पहली मुलाकात, आखिरी चाहत Raju kumar Chaudhary द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पहली मुलाकात, आखिरी चाहत

💞 "पहली मुलाक़ात, आख़िरी चाहत"
Story summary 

शहर की ठंडी शाम थी। बारिश की हल्की बूँदें सड़क पर गिर रही थीं, और कॉफी की खुशबू हवा में घुली थी। उसी कैफ़े के एक कोने में आरव अपनी नोटबुक में कुछ लिख रहा था — शायद कोई अधूरी कविता, या शायद किसी की याद में कुछ अधूरे अल्फ़ाज़।

उसी वक्त दरवाज़ा खुला, और अंदर आई सिया — सफ़ेद छतरी थामे, भीगे बालों से टपकती बूँदें मानो हर किसी की नज़र को रोक ले रही थीं। उसने बस यूँ ही एक टेबल ढूंढी, पर किस्मत ने चाहा कि वो आरव के सामने वाली टेबल पर बैठ जाए।

आरव ने नज़र उठाई — और सब कुछ रुक गया। जैसे वक्त ने एक पल के लिए ठहरने की इजाज़त दे दी हो।

 “कॉफी ब्लैक या विद शुगर?”
सिया मुस्कुराई, “थोड़ी कड़वी... पर दिल से मीठी।”



बस, वहीं से एक कहानी शुरू हुई।
कॉफी के कपों के बीच बातचीत के सिप लिए गए — बचपन के सपनों से लेकर टूटे दिलों तक। हर शाम, हर मुलाक़ात उनकी ज़िंदगी का नया पन्ना बन गई।

कुछ महीनों बाद, आरव ने सिया को अपनी डायरी दिखाई — जिसमें हर पन्ने पर वही थी। उसके हर शब्द में, हर साँस में, हर खामोशी में सिया का नाम था।

 “तुम्हारे बिना ये कविताएँ अधूरी हैं…”
सिया ने मुस्कुराते हुए कहा, “तो फिर उन्हें पूरा कर दो, मुझे अपनी कहानी बना कर।”



और उस दिन के बाद, बारिश सिर्फ़ आसमान से नहीं गिरी — वो आरव की आँखों से भी गिरी, सिया की मुस्कान में भी बसी रही।

दो साल बाद, उसी कैफ़े में, उसी टेबल पर, आरव ने सिया को एक छोटी-सी डायरी दी — आख़िरी पन्ने पर लिखा था:

“पहली मुलाक़ात मेरी ज़िंदगी की शुरुआत थी,
और तुम… मेरी आख़िरी चाहत।”




Episode 1 : वो पहली नज़र...

शहर की हल्की बारिश में सड़कें चमक रही थीं। आरव को किताबें पढ़ने और कविताएँ लिखने का शौक़ था, पर उस दिन उसकी ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत कहानी किताबों में नहीं, हक़ीक़त में शुरू होने वाली थी।

कॉफी शॉप के कोने में बैठा, आरव अपनी डायरी में कुछ लिख रहा था —

 “कभी-कभी सोचता हूँ, क्या किसी दिन मेरी भी कहानी में कोई आएगा, जो अधूरे अल्फ़ाज़ पूरे कर दे…”



तभी दरवाज़ा खुला —
बारिश से भीगी सिया अंदर आई। सफेद छतरी, नीली ड्रेस, और आँखों में चमक जो किसी नई शुरुआत की तरह लग रही थी।

वो सीट ढूंढते हुए आरव के सामने वाली टेबल पर बैठ गई।

थोड़ी देर बाद बिजली चमकी, और कैफ़े की लाइट चली गई। सब थोड़ा परेशान हुए, पर सिया मुस्कुराई —

 “अंधेरा भी कभी-कभी अच्छा लगता है, ना? अपनी ही परछाई से बातें करने का मौका मिलता है।”



आरव ने पहली बार उसकी आवाज़ सुनी — और बस, कुछ पल वहीं थम गया।
वो जवाब नहीं दे सका, बस मुस्कुरा दिया।

फिर दोनों ने एक ही समय पर कहा —

 “कॉफी ब्लैक!”
और दोनों हँस पड़े।



यही हँसी थी जो एक नई कहानी की शुरुआत बन गई।



अगले दिन, आरव ने अपनी डायरी में लिखा —

 “कल बारिश में किसी का चेहरा देखा था… शायद मेरी ज़िंदगी की सबसे प्यारी कविता।”




🌧️ To be continued…


जल्द दुसरा भाग लेकर आ रहे है । और आपकाइएका कहानी कैसा लगा जरूर बताइए । क्यो की आपका समिक्षाका हम लोगका बहुत बेसबरी इतजार रहता है ।
धन्यवाद