भौजी हमार देवी भईया भगवान Raju kumar Chaudhary द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

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भौजी हमार देवी भईया भगवान

भउजी हमार देवी, भैया भगवान

⭐ कहानी

फिल्म की कहानी एक साधारण गाँव के परिवेश में रची-बसी है जहाँ रिश्तों, त्याग और आस्था का गहरा संदेश मिलता है।
केंद्रीय किरदार भउजी का है, जिन्हें परिवार में “देवी” जैसा स्थान दिया गया है। उनकी सादगी, संघर्ष और बलिदान ही पूरी कहानी को आगे बढ़ाते हैं। वहीं भैया का किरदार परिवार के स्तंभ की तरह दिखाया गया है, जिनके लिए बहन और पत्नी ही पूरा संसार हैं।

कहानी में पारिवारिक ड्रामा, धार्मिक आस्था और भावनात्मक टकराव को जोड़ते हुए दिखाया गया है कि किस तरह परिवार में स्त्रियों का महत्व “देवी” और पुरुष का त्याग “भगवान” के समान माना जाता है।


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🎭 अभिनय

संजना पांडेय (भउजी) – इन्होंने अपनी मासूम अदाओं और भावुक अभिनय से दिल जीत लिया है।

प्रशांत सिंह (भैया) – उनका रोल गम्भीर और ज़िम्मेदार भाई के रूप में प्रभावशाली है।

ज्योति मिश्रा (अन्य महिला किरदार) – पारिवारिक नारी के रूप में अच्छा योगदान।


सभी कलाकारों ने अपने-अपने रोल को बड़े सहज ढंग से निभाया है।


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🎶 संगीत और संवाद

फिल्म में भोजपुरी रंग-ढंग के पारंपरिक गाने हैं, जो गाँव की मिट्टी और संस्कृति की महक देते हैं। संवादों में आस्था, रिश्तों की मर्यादा और संवेदनशीलता स्पष्ट झलकती है।


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🎥 निर्देशन और प्रस्तुति

निर्देशक ने इस फिल्म को परिवारिक और धार्मिक आस्था से जोड़कर पेश किया है। कहीं-कहीं फिल्म थोड़ी लंबी लग सकती है, लेकिन भावनात्मक दृश्य दर्शकों को बाँधे रखते हैं।


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✅ सकारात्मक पक्ष

पारिवारिक मूल्यों पर ज़ोर

महिला किरदारों की गरिमा और आस्था का चित्रण

भोजपुरी संस्कृति और धार्मिक पृष्ठभूमि का अच्छा मेल


❌ कमजोर पक्ष

कुछ जगहों पर कहानी अनुमानित लगती है

तकनीकी पक्ष (सिनेमैटोग्राफी व एडिटिंग) सामान्य स्तर का है



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⭐ अंतिम निर्णय (Rating)

3.5/5 🌟
यह फिल्म उन दर्शकों को पसंद आएगी जो पारिवारिक रिश्तों, देव-भावना और भोजपुरी संस्कृति से जुड़ी कहानियों में रुचि रखते हैं।
🎬 फिल्म समीक्षा – भउजी हमार देवी, भैया भगवान

⭐ कहानी

फिल्म की कहानी एक साधारण गाँव के परिवेश में रची-बसी है जहाँ रिश्तों, त्याग और आस्था का गहरा संदेश मिलता है।
केंद्रीय किरदार भउजी का है, जिन्हें परिवार में “देवी” जैसा स्थान दिया गया है। उनकी सादगी, संघर्ष और बलिदान ही पूरी कहानी को आगे बढ़ाते हैं। वहीं भैया का किरदार परिवार के स्तंभ की तरह दिखाया गया है, जिनके लिए बहन और पत्नी ही पूरा संसार हैं।

कहानी में पारिवारिक ड्रामा, धार्मिक आस्था और भावनात्मक टकराव को जोड़ते हुए दिखाया गया है कि किस तरह परिवार में स्त्रियों का महत्व “देवी” और पुरुष का त्याग “भगवान” के समान माना जाता है।


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🎭 अभिनय

संजना पांडेय (भउजी) – इन्होंने अपनी मासूम अदाओं और भावुक अभिनय से दिल जीत लिया है।

प्रशांत सिंह (भैया) – उनका रोल गम्भीर और ज़िम्मेदार भाई के रूप में प्रभावशाली है।

ज्योति मिश्रा (अन्य महिला किरदार) – पारिवारिक नारी के रूप में अच्छा योगदान।


सभी कलाकारों ने अपने-अपने रोल को बड़े सहज ढंग से निभाया है।


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🎶 संगीत और संवाद

फिल्म में भोजपुरी रंग-ढंग के पारंपरिक गाने हैं, जो गाँव की मिट्टी और संस्कृति की महक देते हैं। संवादों में आस्था, रिश्तों की मर्यादा और संवेदनशीलता स्पष्ट झलकती है।


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🎥 निर्देशन और प्रस्तुति

निर्देशक ने इस फिल्म को परिवारिक और धार्मिक आस्था से जोड़कर पेश किया है। कहीं-कहीं फिल्म थोड़ी लंबी लग सकती है, लेकिन भावनात्मक दृश्य दर्शकों को बाँधे रखते हैं।


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✅ सकारात्मक पक्ष

पारिवारिक मूल्यों पर ज़ोर

महिला किरदारों की गरिमा और आस्था का चित्रण

भोजपुरी संस्कृति और धार्मिक पृष्ठभूमि का अच्छा मेल


❌ कमजोर पक्ष

कुछ जगहों पर कहानी अनुमानित लगती है

तकनीकी पक्ष (सिनेमैटोग्राफी व एडिटिंग) सामान्य स्तर का है



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⭐ अंतिम निर्णय (Rating)

3.5/5 🌟
यह फिल्म उन दर्शकों को पसंद आएगी जो पारिवारिक रिश्तों, देव-भावना और भोजपुरी संस्कृति से जुड़ी कहानियों में रुचि रखते हैं।