Age Doesn't Matter in Love - 20 Rubina Bagawan द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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Age Doesn't Matter in Love - 20

अलविदा कहना मुश्किल होता है


आन्या ये सुनकर कुछ देर खामोश हो गई।

दोनों के बीच चुप्पी छा गई।

अभिमान ने नरम लहजे में कहा,

"तुम सो जाओ… मैं बाहर काउच पर सो जाता हूँ।"


आन्या ने उसका हाथ पकड़ लिया और हल्के से कहा,

"हमें कोई प्रॉब्लम नहीं है…"


अभिमान मुस्कुराया और बोला,

"सो जाओ…"


आन्या उठ गई।

अभिमान ने कमरे की लाइट ऑफ की, फिर अपना शर्ट उतारकर बेड पर लेट गया।

आन्या चुपचाप उसके ऊपर लेट गई।


आन्या मुस्कुराकर बोली,

"गुड नाइट… मान।"


अभिमान ने कुछ नहीं कहा।

दोनों एक-दूसरे की गर्माहट में खोए, नींद की आगोश में चले गए।


आधी रात

अभिमान की आँख खुली।

उसने देखा, आन्या उसके सीने से लगी बेफिक्री से सो रही थी।


उसका दिल फिर से बेचैन हो उठा।

उसने उसके बालों को चूमा और मन ही मन बुदबुदाया—

"I love you so much..."

फिर वह भी आँखे मूँद कर सो गया।


अगली सुबह

करीब नौ बजे अभिमान की नींद खुली।

उसने अपने सीने पर देखा—जहाँ अब भी आन्या चैन की नींद सो रही थी।


उसके होठों पर प्यारी सी मुस्कान आ गई।

वो धीमे से बोला,

"अनू…"


आन्या अब भी सो रही थी।

अभिमान ने धीरे से उसे जगाया।


आन्या ने मुँह बनाते हुए आँखें मसलते हुए कहा,

"क्या हुआ?"


अभिमान ने उसके माथे को चूमते हुए प्यार से कहा,

"जाओ, फ्रेश हो लो…"


आन्या वॉशरूम में चली गई।


अभिमान भी फ्रेश होकर किचन में गया।

उसने ब्रेड पर जैम लगाया और कॉफी तैयार की।


कुछ देर बाद आन्या बाहर आई—उसने वही कल का पिंक सूट पहन रखा था।

वो चुपचाप खड़ी होकर अभिमान को देखने लगी।


फिर धीमे से जाकर उसकी गोद में बैठ गई।

अभिमान ने उसकी कमर को थाम लिया।


"मुझे चाय पीनी है…" आन्या ने मासूमियत से कहा।


अभिमान उसे घूरते हुए बोला,

"नहीं, दूध है… वही पी लो।"


आन्या का मुँह उतर गया।

फिर वह बच्चे जैसी मासूमियत से बोल पड़ी,

"प्लीज़… हब्बी…"


अभिमान उसका चेहरा देखकर मुस्कुराया और बोला,

"बिलकुल नहीं। चुपचाप दूध पियो और ये फल खा लो।"


आन्या धीरे-धीरे खाने लगी।


कुछ देर बाद

दोनों घर से बाहर निकले।


कार में बैठते ही आन्या चुप हो गई।

उसका मन कुछ तय कर चुका था।


अभिमान ने उसकी ओर देखकर कहा,

"इतना मत सोचो…"


आन्या ने धीरे से कहा,

"मान… डर लग रहा है… बहुत अजीब सा लग रहा है…

आपसे दूर होकर पता नहीं कब फिर मुलाक़ात होगी…"


इतना कहते-कहते उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।


अभिमान ने उसके आँसू देखे, तो गुस्से में डांटते हुए बोला,

"रो मत…!"


आन्या ने चेहरा दूसरी ओर घुमा लिया।


कुछ देर बाद कार आकर रुकी।


आन्या का घर खेतों के बीच में था।

घर तो थे… पर दूर-दूर तक फैले हुए… इसलिए वे पीछे के रास्ते से आए थे।


अभिमान बोला,

"जाओ…"


आन्या ने धीमे से कहा,

"अपना ख्याल रखिएगा…"


अभिमान ने शांत स्वर में कहा,

"अनू… अपने पापा को मेरे बारे में बता दो…"


आन्या कुछ नहीं बोली।

बस आगे बढ़कर उसे कसकर गले लगा लिया।


अभिमान ने उसे अपनी बाँहों में भींचते हुए कहा,

"अपने हब्बी की इतनी सी बात मान लो…"


आन्या रुठते हुए बोली,

"हमने आपकी सारी बातें मानी हैं…"


अभिमान मुस्कुराकर बोला,

"अच्छा… ये भी मान लो… फिर कभी कुछ नहीं कहूँगा…"


अभिमान आन्या को सीने से लगाए बैठा हुआ था।

आन्या चुपचाप, खामोशी से उसके सीने से लगी हुई थी…

जैसे सुकून उसी धड़कन में छिपा हो।


अभिमान ने उसकी तरफ देखा…

धीरे से उसका चेहरा ऊपर उठाया,

फिर उसकी नर्म, काँपती हुई होंठों को अपने होठों से चूम लिया।


आन्या की आँखों में हल्की सी चमक आ गई।

उसके चेहरे पर एक नर्म-सी मुस्कान खिल उठी।


वो उसकी आँखों में झाँकते हुए फुसफुसाई—

“हम… चलते हैं…”


ये सुनते ही, अभिमान की आँखों में एक पल को बेचैनी उतर आई।

उसने अपनी पकड़ और कस दी…

जैसे उसकी बाँहों से वो कभी छूटे ही ना