मोहब्बत के वो दिन - 1 Bikash parajuli द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मोहब्बत के वो दिन - 1

पहली नज़र

शहर की वही पुरानी, भीड़ से भरी सुबह। बस स्टॉप पर खड़े लोग ऑफिस और कॉलेज के टाइम में भाग रहे थे। Bikash अपनी कंधे पर बैग टाँगे, धीमे कदमों से कॉलेज की ओर बढ़ रहा था। मिडिल-क्लास घर, जिम्मेदारियाँ, और सपनों से भरा उसका मन—हर दिन एक जैसा लगता था।

पर आज का दिन अलग होने वाला था…
जहाँ किस्मत चुपके से दो दिलों की कहानी लिखने बैठी थी।

लाइब्रेरी में पहली मुलाकात

दोपहर की क्लास खत्म होने के बाद Bikash लाइब्रेरी में नोट्स बनाने पहुँचता है।
कदमों से ज्यादा उसके दिल में शांति थी—किताबों के बीच उसे हमेशा दुनिया हल्की लगती थी।

वो शेल्फ से किताब निकाल ही रहा था कि तभी…
हल्की सी आवाज़—"Excuse me… वो किताब मिलेगी?"

Bikash पलटा—और उसकी नज़रे जैसे रुक ही गईं।
सादे सलवार-कमीज़ में खड़ी एक लड़की। चेहरा शांत, आँखों में चमक, और मुस्कान ऐसी कि Bikash कुछ पल को बोलना ही भूल गया।

वो किताब आगे बढ़ाते हुए बोला,
"ये लो… शायद आपको यही चाहिए थी?"

लड़की की उँगलियाँ उसकी उँगलियों को हल्के से छू गईं—
बस उतना सा स्पर्श, और Bikash के दिल में तूफ़ान सा उठ गया।

"थैंक्यू…" वो धीमे से मुस्कुराई।
Bikash बस देखता रह गया—शब्द कहीं खो गए थे।

नाम जो दिल में उतर गया

लड़की सामने वाली टेबल पर बैठ गई।
वो बालों को कान के पीछे करते हुए पन्ने पलट रही थी, और Bikash की नज़रें बार-बार उसी पर टिक जाती थीं।
उसकी हर हरकत जैसे किसी सुकून भरे संगीत की तरह थी।

कुछ देर बाद उसने अपने पेन से किताब के कोने पर नाम लिखा—
Maina.

बस एक नाम…
और Bikash के दिल में हल्की सी घंटी बज उठी।

उसे नहीं पता था कि ये मुलाकात एक दिन उसकी पूरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत अध्याय बन जाएगी।

शाम की धड़कनें

Maina किताबें वापस रखकर लाइब्रेरी से निकलने लगी।
Bikash के कदमों ने बिना सोचे उसका पीछा किया—बस इतना कि एक नज़र और मिल जाए।

दरवाज़े के पास Maina मुड़ी, उसकी आँखें Bikash से मिलीं।
हल्की मुस्कान…
फिर वो भीड़ में खो गई।

Bikash वहीं खड़ा रह गया, जैसे किसी ने दिल पर नई कहानी लिख दी हो।

उसने धीरे से खुद से कहा—

अगर ये किस्मत है, तो हम फिर ज़रूर मिलेंगे।"

और यही Episode 1 की हल्की, मीठी शुरूआत है…
जहाँ प्यार अभी शब्द नहीं बना, पर अहसास दिल में जगह बना चुका है। 💞





Episode 2 – अनजाने एहसास

अगले ही दिन Bikash ने लाइब्रेरी जाने का बहाना ढूँढ लिया।
किताबें शायद कल वाली ही थीं, पर दिल में उम्मीद नई थी—
शायद आज Maina फिर मिले…
शायद फिर वो थैंक्यू सी मुस्कुराहट दिख जाए।

कैंपस में शुरू होती तलाश

कैंपस में हवा हल्की ठंडी थी, पेड़ धीरे-धीरे झूम रहे थे।
Bikash की नज़रें हर तरफ घूम रही थीं—क्लासरूम, कैंटीन, कॉरिडोर—पर कहीं Maina नहीं।

वो खुद पर हँस दिया—
"किसी अजनबी को ढूँढने का क्या मतलब Bikash?"
पर दिल तो दिल है, तर्क नहीं मानता।

भाग्य की दस्तक

दोपहर में वो कैंटीन की लाइन में खड़ा था कि पीछे से एक परिचित सी आवाज़ आई—

"एक चाय मेरे लिए भी."

Bikash मुड़ा—वो Maina थी।
उसी सरल मुस्कान के साथ, जैसे धूप बादलों में से झाँक कर दिन को सुंदर बना दे।

Bikash थोड़ा घबरा गया—
"तुम… मतलब आप… फिर मिल गयीं।"

Maina हँस दी, आँखें सिकुड़ गईं—
"आप नहीं, तुम कहो। हम एक ही कॉलेज में हैं, दोस्ती तो बन सकती है ना?"

बिकाश बस सिर हिलाकर मुस्करा दिया, दिल तेज़ धड़क रहा था।

पहली सही बातचीत

दोनों साथ बैठ गए—एक चाय के कप और थोड़ी सी ठंडक के बीच।

Maina ने पूछा,
"तुम लाइब्रेरी में रोज़ आते हो?"

Bikash बोला,
"हाँ… शांति लगती है वहाँ। और… शायद कल भी इसलिए गया था।"

Maina ने शरारत भरी आँखों से पूछा,
"किसी खास वजह से?"

Bikash कुछ नहीं बोला, बस कप में चमच हिलाता रहा।
उसकी खामोशी ने सब कुछ कह दिया।

Maina ने मुस्कुराते हुए कहा—
"नाम तो पता है मेरा। तुम्हारा क्या?"

"Bikash."
उसने पहली बार अपना नाम उसी के सामने बोलते हुए कुछ अजीब सा महसूस किया—
जैसे नाम अब किसी याद में दर्ज हो गया हो।

साथ चलते दो कदम

क्लास के बाद दोनों का रास्ता एक ही दिशा में निकला।
Maina ने सड़क पर गिरते पत्तों को देखते हुए धीरे कहा—

"कभी-कभी किसी की छोटी-सी मुस्कान भी दिन अच्छा बना देती है।"

Bikash ने हल्की आवाज़ में पूछा,
"और मेरी मुस्कान?"

Maina ने बिना देखे जवाब दिया—
"शायद वो भी… थोड़ा।"

उस पल Bikash के अंदर जैसे कोई दीपक जल उठा।
यह प्यार नहीं था अभी…
पर प्यार की दिशा में पहला कदम जरूर था।

रात की बेचैनी

घर पहुँचा तो माँ ने पूछा,
"आज इतना खुश क्यों दिख रहा है?"
Bikash कुछ नहीं बोला—कैसे बताता कि एक अनजानी लड़की ने अचानक उसकी जिंदगी के रंग बदल दिए हैं।

रात को वह देर तक छत पर बैठा आसमान देखता रहा।
तारे चमक रहे थे…
वैसे ही जैसे उसके दिल में कुछ नया चमक उठा था।

वो खुद से बोला—

"शायद ये सिर्फ शुरुआत है।"