुपाली बेटा तुम्हें वह सब इसलिए बताया था कि जो ग़लती मैंने की वह तुम ना करो। ना कि इसलिए बताया था कि तुम भी वैसा ही करके मुझे इस तरह से ताना ...और पढ़े
कौन है ख़लनायक - भाग ९
प्रियांशु ने कहा, "आप बिल्कुल ठीक कह रही हैं आंटी। मेरी पढ़ाई पूरी हो गई है, दो-तीन कंपनी में भी दे चुका हूँ। इंटरव्यू भी बहुत ही अच्छे हुए हैं। किसी ना किसी कंपनी से दो-चार दिनों में ही कॉल भी आ जाएगा। बस उसके बाद तुरंत हम विवाह कर लेंगे। मेरी मॉम और डैड भी आपसे मिलने आ जाएँगे।" "तुमने अपने घर में बता दिया है प्रियांशु?" "हाँ आंटी बिल्कुल बता दिया है। इसमें डरने की क्या बात है। मैं रुपाली से प्यार करता हूँ और प्यार करना कोई गुनाह तो नहीं है।" रुपाली यह ...और पढ़े
कौन है ख़लनायक - भाग १०
रुपाली ने कार्तिक से कहा, "मुझे लगता है कि अजय से ख़ुद से बात नहीं बनी तो अब उसने भेजा है। वह समझता क्यों नहीं, ऐसा सब करने से कोई फायदा नहीं है।" "रुपाली तुम मेरी बात तो सुनो…" "नहीं कार्तिक, अजय पहले ही बहुत झूठ बोल चुका है, बस अब और नहीं…" "रुपाली मैं जो कहने आया हूँ, तुम्हें सुनना ही पड़ेगा। उसने मुझे यहाँ नहीं भेजा है, मैं अपनी मर्जी से आया हूँ।" रुपाली ने कहा, "ठीक है, बोलो कार्तिक क्या कहना चाहते हो?" "रुपाली, अजय जितना प्यार तुम्हें जीवन में ...और पढ़े
कौन है ख़लनायक - भाग ११
रात के लगभग आठ बज रहे थे। रुपाली चुपचाप से घर से निकल गई। जल्दी से उसने रिक्शा पकड़ा प्रियांशु को फ़ोन किया और कहा, "प्रियांशु मैं आ रही हूँ।" "अरे-अरे रुपाली वहाँ उस पार्टी प्लॉट में तो बहुत से मेहमान हैं। कोई तुम्हें देख ना ले। बाजू में ही विवेक का घर है ना, मैं वहीं पर हूँ। बुखार का माँ को पता ना चले इसलिए। " "अरे तो वहाँ विवेक के पापा मम्मी होंगे ना, प्रियांशु?" "वह सब तो मेरी फैमिली के साथ हैं।" "प्रियांशु मेरे पास ज्यादा समय नहीं है। मैं सिर्फ़ ...और पढ़े
कौन है ख़लनायक - भाग १२
उधर प्रियांशु के पापा भी पूरी बारात की तैयारी करके घोड़ी सजा कर प्रियांशु का इंतज़ार कर रहे थे प्रियांशु गायब था। प्रियांशु के पापा बेचैन होकर उसे और उसके दोस्तों को फ़ोन लगा रहे थे। प्रियांशु का फ़ोन तो बंद था और उसके सारे दोस्तों का एक ही जवाब था, अंकल हमें नहीं मालूम। "क्यों अंकल, प्रियांशु को क्या हुआ? यह तो बारात निकलने का समय है," विवेक ने पूछा। "पता नहीं विवेक वह कहाँ चला गया है। मैं रुपाली के माता-पिता को क्या मुँह दिखाऊँगा?" "अंकल मैं भी उसे कब से फ़ोन लगा रहा ...और पढ़े
कौन है ख़लनायक - भाग १३
बारात के नहीं आने की ख़बर अब तक अजय के पास भी पहुँच चुकी थी। यूँ तो वह इस में बुलाया नहीं गया था किंतु यह ख़बर सुनते ही वह सब कुछ भूल कर वहाँ चला आया। अजय को देखते ही रुपाली की मम्मी उठ कर खड़ी हो गईं, वह रो रही थीं। उन्होंने रोते हुए कहा, "अजय, यह सब क्या हो गया बेटा?" उधर अजय ने रुपाली की तरफ देखा उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। अजय को देखते ही रुपाली तेज़ी से उसकी तरफ़ गई और अपने दोनों हाथों से उसकी कॉलर पकड़ कर ...और पढ़े
कौन है ख़लनायक - भाग १४
प्रियांशु की आवाज़ सुनते ही रुपाली के हाथ-पाँव कांपने लगे। "प्रियांशु तुम?" "हाँ मैं…" " तुमने ऐसा क्यों किया प्रियांशु? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था? क्यों मेरी ज़िंदगी में तुमने ज़हर घोल दिया? क्यों मेरे जीवन को नरक बना दिया? मैंने तुम्हें जी जान से प्यार किया था। अपना सब कुछ तुम्हें दे दिया था। प्यार की ख़ातिर, विश्वास की ख़ातिर और तुमने विश्वासघात किया है मेरे साथ, आख़िर क्यों?" "अरे-अरे बोलती ही जाओगी या कुछ सुनोगी भी। सुनो रुपाली तुम जितनी जिज्ञासु हो जानने के लिए मैं भी उतना ही आतुर हूँ तुम्हें वह बात ...और पढ़े
कौन है ख़लनायक - भाग १५
आज रुपाली समझ गई थी कि प्रियांशु उसे प्यार नहीं नफ़रत करता है। उसके पास आज पछतावे के सिवा कुछ भी नहीं था। रुपाली रोती रही, उसने रोते हुए अजय को फ़ोन लगाया। रुपाली का नंबर देखते से अजय ने फ़ोन उठाया, "हैलो, रुपाली बोलो?" सिसकती हुई रुपाली ने कहा, "हैलो अजय, क्या तुम मुझसे मिलने आ सकते हो, अभी इसी वक़्त?" "हाँ रुपाली, तुम रो क्यों रही हो? पहले चुप हो जाओ, मैं अभी आता हूँ।" कुछ ही देर में अजय वहाँ आ गया। रुपाली की मम्मी को देखते ही उसने कहा, "हैलो आंटी" ...और पढ़े
कौन है ख़लनायक - भाग १६ - अंतिम भाग
अब तक रुपाली सामान्य जीवन जीने लगी थी। हँसना, बोलना, मस्ती करना, दोस्तों से मिलना जुलना सब शुरू हो अजय की मम्मी शादी करने के लिए हमेशा उसके पीछे पड़ी ही रहती थी पर वह हमेशा मना कर देता था। उसके मना करने का कारण भी वह जानती थी। वह जानती थी कि अजय रुपाली के बिना किसी और से शादी कभी नहीं करेगा और वह रुपाली से भी कभी इस बारे में बात नहीं करेगा। एक दिन उसकी मम्मी अदिति ने उसके पापा विनोद से कहा, " विनोद हम रुपाली के मम्मी पापा से बात करें क्या?" ...और पढ़े