चंद्रवंशी - अध्याय 2 yuvrajsinh Jadav द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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चंद्रवंशी - अध्याय 2


जिद माहिना के घर आती है। माहि का घर कोलकाता के दाजीपुर में है। माही ने दरवाज़ा खटखटाया।  

“हाँ आ रही हूँ मैं।” हिंदी और गुजराती का मिश्रण करती माही की मम्मी ने दरवाज़ा खोला।  

“ओहो, बहुत जल्दी आ गए बेटा।” माही की मम्मी ने प्यार भरे शब्दों से दोनों का स्वागत किया।  

जिद, माही की मम्मी और पापा से मिलती है। उनके चरण छूकर आशीर्वाद लेती है। सब लोग पुरानी और नई बातें करते हैं और इस तरह वह शाम जिद के लिए खुशियों में बदल जाती है।  

रात को खाना खाकर जिद अपनी मम्मी को माही के घर के टेलीफोन से फोन करती है, लेकिन किसी कारणवश फोन की नेटवर्क समस्या थी।  

इसके बाद माही अपने गुजरात वाली आंटी को फोन करती है। उन्होंने फोन उठाया।  

“हाँ आंटी, मैं कोलकाता से माही बोल रही हूँ।”  

“अरे... माही! तू तो गुजरात आने वाली थी न? क्या तेरी फ्रेंड ने मना कर दिया?” फोन से आंटी बोलीं।  

“नहीं आंटी, वह तो अभी मेरे साथ ही है। मैं अभी-अभी ही गुजरात से आई हूँ।”  

“अरे! ऐसा कैसे बेटा, गुजरात आई और हमसे मिले बिना ही चली भी गई।” आश्चर्य से आंटी बोलीं।  

“आंटी, पिछले कुछ दिनों से ऑफिस में थोड़ा काम का प्रेशर ज़्यादा है, इसलिए जिद को भी अहमदाबाद एयरपोर्ट पर ही बुला लिया था।” माही आंटी को मनाते हुए बोली।  

“कोई बात नहीं बेटा, लेकिन अगली बार जब आओ तो यहाँ आना मत भूलना।”  

“ज़रूर आंटी। ओके, बाय।”  

“बाय बेटा।” आंटी की आवाज़ भी थोड़ी कट-कट कर आई। लेकिन किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया।  

जिद चिंतित होकर बोली, “अरे, आंटी को कॉल लग गया, लेकिन मम्मी को क्यों नहीं लग रहा?”  

तब माही बोली, “आज शायद बादलों की वजह से वहाँ नेटवर्क नहीं आ रहा होगा।”  

जिद तुरंत उत्तर देती हुई बोली, “तो आंटी को कैसे लग गया?”  

“वो तो आंटी शहर की मुख्य सोसाइटी में रहती हैं, इसलिए शायद उन्हें विशेष सुविधा हो। इसलिए हम कल तेरी मम्मी को फोन करेंगे और अगर नहीं लगा तो पत्र भेज देंगे। चल, अभी सो जा। मैं बहुत थक गई हूँ।” माही जिद को सोने को कहकर सो जाती है।  

सुबह करीब आठ बजे माही को उसकी मम्मी जगाने आती हैं और अचानक से माही के चेहरे पर एक बाल्टी पानी डाल देती हैं। चौंकी हुई माही तुरंत आँखें मसलते हुए उठती है और चश्मा पहनकर देखती है तो उसके कमरे में उसकी मम्मी, जिद और उसके पापा उसके सामने खड़े होते हैं और सब एक साथ बोलते हैं :  

“हैप्पी बर्थडे टू यू.... हैप्पी बर्थडे टू यू.... हैप्पी बर्थडे डियर माही।”  

माही डरी हुई हालत में भी हँसने लगती है। क्योंकि घर में जन्मदिन के दिन पानी डालने की शुरुआत उसी ने की थी। माही बेड से उठकर अपनी मम्मी से लिपट जाती है। सभी माही को विश करने के लिए उत्साहित थे। इसलिए उसने नए कपड़े पहने थे।  

गले लगाई गई माही के सिर पर हाथ रखते हुए उसकी मम्मी उसका बचपन याद करती हैं।  

“आज माही का तेईसवाँ जन्मदिन है। जब माही का जन्म हुआ था, तब अस्पताल में एक बड़ा बम धमाका हुआ था। लेकिन माही और मुझे कोई चोट नहीं आई थी। सबका ऐसा मानना था कि किसी राजा की बेटी को मारने के लिए यह धमाका किया गया था। लेकिन अखबारों ने इसे अलग ही रूप देकर, आतंकी हमला मानकर पाकिस्तान की ओर सबका ध्यान खींच लिया था।  

उसके बाद जब माही दो महीने की हुई, तब उसे बुखार आया और उस समय वहीं के एक अस्पताल में जिद को लेकर उसकी मम्मी आई थीं। उन्हें जिद के लिए माँ के दूध की ज़रूरत थी। तब माही की मम्मी ने ही उसे अपना दूध पिलाया था।  

उसी समय जिद और माही की मम्मियाँ पहली बार मिली थीं।  

कुछ समय बाद जिद और उसकी मम्मी भी माही के घर के सामने ही रहने आ जाती हैं।  

उसके बाद जिद और माही दोनों एक ही स्कूल में पढ़ने जाते हैं और दोनों बेस्टफ्रेंड बन जाते हैं।  

1969 में माही के पापा कोलकाता जॉब करने जाते हैं। उसके बाद सात-आठ साल बाद माही और उसकी मम्मी कोलकाता चले जाते हैं और फिर एक के बाद एक वह सोसाइटी से निकल जाते हैं और वापस कहते भी हैं –  

“अब तो विदेश जाकर नौकरी करने का क्रेज आ गया है।”  

जब माही को जॉब मिलता है, तो कुछ समय बाद जिद का डॉक्युमेंट वहाँ भूल से दे देती है और जब वह डॉक्युमेंट देखती है, तो माही की मैडम जिद को नौकरी देने की बात माही से करती हैं।  

तब माही भी खुश होकर जिद से बात करती है। लेकिन तब उसकी मम्मी कोलकाता जाने से मना कर देती हैं।  

आज छह महीने बाद जिद माही के घर उसके जन्मदिन पर ही कोलकाता में उसके साथ है।”  

सभी खुश थे और पुरानी बातें याद कर हँस रहे थे।  

माही फ्रेश होकर पूरी तरह तैयार हो नीचे आती है।  

माही और जिद दोनों नाश्ता करके नौकरी पर निकलते हैं।


***