वो जो किताबों में लिखा था - भाग 9 nk.... द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अदाकारा - 62

    *अदाकारा 62*     शर्मिलाने अपने दिमाग पर ज़ोर लगा...

  • Tere Ishq Mein - Explanation - Movie Review

    फिल्म की शुरुआत – एक intense Romanceफिल्म की शुरुआत एक छोटे...

  • Between Feelings - 1

    Author note :hiiiii dosto यह एक नोवल जैसे ही लिखी गई मेरे खु...

  • Mafiya Boss - 3

    in mannat गीता माँ- नेहा, रेशमा !!ये  तुमने क्या किया बेटा?...

  • छुपा हुआ इश्क - एपिसोड 23

    एपिसोड 23— छुपा हुआ इश्क़शीर्षक: अनंत पुल — प्रेम और आत्मा क...

श्रेणी
शेयर करे

वो जो किताबों में लिखा था - भाग 9

"वो जो किताबों में लिखा था" – भाग 9
“छाया का युद्ध और आत्मा का पुनर्जन्म”



आरव और नायरा अब आमने-सामने नहीं थे, बल्कि एक साथ खड़े थे… जीवन के सबसे बड़े युद्ध के द्वार पर। उनके सामने खड़ी थी नायरा की छाया, वो हिस्सा जिसे उसने वर्षों से खुद में दबाकर रखा था। वह नायरा की वेदना, क्रोध और आत्म-त्याग का वो रूप था जो अब स्वतंत्र होकर उन्हें चुनौती दे रहा था।

"क्या तुम दोनों तैयार हो?" एक रहस्यमयी स्त्री-सदृश आवाज गूंजी, जो शायद किताब की आत्मा थी।

आरव ने नायरा की ओर देखा, उसकी आंखों में आत्मविश्वास और करुणा एक साथ थी।

"तैयार हैं," दोनों ने एक साथ कहा।

युद्ध आरंभ हुआ।

छाया नायरा की तरह ही शक्तिशाली थी, पर उससे अधिक क्रूर। उसने अंधकार की लहरें उठाईं, जो हवा में छुरी की तरह चीख रहीं थीं। आरव ने अपने हाथ फैलाए, और किताब में सीखी गई सारी ऊर्जा बिखेर दी — उजाला, मंत्र, आत्म-बलिदान की आग, सब कुछ।

नायरा ने पहली बार अपनी पूरी शक्ति का प्रयोग किया — उसके चारों ओर एक दैवीय आभा फैल गई थी, जिससे ज़मीन कांप उठी। उसने कहा:

"मैं वो हूँ जिसने अंधकार में भी प्रेम चुना था… और अब मैं खुद को स्वीकार करती हूँ — अपनी छाया को भी।"

यह कहते ही, छाया थम गई।

"क्या… क्या तुम मुझे अपनाओगी?" छाया ने पूछा।

नायरा के चेहरे पर आंसू बहने लगे।
"हाँ। क्योंकि तुम भी मैं ही हो। तुमने ही तो मुझे मजबूत बनाया।"

छाया रोशनी में बदलने लगी, उसकी आंखों में अब दर्द नहीं था, बल्कि मुक्ति थी। वो नायरा के भीतर समा गई — और तभी एक तेज़ प्रकाश फूटा, जिसने सारा अंधकार निगल लिया।


---

सब कुछ शांत हो गया।

आरव और नायरा एक घास के मैदान में खड़े थे। न हवा में कोई जादू था, न कोई शोर। सिर्फ शांति। किताब हवा में तैरती हुई उनके सामने आई, और फिर वह स्वयं जल उठी — जैसे उसका उद्देश्य पूरा हो गया हो।

"अब क्या?" आरव ने पूछा।

नायरा मुस्कराई,
"अब हम अपनी कहानी खुद लिखेंगे — किताबों से परे।"


---

अंतिम रहस्य

लेकिन जैसे ही वे मुड़े, एक पुरानी, टूटती आवाज़ फिर गूंजी:
"एक अंतिम प्रश्न अभी बाकी है…"

सामने एक पत्थर की वेदी उभरी, उस पर दो शब्द खुदे थे —
“त्याग या स्मरण”

“यदि तुम इस यात्रा को याद रखोगे, तो शक्ति खो दोगे।
यदि भुला दोगे, तो शक्ति अमर हो जाएगी, पर तुम्हारा प्रेम… खो सकता है।”

आरव ने नायरा का हाथ थामा,
"फैसला तुम्हारा है।"

नायरा ने गहरी साँस ली, और कहा —
"हमने जो सीखा है, वो हममें जीवित रहेगा… यादें भले मिट जाएँ, लेकिन आत्मा कभी नहीं भूलती।"

उसने "त्याग" चुना।

तेज़ प्रकाश फिर फूटा… और जब सब शांत हुआ —

आरव एक लाइब्रेरी में बैठा था, किताबों के ढेर में, जैसे कोई सपना देखा हो। और फिर…
एक लड़की आई, किताब माँगने… उसका चेहरा जाना-पहचाना था।

“नायरा…” उसने धीरे से कहा।

लड़की मुस्कराई,
"क्या कहा आपने?"

आरव हँस दिया।
"कुछ नहीं… शायद किसी कहानी की याद आ गई।"


-
आरव की आंखें नायरा के मुस्कुराते चेहरे पर टिकी थीं। उसे लगा जैसे ये शुरुआत है, कोई अंत नहीं। उस मुस्कान में कुछ जाना-पहचाना था — एक अधूरी दास्तां का वादा, जो फिर किसी मोड़ पर पूरी होगी।
कभी किताबों में,
तो कभी दिल की गलियों में।


---
[आगे कहानी जारी ......  पढ़ते रहे matru bharti aap par ...... ]