एक था लेखक
प्रकरण : २
प्रशांत सुभाषचंद्र साळुंके
यह कहानी एक वास्तविक लेखक के जीवन से बनाई है पर कहानी को रोमांचक बनाने के लिए लेखक ने अपनी कल्पनाओ का भरपूर इस्तमाल किया है इसलिये इस कहानीको सिर्फ एक कहानी के रूप में ही पढे. इस कहानी का बहोत ही ध्यान से प्रुफ रीडिंग करने के लिए में मेरे भाई अनुपम चतुर्वेदी का तहेदील से शुक्रिया करता हुं
सुचना : इस कहानी में लिए गए सभी पात्र काल्पनिक है। इनका किसीभी जीवित या मृतुक व्यक्तिसे कोई सबंध नहीं है और अगर एसा होता है तो वो महज एक इत्तफाक है
प्रकरण : २
प्रशांतने चिड कर कहा "अरे सुन न में क्या कहेता हु। तुझे बड़ी जल्दी रहेती है अंत जानने की! कहानी का मजा ले।
सुन.....
विली हाइटी टापू पर जा पहुँचा। टापू की सुंदरता को देख उसका मन प्रफुल्लित हो गया।
भौमिक ; क्या हाइटी टापू बेहद सुंदर है?
प्रशांत : बेहद जब वास्को दी गामा प्रथम इस टापू पर यहाँ आया तो उसकी सुंदरता देख उसे भ्रम हुआ की उसने भारत खोज निकाला, क्योकि उसने भारत की सुन्दरता के बारे में बेहद सूना था। हाइटी अब थोड़ा सुधर गया है। और अब वह एक पर्यटन स्थल बन गया है वहां का मगरो का पार्क अब विश्व प्रसिद्ध है। आस पास आए ऊँचे पर्वतो की वजह से अब वो हाइटी के नाम से जाना जाता है। खेर विली को तलाश थी उस आदीवासी प्रजा की जिन पर उसे कहानी लिखनी थी। और उसकी तलाश पूरी हुई, वो जहा पहुँचा वहाँ के लोग कपड़ो से और चेहेरो से ही काफी खूंखार दीखते थे। अत्यंत गर्मी के कारण उनके बदन पर नाम मात्र के कपडे थे। विली को भी अपने कपडे अब त्रास दायक लगने लगे थे।
विली को संतोष हुआ की उसकी खोज पूर्ण हुई। विलीने देखा की एक जोड़ा उसकी और आ रहा था। विलीने चाहां उनसे कुछ वार्तालाप करे। उसने देखा एक आदमी उनके ठीक पीछे से आ रहा था। उसे जल्दी थी, वो जोड़े के करीब से गुजरा। विली उनसे कुछ पूछने आगे बढ़ा..... तभी पीछे से आ रहे व्यक्ति का उस औरत को धक्का लगा। अभी विली कुछ समझ पाए उस से पहले उस औरत के साथ वाले बन्दे ने खंजर निकाल कर धक्का मारने वाले बंदे के पेट में घुसेड दिया। और चाकूओ के वार मारने लगा। विली उसे वार मारते देख रहा था। वह बंदा चाकू मार रहा था। विलीने देखा धक्का मारने वाले इंसान की जान तो कब की चली गई थी, पर उस बंदे के चाकू के वार रुक नहीं रहे थे। उसके बदन से अब खून भी निकलना बंध हो गया था! विलीने देखा वो इंसान उसकी जान नहीं अपना गुस्सा निकाल रहा था!
विलीने कुछ सोचकर वापस शहर की और लोटा।
भौमिक विचलित हुआ "तो क्या विली डर गया? वो वापस लौट गया। उसने इस विषय पर कहानी नहीं लिखी?
प्रशांत गहरी सोच में था।
प्रशांतने आगे कहा "विलीने शहर जाकर बहोत सी भेट और वाइन खरीदी की
भौमिक : क्यों?
प्रशांत : वो उनके मुखिया को खुश करना चाहता था। वो वापस उस कबीले में आया। अपनी गन को खंधे पर जानबुझ के एसे लटकाए रखा था की सब का ध्यान उस पर जाए। शुरू में उन्हें डराना जरुरी था। पर उसका उद्देश उनसे दोस्ती कर उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना था। कबीले के लोग उसे घुर रहे थे। फिर भी वह निडरता से आगे बढ़ रहा था। आर्मी की ट्रेनिग शायद उसके आज बहोत काम आने वाली थी। उसने चारो और नजर घुमाई एक पेड़ के नीचे कुछ लोगो के बीच एक इन्सान बैठा था। वह इंसान ऊपरी आसन पर था। और बाकी के लोग जमीन पर उसके इर्द गिर्द बैठे थे। विलीने अंदाजा लगाया हो न हो यही इनका मुखिया होगा। वो उसकी और बढ़ने लगा। जो लोग उसे घुर रहे थे अब वे सतर्क बन उठ खड़े हुए। और उसके पीछे पीछे चलने लगे। विली को यकीन हो गया की हो न हो यही उनका मुखिया है। वो चुपचाप निडरता से अपने कदम बढाने लगा। उन हाइटी लोगो का टोला उसके पीछे बढ़ने लगा। विली को अब थोडा डर लगने लगा। पर उसने वो दिखाया नहीं। वो डर छुपाना उसे अच्छी तरह से आता था!
