सूर - 11 Jhanvi chopda द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सूर - 11

"सुर"

CHAPTER-11

JHANVI CHOPDA

Disclaimer

ALL CHARECTERS AND EVENT DEPICTED IN THIS STORY IS FICTITIOUS.

ANY SIMILARITY ANY PERSON LIVING OR DEAD IS MEARLY COINCIDENCE.

इस वार्ता के सभी पात्र काल्पनिक है,और इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति के साथ कोई संबध नहीं है | हमारा मुख्य उदेश्य हमारे वांचकमित्रो को मनोंरजन करना है |

  • आगे आपने देखा,
  • पायल का जाग जाना किसी चमत्कार से कम नहीँ था। और भगवान को क्रेडिट दे वैसा हमारा परवेज़ था नहीं। वैसे कहीं ना कहीं ये कमाल सूरों का ही था। इन्हीं सूरों से ये कहानी शुरू हुई थी और यही सूर उसे आगे के पड़ाव तक लेके जाने वाले थे। हमेशा किस्मत वो नहीं होती जो की ऊपर वाले के हाथों लिखी गई हो...कभी कभी इस कायनात की हर ताकत हमारी किस्मत बनाने में हमारा साथ देती है।
  • अब आगे,
  • 'मेरे घर जाएंगे, और कहाँ !?'_पायल ने कहा।
  • 'तुम्हारा घर भी है ?' _परवेज़ ने पूछा।
  • 'हाँ, तो !!!'
  • '...और माँ-बाप ?'
  • 'ये माँ-बाप वाला पहले क्यूँ नहीं पूछा ?'
  • 'जरूरत नहीं पड़ी इस लिए।' _परवेज़ ने आँखे घुमा कर कहा।
  • 'मेरे माँ-बाप को मैंने देखा भी नहीं !'
  • 'अच्छा, तो गली के कुत्तो ने मिल के, इतना बड़ा किया क्या तुम्हें !?'_जुबेर इतराया।
  • 'जबान संभाल के, हन्नं... !'
  • पायल गुस्से में ज्यादा बोले उससे पहले परवेज़ ने संभाल लिया, 'हाँ, वो सारी हिस्ट्री ना, वो तुजे घर जा के बताएगी ! ठीक है, अब गाडी घुमाओ !'
  • पायल के दिए गए पते पर एम्बुलेन्स जा रुकी। सब गाडी से नीचे उतरे ! अपने घर को देख कर पायल के चेहरे पर एक ऐसा सुकून था, जैसे की कई सालों से घूम रहे बनज़ारे को घर मिल गया हो। चारों और पेड़ के पत्ते गिरे हुए थे। मकान कुछ ज्यादा ही पुराना था। जैसे ही परवेज़ ने मेइन गेट खोला की, जोर से हवा की लहर आकर उसके चेहरे से टकराई ! उसे अपनेपन का अहेसास हुआ...लगा की, जैसे ये हवाएं उसका स्वागत करना चाहती थी। जैसे ही वो तीनों मेइन गेट के अंदर घुसे जुबेर के मुँह से निकल गया,
  • 'पूरी भूतिया जगह लग रही है...डायनें ऐसी ही जगह पर रहती है। वैसे ये जगह हमारे नए अड्डे के लिए भी चलेगी ! नई, परवेज़ !'
  • 'एक्सक्यूज़ मी !!!' _पायल उसकी ओर आँखे फाड् के देखने लगी।
  • इस बार अचानक परवेज़ ये सुनकर हँसने लगा...ये देखकर जुबेर भी !
  • 'मैं जॉक मर रही हूँ !!? जाओ तुम दोनों, निकलो यहाँ से !'
  • 'पागल है क्या ? हम तो भूतों के साथ रहने आए है !' _परवज़ ने हँसते हुए कहा और वो जुबेर के साथ चलते चलते घर तक गया। अचानक उसे कुछ याद आया और वो वापिस गेट पे लौटा। पायल अभी भी गेट पर खड़ी थी।
  • 'वापिस क्यों आए ?'_पायल ने पूछा।
  • परवेज़ ने उसका हाथ पकड़ा और कहा, 'तुम्हे लेने ! इस बार रिस्क नहीँ ले सकता ना...फिरसे गिर गई तो !'
  • 'तो तुम होना...इस बार, सँभालने के लिए !' _उसने परवेज़ का दूसरा हाथ अपने कंधे पर रखते हुए कहा।
  • पायल के इस रिएक्शन पर परवेज़ कुछ रियेक्ट नहीँ कर पाया। वो दोनों चलने लगे...
