तारक मेहता की जंगल की सफर Ravi Bhanushali द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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तारक मेहता की जंगल की सफर

गोकुलधाम सोसायटी के सभी सदस्य एक दिन पिकनिक पर दूर किसी जगह घूमने निकलते हैं। सभी लोग बस में हँसी-मज़ाक करते हुए जा रहे होते हैं कि अचानक रास्ते में बस का एक्सीडेंट हो जाता है। बस सीधे एक बड़े से पानी के झील में गिर जाती है।

पानी का बहाव बहुत तेज़ होता है, लेकिन भगवान की कृपा से सभी की जान बच जाती है। पानी उन्हें बहाकर एक घने जंगल में पहुँचा देता है। पानी की वजह से उनके सबके फोन भी खराब हो जाते हैं, जिससे किसी से संपर्क करना असंभव हो जाता है।

अब सभी लोग जंगल में आगे बढ़ते हैं, लेकिन कोई भी रास्ता नहीं मिलता। सब चिंतित होते हैं कि वे कितनी दूर जंगल के अंदर आ चुके हैं।

⭐ जंगल में खतरे की शुरुआत

चलते-चलते अचानक जेढालाल का पैर फिसल जाता है, और वह सीधे एक शेर के ऊपर गिर पड़ता है। शेर घबराकर दौड़ने लगता है और जेढालाल उसके ऊपर ही बैठे रह जाते हैं। शेर उन्हें लेकर बहुत दूर निकल जाता है।

दौड़ते-दौड़ते एक जगह जेठालाल शेर से नीचे गिर जाते हैं। शेर पीछे मुड़कर उन्हें मारने ही वाला होता है कि तभी वहाँ एक बाघ (टाइगर) आ जाता है। बाघ शेर पर हमला कर देता है, क्योंकि वो जेठालाल को खुद खाना चाहता है।

इस मौके का फायदा उठाकर जेठालाल वहाँ से जान बचाकर भाग जाते हैं, लेकिन अब वे गोकुलधाम वालों से बहुत दूर हो जाते हैं।

⭐ उधर गोकुलधाम वाले जेठालाल को ढूँढ रहे थे

बापूजी और बाकी सब लोग जेठालाल की तलाश में निकलते हैं। चलते-चलते बापूजी के सामने एक साँप आ जाता है, जिससे वे डर जाते हैं। सब लोग सावधानी से साँप से बचकर निकल जाते हैं।

आगे बढ़ते ही उनका सामना एक भालू से हो जाता है। भालू उन्हें देखकर दहाड़ने लगता है और हमला करने आगे बढ़ता है। तभी सोढ़ी नीचे पड़ी हुई एक मोटी डाली उठाता है और भालू को जोर से मारता है। भालू डरकर वहाँ से भाग जाता है।

⭐ पानी के पास मगरमच्छ

थोड़ी दूर चलने के बाद सबको एक छोटी झील मिलती है। बहुत प्यास लगी होती है, इसलिए सब पानी पीने झुकते हैं। तभी पानी में से एक बड़ा मगरमच्छ निकल आता है और बापूजी पर हमला करने ही वाला होता है।

तभी टप्पू तेज दौड़कर आता है और मगरमच्छ को जोर की लात मार देता है, जिससे मगरमच्छ वापस पानी में चला जाता है और सबकी जान बच जाती है।

⭐ जेठालाल की जंगल में मुसीबतें

उधर जेठालाल जंगल में अकेले-अकेले गोकुलधाम वालों को खोज रहे होते हैं। तभी उन्हें एक बंदर मिल जाता है। बंदर जेठालाल को पकड़ लेता है, पर जेठालाल डर के मारे उसे दाँत से काट लेते हैं, जिससे बंदर घबरा कर भाग जाता है।

कुछ देर बाद आखिरकार जेठालाल गोकुलधाम वालों को ढूँढ लेते हैं।

लेकिन कहानी यहाँ खत्म नहीं होती…!

⭐ आदिवासी कबीले का खतरा

अचानक उनके सामने जंगल के जंगली  आदिवासी आ जाते हैं। वे सबको पकड़ लेते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि ये लोग बाहर की दुनिया के हैं और उनके लिए खतरा हो सकते हैं।

आदिवासी उन्हें मारने की सोचते हैं, लेकिन तभी पता चलता है कि कबीले का कीमती हीरा चोरी हो गया है। वह हीरा कीचड़ में गिरा हुआ था और अब ग़ायब है।

आदिवासी सोंच में पड़ जाते हैं कि आखिर हीरा चुराया किसने होगा?

⭐ जेठालाल का दिमाग़ काम करता है

जेठालाल तुरंत एक तरकीब लगाते हैं। वह कहते हैं:
यहां पर हीरो के पास किचड़ हे।
“कबीले के सभी लोगों को एक लाइन में खड़ा करो। जिसके पैरों में वही कीचड़ लगा होगा, वही चोर होगा।”

आदिवासी सरदार ऐसा ही करता है। चेक करने पर एक आदिवासी के पैरों पर वही कीचड़ मिलता है और वही चोर साबित होता है।

चोर बताता है कि उसका साथी हीरा लेकर भाग गया है।

⭐ चोर की खोज

अब सारे आदिवासी और गोकुलधाम वासी उस चोर को खोजने जंगल में निकलते हैं। वह चोर पेड़ पर चढ़ जाता है। टप्पू उस पर पत्थर फेंकता है, लेकिन पत्थर पास के मधुमक्खी के छत्ते पर लगता है।

सारी मधुमक्खियाँ गुस्से में आकर चोर को डंक मारने लगती हैं। चोर चिल्लाता हुआ भागता है। फिर मधुमक्खियाँ टप्पू के पीछे भी पड़ जाती हैं।

टप्पू दौड़कर बाकी सबके पास पहुँचता है, और मधुमक्खियाँ भी पीछे-पीछे आ जाती हैं। आदिवासी भी डरकर दौड़ने लगते हैं।

⭐ आदिवासी किले में सभी की जान बचती है

सब भागते-भागते आदिवासियों के किले तक पहुँच जाते हैं। वहाँ आदिवासी धुआँ करके मधुमक्खियों को भगा देते हैं। अंततः सभी सुरक्षित बच जाते हैं।

चोर का साथी भी पकड़ा जाता है और कीमती हीरा वापस मिल जाता है। आदिवासी गोकुलधाम वासियों का धन्यवाद करते हैं।

फिर वे उन्हें जंगल से बाहर सुरक्षित रास्ते तक छोड़ देते हैं।

अंत में सभी गोकुलधामवासी खुशी-खुशी गोकुलधाम सोसायटी पहुँच जाते हैं।