बेपनाह प्यार - 2 Kridha Raguvanshi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बेपनाह प्यार - 2

एक दिन फिर वो दोनों रास्ते काटते हुए एक-दूसरे के सामने आ गए। रिद्धि जा रही थी लाइब्रेरी में। प्रियम का रास्ता अलग था, लेकिन किस्मत ने भेजा एक फरिश्ते को उनकी बेरंगी कहानी में प्यार की रंग देने के लिए। प्रियम को किसी ने पीछे से बुलाया। वो था उसका दोस्त अंकित। उसने प्रियम के हाथ में एक किताब दी जो रिद्धि की थी। उसने प्रियम से मदद मांगी कि वह रिद्धि को वो किताब दिखाकर आए।

प्रियम पहले थोड़ा घबराया हुआ था, लेकिन फिर वह चला गया रिद्धि को उसकी किताब लौटाने। रिद्धि किताबों की दुनिया में इतनी खोई हुई थी कि उसे पता ही नहीं चला कि प्रियम उसके बिल्कुल पीछे खड़ा है। लेकिन ऐसे कैसे हम बोरिंग बना सकते हैं इस कहानी को? हवा की लहरें रिद्धि को आकर छू लेती हैं और अचानक वह मुड़ गई। और शुरू हुई नजर की खेल
एक पल के लिए ऐसा लगने लगा कि समय रुक गई हो। रिद्धि के दिल की धड़कन तेज होने लगी, उसके हाथ कांप रहे थे। जब वह होश में आई तो उसने अपने आप को प्रियम से दूर कर लिया। वो पल उन दोनों के लिए अप्रत्याशित था। प्रियम ने रिद्धि को उसकी किताब दी और दोनों ने एक मुस्कुराहट का आदान-प्रदान किया। दोनों फिर से एक बार रास्ते में एक-दूसरे से मिले, लेकिन इस बार रिद्धि के मन में एक अनजान एहसास को समझने की कोशिश थी।
रिद्धि ने प्रियम के बारे में हर छोटी-बड़ी बात जानने की कोशिश शुरू कर दी। वह उसके व्यवहार, उसकी आदतें, और उसके शौक के बारे में जानने लगी। रिद्धि ने देखा कि प्रियम कितना अच्छा इंसान है, और वह दूसरों के प्रति कितना सहयोगी और सहानुभूतिपूर्ण है।

जैसे-जैसे रिद्धि प्रियम के बारे में और जानती गई, वह उसके प्रति आकर्षित होती चली गई। वह उसके जन्मदिन के बारे में जानने लगी, उसके शौक और पसंद के बारे में जानने लगी। रिद्धि ने देखा कि प्रियम कितना जुनूनी है अपने काम के प्रति, और वह उसकी इस आदत से और भी ज्यादा प्रभावित होने लगी।

रिद्धि ने प्रियम के बारे में हर छोटी बात में खुशी ढूंढने लगी। वह उसके मुस्कुराने के तरीके से लेकर उसके चलने के तरीके तक, हर चीज में कुछ खास देखती थी। रिद्धि के मन में प्रियम के प्रति एक नई भावना जागने लगी थी, और वह इसे समझने की कोशिश कर रही थी।

धीरे-धीरे रिद्धि को एहसास हुआ कि वह प्रियम से प्यार करने लगी है। वह उसके अच्छे व्यवहार, उसकी सहानुभूति, और उसकी जुनून से प्यार करने लगी थी। रिद्धि के दिल में प्रियम के लिए एक विशेष स्थान बन गया था, और वह उसके साथ और अधिक समय बिताना चाहती थी।
रिद्धि अपने आप को प्रियम की नजर से छुपाती थी, लेकिन उसकी नजर सिर्फ और सिर्फ प्रियम पर थी। वह प्रियम से दोस्ती तक नहीं कर पाई थी, क्योंकि उसे डर था कि अगर प्रियम ने उसके मन की बात सुनी तो वह उससे नफरत करने लगेगा।

रिद्धि का दिल प्रियम के लिए धड़कता था, लेकिन वह अपने दिल की बात कहने से हिचकिचाती थी। वह सोचती थी कि क्या प्रियम उसके प्यार को स्वीकार करेगा या नहीं। रिद्धि की ये अनकही भावनाएं उसके दिल में ही दब गई थीं।

वह प्रियम को दूर से देखती रहती थी, और उसके बारे में सोचती रहती थी। रिद्धि का ये डर था कि कहीं प्रियम उसके प्यार को न ठुकरा दे, और उसकी जिंदगी में एक नई मुश्किल न पैदा हो जाए।
रिद्धि ने सोचा कि वह अपने प्यार से दूर रह सकती है, लेकिन प्रियम की नफरत सहन नहीं कर पाएगी।