  • 'बिचारे मेरे प्यारे गुलाब ! मेरे बिना सुख गए है, ना !' _पायल ने फुलवाड़ी की ओर इशारा करते हुए कहा।
  • जब उस ओर परवेज़ ने देखा, तब पता चला की, पायल का घर उसके जितना ही खूबसूरत था। चारों ओर तरह तरह के फूलों की खुश्बू...पंछिओ के किलकिलाने की आवाज़...उनके खाने-पिने का पूरा इंतज़ाम किया गया था। पोपट और मैना तो पानी पीते पीते आपस में बात भी कर रहे थे, 'हमारी सुन्दर पायल के साथ ये हट्टा कट्टा नवजवान कौन है !'
  • 'जो भी हो दिखने में तो बड़ा हॉट है !'
  • 'अपनी शक्ल देखि है, पहले !? वो इतना गोरा चिट्टा, और तू इतनी काली !!!'
  • 'हम काले है, तो क्या हुआ दिलवाले है !'
  • और ये सब सिर्फ हमारा परवेज़ ही सुन पा रहा था। उसके चेहरे पे स्माइल आ गई । ये देख कर पायल तो दंग ही रह गई...
  • 'किसी ने कोई जोक मारा क्या !?'
  • 'नहीं तो !!!'
  • 'तो फिर बिना वजह हँस क्यों रहे, हो ?'
  • 'हर बात तुम्हे बताना जरूर है !?'
  • और फिर दोनों चुप चाप चलने लगे।
  • हरी साड़ी पहनी हुई ज़मीन पर पीले और लाल पत्तो का श्रृंगार...पेड़ की शाखाओं के बीच में से मुस्कुरा रही सूरज की किरणें...! प्रकृति की बादशाही की गवाही दे रहे फल...! और इतनी सारी खूबसूरती एक छोटे से घर के छोटे से कंपाउंड में ! और ये सब मिल कर जैसे की कई सालों से इसी दिन का इंतज़ार कर रहे थे। जब हम सही रास्ते पे हो, तब प्रकृति का हर अंश, अपनी मंज़िल तक पहुँचाने में हमारी मदद करता है।
  • दोनों घर के अंदर पहोंचे,
  • 'ये ताला तोड़ने की क्या जरूरत थी, मेरे पर्स में चाबी थी।' _पायल से रहा न गया।
  • 'जी, आपका पर्स हमारे पास नहीं था और हमे CID बनने का बड़ा शोख है !' _जुबेर ने इतरा के कहा।
  • पूरा घर धूल धूल था। परवेज़ ने इधर उधर देखा, उसे एक कपड़ा दिखा, उसे लेकर वो चेयर साफ करने लगा ताकि पायल बैठ सके।
  • 'किसी हॉरर मूवी का सेट लग रहा है, नई ! और देवीजी, आप जरा अपनी चुड़ैल बहेनो को बुलाइए ना, ये सब साफ करने के लिए !' _जुबेर खिड़की पे लगे जालों की ओर देखकर बोला।
  • पायल ने इस बार कुछ नहीं कहा। जुबेर चिनगारी भड़काए और पायल ना जले ऐसा तो आज तक नहीं हुआ था। जुबेर और परवेज़ दोनों एक साथ उसकी ओर मुड़े...और ये क्या !!! वो फर्श पे गिरी थी, दोनों भाग के उसकी ओर गए...
  • परवेज़ ने उसका सर हाथ में लिया और उसे होश में लाने की कोशिश करि...पानी भी छिड़का लेकिन असर नहीं हुआ। परवेज़ ने अपने हाथ पे खून देखा, ये देख कर जुबेर घबराया,
  • 'मैं नर्स को बुलाता हूँ !'
  • 'हाँ !'
  • जुबेर दौड़ के गेट तक गया, लेकिन वहाँ एम्बुलेन्स नहीं थी।
  • 'वो लोग तो चले गए, अब क्या करूँ ? डॉक्टर को बुलाऊ ?' _जुबेर ने पूछा।
  • 'अरे, यार वो डॉक्टर माँ- बहन करेगा ! तू मिस्टर राव को फ़ोन कर ।'
  • मिस्टर राव परवेज़ के फैमिली डॉक्टर थे। उसके जितने भी आदमी मार खा के आते थे, उनके हुलिये मिस्टर राव ही ठीक करते थे। और डॉक्टर राव सारे गलत केस को भी सही तरीके से ठीक करना जानते थे।
  • ***
  • 15 मिनट तक चेकउप और सारे रिपोर्ट्स देखने के बाद डॉक्टर राव ने कहा,
