महाशक्ति - 15 Mehul Pasaya द्वारा पौराणिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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महाशक्ति - 15

महाशक्ति – एपिसोड 15

अनाया की हालत और अर्जुन की बेचैनी

रात गहरी होती जा रही थी। अर्जुन अब भी जंगल में भटक रहा था, उसकी आँखों में चिंता थी। अनाया का कोई सुराग नहीं मिल रहा था। "क्या वह सुरक्षित होगी? क्या वह अब भी जीवित होगी?" ये सवाल उसके मन को झकझोर रहे थे।

गहरी खोजबीन के बाद, उसे गुफा के पास ज़मीन पर कुछ टूटे हुए कंगन के टुकड़े मिले। अर्जुन ने उन्हें उठाकर देखा—ये अनाया के कंगन थे!

"अनाया यहाँ थी!" उसने खुद से कहा और तेज़ी से गुफा की ओर बढ़ा।

गुफा के अंदर अनाया की हालत

गुफा के अंदर, अनाया अब भी बेहोश पड़ी थी। उसके माथे पर हल्का सा घाव था और होंठ सूख चुके थे। अचानक, उसकी आँखों में हल्की हलचल हुई।

उसने अपनी आँखें खोलने की कोशिश की, लेकिन उसकी नजरें धुंधली हो रही थीं। उसके शरीर में ताकत नहीं थी, लेकिन उसका मन अर्जुन को पुकार रहा था।

"अ... अर्जुन..."

तभी, गुफा के प्रवेश द्वार पर एक तेज़ रोशनी चमकी और अर्जुन अंदर दाखिल हुआ। उसने जैसे ही अनाया को ज़मीन पर बेहोश पड़ा देखा, उसका दिल बैठ गया।

"अनाया!" वह भागकर उसके पास आया और उसके चेहरे को अपने हाथों में पकड़ लिया।

"अनाया, आँखें खोलो!"

अनाया ने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं और अर्जुन को धुंधली नजरों से देखा।

"अर्जुन... तुम आ गए?" उसकी आवाज़ कमजोर थी।

"हाँ, मैं आ गया। कुछ नहीं होगा तुम्हें। मैं तुम्हें यहाँ से ले जाऊँगा।"

अनाया की हालत और शिव का संकेत

अर्जुन ने जल्दी से उसे अपनी बाहों में उठाया और गुफा से बाहर निकला। लेकिन तभी आसमान में अचानक काले बादल घिरने लगे। बिजली चमकने लगी और तेज़ हवाएँ चलने लगीं।

"यह कैसा संकेत है?" अर्जुन ने खुद से कहा।

तभी, हवा में शिवजी की आवाज़ गूँजी—

"अर्जुन, यह समय परीक्षा का है। अनाया को जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष करना होगा। लेकिन याद रखना, सच्चा प्रेम किसी भी कठिनाई को पार कर सकता है।"

अर्जुन ने शिवजी की बातों को ध्यान से सुना और अनाया को मजबूती से पकड़ लिया।

"मैं अनाया को नहीं खोऊँगा। मैं उसे बचाऊँगा!"

खाई से बाहर निकलने की कोशिश

गहरी खाई से बाहर निकलने के लिए अर्जुन को बहुत संघर्ष करना पड़ा। अनाया को अपनी पीठ पर बाँधकर, वह पत्थरों और लताओं का सहारा लेकर धीरे-धीरे ऊपर चढ़ा।

हर कदम मुश्किल था, लेकिन अर्जुन ने हार नहीं मानी। आखिरकार, वह अनाया को लेकर सुरक्षित जगह पर पहुँच गया।

अनाया की हालत और अर्जुन की चिंता

अर्जुन ने उसे एक चट्टान पर लिटाया और पास के झरने से पानी लाकर उसके होंठों पर डाला। अनाया की साँसे अब भी कमजोर थीं।

"तुम्हें होश में आना होगा, अनाया। मैं तुम्हें खो नहीं सकता।"

उसने शिवजी से प्रार्थना की, "हे महादेव, मेरी प्रिया को बचा लीजिए!"

जैसे ही उसने यह कहा, हवा में हल्की रोशनी फैल गई और अनाया ने गहरी साँस ली।

उसकी आँखें धीरे-धीरे खुलीं।

"अर्जुन..."

अर्जुन की आँखों में खुशी के आँसू आ गए।

"तुम ठीक हो जाओगी, मैं तुम्हारे साथ हूँ!"

नए सफर की शुरुआत

अनाया की जान तो बच गई थी, लेकिन यह सिर्फ एक शुरुआत थी। अब अर्जुन और अनाया दोनों को यह समझना था कि उनका भाग्य क्या है और शिवजी की भविष्यवाणी का क्या मतलब था।

आगे क्या होगा? क्या उनकी परीक्षा यहीं खत्म हो जाएगी, या यह सिर्फ एक नई चुनौती की शुरुआत थी?

(जारी रहेगा...)