Zindagi aur bata tera irada kya hai book and story is written by Dr. Kuldeep Singh Chauhan in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Zindagi aur bata tera irada kya hai is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
जिन्दगी और बता तेरा इरादा क्या है! - उपन्यास
Dr. Kuldeep Singh Chauhan
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
रात के दो बजे थे, ट्रेन किसी अज्ञात स्टेषन पर रूकी थी!
अज्ञात षब्द का इस्तेमाल इसलिए किया था क्यांेकि यहां अन्धेरा व्याप्त था, घनघोर अन्धेरा,,षायद कोई छोटा स्टेषन होगा! हालांकि ट्रेन एक्सप्रेस थी इसके स्टाॅपेज भी बडे स्टेषन है फिर भी यहां रूक गयी थी, षायद लाईन क्लीयर नही होगी! मै प्रथम श्रेणी के डिब्बे में अपने कूपे में था, हालांकि एक कूपे में दो बर्थ होती है किन्तु दुर्भाग्य से मेरा कोई सह यात्री नही था इस लिए यात्रा काफी उबाऊ लग रही थी, किताबें पढते-पढते भी जी भर गया था और पडे-पडे षरीर भी दुःखने लगा था!
षरीर को बेहतर ढंग की अंगडाई देने के लिए मै कूपे से बाहर आया,दरवाजे पर आकर बाहर झांक कर जगह का अन्दाजा लेने की कोषिश में दीदे फाडने लगा, जल्द ही मेरे दिमाग ने मुझे उपहास के भाव में नसीहत दी, कि आंखे है अन्धेरे में देखने वाली लालटेन नही!
रात के दो बजे थे, ट्रेन किसी अज्ञात स्टेषन पर रूकी थी!अज्ञात शब्द का इस्तेमाल इसलिए किया था क्यांेकि यहां अन्धेरा व्याप्त था, घनघोर अन्धेरा,,शायद कोई छोटा स्टेशन होगा! हालांकि ट्रेन एक्सप्रेस थी इसके स्टाॅपेज भी बडे स्टेषन है ...और पढ़ेभी यहां रूक गयी थी, शायद लाईन क्लीयर नही होगी! मै प्रथम श्रेणी के डिब्बे में अपने कूपे में था, हालांकि एक कूपे में दो बर्थ होती है किन्तु दुर्भाग्य से मेरा कोई सह यात्री नही था इस लिए यात्रा काफी उबाऊ लग रही थी, किता