  • 'अभी इनको हॉस्पिटल में होना चाहिए था। आप कुछ ज्यादा ही जल्दी ले आए इन्हें ! इंटरनल हैमरेज...! अंधरोनी चौट की वजह से काफी टाइम लगेगा ठीक होने में ! जो दवाइयां दी गई है, उसे टाइम पे और पूरे प्रीकॉशन्स के साथ देते रहना। उनके खाने पे खास ध्यान देना। ये जगह रहने के लिए सही है। बाकी तो आप सब जानते ही है। और हाँ, एक खास बात...ऐसी कोई बात या ऐसा कोई बनाव इनके सामने मत होने दे जिससे दिमाग पे दबाव या जोर पड़े ! आप जितना समज रहे है, उतनी ठीक ये हुई नहीं। छोटी गलती भी इन्हें फिर से कोमा में ले जा सकती है, ये मत भूलना ! और मेरी मानो तो परवेज़, तुम इसका ध्यान नहीं रख पाओगे...गैंगस्टर के हाथ गोलियां खिला सकते है, दवाई नहीं !
  • 'अरे डॉक्टर, दवाई भी तो एक तरह की गोलियां ही है ना ! हमारा परवेज़ वो भी खिला देंगा। आप बड़ी चिंता करते हो !' _जुबेर ने डॉक्टर को घर के बहार ले जाते हुए कहा।
  • परवेज़ पायल के सामने बैठा रहा। पायल को देख कर उसे लगा, जैसे सूरजमुखी धुप में भी मुरजाई हुई थी। उसकी ज़िन्दगी में ये पहला दौर था, जब वो चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था। उसकी हालत तो रण में तालाब सामने हो, फिर भी पानी ना पि सके ऐसी थी ! उसने पायल को देखा, उसके दाएं हाथ पे काफी चौट आई थी...उसका बायां हाथ इंजेक्शन्स और सेलाइन की वजह से सूज गया था...उसकी गर्दन पे खरोच आई थी...सर पे पट्टी बंधी थी। परवेज़ को डॉक्टर की बात याद आई और उसने सोचा की, क्या वाकेही में उसने पायल को घर लाके ठीक किया ? क्या वो उसका ख्याल अच्छे से रख पाएगा ?
  • उतने में पायल को होश आया, उसने धीरे से आँखे खोली...उसके चेहरे पे पड़ रही धुप से उसने अपना चेहरा ढंकने की कोशिश कि...परवेज़ उठ कर खिड़की के सामने खड़ा हो गया। उसने पायल को पानी पिलाया... उतनी देर में जुबेर भी आ गया।
  • 'कैसा लग रहा है, अब ?' _उसने पूछा।
  • 'तुम्हारे होते हुए अच्छा कैसे लगेगा !' _पायल ने कहा।
  • 'वो बात तो सही है, अब जब तक यहाँ हूँ, तब तक जैलना तो पड़ेगा मुझे !' _जुबेर ने हँसते हुए कहा।
  • 'तुम दोनों बस करोंगे !? और पायल तुम तो चुप ही रहना ! डॉक्टर ने साफ साफ मना किया है कि, जरूरत से ज्यादा नहीं बोलना है !' _परवेज़ ने ऊँची आवाज़ में कहा।
  • थोड़ी देर शांति रही। परवेज़ ने पायल के रूम का एनालिसिस किया...स्टडी टेबल पर कुछ बुक्स, पेंसिल, पेन्स और एक पानी की बोतल ! ड्रेसिंग टेबल पर लड़कियों वाली एक भी चीज़ नहीँ !! सिर्फ एक कंगी, दो व्रिस्ट वॉच, एक हाथ रुमाल और चौंका देने वाली चीज थी, बिखरे हुए कुछ नट-बॉल्स के साथ एक हथौड़ी ! दरवाजे के पीछे टंगे कुछ दुपट्टे और इनर वेयर्स ! जब परवेज़ ने उस ओर देखा तो पायल ने शर्म के मारे नज़रे जुका दी !
  • 'अच्छा, मैं ये कुछ फ्रूट्स लाया हूँ, जो दवाई के साथ देने है। और डॉक्टर के मेनू के हिसाब से शाम को खिचड़ी और सूप देना है।' _जुबेर ने कहा।
  • 'तुम दोनों को खिचड़ी और सूप बनाना आता है ?' _पायल ने पूछा।
  • जुबेर और परवेज़ एक दूसरे के सामने देखते रहे...जैसे की खिचड़ी का नाम भी पहेली बार सुना हो !
  • To be continued...
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