ईक था लेखक Prashant Salunke द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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ईक था लेखक

एक था लेखक

प्रकरण ४

प्रशांत सुभाषचंद्र साळुंके

यह कहानी एक वास्तविक लेखक के जीवन से बनाई है पर कहानी को रोमांचक बनाने के लिए लेखक ने अपनी कल्पनाओ का भरपूर इस्तमाल किया है इसलिये इस कहानीको सिर्फ एक कहानी के रूप में ही पढे. इस कहानी का बहोत ही ध्यान से प्रुफ रीडिंग करने के लिए में मेरे भाई अनुपम चतुर्वेदी का तहेदील से शुक्रिया करता हुं

सुचना : इस कहानी में लिए गए सभी पात्र काल्पनिक है। इनका किसीभी जीवित या मृतुक व्यक्तिसे कोई सबंध नहीं है और अगर एसा होता है तो वो महज एक इत्तफाक है

प्रकरण ४

प्रशांतने सोच समझ कर कहा "देख भौमिक अब तक की कहानी सीधे साधे मोड़ पर थी । पर इसके बाद कहानी मे आने वाले कुछ मोड़ बड़े ही घृणास्प्रद है। तु सुन पाएगा? फिर यह मत केहेना की यह क्या कहा और वो क्यो कहा! तुझे आगे कहानी बताते वक्त मे प्रयत्न करूँगा की वैसे दृश्य ज्यादा घृणास्पर्द न बने।

भौमिक गहरी सोच मे था।

प्रशांतने शब्दों से इसे टटोला "क्या करु बढ़ाउ आगे कहानी को? जवाब दो?

भौमिकने सहमति मे सर हिलाया

प्रशांतने कहानी को आगे बढ़ाया।

विलीने मेक को कहा : देख अब तक की सुनी बातो से आदमखोर की दो प्रजाती होती हैे, एक मेन इटर और दूसरा केनिबल दोनो मे कहा जाए तो ज्यादा फर्क नही दोनो इंसान को खाते है पर तरीके अलग अलग होते है! मसलन मेनइटर इंसान को काटकर खा जाते है। और.....

मेक : और केनिबल काटे बिना खाते है?

विली : नही उससे भी बुरा, चल तुझे समझता हुं! तु तेरे घर मे अकेला ही है। सही है न? अब जब तु केबिज लाता है। तो उसे कैसे उपयोग करता है? मतलब एक वक्त की सब्जी बनाने के लिए तु पूरा केबिज काटता है?

मेकने नकार मे सर हिलाते कहा : ना...ना.. पूरे केबिज की मे अकेला कहा सब्जी खाऊंगा? मे सिर्फ केबिज को पौ भाग मे काटता हुं। और उसकी सब्जी बनाके खाता हुं। बाकी का पौ दूसरे दिन ऐसे मे चार दिन तक एक ही केबिज को चलाता हुं। क्यो?

विलीने हंस कर कहा" बस केनिबल भी यही करते है!!!"

मेक के शरीर मे एक सर्द लहर सि दोड गई : मतलब?

विलीने कहा "मेक केनिबल जहा रहते है वहाँ खाने की चीजे बहोत कम मिलती है। ऐसा समझ मेन इटर इनपे हावि है। एक ही जगह शिकार करने से प्राणी उस जगह पर कम आते है! ऐसे में मेन इटर ऐसी जगहों को छोड़ नई जगह ढूंढते है। अगर वहाँ कोई केनिबल हो तो वे उसे या तो भगा देते है, या तो कमज़ोर हुआ और पकड़ा गया तो वे उसे मारकर खा जाते है। मतलब केनिबल के लिए सुरक्षित वही जगह होती है जो मेन इटर प्रजाति ने खाने की दिक्कत की वजह से छोड़ी हो! अब खाना कम होने की वजह से वे उसे बचा बचा के खाते है!

मेक : मतलब?

विली : तेरी केबिज की तरह!!!

मेक : तो इतने दिन पड़े पड़े मांस खराब नही होता होगा? उससे बदबू नही आती होगी? वाइरस से वे बीमार नही पड़ते होंगे?

विली : मरा हुआ इंसान सड़ता है मेक, जिंदा नही! केनिबल अपने शिकार को इस तरह से काट काट कर खाते है की वो मरे नही जिंदा रहे।

मेक के माथे से पसीना था वो बोलने जा रहा था तभी बिल बोला : मतलब मे समजाता हुं। समजो की की किसी शिकार को उन्होंने पकड़ा तो वे उसे पेड़ के साथ अच्छी तरह से बांध देते है! और फिर इंतजार करते है!

मेक : इंतजार? किसका?

