अपना बना ले पिया - 3 Namita Shrivas द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अपना बना ले पिया - 3

अब आगे...

वैदेही अपने सारे दर्द को समेट कर फ्रेश होती है और नीचे आती है। घर के बाकी लोग नीचे ही बैठे हुए थे और दोनो का इंतजार कर रहे थे .. ।तभी मीनाक्षी जी की नजर वैदेही पर जाति है और उसे देख कर उसके चेहरे कर एक स्माइल आ जाती है। वो वैदेही की ओर देखते हुए कहती है ,"लो आ गई मेरी बहु ... कही उसे किसी की नजर न लगे.. । "

वो वैदेही को देख कर उसको ओर बढ़ जाति है।  सभी लोग वैदेही को देख कर खुश हो जाते है सिवाय साधना जी के वो वैदेही को देख कर आंखे रोल करने लगती है।  मीनाक्षी जी वैदेही के पास आती है और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहती है ," हाय मेरी बहु कितनी सुंदर लग रही है।  "

उनकी तारीफ सुन कर वैदेही हलका सा मुस्कुरा देती है।  तभी साधना जी कहती है ," चलो अच्छा हुआ तुम निचे तो आई वरना हम सोच रहे थे कि तुम सीधा दोपहर में ही नीचे आओगी.. ।अब पहली रसोई की रश्म करनी है या नहीं ... । "

साधना की बात सुन कर शंकर जो राघव के चाचा थे वो जानते है ," साधना पहले उसे घर के लोगो को अच्छे से देख लेने दो इतनी भी क्या जल्दी है। "

साधना अपना मुंह बनाते हुए कहती है ," इसी घर में तो रहना है उसे आराम से देख लेगी है वैदेही .. लेकिन देर हो गई तो पहली रसोई की रश्म रह जाएगी । फिर राघव भी तो जल्दी घर जाता है अगर उसने देर की तो राघव तो उसका बनाया हुआ खाना ही नहीं खा पाएगा। "

ये सुन कर वैदेही झट से कहती है ," मै अभी सब के लिए खाना बना देती हूं बस एक घंटा लगेगा। "

वो अपनी सारी का अपने कमर पर बांधते हुए किचन की ओर बढ़ने लगती है।  लेकिन तभी आरव अपने कमरे से बाहर आता है और उसके पैरो से लिपट जाता है। ये देख कर वैदेही के कदम रुक जाते है।  वही सबके चेहरे पर एक स्माइल आ जाती है।  आरव वैदेही को ओर देखते हुए कहता है ," गुड मॉर्निंग मम्मा .. । मैने कल आपको बहुत मिस किया . ।।"


वो फिर से वैदेही से लिपट जाता है वैदेही उसे गोद में उठा लेती है और उसके गाल पर किस करते हुए कहती है ," गुड मॉर्निंग बेबी ... मम्मा ने भी आपको बहुत मिस किया ..   अभी मम्मा आपके लिए बहुत टेस्टी खाना बनाएगी आप खायेंगे न मम्मा के हाथ से बना हुआ खाना ।"


ये सुनते ही आरव की आंखे चमकने लगती है और कहता है ," हां मम्मा मै बहुत एक्साइटेड हूं आप जल्दी से बनाओ फिर मैं आपको गोद में बैठ कर खाऊंगा। "

आरव की खुशी देख कर सब बहुत खुश थे आखिर वैदेही उसकी मां की जगह लेने ही तो आई थी।  आरव उसे बहुत पसंद करता था और उससे मिलते ही बहुत खुश हो गया था।  बस उसी वक्त मीनाक्षी जी ने सोच लिया था कि वो वैदेही को अपनी बहु बना कर लाएंगी।  

वैदेही आरव को नीचे उतरती है और फिर किचन में चली जाती है मीनाक्षी जी की मदद से वैदेही बहुत जल्दी खाना बना लेती है और फिर उसे टेबल पर रख कर सबके आने का इतंजार करती है उसकी नजरे बार बार ऊपर की ओर जा रही थी    साफ दिख रहा था कि वो राघव का वेट कर रही है।  

उसे ऐसे देख कर साधना जी कहती है ," लगता है तुम राघव का वेट कर रही हो .. फिर तो ये समय की बर्बादी ही है।  वो नहीं आने वाला। और आयेगा भी तो वो सब के साथ बैठ कर खाना नहीं खाएगा।  वो कभी हमारे साथ नहीं बैठता है न भाभी .. 

वो मीनाक्षी जी और देखती है तो मीनाक्षी जी कहती है ," दूसरे दिन नहीं आता था लेकिन आज वो आयेगा आखिर वैदेही की पहली रसोई है। मै खुद ही बुला कर लाती हूं तुम सब खाना शुरू करो।  वैदेही तुम अरवा को खाना खिला दी। 

वैदेही ने धीरे से हां में सिर हिला दिया और आरव की खाना खिलाने लगती है। आरव के साथ सभी लोग खाना खाने लगते है तभी एक लड़का जो राघव के चाचा चाची का बेटा था  उसका नाम वेदांत था वो चेयर पर बैठते हुए कहता है," वाह आज खुशबू तो बहुत अच्छी आ रही है लगता है आज मां ने खाना नहीं बनाया है। 

