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आचार विचार व्यवहार सदाचार

1 सहयोग

2 चाहत

3 भिखारी

4 हुड़दंग

5 जनून

6 आरक्षण

1 सहयोग

एक बार दो मधुमक्खीयां शहद की तलाश में इधर — उधर भटक रही थीं । उनमें से एक कुछ घमंड़ी और गुस्सैल सी थी । जबकि दुसरी बड़ी समझदार । पहली का नाम तुन्की और दूसरी का शांति था । एक जगह एक आदमी को काम करते देख तुन्की ने कहा मैं इस जालिम आदमी को ढ़ंक मारकर आती हूं । शांति ने पूछा पर उस इंसान ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ? तुम उसे ढ़ंक क्यों मारना चाहती हो ?

तुन्की ने गुस्से से जवाब दिया — शहद बनाने में रात — दिन मेहनत हम करते हैं और शहद चुरा कर ये खाते हैं ।

शांति ने कहा — पर इस इंसान कब हमारा शहद चुराया ?

तुन्की — इसने नही चुराया पर इसके बिरादरी वालों ने तो चुराया है।

शांति — ऐसे तो हमारी बिरादरी वालों ने भी इन्हें ढ़ंक मारे हैं । और एक दुसरे की सहायता के बिना जीवन बड़ा कष्टकारक हो जाता है । हमें जाने अनजाने एक दुसरे की सहायता लेनी ही पड़ती है ।

तुन्की — हमें इंसानों की कोई जरुरत नही ।

शांति — चलो देखते हैं ।

दौनो उड़ कर पास के सरसों के खेत पर पहुंची । जैसे ही दौनो खेत मे घुसने लगी तो शंति ने तुन्की को टोका — ये सरसो इंसानो की लगाई हुई है । तुन्की ने कहा ठीक है मैं यंहा से शहद नही लेती । तुम जल्दी करो कंही और चलते हैं ।

फिर दौनो एक बगिया में पहुंची । वहां तरहा — तरहा के फूल अपनी सुगंध बिखेर रहे थे । जैसे ही तुन्की फूलों की और लपकी शांति ने फिर से टोक दिया — ये बगिया भी इंसान की ही लगाई हुई है । तुन्की मन को मार कर रह गई ।

कुछ देर बाद तुन्की को जोरो की प्यास लगी उसने शांति से कहा चलो पानी पीते हैं । दौनो उड़ चली । कुछ दूर एक कुआ था पर शांति उस पर ना रुकी तो तुन्की ने कहा की पानी तो वो रहा । शांति ने कहा पर वो कुआ तो इंसान का है यहां से बहुत दूर एक नदि है उस पर चलते हैं । तुन्की ने कहा तब तक तो मेरे प्राण निकल जायेंगे । मेरी समझ में आ गया कि सबको एक दुसरे की जरुरत होती है । और उसने पानी पी लिया और दौनो उड़ गई ।

2 चाहत

मेनका को ऐसा लगता था कि उसका पति उसे प्यार नही करता है । इससे वह थोड़ी चिड़चिड़ी रहती थी । सब कुछ था पर मन में कुछ पाने की कसक थी । राम सिंगल की पत्नी होना अपने आप में एक बड़ी बात थी । मेनका व्यापार की व्यस्तता तो जानती थी पर उससे अलग के समय में जब राम उसे समय नही देता था तो उसे बुरा लगता था । राम भी मेनका की चिड़ से कुछ परेशान रहता था । वो भी उसकी जली — कटी सुनने के बजाय व्यवसाय में व्यस्त रहना पसंद करता था । दौनो के मनों में एक — दूसरे के लिए प्यार था पर कह न पाते थे । मेनका को मिलने एक दिन उसकी सहेली आई । मेनका और मीनल बचपन से दोस्त थे । मीनल ने मेनका के ठाट देख कर उसे बहुत किस्मत वाली बताया । मेनका ने कहा कि पैसा कमाते — कमाते प्यार भुला दिया मेरे पति ने । मीनल ने कहा की पैसा भी तो वो तेरे और बच्चो के लिए ही कमाते हैं । तु अपने प्यार में कमी न आने दे । पति अगर प्यार नही दे रहा तो इसमें ज्यादा कमी हमारी है । घर के बाहर बहुत समस्याऐं होती हैं पति उनका बोझ पत्नि पर नही डालना चाहते तो थोड़ा हमें भी सोचना चाहिए । और वैसे भी पत्नीयां ज्यादा प्यार करती हैं अपने पतियो से ।

