चार दिन का प्यार - भाग 3 Jaidev chawariya द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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चार दिन का प्यार - भाग 3

सगाई की रसम हो गई थी
मैं छत पर अपने दोस्तों के साथ हंसी मजाक कर रहा था, जब ही पापा आएं और मुझे नीचे कमरे में से अपना फोन लाने को कहा। 

मैं दोस्तों को दो मिनट की कहकर नीचे कमरे में चल दिया। हमारा घर काफी बड़ा हैं इसलिए नीचे डी . जे लगा हुआ था। जबकि उपर खाने का प्रोग्राम चल रहा था ।

कमरे में जाते ही टेबल पर पापा का फोन रखा था। में फोन उठाकर जैसे ही कमरे निकलने वाला था, की में सोचा एक बार वॉशरूम चला जाऊ। में जैसे ही वॉशरूम के दरवाजे के पास पहुंचा। अचानक बाथरूम का दरवाजे खुला, सामने नेहा खड़ी थी। नेहा मेरी गर्लफ्रेंड हैं। 

नेहा एक 25 वर्षीय अति सुंदर लड़की हैं। इस समय उसने गुलाबी रंग की साड़ी पहन रखी थी। रंग दूध सा गौरा, आंख छोटी छोटी वह उनमें लगा लेक्मी का काजल, बाल खुले तथा लम्बे   – लम्बे व काले बाल जो नितंबों तक आ रहे थे। नेहा की खूबसूरती का कोई भी जवाब नहीं था। 

देव चौंकते हुए बोला, "नेहा तुम यहां क्या कर रही हों?"

नेहा मुस्कुराते हुए बोली, "मॉल आई हु घूमने।" तुम पागल तो नहीं हो, तुम दिख नहीं रहा ? वॉशरूम में व्यक्ति क्या करता हैं ?

"मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ, तो में जल्दी से बोला सॉरी नेहा।"

अभी नेहा दरवाजे की तरफ एक कदम बढ़ाया ही था, कि अगले पल मैंने उसका दांया हाथ पकड़ लिया। ओर अपनी ओर खींच लिया, नेहा इस समय मेरी बाहों में थी जो दिल को एक अलग सुकून दे रही थी। 

"देव! प्लीज छोड़ो मुझे यहां कोई भी आ सकता हैं।" यह सही समय नहीं हैं इन चीजों का।

"अब कोई भी आए, देव दीवानगी के आलम में कहता चला गया। मुझे किसी का कोई डर नहीं हैं।"

नेहा के जिस्म से बहुत जबर्दस्त महक आ रही थीं। जो देव के होश उड़ा रही थी। 

देव के इरादे देख कर, नेहा समझ गई थी कि देव पीछे हटने वाला नहीं हैं।

देव ने नेहा की आंखों में आंखे डाल रखी थी। नेहा लाख कोशिश कर रहीं थी देव की बाहों में से निकलने की पर, नेहा सफल ना हो सकी।

देव पहली बार नेहा के इतने करीब था, देव कभी किसी भी लड़की के इतने करीब नहीं आया था। जितना इस समय नेहा के था। देव तीन चार दिन से रोमांटिक फिल्म देख रहा था। उसमें भी ऐसा सीन था जो इस समय देव कर रहा था। कुछ लोग फिल्म से बहुत ज्यादा प्रभावित हो जाते हैं देव भी उन लोगों में से एक था। 

देव! जैसे ही नेहा को किस करने वाला था, जब ही उसके फोन की रिंग बज उठी। देव ना चाहते हुए भी उसने फोन जेब से निकाला। फोन किसी अनजान नंबर से आ रहा था। देव ने एक बार तो सोचा रहने दे पता नहीं किसका फोन हैं ? फिर सोचा एक बार देख लू, क्या पता कोई जरूरी फोन हो ?

देव ने फोन रिसीव किया, हेलो कौन ?

"देव बेटा कहा रहे गए ?" फोन उसके पापा का था।

"पापा वो...वो... में वॉशरूम में था इसलिए इतना समय लग गया।"

देव ने जल्दी से फोन काटा ओर नेहा की आंखों में झाका, नेहा मुझे जाना होगा। आज एक बार फिर तुम बच गई।

देव ने जैसे अपनी बाहों का गहरा खोला, तो वैसे ही नेहा ने उसे कसकर बाहों में भर लिया। 

देव! नेहा की बाहों में मचल कर रह गया। नेहा यार यह तुम क्या कर रही हो ? प्लीज मुझे जाने दो, वरना गजब हो जायेगा ?

नेहा शरारत भरी मुस्कान के साथ बोली, "क्या गजब हो जायेगा देव ?"

"पापा? नीचे आ जाएंगे ।"

नेहा अपने दांतों से होठ काटते हुए बोली, "थोड़ी देर पहले में भी तो यहीं कह रही थी।" कि देव यह सही समय नहीं हैं। लेकिन जब तुम नहीं माने और अब में नहीं मानने वाली। 

"अरे अकिंत तुम कब आएं?" देव ने दरवाजे की तरफ देखकर कहा।

नेहा एक दम से पीछे मुड़कर देखा, की दरवाजे पर कोई भी नहीं था। 

देव हाथ आएं, मौके को कैसे छोड़ सकता था। वह जल्दी से नेहा के बाहों के घेरे से निकल कर, सीधा दरवाजे पर खड़ा मुस्कुरा रहा था। 

नेहा आंखे फाड़े, देव को देखे जा रही थी। जैसे वह कोई इंसान ना होकर, कोई भूत हो। 

देव रोमांटिक होकर बोल।

दिल की हसरते दिल में रह गई, 
हम सामने थे तुम्हारे,
फिर क्यों तुम हाथ मलते रह गए।

नेहा मुस्कुराते हुए बोली।

आंखों में प्यार लिए,
हम तुम्हारे लिए कहा कहा भटके,
जब जाकर मिले तुम तो,
हमारे दरमियां थे सौ फासले,

"वाह... वाह... बहुत खूब ।"  फिर देव ने एक फ्लाइंग किस नेहा की तरफ करा, बाय नेहा फिर मिलते हैं। 

नेहा ने भी देव की तरह कर दिया।

फिर देव जल्दी से कमरे से बाहर निकल गया।

नेहा भी कमरे से बाहर जाने वाली थी की अगले ही पल किसी परछाई ने नेहा का हाथ पकड़ा और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया।

अगले भाग का इंतजार करें।

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