विलीने हल्क मे शराब को उतारते कहा। "भूख का! जब तक उन्हें जोरो की भूख नही लगती वे अपने शिकार को खरोच तक नही आने देते। सभी को जब जोरो की भूख लगती है तब वे तेज धारदार चाकू से शिकार का एक अंग काटते है! समजो की पहले बाई टांग काटते है। उसकी टांग को मिल बॉटकर खाते है। कटे हुए भाग को सडन से बचाने के लिए वे उस भाग पर नमक लगाते है! दूसरे दिन जब भूख लगे तब दाई टांग.... फिर हाथो की बारी (वर्णन भयंकर होने से बात शॉर्ट मे समजाता हुं) और आखिर मे सर कलम करते है। ऐसे वो कभी कभी एक महीने तक शिकार को जिंदा रखकर थोड़ा थोड़ा काट काट कर खाते है!

मेक : उसे खाते कैसे है? मतलब बोइल या फ्रायड

विली : यहाँ भी रोचक बात है। वे आग जलाने से डरते है। उन्हें डर लगा रहता है की लकड़ी के जलाने से जो धुवा है। उसे देख मेनइटर कही वहाँ आ न जाए! इसलिए वो शिकार को वैसे ही खाते है।

मेकने आश्चर्य से कहा : कच्चा?

विलीने कहा : हा और वो भी बंधे शिकार के आंखो के सामने ही। उसके सामने ही उसका एक एक अंग वे कई दिनों तक काट काट कर खाते है। वो भी उसके जख्मो पर नमक लगा लगा के....

मेक को उलटी सी आ रही थी। पर वो अपनी इन्द्रियों पर काबू रखते हुए बोला "बिल तुम किस प्रजाति से मिलने जा रहे हो?

विलीने लापरवाही से ग्लास खत्म करते हुए कहा "जो भी मिल जाए। या दोनो से! पर उम्मीद करता हुं मेन इटर से पाला पड़े! क्योकि गुलामो से राजाओ के इतिहास बेहतर होते है!

मेक के मन मे एक और सवाल उभरा "विली क्या हमेशा केनिबल ही मेन इटर के शिकार होते है? मतलब

विली : मे समझ गया अक्सर मेनइटर ही इनपे हावि होते है। क्योकि युद्ध कौशल्य मे वो उनसे ज्यादा निपुण होते है। पर गलती से कोई एकल दोकल मेन इटर इनके हत्थे चढ़ गया तो वे उसका बेहद बुरा हाल करते है। उनके शिकार से भी बुरा। सारा गुस्सा उस पर निकाला जाता है। कभी कभी तो वे उन्हें उसकी ही काटे अंगो को खाने पर मजबूर करते है! सर कलम करने से पहले उसकी आंखो......

मेकने कहा : बस विली बस.... जाहिलियत और दरिंदगीकी भी हद होती है.... बस अब नही सुनना मे समझ गया। और तु फिर भी इनसे मिलने उनके कबीले मे जा रहा है? जरा अंजाम का तो सोच? अगर केनिबल के हत्थे चड गया तो? भगवान उससे अच्छा है मौत दे दे...

विलीने लापरवाही से मेक से कहा "अब तु निकल.... मुझे सुबह जल्दी उठ कर जाना है! और जैसे मेक को चिडा रहा हो उस अंदाज मे बोला "वेस्ट आफ्रिका"

मेक विली को देखता रहा। पर शायद विलीने उसकी आँखों में नहीं देखा। काश वो उसके आँखों से टपकते आसूओ को उस दिन देख लेता। तो जिंदगी की आखरी पलो मे गुजारी उस तड़पन से बच जाता!!!

मेकने विली से कहा "अरे यार तु इतना सब कुछ तो जानता है उनके बारे मे फिर क्या जरूरत है वहाँ जाने की। एसे ही कहानी लिख दे।

विलीने हंस कर कहा "मेंने पहले ही कहा था की वे बाते मेंने सुनी है। मतलब उनके बारे मे स्टडी करते वक्त दुसरो के वर्णन से मुझे वो सब पता चला है। जरूरी नही वो सब सही हो! हो सकता है वह सब काल्पनिक बाते हो! मे सच मे वेस्ट आफ्रिका जाके पता लगाउँगा उन मेंन इटर प्रजाति का। उनके साथ रह कर उनके रहन सहन उनके रीति रिवाजो को आंखो से देखूंगा तभी मुझे यकीन आएगा और तब मे उनके बारे मे सही सही लिख पाउँगा!

मेकने फिर समजाने की कोशिश की " विली अरब या हाइटी के लोग थोड़े बहोत समझदार थे। पर यह नरभक्षि तो जंगली है जंगली, तू कैसे उन्हें संभाल पाएगा दोस्त।

विली में कहा "प्यार से... सर्कस में सिंह रिंगमास्टर के सामने कैसे पालतू हो जाता है। रिंग मास्टर अपना सर शेर के मुंह में रखता है पर क्या? शेर उसे खाता है?

मेकने कहा तुझे जो करना है कर.... तू कभी किसी की बात मानता है?

विलीने हंस कर कहा " सब की बात मानता तो आज विश्व को दो बढ़िया किताब न मिली होती। मेरा जाना तय है....

मेक को उसके आखरी शब्द कुछ खटके पर वो चुप रहा।

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(आगे क्या हुआ जानने के लिए पढ़े प्रकरण ५)