Age Doesn't Matter in Love - 6 Rubina Bagawan द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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Age Doesn't Matter in Love - 6

AAge Doesn’t Matter in Love 💫
अगली सुबह…

सरस्वती जी ने हाथ से बनी ताज़ी पेस्ट्री एक प्यारे से बॉक्स में पैक की और अभिमान को देते हुए प्यार से कहा,
“ले जा बेटा, बना दी है… वही तीस रुपये वाली जो तुझे पसंद है।”

अभिमान ने बिना कोई प्रतिक्रिया दिए बॉक्स पकड़ा और चुपचाप नाश्ते की टेबल पर बैठ गया। उसकी आंखों में अब भी कुछ अटका था… कुछ जो उसके दिल को बेचैन किए जा रहा था।

“आई लव यू, मिस्टर एंग्री यंग मैन…”
आन्या की आवाज़ उसकी यादों में गूंज रही थी।

उसने गहरी सांस ली, आँखें बंद कीं, और जैसे ही आंखें खोलीं — वही चेहरा सामने आ गया… आन्या।

अचानक वो उठा और बड़बड़ाया,
"मेरा हो गया..."
और पेस्ट्री का बॉक्स लेकर बेकरी की ओर चल दिया।

बेकरी में...

आज संडे था। स्कूलों की छुट्टी के कारण बेकरी थोड़ी शांत थी। लेकिन अभिमान का दिल शांत नहीं था। उसका ध्यान हर थोड़ी देर में दरवाज़े की ओर चला जाता — शायद उसे खुद नहीं पता था किसे ढूंढ रहा है।

वो काउंटर पर बैठा ही था कि तभी शाइना वहां आ गई — उसके चेहरे पर मुस्कान थी।

“तुम यहाँ?” अभिमान ने चौंकते हुए पूछा, पर लहजा अब भी वही ठंडा था।

“बस पास से गुजर रही थी... सोचा मिल लूं... और हाँ, कल के लिए सॉरी।” शाइना ने मुलायम आवाज़ में कहा।

“हम्म…” बस यही निकला उसके मुंह से।

“कॉफी पिएं?” उसने पूछा।

अभिमान ने सिर हिला दिया। दोनों एक टेबल पर बैठ गए।

और तभी…

बेकरी की दहलीज़ पर एक नन्हा-सा, मासूम चेहरा दिखा — आन्या।

उसके साथ अक्षत और तूकाराम जी भी थे।

तूकाराम जी बोले,
“आन्या, जो पेस्ट्री चाहिए, ले लो बेटा।”

आन्या मुस्कुराई। उसके चेहरे पर मासूम चमक थी। वो पीच रंग के सूट में किसी परी जैसी लग रही थी — बालों में सजी चोटी, हाथों में काँच की चूड़ियाँ, झुमकों से खेलते कान… वो ऐसी लग रही थी जैसे उसकी पूरी दुनिया आज की इस मुलाकात में सिमटी हो।

आन्या ने चारों ओर देखा और पूछा,
“वो कहाँ हैं?”

राघव ने थोड़ी झिझक के साथ उंगली से इशारा किया,
“पीछे देखो…”

जैसे ही आन्या ने पीछे देखा, उसकी दुनिया रुक गई।

वो चेहरा जिसे वो रोज़ अपने ख्वाबों में देखती थी — आज किसी और के साथ बैठा था… अभिमान और शाइना।

उसकी आंखों में नमी उतर आई। हाथ में पकड़ी पेस्ट्री ज़मीन पर गिर गई। आँसू उसकी पलकों से बह निकले।

अभिमान ने अचानक उसकी नज़र महसूस की।
उसने दरवाज़े की ओर देखा — सामने सिर्फ एक जोड़ी भीगी आंखें थीं… आन्या की।

