पहली नज़र की चुप्पी - 6 Priyam Gupta द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पहली नज़र की चुप्पी - 6



कभी-कभी ज़िंदगी हमें वहीं ले आती है जहाँ से हमने चलना बंद कर दिया था।
कुछ चेहरे, कुछ यादें, कुछ रास्ते — जो पीछे छूट गए लगते हैं,
वो किसी अनजाने मोड़ पर फिर सामने खड़े मिलते हैं।

Aarav ने कभी नहीं सोचा था कि उसे Prakhra से दोबारा मुलाकात होगी।
वो तो अब आगे बढ़ चुका था,
या कम से कम वो यही सोचता था।
पर ज़िंदगी… उसे बार-बार आज़माती थी।


उस दिन कॉलेज में एक seminar था — “Communication and Emotions in Modern Era”
Aarav वहाँ अपनी project team के साथ गया था, formal clothes में, हाथ में files और laptop लेकर।
उसके चेहरे पर वही calm confidence था जो उसने पिछले कुछ महीनों में खुद में तैयार किया था।

लेकिन seminar hall के बाहर अचानक पीछे से एक जानी-पहचानी आवाज़ आई —

 “Excuse me, can I get that file please?”



वो पल ठहर गया।
वो आवाज़ Aarav के दिल में गूँज उठी जैसे किसी ने बीते वक्त को दोबारा बजा दिया हो।
धीरे-धीरे उसने मुड़कर देखा —
वो वही थी।
Prakhra 


हल्के नीले रंग की formal shirt, बाल हल्के खुले,
और वही आंखें — जिनमें कभी उसने अपनी पूरी दुनिया देखी थी।
बस अब फर्क इतना था कि उन आंखों में पहले जैसी चमक नहीं थी,
बल्कि कुछ थकान, कुछ अधूरापन, और बहुत सी चुपियाँ थीं।

Aarav ने एक पल को सोचा, शायद कोई और होगी,
पर दिल ने कहा — “नहीं, वो वही है।”

उनके बीच बस कुछ कदमों का फासला था,
पर लगता था जैसे सदियाँ निकल गई हों।
दोनों कुछ नहीं बोले।
वो खामोशी भी कुछ कह रही थी —
“इतना वक्त बीत गया, फिर भी सब वैसा ही है…”



Aarav ने हिम्मत जुटाई,
धीरे से कहा, “कैसी हो?”
Prakhra ने बिना देखे जवाब दिया — “ठीक हूँ।”

पर वो “ठीक हूँ” बहुत भारी था।
उसमें छिपा था वो सब जो कभी कहा नहीं गया —
वो रूठना, वो टूटना, वो चुप रह जाना।

Aarav कुछ कहना चाहता था,
पर शब्द गले में अटक गए।
बस दिल कह रहा था,

 “तुम अब भी वैसी ही हो… बस थोड़ा थकी हुई।”




Seminar शुरू हो चुका था।
दोनों अलग-अलग कोनों में बैठ गए।
पर नज़रें बार-बार एक-दूसरे को ढूंढ रही थीं।
हर बार जब कोई बात “emotions” पर होती,
दोनों के बीच हवा में वही पुराना एहसास तैरने लगता।

Aarav ने कई बार चाहा कि break में जाकर बात करे,
पर हर बार कुछ रोक देता।
शायद ego नहीं, बल्कि डर था —
कि कहीं वो कुछ ऐसा न कह दे जो फिर उसे उसी दर्द में लौटा दे।



Seminar खत्म हुआ।
लोग बाहर निकल रहे थे।
आसमान में हल्की-हल्की बारिश शुरू हो गई थी ☔
Prakhra जल्दी-जल्दी निकलने लगी।

Aarav ने देखा, तो बिना सोचे दौड़कर उसके पास पहुँचा —
“Umbrella है तुम्हारे पास?”

वो पलटकर बोली,
“नहीं, but it’s okay. मैं manage कर लूँगी।”
Aarav ने मुस्कुराते हुए छतरी आगे बढ़ाई —
“चलो, एक बार और share कर लेते हैं… जैसे पहले किया करते थे।”

वो हल्की सी हँसी हँसी —
वो हँसी छोटी थी, पर उसके पीछे ढेर सारी यादें थीं।


दोनों साथ चलने लगे,
बारिश धीरे-धीरे तेज़ हो रही थी।
छतरी छोटी थी, पर खामोशियाँ बहुत बड़ी।
Aarav ने कहा, “तुम अब भी बारिश से नहीं डरती ना?”
वो बोली, “अब डर लगने लगा है… भीगने से नहीं, खो जाने से।”

उसकी ये बात सुनकर Aarav रुक गया।
उसके दिल में वही पुराना दर्द उठ आया।
कभी वो भी तो यही सोचता था —
“हम एक-दूसरे में कहीं खो न जाएँ।”
और हुआ भी वही।



थोड़ी देर बाद दोनों एक café के सामने रुके।
“Coffee?” Aarav ने पूछा।
वो थोड़ी झिझकी, पर फिर सिर हिला दिया।

अंदर धीमी संगीत चल रहा था।
Café में गर्माहट थी, पर उनके बीच की दूरी ठंडी थी।

दोनों बैठ गए,
कप से उठती भाप और दिल में उठते जज़्बात — दोनों एक जैसे थे।
Aarav ने कहा, “काफी समय हो गया…”
वो बोली, “हाँ, बहुत।”

कुछ देर दोनों बस खामोश बैठे रहे।
फिर Prakhra ने धीरे से पूछा,
“तुम खुश हो?”

Aarav मुस्कुराया — “कोशिश कर रहा हूँ।”
“और तुम?” उसने पूछा।
वो हँस दी — “शायद मैं भी।”



बाहर बारिश अब रुक चुकी थी,
लेकिन दोनों की बातों में वो भीगापन अब भी था।
उन्होंने अपने पुराने दोस्तों, पुराने दिनों की बातें कीं —
पर उन दिनों के बीच की खाई अब भी वही थी।

फिर Prakhra ने कहा,
“तुमने कभी सोचा… अगर हम तब थोड़ा और रुक जाते,
थोड़ा और एक-दूसरे को समझ लेते…”

Aarav ने बीच में ही कहा,
“तो शायद अब भी साथ होते।”

दोनों हँस दिए, पर आँखों में नमी थी।
कभी-कभी हँसी भी आँसूओं का दूसरा रूप होती है।


काफी खत्म हुई,
वो दोनों उठे।
बाहर धूप निकल आई थी।

जाते-जाते Prakhra ने कहा,
“शायद हम गलत वक्त पर मिले थे, Aarav”
वो बोला,
“शायद नहीं… सही वक्त पर, बस सही तरह से नहीं।”

दोनों अलग रास्तों पर चले गए।
पर इस बार Aarav ने मुड़कर देखा —
वो भी पलटकर देख रही थी।
दोनों की नज़रें मिलीं… और एक मुस्कान ने सब कह दिया।


“कुछ रास्ते कभी खत्म नहीं होते,
बस रुक जाते हैं…
ताकि किसी दिन फिर से वहीं से शुरू हो सकें,
जहाँ एक ‘अलविदा’ अधूरा रह गया था।” 💭




🌙 To be continued…
Next Episode — “जो अधूरा था” 💌
जहाँ ये कहानी दिल के हर अधूरे हिस्से को पूरा करने की कोशिश करेगी।