शाम को राम देर से घर आया । मेनका को इंतजार करते देख थोड़ा सा डर गया । उसे लगा आज रात को ही घमासान होगा । वो खाना बाहर से ही खा कर आया था । पर जब मेनका ने प्यार पुछा कि क्या आप खाना बाहर से खा कर आये हैं या मेरे साथ खायेंगे ? तो राम चुपचाप खाना खाने बैठ गया । लेकिन मेनका समझ गई कि राम खाना खा कर आया है और केवल उसके लिए बैठ गया है । दौनो ने एक — दुसरे को देखा और हसने लगे । बिना कुछ कहे सब समझ में आ गया । चाहत फिर से जाग उठी ।

3 भिखरी

मेले मे मिले भिखारी (उसकी उम्र मात्र 20 — 21 साल होगी ) को बस में देख मेरे मन ने कहा कि इससे पूछ जब तेरे सब अंग काम करते हैं तो तू भीख क्यों मांगता है ? मैं सोच ही रहा था कि पास वाली सीट पर बैठा लड़का बोला तू तो अपंग है ना ?

भिखारी — नही तो मैं तो ठीक हूं ।

लड़का — फिर भीख क्यों मांगता है ?

भिखारी — तुझे क्या मतलब मैं कुछ भी करुं ।

लड़का — अकड़ कर बात करेगा तो कान पर दो लगा दूंगा ।

भिखारी — ऐसे ही लगा देगा । लगा कर देख ।

वो लड़का अपनी सीट से खड़ा हो गया । मैंने और एक दौ यात्रीयों ने उसे समझाया । वो बैठ गया ।

एक अधेड़ उम्र के आदमी ने भिखारी से कहा वैसे इसकी बात ठीक है तुम ठीक — ठाक हो भीख क्युं मांगते हो ।

भिखारी — जी मैं छोटा ही घर से भाग आया था । जब कोई काम ना कर पाया तो भीख मांगना श्ुरु कर दिया ।

आदमी — तो अब काम करले ! अब तो तू काम करने लायक हो गया है ।

भिखारी — अब काम करने का मन नही करता । और ये भी काम है । कमाई भी अच्छी है ।

आदमी — शर्म नही लगती ?

भिखारी — नही ! भीख मांगता हुं । चोरी तो नही करता ।

अब सब चुप हो गये । मैं भी बस से बाहर झांकने लगा ।

4 हुड़दंग

होली वैसे तो रंगो से खेली जाती है । पर गांव में कई और चीजों जैसे काला तेल , गोबर और कीचड़ का भी इस्तमाल हो जाता है । एक बार होली खेल कर सब नहा चुके थे । होली बंद हो चुकी थी । एक बुजुर्ग जो बडे़ खुश दिल थे । स्नान करके जंगल को जा रहे थे कि रास्ते में एक युवक ने उन्हें रोक लिया । चाचा रंग लगवाना पडे़गा।

पर बैटा होली तो बंद हो चुकी है ।

बंद कहां हुई चाचा मैं तो खेल रहा हुं ।

देख ले बेटा !

जी देख लिया !

तो ठीक है लगा दे रंग ।

उसने रंग लगा दिया । चाचा चुप चले गये । अगले दिन युवक बढ़िया कपड़ों में निकला । अचानक चाचा सामने आ गये । हाथ में रंग की बाल्टी । युवक सकपका गया । चाचा होली बंद हो चुकी है ?

हम दौनो तो खेल रहे हैं । और बाल्टि उड़ेल दी ।

कई दिनों तक ये हुड़दंग चला । जिसका मौका जो डालने का लगता डाल देता । गोबर ,, कीचड़ ।

फिर एक दिन युवक ने कहा — ठीक है चाचा अब होली बंद अगले साल तक ।

5 जनून

म्ांंगल के दिन बड़े कष्टों में निकल रहे थे । मजदूरी उसकी रोटी — कपड़े का साधन थी । परिवार के नाम पर पत्नि और एक बेटी थे । किसी तरह दिन गुजर रहे थे । मंगल को कोई ऐब — शबाब तो न था पर उसे कुत्ता पालने का शौक था । गरीब आदमी का शौक भी किसी ऐब से कम नही । और मंगल को विदेशी नश्ल का कुत्ता पालना था । जो उसके और उसके परिवार के लिए ऐब ही था । फिर भी उसने अपने सपने को जीने के लिए रात — दिन एक कर दिए । मेहनत — मजदूरी करके जो भी वो बचा सकता था बचाता था । धीरे — धीरे करके उसने लगभग चार हजार रुपये बचा लिए । फिर उसने एक कुत्तों के व्यापारी से बात की । उसने मंगल को कई पिल्ले दिखाऐ । मंगल को एक सफेद पिल्ला पसंद आ गया । उसने पुछा — ये कितने का है ? 4500 का तुम्हारे लिए ।