वो जैसे भीतर तक हिल गया।

आन्या ने एक पल देखा… और फिर मुड़ी, दौड़ती हुई बाहर निकल गई।

अभिमान उठ खड़ा हुआ।
“मैं थोड़ी देर में आता हूँ…”
वो बस इतना कहकर बाहर गया।

आन्या वहीं खड़ी थी, आँसू पोंछते हुए।

“यू!!”
उसने आवाज़ लगाई — गुस्से और दर्द में डूबी।

“वो आंटी कौन थीं जिनके साथ आप बैठे थे?”
उसने रूंधे गले से पूछा।

“तुम कौन होती हो ये पूछने वाली? सिली गर्ल!”
अभिमान झल्ला गया।

आन्या की आंखें और भर आईं। उसकी मासूमियत टूटी नहीं, पर चोट गहरी थी।
“आपको नहीं पता… मैं कौन हूं?”
उसने फिर एक बार कांपती आवाज़ में कहा।

“आई लव यू…”

अभिमान ने उसकी कलाई पकड़ ली और गुस्से से कहा,
“ये सब तुम्हारे करने की उम्र नहीं है, समझी? तुम बहुत छोटी हो! ये कोई प्यार नहीं है — ये बस एक अट्रैक्शन है। और मैं तुम्हारे लिए नहीं बना।”

आन्या की आंखों से फिर से झर-झर आंसू बहने लगे।

“अगर मैं बड़ी होती… तो आप मान लेते ना?”
वो सवाल ऐसा था जो सीधे अभिमान के दिल में उतर गया।

“रोना बंद करो! और सुनो… जिसके साथ बैठा था, वो मेरी मंगेतर है। समझीं?”
उसने आखिरी चोट की।

आन्या सुन्न हो गई।

तभी पीछे से अक्षत की आवाज़ आई।

आन्या ने खुद को संभाला और एक सांस भरकर बोली —

“मैं कोई ऐसी लड़की नहीं जो किसी भी लड़के के पीछे भागे… ये अट्रैक्शन नहीं है।
आपका चेहरा आंखों से हटता नहीं, दिमाग से निकलता नहीं।
तीन दिन से सो नहीं पाई… सिर्फ आपकी यादें हैं।
मुझे कोई दिखावा नहीं करना… बस आपसे बातें करनी हैं… रहना है आपके पास।
आई लव यू मिस्टर एंग्री यंग मैन… और एम सॉरी अगर आपको बुरा लगा।”

इतना कहकर वो पलटी, आँसू पोंछती हुई बाहर चली गई।

अभिमान उसे जाते हुए देखता रहा — चुप, निस्सहाय।

राघव पास आया।
“क्या कर दिया यार तूने… उसका दिल तोड़ दिया। वो सच में तुझसे प्यार करती है।”

“छोटी है वो, राघव…”

“तो क्या? प्यार की कोई उम्र नहीं होती, अभि… Age doesn’t matter in love.”

“रियल लाइफ में नहीं होता ये सब…”

“पर वो पहली लड़की थी जो तेरी आंखों में आंखें डाल कर बोली ‘आई लव यू’…
और आज भी तुझसे सवाल कर रही थी कि तू किसी और के साथ क्यों बैठा था।”

अभिमान चुप रहा।

राघव जाते-जाते बोला —
“सिर्फ सगाई हुई है, शादी नहीं… सोच, अगर आज की बात तुझे ज़िंदगी भर सालती रही तो?
उसने तेरे लिए सब कुछ कह डाला, तेरा जवाब एक झूठ था…”

फिर राघव ने अपनी जेब से एक चूड़ी निकाली और अभिमान के हाथ में रख दी,
“ये उस लिटिल गर्ल की है…
शायद यही तेरा सुकून है… जिसे तू हर जगह ढूंढता रहा।”

अभिमान उस चूड़ी को देखता रहा। फिर जेब में रख ली।

उसने बुलेट स्टार्ट की और अपने फ्लैट की ओर निकल गया — पर दिल में कुछ नया चल रहा था। कोई एहसास, कोई पछतावा… शायद कोई प्यार।

क्या अब अभिमान अपनी भावनाओं को समझ पाएगा?
क्या वो 'सिली गर्ल' की मासूम मोहब्बत को दिल से स्वीकार करेगा?
जानने के लिए पढ़ते रहिए...
🌸 Age Doesn’t Matter in Love 🌸
😊