मौसम का जादू है, मितवा ! Kanak Vyas द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मौसम का जादू है, मितवा !

Manjeet Vyas

kanakmannvyas@gmail.com

मौसम का जादू है, मितवा !

टिप-टिप बरसा पानी,

पानी ने आग लगा दी..

बारिश सिर्फ टी.वी. मे ही रोमांटिक लगती है, असल मे तो कीचड, ट्रेफिक जाम और बारिश की वजह से खराब होती गाडिया ये सब परेशानिया ही देखने को मिलती है । राधिका की गाडी भी खराब हो गई थी बारिश की वजह से । हर जगह पानी भरी हुआ था, इसलिए घसीट कर ले जाना भी मुश्किल था और मेकेनिक मिलना भी । गाडी को बीच रास्ते मे छोड कर भी नही जा सकती थी । रात के 9 बजे थे, घरवाले भी परेशान होकर बार-बार फोन कर रहे थे । भीग गई थी इसलिए ठंड भी परेशान कर रही थी । सामने पान की दुकान पर कुछ लडके खडे थे, मदद मांगना चाहती थी पर आवरा से दिख रहे थे इसलिए डर रही थी ।

विकास वहीं सामने वाली पान की दुकान पर अपने दोस्तो के साथ खडा था । दोस्तो से नजर चुराकर वो उस भीगी-भागी परेशान लडकी को देख रहा था । दिल से तो मदद करना चाहता था पर जानता था कि अगर दोस्तो को अभी छोडकर गया तो बहुत दिनो तक दोस्तो के ताने सुनने पडेंगे । सामने से लडकी की मदद करना भी सही नही लग रहा था विकास को , क्या पता लडकी गलत समझ कर गुस्सा हो जाए ।

1 घंटे बाद विकास के सारे दोस्त एक-एक करके घर चले गए । विकास भी घर के लिए निकल ही रहा था पर एक बार टेढी नजर से राधिका को देखा । राधिका अब भी सामने अपनी गाडी को चालू करने की कोशिश मे लगी हुई थी । विकास का मन नही मान रहा था इसलिए डरता हुआ सडक पार करके पहुंचा राधिका की मदद करने ।

‘क्या हुआ मैडम गाडी बंद हो गई, मैं मदद करदूं’ विकास ने बहुत धीमे से पूछा । मन मे तो सोच रहा था कि क्या होगा अगर लडकी ने सडक पर थप्पड मार दिया या गलत समझ कर जोर-जोर से चिल्लाने लगी ।

‘जी मैं बहुत देर से कोशिश कर रही हूं, नही हो रही है’ मदद लेना तो नही चाहती थी, पर मजबूरी थी । मन मे तो ‘सावधान इंडिया’ के सबक याद आ रहे थे ।

विकास ने बहुत कोशिश की गाडी चालू करने की, पर सब बेकार । लडकी के सामने इज्जत खराब होने से बुरा भी लग रहा था । चला था हिरो बनने और रह गया जीरो । विकास को इस तरह देखकर राधिका को भी हंसी आ गई, पर उसने अपनी हंसी दबा ली । थोडी देर और कोशिश करने के बाद भी जब गाडी चालू नही हुई तो विकास ने गाडी को सडक के एक तरफ लगा दिया ।

‘मैडम ये गाडी तो चालू नही होगी और इस वक्त और ऐसे मौसम मे तो कोई मेकेनिक भी नही मिलेगा । ऐसा करो आप गाडी यही छोड दो, कल सुबह मेकेनिक मिल जाएगा ।’ कुछ तो समझदारी दिखाना जरूरी था ।

‘पर ऐसे सडक पर रात गाडी छोड के जाना सुरक्षित नही होगा ना, कहीं चोरी हो गई तो’ राधिका उस इलाके मे किसी को जानती भी तो नही थी ।

‘आप घबराइये मत । ये सामने पान वाला है ना ये मेरा दोस्त है, मैं इसको बोल देता हूं ये ध्यान रखेगा’ विकास ने उसे तस्सली देने की कोशिश की । राधिका को भी अब उस अजनबी पर थोडा भरोसा होने लगा था ।