मंगल ने कहा — ठीक है ।

जब गरीब के पास पर्याप्त धन हो वो ज्यादा मौल भाव नही करता । कुछ दिन मेहनतकस काम करने के बाद मंगल ने पुरे पैसों का इंतजाम किया और कुत्ते वाले के पास पहुंच गया । मंगल ने कहा कितने पैसे दे दूं साहब ।

चल 4200 देदे ।

मंगल ने 4200 रु गिन दिये । कुत्ते वाले ने 200 रु और वापस कर दिये न जाने क्या सोच कर ।

मंगल ने बचे पैसों से पिल्ले के लिऐ जरुरी सामान जैसे — गले का पट्‌टा, शैम्पु और कुछ बिस्कुट भी ।

मंगल ने अपने पिल्ले का नाम जैकी रक्खा । वो जैकी को खुद से ज्यादा चाहता था ।

खूब मेहनत करता और बचे पैसों से जैकी की जरुरतें पुरी करता ।

गांव के लोग उसके जनून की मिसाल देते थे । कुछ लोग कहते अगर मंगल के घर में उसका पिल्ला और कोई एक सदस्य बिमार पड़ जाये तो मंगल पहले पिल्ले का ईलाज करवायेगा ।

मंगल का ज्यादातर समय जैकी के साथ ही कटता था । वो जैकी को कुछ ना कुछ सिखाता रहता था । जैकी भी किसी अच्छे सार्गिद की तरहा जो भी मंगल सिखाता सीख जाता । मंगल रोज जैकी को जंगल घुमाने ले जाता था । एक दिन वो जंगल में जैकी को घुमा रहा था कि एक कार आकर उसके पास रुकी । गाड़ी में दो युवक चश्में और जींस वाले थे । एक ने कहा भाई कुत्ता बेचोगे ? मंगल ने मना कर दिया । अरे भाई कीमत ले लो ।

मंगल — मुझे इसे नही बेचना ।

क्याें इसमें ऐसा क्या है ? अच्छी कीमत ले लो । बताओ क्या कीमत चाहिए ?

मंगल — बीस हजार !

ठीक है । गाड़ी में बिठाओ और इधर आकर पैसे ले लो ।

म्ांगल ने एक बार कहा जैकी गाड़ी में बैठो । जैकी कुद कर बैठ गया । मंगल गाड़ी के दुसरी और जाने के लिए जैसे ही पिछे से आया । गाड़ी चल पड़ी । मंगल कुछ दूर चिल्लाता हुआ दौड़ा पर कार निकल गई । मंगल वंही बेहोश होकर गिर पड़ा । जब होश आया तो मांसिक संतुलन बिगड़ चुका था । मंगल पागल हो गया । पत्नि , बेटी को ले कर अपने मायके चली गई ।

6 आरक्षण

सुकित पिछड़ी जाति से था । वैसे तो होनहार था पर इतना नही की सरकारी नौकरी फटाक से लग जाती । गरीब था तो पढ़ाई भी जैसे तैसे पूरी की । सरकारी नौकरी के फॉम भरने में ही उसके पसीने छुट जाते । फिर पेपर देने जाने के किराये की चिंता सताने लगती । एक बार उसे पेपर में जाते वक्त एक एस सी कैंडिडेट मिला जिसने उसे अपना फ्रि पास दिखाया । दौनो बाते करने लगे तो एस सी कैडिडेट ने बताया कि उसका फॉम भरने में खर्च ना के बराबर आता है । सुुकित को पिछड़ा होने पर दुःख हो रहा था । वो सोच रहा था कि अगर वो भी एस सी होता तो शायद अब तक नौकरी पा जाता । अब सुकित सोचने लगा की किसी तरहा इस खर्च से पीछा छुटे । उसने तहसील में बात की कि क्या उसका एस सी का जाति प्रमाण पत्र बन सकता है ? उसने खूब कोशिस की पर सफल न हुआ । अब वो कोई दुसरा उपाय सोचने लगा । इसके अलावा लड़की और दिव्यांगों को भी ये सुविधाऐं मिलती हैं । वो लड़की तो नही बन सकता पर दिव्यांग ?

उसने खुब सोचा पर उसे कोई रास्ता इससे आसान न लगा । उसने हिम्मत करके अपने पैर की अंगुली काट ली । पहले उसका ईलाज कराया फिर प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दफतरों के चक्कर काटे । ले दे कर उसने प्रमाण पत्र बनवा लिया । इस बार उसका भी खर्च ना के बराबर आया । उसे इस बार किराये की भी चिंता नही थी । पढ़ाई में भी मन लगा । पेपर अच्छा हुआ । मैरिट भी कम अंको पर लगी । सुकित का नम्बर आ गया । उसे दिव्यांग होने का बड़ा लाभ मिला ।

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