भौमिकने बीच में कहा "उसकी जगह में होता तो भाग खड़ा होता।
प्रशांतने हंस कर कहा "याद है जब रात को हम बाइक लेकर निकलते है। उस वक्त एक कुत्ते के भागने पर बाकि के कुत्ते भी हमारे पीछे भागते है? उस वक्त हमें पता होता है की वे कुछ नहीं करेंगे फिर भी हम कितना डरते है!
भौमिक : और यहाँ तो पता है की यह हाइटी लोग कुछ भी करेंगे! मानना पड़ेगा उस लेखक की दिलेरी को!!!
प्रशांत : यक़ीनन
एक गहरी साँस लेकर उसने आगे कहा। विली अब मुखिया के बेहद करीब पहोच गया।
मुखिया के साथ बैठे लोग भी अब उठ खड़े हुए। विली की जगह उनके कबीले का कोई होता तो अब तक वे उसे कबका गोली से उड़ा चुके होते। पर शायद उसके कपडे और तौर तरीको से वे प्रभावित थे।
विली अब उन कबीले वालो के बीच घिरा हुआ था, अब चाह कर भी वो वहां से भाग नहीं सकता था। आसपास इक्कठा उन लोगो की पसीने की और धूर्म पान की बू से उसका सर चकरा रहा था। अब वो मुखिया के बिलकूल सामने खड़ा था। पर क्या कहेता? अब क्या किया जाय उसी गहरी सोच मे वो था!
भौमिक : क्यों?
विली : पगले उनकी कबीले की भाषा थोड़ी उसे आती थी? वैसे वो थोड़ी बहोत तैयारी कर आया था। पर अभी उसका दिमाग सुन था। अगर वो कुछ बोले और उसका उलटा मतलब निकले तो?
विलीने कुछ सोचा और वो सीधा मुखिया की बगल में बैठ गया। कबीले के लोगो ने गन निकाली। विलीने शांति से अपनी बेग में से एक उच्चतम कोटि की वाइन निकाली और उसके दो घुट पीकर मुखिया के सामने रखी। मुखिया इतना तो समझ ही सकता था। उसने भी बोटल में से दो घुट चखकर देखे और बोल उठा "मराव्गा.... मराव्गा एसा कुछ"
भौमिक "मतलब?"
प्रशांत "मतलब मुझे भी नहीं पता पर उन कबीले के लोगो ने अपने हथियार बाजू पर रख दिए। विलीने कुछ बोटले बेग में से निकालकर उन काबिले वालो के सामने रख दिए। उत्साही वे लोग उस पर टूट पड़े। विली के लिए रास्ता खुल गया उत्साह और आनंद में विलीने खुद नोटिस किया की वो अपने पीने के हिसाब को भूल गया था! पर ठीक है एक दिन से क्या होता है? शराब को वो थोड़े ही अपने पर हावी होने देने वाला था! कबीले के लोगो से दोस्ती की शुरुवात हो चुकी थी। अब विली उनके साथ रहकर उनके बारे में जानने लगा। उनका स्वभाव, उनका रहेना, उनका गुस्सा, उनका पहनावा, उनकी आदते अपनी कहानी के लिए जो भी मसाला चाहिए था वो उसके सामने था। जिसका वो रसपान कर रहा था। उस रात की गर्म हवा ओ में काबिले के लोगो का उन्माद बढ़ने लगा। साथ ही साथ नशा भी।
विली उनको झूमते देख खुश हो रहा था। उनको साथ देने के लिए वो भी जाम टकरा रहा था। तभी आवाज आई। धाय....... विली चौक उठा उसने आवाज की और देखा, एक कबीले वाले ने दुसरे को गोली मार दी थी। क्यों? किसलिये? यह सवाल विली के सिवा शायद और किसी के मन में नहीं थे। क्योंकी उनके लिए यह आम बात थी। मुखिया ने हँसते हुए उसे कुछ कहा। पर वो बेहताशा लडखडाता हुआ, विली की और मुड़ा। उसके हाथ की गन को घुमाते हुए वह विली के पास जाने लगा अब ठीक उसकी गन पॉइंट पर था विली! शराब से धुत विली के माथे पर गन रख वो क्रोध से बोले जा रहा था अश्मना..... अश्मना...
भौमिकने पूछा "मतलब?"
प्रशांतने गुस्से से कहा "अबे में क्या हाइटी हुं? मुझे क्या मालूम?
भौमिक : फिर.... फिर क्या हुआ? जल्दी बताओ न.....
(आगे क्या हुआ जानने के लिए पढ़े प्रकरण ३)