‘हम्म, थैंक यू । मुझे भी बहुत देर हो रही है’ राधिका ने इधर-उधर नजर घुमाकर रिक्शा को ढूंढने की कोशिश की । पर ऐसे मौसम मे कोई रिक्शा वाला नही दिख रहा था । विकास भी चौराहे पर जाकर देखने लगा पर कोई रिक्शा दूर दूर तक नही था ।

‘यहां कोई रिक्शा नही दिख रहा, आप कहे तो आपको घर छोड दूं’ विकास को बोलने के बाद अहसास हुआ कि शायद उस लडकी को ये बात बुरी लग सकती थी । राधिका भी चौंक गई ये बात सुनकर, पर इतनी सी देर मे ही राधिका को वो अजनबी भला और भरोसेमंद लगने लगा था और दूसरा कोई रास्ता भी नही था ।

‘थैंक यू सो मच, पर आप बेवजह परेशान हो रहे है । मेरा घर यहां से बहुत दूर है’ राधिका ने शिष्टाचार दिखाते हुए कहा ।

‘जी कोई बात नही, आपको कोई साधन नही मिलेगा और आपको घर जाने के लिए देर भी हो रही है’ विकास अपनी गाडी ले आया । राधिका भी बिना बोले उसकी गाडी पर बैठ गई ।

‘मेरा नाम राधिका है, मेरी एक दोस्त यहां रहती है उसी से मिलने आई थी।’ राधिका मन ही मन उसे पसंद करने लगी थी शायद ।

‘मैं विकास, मैं यही पास मे रहता हूं।’ विकास को भी राधिका की तरफ झुकाव महसूस हो रहा था ।

पूरे रास्ते दोनो ने एक दूसरे के बारे मे बहुत सारी बाते की, घरवालो के बारे मे, नौकरी के बारे मे और भी बहुत सारी । राधिका पूरी तरह भीग गई थी इसलिए ठंड लग रही थी, पर विकास की बातो से उसका ध्यान नही था उस तरफ । अचानक से विकास ने गाडी का ब्रेक मारा, क्यूंकि सामने एक कुत्ते का पिल्ला न जाने कहा से आ गया । इसकी वजह से राधिका विकास के बहुत करीब आ गई थी और उसे विकास के बदन की गर्मी महसूस हो रही थी । खुद को संभालने के लिए उसने विकास के कंधे पर हाथ रख दिया । विकास को भी राधिका के बदन का यह अहसास बहुत अच्छा लग रहा था । दोनो एक दूसरे से जुडाव महसूस कर रहे थे । दोनो ही अचानक चुप हो गए । थोडा झिझक और थोडा अजनबी सा माहौल था । राधिका ने अचानक विकास को रूकने का इशारे किया क्यूंकि उसका घर आ गया था । पर विकास ने जैसे ही ब्रेक मारा वो गाडी संभाल नही पाया और दोनो गिर पडे । विकास ने राधिका को संभाल लिया था और दोनो एक दूसरे की बांहो मे सडक पर पडे थे । लम्हे की कशिश ही कुछ ऐसी थी कि विकास और राधिका के होंठ बिना चाहे ही एक दूसरे से छू गए । राधिका ने आंखे बंद करली, पूरा बदन कांप रहा था । इस बार राधिका और विकास ने एक दूसरे को नही रोका और दोनो के होंठ एक दूसरे से मिल चुके थे । कुत्ते के भोंकने की आवाज ने दोनो को होश मे लाया । दोनो उठकर खडे हो गए, कुछ लम्हो की खामोशी के बाद कुत्ते को देखकर दोनो जोर जोर से हंस रहे थे ।

कभी कभी बारिश सच मे टी.वी की तरह ही रोमेंटिक होती है , राधिका ने कभी नही सोचा था कि वो बारिश उसे उसके प्यार से मिलवा देगी । राधिका और विकास की शादी को आज पूरे 5 साल हो गए है, पर आज भी जब बारिश होती है दोनो अपनी पहली मुलाकात के नशे मे खो जाते है ।

टिप टिप बरसा पानी,

पानी ने आग लगा दी ।