वो थोड़ा शरारती थी और अक्सर ऐसी बाते करता रहता था उसकी बाते सुन कर सब हल्का सा मुस्कुरा देते है तभी साधना जी घूरते हुए कहती है ," हां अब मां के हाथ के खाना किसे अच्छा लगता है।  अब भाभी आ गई है तो तुम्हे उसके हाथ खाना ही अच्छा लगेगा और जब पत्नी आ जाएगी तो उसका।  मां की तो कोई वैल्यू ही नहीं है ।"

वेदांत बड़े मजे से खाते हुए कहता है ," क्या मां कुछ भी कहती रहती है।  अरे अरे ... क्या बात है ..  वाह भाभी आपने तो कमाल कर दिया इतने दिनो के बाद ऐसा लग रहा है कि इंसानों वाला खाना खा रहा हूं .. ।


उसके ऐसा कहते ही साधना जी उसे घूर कर देखती है वही वैदेही मुस्कुरा कर कहती है ," थैंक यू देवर जी .. आप हलवा लीजिए दादी कहती है मै हलवा बहुत अच्छा बनाती हूं। 

वेदांत की आंखे चमकने लगती है और वो कहता है ," अरे ऐसी बात है तो जल्दी दीजिए।  नई तो कटोरी भर के खाऊंगा..  

वैदेही उसे हलवा खाने को दे देती है तभी उन्हें मीनाक्षी जी की आवाज आ रही होती है वो कहती है ," राघव मेरी बात तो सुन ..  

सब उस ओर देखते है तो पाते है कि राघव गुस्से ने आगे बढ़ रहा है वही मीनाक्षी जी उसे रोकने की कोशिश कर रही होती है। साफ नजर आ रहा था कि वो उसे रोकने की कोशिश कर रही है। उसे देख कर सबकी नजर है और चली जाती है। 

राघव गुस्से से आगे बढ़ रहा होता है तभी उसकी नजर आरव पर जाति है।उसके कदम रुक जाते है। वो गुस्से से एक नजर वैदेही को देखता है जो उसे खाना खिला रही थी फिर वो उनकी ओर बढ़ता है उसे गुस्से से वैदेही की ओर जाते हुए देख कर सब थोड़ा घबरा जाते है।  सब जानते थे कि राघव किसी की फीलिंग की कोई कदर नहीं करता।  वो जो मन में आए वो कह देता है  


वो वैदेही के पास आता है और बिना उस से कुछ कहे आरव को गोद में उठाते हुए कहता है ," चलो हमे देर हो रही है। "

ये देख कर वैदेही हैरान रह जाति है। क्यों कि अब तक आरव का खाना पूरा नहीं हुआ था वो कहती है ," सुनिए उसे खाना खत्म कर लेने दीजिए। "

राघव यहां से चुपचाप जाने वाला था लेकिन वैदेही की बात ने उसे गुस्सा दिला वो वैदेही की ओर देखते हुए गुस्से से कहता है ," तुम्हे मुझे कुछ भी सिखाने की जरूरत नहीं है .. । मुझे पता है कि मेरे बेटे को क्या चाहिए है और क्या नहीं।  वो मुश्किल से एक रोटी खा पाता है और मुझे अच्छे से पता है तुमने उसे अब तक दो रोटियां खिला दी होंगी।  जो कि उसके लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं है । इसलिए वो कुछ नहीं खाएंगे और तुम्हारे हाथ से तो बिलकुल भी नहीं। 

इतना कह कर वो आरव को ले कर जाने लगता है तब वैदेही उसे फिर से रोकते हुए कहता है ," सुनिए आप तो कुछ खा लीजिए। "

सब हैरानी से वैदेही की ओर देखने लगते है क्यों कि आरती के जाने के बाद शायद ही किसी ने उसे इस तरह से खाने के लिए पूछा होगा। सब इस बात से डरते थे नि पता नहीं वो कैसे रिएक्ट करेगा।  लेकिन वैदेही को उस बारे में कुछ भी नहीं पता था।  वो तो बाकी लोगो की तरफ राघव की अपने हाथ से बना हुआ कुछ खिलाना चाहती थी साथ ही इस पत्नी को इच्छा होती है कि पहली रसोई पर उसका पति उसके हाथ से बना हुआ खाना खाए।  बस इसी उम्मीद में वैदेही ने उसे रोका था।  लेकिन उसे नहीं पता था कि वो बस राघव के गुस्से को बढ़ाने का काम कर रही है।  


राघव उसकी कर ओर देखता है वो गुस्से से दांत पीस रहा था वैदेही बड़ी ही मासूमियत से उसे देख रही थी उसे लगा था मुझे वो बस मना कर के यहां से चला जाएगा।  लेकिन राघव जिस तरह से उसे देख रहा था ऐसा लग रहा था कि वो इसी वक्त वैदेही के साथ कुछ कर देगा।  वो काफी खतरनाक लग रहा था वो अभी भी वैदेही से कुछ नहीं कहता है लेकिन इतना ही कभी था वैदेही को ये बताने के लिए कि वो आगे से उसे किसी चीज के लिए न टोके .. । 


वो आरव को ले कर घर से निकल जाता है ।बेचारी वैदेही उदासी भरी शक्ल के साथ दरवाजे की ओर देख रही थी।  घर जा माहौल भी अचानक से बदल जाते है।  जहां कुछ वक्त पहले घर के सभी लोग पहली रसोई के लिए एक्साइटेड थे वही अभी सब थोड़े उदास लग रहे थे। और सब बस सिर झुका कर खाना खाने लगते है। 

कंटिन्यू